23 फरवरी 2020
जून में पीएससी चेयरमैन केआर पिस्दा का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। रिटायर आईएएस के पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग के लिए यह बेहतर वैकेंसी हो सकती है। लेकिन, फिलहाल कोई दावेदार नजर नहीं आ रहा। डा0 आलोक शुक्ला का इसी साल मई में रिटायरमेंट जरूर है। मगर सरकार पहले ही संकेत दे चुकी है कि शुक्ला मंत्रालय में ही कंटीन्यू करेंगे। उन्हें स्कूल शिक्षा को को पटरी पर लाने का टास्क भी सरकार ने दे दिया है। हो सकता है, कोई प्रमोटी आईएएस रिटायरमेंट से पहले वीआरएस लेकर पीएससी चेयरमैन बन जाए। पिस्दा को भी रमन सरकार ने ऐसे ही बनाया था। रिटायरमेंट से करीब एक साल पहले पिस्दा आईएएस से वीआरएस लेकर पीएससी चेयरमैन बन गए थे। इसलिए, करीब तीन साल वे चेयरमैन रहे। पीएससी चेयरमैन के रिटायरमेंट एज 62 साल है। इसलिए, डायरेक्ट आईएएस इस पोस्ट को प्राथमिकता नहीं देते। सूबे में अभी तक एक भी डायरेक्ट आईएएस पीएससी चेयरमैन नहीं बना है। डायरेक्ट वाले रिटायरमेंट के बाद पांच साल वाले पोस्ट को प्रीफरेंस देते हैं। पीएससी चेयरमैन में 60 के बाद सिर्फ दो साल बाद ही विदा लेना पड़ जाता है। इसलिए, मानकर चलिये, इस बार भी कोई प्रमोटी आईएएस ही चेयरमैन बनेगा।
जून में पीएससी चेयरमैन केआर पिस्दा का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। रिटायर आईएएस के पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग के लिए यह बेहतर वैकेंसी हो सकती है। लेकिन, फिलहाल कोई दावेदार नजर नहीं आ रहा। डा0 आलोक शुक्ला का इसी साल मई में रिटायरमेंट जरूर है। मगर सरकार पहले ही संकेत दे चुकी है कि शुक्ला मंत्रालय में ही कंटीन्यू करेंगे। उन्हें स्कूल शिक्षा को को पटरी पर लाने का टास्क भी सरकार ने दे दिया है। हो सकता है, कोई प्रमोटी आईएएस रिटायरमेंट से पहले वीआरएस लेकर पीएससी चेयरमैन बन जाए। पिस्दा को भी रमन सरकार ने ऐसे ही बनाया था। रिटायरमेंट से करीब एक साल पहले पिस्दा आईएएस से वीआरएस लेकर पीएससी चेयरमैन बन गए थे। इसलिए, करीब तीन साल वे चेयरमैन रहे। पीएससी चेयरमैन के रिटायरमेंट एज 62 साल है। इसलिए, डायरेक्ट आईएएस इस पोस्ट को प्राथमिकता नहीं देते। सूबे में अभी तक एक भी डायरेक्ट आईएएस पीएससी चेयरमैन नहीं बना है। डायरेक्ट वाले रिटायरमेंट के बाद पांच साल वाले पोस्ट को प्रीफरेंस देते हैं। पीएससी चेयरमैन में 60 के बाद सिर्फ दो साल बाद ही विदा लेना पड़ जाता है। इसलिए, मानकर चलिये, इस बार भी कोई प्रमोटी आईएएस ही चेयरमैन बनेगा।
पहली महिला आईपीएस
