रविवार, 28 जून 2020

मंत्री के अच्छे दिन

तरकश, 28 जून 2020
संजय के दीक्षित
भूपेश कैबिनेट के जिन चार मंत्रियों की छंटनी की खबर अक्सर वायरल होती रहती है, उनमेें राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल का नाम भी लिया जाता है। जय सिंह समर्थकों की परेशानियां भी कुछ दिनों से काफी बढ़ गई थीं। लेफ्ट-राइट कहे जाने वाले उनके कुछ लोगों ने कानून की खौफ से कोरबा छोड़ दिया है। लेकिन, अब पता चला है कि जय सिंह का उपर में सब कुछ ठीक-ठाक हो गया है। सारे गिले-शिकवे दूर हो गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जय सिंह भरोसा जताते हुए उन्हें मरवाही उपचुनाव के लिए प्रभारी अपाइंट किया है। लगातार दो विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस पार्टी के लिए मरवाही उपचुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न होगा। ऐसे चुनाव की कमान अगर जय सिंह को सौंपा गया है तो जाहिर तौर पर जय सिंह की अहमियत सरकार ने बढ़ाई है। कह सकते हैं, जय सिंह के अच्छे दिन आ गए हैं। 

ब्यूरोक्रेट्स और शराब


शराब पावर बढ़ाने का काम करती है…ऐसी कि भिखारी भी अपने को सेठ भिखमचंद समझने लगता है। ऐसी शक्तिशाली औषधि को अगर ब्यूरोक्रेट्स जैसे पावरफुल लोग ग्रहण करें तो आप समझ सकते हैं, क्या होता होगा। आईएएस तो नार्मल सिचुएशन में देश चलाते हैं। दो पैग जाने के बाद तो सीएम, पीएम उसे बौने लगने लगते हैं….अरे ये तो पांच साल के लिए हैं, हम 30 साल वाले। दरअसल, उनसे चूक भी यहीं होती है। हालांकि, होशियार अफसर शुरू होते ही मोबाइल बंद कर देते हैं। क्योंकि, मोबाइल हाथ में पकड़े तो गड़बड़ होगा ही….लगेंगे फोटो मांगने और भेजने। एमपी के हनी ट्र्रैप कांड में भी यही हुआ। व्हाट्सएप चेटिंग ने पूरा खेल बिगाड़ा। और, छत्तीसगढ़ में भी। यहां तो पूरा मामला सेट हो गया था। लेनदेन के बाद रफा-दफा भी। लेकिन, अंगूर की बेटी ने आईएएस का कैरियर तबाह कर दिया। आईएएस के साथ दिक्कत यह है कि शराब के शौकीन हैं लेकिन, थोड़े से ही में नियंत्रण खो देते हैं। उन्होंने रात में अपने इलाके के एक छत्रप के बारे में अनाप-शनाप बक दिया। उसके दो दिन बाद वकील लगाकर हो गई शिकायत। आईएएस निबट गए। अफसरों को इस घटना से सबक लेना चाहिए…चुपचाप डूबकी लगा लेने वाले मंत्रालय के अपने सीनियर अफसरों से सीख भी।

मंत्रियों, अफसरों पर संकट

राजधानी के प्राइम और पावरफुल इलाका शंकर नगर, शांति नगर का स्वरूप अब बदल जाएगा। कई महीनों से अटके इस प्रोेजेक्ट के लिए सरकार ने काम जल्द शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है। 19.8 एकड़ में पसरे इस इलाके में मंत्रियों और बड़े अधिकारियों के बंगले हैं। इन्हें तोड़कर शाॅपिंग और रेसिडेंसियल काम्पलेक्स बनाए जाएंगे। उसके बीच में 16 एकड़ का सिटी पार्क भी बनेगा। दावा है, दिल्ली के कनाॅट प्लेस जैसा। 80 फीसदी एरिया ग्रीनरी होगा। हाउसिंग बोर्ड को यह जिम्मा दिया गया है। मगर इस खबर से इस इलाके में बरसों से रह रहे सरकारी अधिकारियों की धड़कनें बढ़ जाएगी। 117 से अधिक मंत्री, आईएएस, आईपीएस से लेकर छोटे लेवल के अधिकारियों के वहां आवास हैं। गरीबों की झुग्गी-झोपडियों की तरह पहली बार पावरफुल लोगों को बेदखल होना पड़ेगा। हालांकि, अभी तक तो उन्हें यह हवा-हवाई लगता था। लेकिन अब सरकार ने आदेश कर दिया है तो किसी भी टाईम उन्हें नोटिस मिल सकती है…घर खाली कीजिए। अब उनके पास दो ही रास्ते होंगे….या तो 30 किलोमीटर दूर नया रायपुर जाएं या फिर अपने निजी आवासों में शिफ्थ हो जाएं। इनमें 99 फीसदी से अधिक अफसर ऐसे होंगे, जिनके पास राजधानी में दो से अधिक खुद के मकान होंगे। लेकिन, शंकर नगर के सरकारी बंगलों के अपने मजे हैं। इसलिए, उनके लिए यह संकट की स्थिति है।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम

देश में कांग्रेस सरकारों ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम चालू किया था। अब तो इस साल उत्तर प्रदेश सरकार सरकार ने कई जिलों में पुलिस कमिश्नर बिठा दिया। हिन्दी प्रदेशों में सिर्फ राजस्थान, एमपी, बिहार और छत्तीसगढ़ बचा है। साउथ और नार्थ ईस्ट में पहले ही हो चुका है। रमन सरकार के समय भी रायपुर में पुलिस कमिश्नर पोस्ट करने की कई बार चर्चाएं चली लेकिन, ब्यूरोक्रेसी तैयार नहीं हुई। सो, बात आई, गई चली गई। अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। ब्यूरोक्रेसी भी इस स्थिति में नहीं है कि अगर-मगर कर सकें। ऐसे में, इन चर्चाओं में दम हो सकता है कि कम-से-कम रायपुर में कमिश्नर सिस्टम प्रारंभ किया जा सकता है। रायपुर जिले की आबादी 17 लाख के करीब हो चुकी है। राजधानी होने के कारण क्राईम भी है। ये जरूर है कि कमिश्नर प्रणाली से कलेक्टर के पावर कम हो जाएंगे। दंडाधिकारी से लेकर लायसेंस प्रदान करने तक के अधिकारी कमिश्नर को मिल जाएंगे।

संविदा में भी खतरा

नौकरशाहों को अगर संविदा पोस्टिंग मिलती है, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि 70 बरस एक्सटेंशन मिलता रहेगा। जैसा पिछली सरकार में होता रहा। आईएएस सुरेंद्र जायसवाल को सरकार ने पिछले साल रिटायरमेंट की शाम को ही संसदीय विभाग का सचिव के साथ ही राजभवन का सचिव की संविदा पोस्टिंग दी गई थी, तो लोग चैंक गए थे। तीन महीने बाद उन्हें राजभवन और मंत्रालय से हटाकर पंचायत विभाग के ट्रेनिंग संस्थान निमोरा का डायरेक्टर बनाया गया। एक बरस की संविदा नियुक्ति 31 मई को समाप्त हो गई। सरकार ने उन्हें एक्सटेंशन नहीं दिया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ के एक मंत्री का नाम बताएं, जो रात नौ बजे होशियार आईएएस की तरह अपना मोबाइल बंद कर देते हैं?
2. आपकी दृष्टि में सरकार में किस आईएएस की सबसे ज्यादा चल रही होगी?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें