तरकश, 14 जून 2020
संजय के. दीक्षित
पूर्व सीएम स्व0 अजीत जोगी का अफसरों से काम कराने का अंदाज जुदा था। वरिष्ठ नौकरशाहों को आज भी याद है…जोगी एक बार लेबर सिकरेट्री एमएस मूर्ति को कोई टास्क सौंपे थे। नियत समय पर काम हुआ नहीं। जोगी ने देर शाम मीटिंग बुलाई। मूर्ति ने कहा, सर….फाइल डायरेक्ट्रेट में है। जोगी भड़क गए। बोले, आज रात सोने से पहले फाइल मेरे टेबल पर आ जानी चाहिए। मैं फाइल पर दस्तखत करके सोउंगा। एक बार धान खरीदी के लिए जब बारदाना का शार्टेज हुआ तो दो आईएएस अफसरों को भरी मीटिंग से उठाकर कोलकाता भेज दिया था। 10 जून को सीएम भूपेश बघेल की मीटिंग में भी कुछ ऐसा ही हुआ। सीएम कलेक्टरों की मीटिंग ले रहे थे। आठ महीने से घूम रही एक फाइल के मामले में वे बिगड़ पड़े। बोले…फाइल आज ही होनी चाहिए…मैं बता देता हूं, आज रात डेट बदलने से पहले फाइल हो जानी चाहिए। कलेक्टरों को भी उन्होंने साफ वार्निंग दे दी….काम नहीं करना तो कलेक्टरी छोड़ दो। कलेक्टर कांफें्रस खतम होने के बाद सीनियर ब्यूरोके्रट्स जोगी को याद कर रहे थे…जोगीजी की भी काम कराने की यही शैली थी….टाईम मतलब टाईम।
संजय के. दीक्षित
पूर्व सीएम स्व0 अजीत जोगी का अफसरों से काम कराने का अंदाज जुदा था। वरिष्ठ नौकरशाहों को आज भी याद है…जोगी एक बार लेबर सिकरेट्री एमएस मूर्ति को कोई टास्क सौंपे थे। नियत समय पर काम हुआ नहीं। जोगी ने देर शाम मीटिंग बुलाई। मूर्ति ने कहा, सर….फाइल डायरेक्ट्रेट में है। जोगी भड़क गए। बोले, आज रात सोने से पहले फाइल मेरे टेबल पर आ जानी चाहिए। मैं फाइल पर दस्तखत करके सोउंगा। एक बार धान खरीदी के लिए जब बारदाना का शार्टेज हुआ तो दो आईएएस अफसरों को भरी मीटिंग से उठाकर कोलकाता भेज दिया था। 10 जून को सीएम भूपेश बघेल की मीटिंग में भी कुछ ऐसा ही हुआ। सीएम कलेक्टरों की मीटिंग ले रहे थे। आठ महीने से घूम रही एक फाइल के मामले में वे बिगड़ पड़े। बोले…फाइल आज ही होनी चाहिए…मैं बता देता हूं, आज रात डेट बदलने से पहले फाइल हो जानी चाहिए। कलेक्टरों को भी उन्होंने साफ वार्निंग दे दी….काम नहीं करना तो कलेक्टरी छोड़ दो। कलेक्टर कांफें्रस खतम होने के बाद सीनियर ब्यूरोके्रट्स जोगी को याद कर रहे थे…जोगीजी की भी काम कराने की यही शैली थी….टाईम मतलब टाईम।
सेल्फ स्टार्ट आईएएस
कलेक्टर कांफ्रेंस में सीएम भूपेश ने नौकरशाहों को स्पष्ट संदेश दे दिया कि काम नहीं करोगो तो हश्र बुरा होगा….काम नहीं तो वेतन नहीं मिलेगा। इतना सख्त लहजे में अफसरों को कभी नहीं चेताया गया होगा। दरअसल, डेढ़ साल में सीएम समझ गए हैं कि अफसर गोल बचाने की कोशिश में ज्यादा है। धक्कापलट। जितना धक्का देंगे, उतना चलेंगे। बात सही भी है। सुनील कुमार, विवेक ढांड, एमके राउत जैसे सेल्फ स्टार्ट और रिजल्ट देने वाले आईएएस अब बचे नहीं। ठीक-ठाक अफसरों को अगर काउंट किया जाए तो उंगली तीन, चार के बाद आगे नहीं बढ़ेगी। बहरहाल, नौकरशाहों को अब सीएम का संदेश समझ में आ जाना चाहिए। वरना, वही होगा, जो वर्तमान में सरकार ने किया है।