बलौदा बाजार की एसपी नीतू कमल डेपुटेशन पर सीबीआई जा रही हैं। वहां उनकी एसपी पद पर पोस्टिंग हो गई है। नीतू बलौदा बाजार से रिलीव होने के लिए सीएम के विदेश दौरे से लौटने की प्रतीक्षा कर रही थीं। अब चूकि सीएम रायपुर आ गए हैं, इसलिए समझा जाता है, जल्द ही रिलीव होकर दिल्ली की फ्लाइट पकड़ लेंगी। नीतू महासमुंद, मुंगेली, जांजगीर, रायपुर की एसपी रह चुकी हैं। बलौदा बाजार उनका पांचवा जिला है। महिला एसपी के रूप में उनका यह रिकार्ड होगा। वैसे, पुरूषों में भी पवनदेव, बद्री मीणा और शेख आरिफ ही ऐसे आईपीएस होंगे, जो पांच से अधिक जिले के एसपी रहे हैं। आरिफ तो अभी क्रीज पर टिककर कप्तानी पारी खेल रहे हैं। रायपुर उनका सातवां जिला है। बहरहाल, सीबीआई में जाने वाली नीतू छत्तीसगढ़ की तीसरी आईपीएस होंगी। पहली महिला आईपीएस भी। इससे पहिले अमित कुमार सीबीआई मुख्यालय में ज्वाइंट डायरेक्टर पॉलिसी हैं। दूसरे अभिषेक शांडिल्य इन दिनों पटना में एसपी हैं।
एसपी की लिस्ट
नीतू कमल को रिलीव करने पर बलौदा बाजार एसपी का पद खाली हो जाएगा। जाहिर है, रिलीविंग के साथ ही सरकार वहां नए एसपी की पोस्टिंग करेगी। खबर है, बलौदा बाजार के साथ ही एक-दो और जिले के एसपी बदल सकते हैं। हालांकि, एसपी की लिस्ट बेहद छोटी होगी। बड़ी लिस्ट विधानसभा के बाद निकलेगी।
अफसरों पर गाज?
सीएम के विदेश दौरे के दौरान धान खरीदी को लेकर सूबे में जो कुछ हुआ, उससे सरकार खुश नहीं है। कई जिलों के कलेक्टर स्थिति को कंट्रोल करने में नाकाम रहे। सरकार में बैठे लोग भी मानते हैं कि आपस में कोआर्डिनेशन बेहतर होता तो ये स्थिति नहीं आती….अफसरों ने बीजेपी को बेवजह सियासी रोटी सेंकने का मौका दे दिया। संकेत हैं, सरकार की नाराजगी कुछ अफसरों को भारी पड़ सकती है। हालांकि, कुछ इसी तरह की स्थिति 2002 में भी उत्पन्न हुई थी। धान बेचने को लेकर किसान सड़क पर थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने पुराने मंत्रालय में अफसरों की बैठक बुलाई। उन्हें बताया गया कि कोलकाता की कंपनी ने बारदाना सप्लाई नहीं किया, जिससे यह स्थिति पैदा हुई है। जोगी आग-बबूला हो उठे….उन्होंने भरी मीटिंग से दो आईएएस अफसरों को उठा दिया था। बोले, दोनों अगली ट्रेन पकड़ कर कोलकाता जाओ। 18 साल पुराना वाकया अफसरों को आज भी याद है।
बीजेपी कंफ्यूज
छत्तीसगढ़ में लगातार 15 साल तक सत्ता में रही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर जो रवैया अपना रही, कार्यकर्ताओें में उसके मैसेज अच्छे नहीं जा रहे। विभिन्न स्तरों पर रायशुमारी के बाद लगभग दर्जन भर नेताओं के नाम इस पद के लिए सामने आ चुके हैं। लेकिन, नतीजा सिफर है। अलबत्ता, पार्टी में अभी यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किस वर्ग से अध्यक्ष चुना जाए। कभी आदिवासी तो कभी कुर्मी, साहू और सामान्य वर्ग पर आकर पार्टी नेताओं की चर्चा समाप्त हो जा रही। खबर है, बीजेपी का एक खेमा फिर से किसी आदिवासी को अध्यक्ष बनाने की कोशिश में है तो वहीं दूसरा खेमा इसके विरोध में। इस खेमे की दलील है, आखिर बीजेपी मे संगठन मंत्री, प्रांत प्रचारक, राज्य सभा सदस्य, अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री… सभी ट्राईबल हैं। बात कुछ हद तक सही भी है। कांग्रेस ने भी मोहन मरकाम को तभी अध्यक्ष बनाया, जब पार्टी सत्ता में आ गई। वरना, राज्य बनने के बाद से हमेशा दूसरे वर्ग से ही कांग्रेस का अध्यक्ष रहा। भाजपा में भी अधिकांश लोग इसी बात के पक्षधर हैं कि पार्टी को अगर खड़ा करना है, तो अध्यक्ष दमदार चाहिए।
