बुधवार, 24 मार्च 2021

तरकश : सरकार का गुस्सा!

 

संजय के दीक्षित
तरकश के तीर, 21 मार्च 2021


जिन जिलों में पुलिसकर्मियों की पिटाई हो रही, उससे सरकार बेहद नाराज है। सरकार में बैठे लोगों का मानना है कि जिस सूबे का मुख्यमंत्री इतना तेज-तर्रार हो, वहां उपद्रवी पुलिस की पिटाई कर दें, थाने में घुसकर तोड़फोड़ कर दें, ये बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। बताते हैं, मुख्यमंत्री ने कह दिया है…पहले इन जिलों के एसपी की छुट्टी की जाए। बात सही भी है, जो अपने सिपाहियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता, उस पर जिले के लोग क्या भरोसा करेंगे। ऐसे में आश्चर्य नहीं कि जिन दो-एक जिलों में पुलिस पर हमले हुए हैं, उन जिलों के कप्तानों को सरकार जल्द बदल दे।

छोटी लिस्ट

एसपी की बहुप्रतीक्षित लिस्ट निकलेगी, मगर हो सकता है, वो बहुत बड़ी नहीं हो। दो-एक नाम का हो सकता है या इससे कुछ ज्यादा। सरकार जिन पुलिस अधीक्षकों से खफा है, हो सकता है पहली सूची में उनकी रवानगी डाल दें। बाकी, जगदलपुर, बालोद और जशपुर के एसपी डीआईजी प्रमोट होने वाले हैं, इनमें से जगदलपुर एसपी दीपक झा के संकेत हैं, वे डीआईजी बनने के बाद भी जगदलपुर में ही कंटीन्यू करेंगे।

इम्पेनलमेंट

ख़ुफ़िया चीफ एवं रायपुर आईजी डॉ आनंद छाबड़ा भारत सरकार में आईजी इम्पेनल हो गए हैं। अमित कुमार के बाद केंद्र में आईजी इम्पेनल होने वाले वे दूसरे आईपीएस होंगे। अमित 98 बैच के आईपीएस हैं। 1999 और 2000 बैच में छत्तीसगढ़ में कोई आईपीएस नहीं है। आनन्द 2001 बैच के हैं। 2019 में वे छत्तीसगढ़ में आईजी बने। और अब केंद्र में इम्पेनल हो गए। ये ठीक है कि उनका बैच छोटा है लेकिन आनन्द की पहुंच से दुखी रहने वाले अफसरों को निश्चित रूप से ये इम्पेनलमेंट किंचित खटका होगा।

आईजी की बिदाई

इस महीने 31 मार्च को आईजी पुलिस मुख्यालय टीआर पैकरा रिटायर हो जाएंगे। पैकरा इससे पहले ट्रांसपोर्ट में एडिशनल कमिश्नर रहे। आईपीएस में हर महीने कोई-न-कोई रिटायर हो रहा। पिछले महीने डीआईजी एच आर मनहर सेवानिवृत्त हुए थे।

एक जिले वाले कलेक्टर

अभी तक सिर्फ प्रमोटी आईएएस के साथ ऐसा होता था, उन्हें एक जिले की कलेक्टरी करा कर वापिस बुला लिया जाता था। कई प्रमोटी अफसर ऐसे भी रहे, जिन्हें एक भी जिले का कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिला। मगर अब रेगुलर रिक्रूटड आईएएस के साथ भी होने लगा है। 2004 बैच से यह चालू हुआ है। संगीता पी सिर्फ धमतरी की कलेक्टर बन पाई। 2005 बैच में राजेश टोप्पो बलौदा बाजार भर कर पाए। हालांकि, वहां उन्हें टाइम अच्छा मिल गया। करीब सवा तीन साल। उनके बाद 2006 बैच में भुवनेश यादव नारायणपुर में करीब 11 महीने रहे। 2009 बैच में प्रियंका शुक्ला और समीर विश्नोई को भी जशपुर और कोंडागांव जिला करने का मौका मिल पाया। समीर कोंडागांव में साढ़े ग्यारह महीने रह पाए। 2010 बैच में रानू साहू जरूर दो जिला की हैं लेकिन उनका टेन्योर छोटा रहा है। 11 और 12 बैच अभी नया है। इनमें से राजेश टोप्पो को छोड़ सबको उम्मीदें होगी…कलेक्टरों के होने वाले फेरबदल में सरकार की नजरे इनायत हो जाये

सीएस की वीसी

चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन ने 18 मार्च को कलेक्टरों की वीसी ली। इस बार एजेंडा ऐसा था कि सभी कलेक्टरों को बोलने का मौका नहीं मिला। सिर्फ उन्हीं चार जिलों के कलेक्टरों से उन्होंने तल्खी से बात की, जहाँ धान की मिलिंग नहीं हो पा रही। कुछ जिलों में पिछले साल का धान पड़ा हुआ है। ऐसे में किसी भी मुख्य सचिव को गुस्सा आ जायेगा। बाकी, उन्होंने एजेंडा के अनुसार सचिवों को बोलने के लिए 15 मिनट का टाइम दिया था। स्वास्थ्य विभाग की एसीएस रेणु पिल्ले ने 14 मिंट में कंप्लीट कर लिया। इस पर सीएस बोले…गुड। मगर दूसरे कई सचिवों ने लंबा खींचा तो उन्होंने टोकना नहीं भूला।

अंत में दो सवाल आपसे

1. चीफ सिकरेट्री की वीडियोकांफ्रेन्सिंग में किन-किन कलेक्टरों से सवाल-जवाब किया गया?

2. छत्तीसगढ़ के एक ऐसे आईएएस का नाम बताइए, जो कलेक्टर का आदेश निकलने के बाद भी विनम्रता पूर्वक कलेक्टर बनने से मना कर दिया था?

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