सरकार की नाराजगी
छत्तीसगढ़ में सरकारों के अफसरों पर नाराज होने के पहले भी कई मामले हुए हैं। पिछली सरकार ने लैंड के ही एक मामले में एक सीनियर महिला आईएएस को मंत्रालय से हटाकर बिलासपुर रेवन्यू बोर्ड भेज दिया था। केडीपी राव का मामला भी लोग भूले नहीं होंगे। केडीपी प्रिंसिपल सिकरेट्री थे। बीजेपी सरकार ने उन्हें डिमोशन करके बिलासपुर का कमिश्नर बना दिया था। केडीपी ने जब कैट में इसे चैलेंज किया तो सरकार ने कमिश्नर के पद को अपग्रेड करके पीएस लेवल का बना दिया। केडीपी ने आईएएस एसोसियेशन से मदद मांगने का प्रयास किया लेकिन एक अधिकारी उनके साथ नहीं आया। अजीत जोगी भी एक बार पुस्तक प्रकाशन में विलंब होने पर एक सिकरेट्री के उपर एक प्रिंसिपल सिकरेट्री को बिठा दिया था।
गीता का प्रमोशन
हार्वर्ड से मैनेजमेंट कोर्स करके लौटी आईएएस एम गीता को एपीसी मनिंदर कौर द्विवेदी के नीचे कृषि विभाग का सचिव बनाने की तैयारी थी। लेकिन, वक्त का पहिया कुछ ऐसा घूमा कि गीता खुद ही एपीसी के साथ कृषि सचिव बन गई। इसे ही कहते हैं, किस्मत। वरना, गीता से पहले जो अधिकारी बाहर से पढ़ाई करके लौटे या फिर डेपुटेशन से, उन्हें एकाध महीने बाद ही पोस्टिंग मिल पाई।
‘परदेशी’ पर भरोसा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिद्धार्थ कोमल परदेशी को अपना सिकरेट्री बनाया है। सीएम सचिवालय में टामन सिंह सोनवानी के पीएससी चेयरमैन बनने के बाद सिकरेट्री की जगह खाली थी। जाहिर है, युवा महोत्सव के आयोजन के बाद परदेशी का ग्राफ तेजी से आगे बढ़ा। सरकार ने एसीएस अमिताभ जैन के साथ उन्हें पीडब्लूडी का सिकरेट्री बनाया था। हाल ही में जैन को पीडब्लूडी से मुक्त कर दिया गया। याने परदेशी पर पूरा भरोसा। और अब सीएम के सिकरेट्री भी। हाई प्रोफाइल परिवार से ताल्लुकात रखने वाले परदेशी लो प्रोफाइल आईएएस हैं। बैलेंस भी। बहरहाल, उनकी नियुक्ति पर चुटकी ली जा रही…सरकार ने ‘परदेशी’ पर भरोसा किया।
दो कृषि सचिव
एम गीता को सरकार ने एपीसी के साथ ही सिकरेट्री एग्रीकल्चर बनाया है। गीता से पहले धनंजय देवांगन भी कृषि सचिव है। गीता की पोस्टिंग के बाद अब एक विभाग में दो सचिव हो गए हैं। पहले मनिंदर कौर द्विवेदी प्रमुख सचिव थीं। इसलिए, चल गया। लेकिन, अब या तो गीता को टाईम से पहले प्रमुख सचिव बनाना होगा। पिछले साल 95 बैच के गौरव द्विवेदी और मनिंदर कौर को सरकार ने प्रमुख सचिव प्रमोट किया था। गीता 97 बैच की हैं। उन्हें या तोे अब प्रमोट करना होगा या फिर धनंजय किसी दूसरे विभाग में शिफ्थ किए जाएंगे। बहरहाल, गीता को यह बड़ा ब्रेके मिला। एपीसी इम्पाॅर्टेंट पोस्ट होता है। सीएस के बाद दूसरे नम्बर का। छत्तीसगढ़ में आईएएस का टोटा है, इसलिए प्रिंसिपल सिकरेट्री को भी कई बार एपीसी बना दिया गया। वरना, एडिशनल चीफ सिकरेट्री रैंक के अफसर ही इस पोस्ट पर नियुक्ति पाते थे। मनिंदर कौर के पहले भी केडीपी राव एसीएस रैंक के ही एपीसी थे।
महिला कलेक्टर