राज्यसभा में भी कांग्रेस भारी
अप्रैल में राज्यसभा की दो सीटें खाली हो रही हैं। कांग्रेस से मोतीलाल वोरा और बीजेपी से रणविजय सिंह जूदेव का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। विधानसभा में कांग्रेस की संख्या बल की दृष्टि से दोनों सीटें अबकी कांग्रेस की झोली में जाएंगी। राज्य बनने के बाद यह पहला अवसर होगा कि पांच में से तीन राज्य सभा सीटें कांग्रेस की झोली में होंगी। छाया वर्मा पहले से राज्यसभा में हैं। जून 2022 में उनका कार्यकाल समाप्त होगा। अभी तक भाजपा के पास तीन और कांग्रेस की राज्यसभा में दो सदस्य होते थे। हालांकि, ये भी तय नहीं कि जून 2022 में रामविचार नेताम वाली सीट भी भाजपा को फिर से मिलेगी। बीजेपी को इसके लिए अजीत जोगी की पार्टी से सहयोग मांगना पड़ेगा। अभी जो राज्यसभा सदस्य हैं, उनमें से सरोज पाण्डेय का कार्यकाल सबसे लंबा है। वे 2024 तक सांसद रहेंगी।
हिमशिखर की पोस्टिंग
2007 बैच के आईएएस हिमशिखर गुप्ता को सरकार ने रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी बनाया है। इससे पहले उनके पास सिर्फ प्रशासन अकादमी के डायरेक्टर का चार्ज था। प्रशासन अकादमी में उनसे पहिले कभी यंग आईएएस नहीं रहा। प्रशासन अकादमी या तो एडिशनल पोस्टिंग होती है या फिर वहां उन सीनियर अफसरों को भेजा जाता है, जिनसे सरकार खफा होती है। हिमशिखर की किसी बात को लेकर एक मंत्री से कुछ खटरपटर हो गई थी। जिसके कारण सरकार ने हायर एजुकेशन कमिश्नर से हटा कर अकादमी भेज दिया था। शुक्र है, हिमशिखर की गाड़ी अब पटरी पर आ गई है।
सूचना आयुक्त का आदेश
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान राज्य सूचना आयुक्त की पोस्टिंग हो जाएगी। इसकी सलेक्शन कमिटी में सीएम और नेता प्र्रतिपक्ष मेम्बर होते हैं। सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष हाउस में उपलब्ध भी रहेंगे। जीएडी ने आवेदनों को भी कम्पाइल कर दिया है। किसी भी दिन पोस्टिंग का आदेश जारी हो जाएगा। इस पद के लिए रिटायर आईएएस केडीपी राव, एनके खाखा, आलोक अवस्थी के नामों की चर्चा है। अब देखना है, सरकार इस पद पर रिटायर आईएएस को मौका देती है या किसी नान आईएएस को।
अंत में दो सवाल आपसे
1. पहली बार मुख्यमंत्री और स्पीकर एक साथ विदेश दौरे पर गए, इसकी असली वजह क्या है?
2. क्या पूर्व मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह हो सकते हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष?
2. क्या पूर्व मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह हो सकते हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष?
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