छत्तीसगढ़ के दो बड़े जिले रायपुर और बिलासपुर में अभी तक कोई महिला कलेक्टर नहीं रही हैं। दुर्ग में रीना कंगाले कलेक्टरी कर चुकी हैं। अंबिकापुर में रीतू सेन, रायगढ़ में अलरमेल और शम्मी आबिदी। किरण कौशल फिलहाल कोरबा में हैं। हो सकता है कि रायपुर का यह मिथक टूट जाए। संकेत मिल रहे हैं कि आगे चलकर रायपुर में किसी लेडी कलेक्टर को मौका दिया जा सकता है।
आईएएस अवार्ड पर ग्रहण
छत्तीसगढ़ में आठ अफसरों को आईएएस अवार्ड होना है। इनमें सात पद राज्य प्रशासनिक सेवाओं के लिए है और एक अन्य सेवाओं से। अन्य सेवाओं के लिए एक पद पर तो कोई दिक्कत नहीं है। मगर राप्रसे के जिन सात अफसरों को मेरिट के आधार पर प्रमोशन देना है, उनका मामला सुप्रीम कोर्ट में है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इनकी नियुक्ति में भ्रष्टाचार के आरोपों को सही ठहराते हुए नियुक्ति निरस्त कर दी थी। ईओडब्लू में पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन अशोक दरबारी, परीक्षा नियंत्रक बीपी कश्यप समेत सभी चयनित अफसरों के खिलाफ धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार के आधा दर्जन केस पहले से दर्ज हैं। याद होगा, मेरिट में होने के बाद वर्षा डोंगरे का सलेक्शन नहीं किया गया। वर्षा ने अब मुख्यमंत्री को पाती लिखी है कि ऐसे भ्रष्ट अफसरों को आईएएस अवार्ड न किया जाए। वैसे भी, किसी अधिकारी के खिलाफ अगर अपराधिक केस दर्ज है, तो उसे भारत सरकार प्रमोशन नहीं देता। राज्य सरकार ने जरूर इन अधिकारियों को लगातार पदोन्नति देती गई। लेकिन, अब जीएडी के अफसरों का कहना है कि केस होने के कारण राज्य या तो इनका नाम ही नहीं भेजेगी। या फिर भेजेगी तो फिर वहां केस डिसाइड होते तक लिफाफे में नाम बंद कर दिया जाएगा। इसकी भी एक समय सीमा है। अगर उस समय तक केस का फैसला नहीं होगा तो नीचे के अफसरों को आईएएस अवार्ड कर दिया जाएगा।
यंग अफसरों को मौका
आईपीएस में 94 बैच के तीन अधिकारियों को सरकार ने पोस्टिंग दे दी है। अफसरों के विभागों को देखकर कहा जा सकता है कि सीनियर अफसरों की जगह सरकार अब यंग अफसरों को मौका दे रही है। सरकार ने पहले पिछले साल ही आईजी बने आनंद छाबड़ा को खुफिया चीफ बनाया। और इसके बाद डीआईजी आरिफ शेख को ईओडब्लू, एसीबी चीफ। दोनों एडीजी रैंक के पद हैं। राजनीतिक दृष्टि से भी संवेदनशील। पीएचक्यू में सीआईडी के प्रमुख भी डीआईजी हैं। सीआईडी में हमेशा आईजी या एडीजी रहे हैं। पुराने लोगों को याद होगा, डीजीपी विश्वरंजन के दौर में भी एक बार पीएचक्यू में डीआईजी लेवल के अफसरों को अहमियत देकर अधिकांश विभागों का प्रमुख बना दिया गया था। बहरहाल, छाबड़ा और आरिफ अगर ठीक-ठाक परफर्म कर लिए तो कुछ दिन बार छत्तीसगढ़ की प्रभावशाली जोड़ी होगी।
अंत में दो सवाल आपसे
1. ब्यूरोक्रेसी में आजकल किस स्कैंडल की व्हाट्सएप चेटिंग खूब वायरल हो रही है?
2. पुलिस अधीक्षकों की निकलने वाली लिस्ट भी क्या अब लंबी हो सकती है?
2. पुलिस अधीक्षकों की निकलने वाली लिस्ट भी क्या अब लंबी हो सकती है?
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