दुर्भाग्य
एडिशनल चीफ सिकरेट्री नारायण सिंह का लगता है दुर्भाग्य पीछा नहीं छोड़ेगा। वैसे तो सूबे में उनके ब्रांड के कई आईएएस अधिकारी हैं, मगर किस्मत ही खराब है तो बेचारे क्या करें....मालिक मकबूजा में ऐसे निबटे कि डिमोशन का दाग लगा ही, अब भारत सरकार में सिकरेट्री भी इम्पेनल नही हो पाएंगे। आखिर, हर आईएएस अधिकारी की हसरत होती है, केंद्र में सिकरेट्री बनने का मौका भले न मिले, मगर कम-से-कम पेनल में तो आ जाएं। छत्तीसगढ़ से अभी चीफ सिकरेट्री पी जाय उम्मेन पेनल में हैं। नारायण सिंह का बैच इस बार इम्पेनल होना था। लेकिन भारत सरकार ने राज्य सरकार से जिन शर्तों के साथ विजिलेंस क्लियरेंस मांगा, उसमें नारायण नहीं आ रहे हैं। दरअसल, डीओपीटी ने दर्जन भर बिंदुओं वाला एक प्रोफार्मा भेजा है। जिसमें सबसे अहम है, संबंधित अधिकारी को किसी मामले में सजा न हुआ हो। नारायण सिंह मालिक मकबूजा कांड में डिमोट किए जा चुके हैं। और फर्नीचर घोटाले की ईओडब्लू जांच कर रहा है। इस वजह से नारायण सिंह को विजिलेंस क्लियरेंस देने से राज्य सरकार को इंकार करना पड़ गया। राज्य सरकार का लेटर आज-कल में डीओपीटी चला जाएगा। बताते हैं, नारायण के कैरियर को देखते मुख्यमंत्री ने अंतिम समय तक कोशिश की, कि कोई रास्ता निकालकर विजिलेंस क्लियरेंस दे दी जाए। मगर केंद्र की शर्ते ऐसी थीं कि बात बनीं नहीं। जाहिर है, सिंह के चीफ सिकरेट्री बनने का दावा भी अब कमजोर हो जाएगा। उनको सीएस बनाकर सरकार आखिर सवालों में क्यों घिरना चाहेगी।
छोटा चेंज
अगले हफ्ते ट्रांसफर की एक छोटी सूची निकल सकती है। इनमें माईनिंग कारपोरेशन, हार्टिकल्चर मिशन और पौल्यूशन बोर्ड शामिल हैं। इन तीनों में आईएफएस अधिकारी तैनात हैं। माईनिंग में राजेश गोवर्धन, हार्टिकल्चर में आलोक कटियार और पौल्यूशन बोर्ड में नरसिम्हा राव हैं। तीनों जगहों के लिए खोज शुरू हो गई है। और संकेत है, अगले सप्ताह के अंत तक आदेश निकल जाएगा। तीनों की वन मुख्यालय वापसी होगी। तीन में से दो में आईएएस की पोस्टिंग की जाएगी। शनिवार को दो आईएएस अधिकारियों की लिस्ट निकली, उसमें से मार्कफेड के एमडी अविनाश चंपावत को आंतरिक समीकरण की वजह से हटना पड़ा। मार्कफेड के इतिहास में पहली बार हुआ था कि चेयरमैन और एमडी बेहद करीब आ गए थे। छह हजार करोड़ की खरीदी-बिक्री में करीब आने का मतलब आप समझ सकते हैं। फिर चंपावत से प्रमुख सचिव भी नाराज थे। सो, उन्हें बीज विकास निगम भेज दिया गया। सरकार ने सुरेंद्र जायसवाल को नया एमडी अपाइंट किया है। जायसवाल निर्विवादित और बैलेंस अधिकारी माने जाते हैं।
संयोग
अपने खाद्य मंत्री पुन्नू राम मोहले के साथ 12 का अदभूत संयोग है। मोहलेजी के 12 बच्चे हैं और उनके मुंगेली जिले का उद्धाटन भी 12 जनवरी को हुआ। उद्धाटन समारोह में मोहलेजी ने खुद ही जब इस बारे में बताया तो मुख्यमंत्री भी हंसने से रोक नहीं सकें। ठीक है, मोहलेजी का 12 भाग्यांक है और इससे वे खूब बढ़े हैं। लेकिन ज्योतिषियों की मानें तो, राजनीतिकों का भाग्यांक भी ग्रह-नक्षत्र के हिसाब से बदलते रहते हैं। मुंगेली में पिछले तीन साल में एक ही काम हुआ है , वह है भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार और जातिवाद का। एक ढेला का विकास नहीं हुआ है। पिछले बार ही चुरावन की जगह खेमसिंह बारमते को कांग्रेस की टिकिट मिल गई होती तो परिदृश्य आज कुछ और होता। बहरहाल, जिला बनने के बाद भी मोहलेजी अगले चुनाव में बारह के भाव में चल दें तो आश्चर्य नहीं।
नए नवाब
नए जिलों में तैनात किए गए नए नवाबों याने कलेक्टर, एसपी को छोटी जगह भा नहीं रही है। अधिकांश रात में पास के बड़े शहरों में चले जा रहे हैं। या दो-दो, तीन-तीन दिन गायब रह रहे हैं। खास कर सामान्य वर्ग के हाईप्रोफाइल अधिकारी। मुंगेली के कलेक्टर और कप्तान को ही लीजिए। दोनों अक्सर शाम को जिला मुख्यालय छोड़कर बिलासपुर चले जाते हैं और अगले दिन 11 बजे तक जिला खाली रहता है। पता चला है, कलेक्टर का बंगला तैयार हो रहा है और कंप्लीट होने के बाद ही मुंगेली में रहना शुरू करेंगे। कलेक्टर को जिला छोड़ने से पहले चीफ सिकरेट्री से इजाजत लेनी होती है। मगर अभी तो राम राज है। चीफ सिकरेट्री पी जाय उम्मेन उल्टी गिनती गिन रहे हैं। और उनके जैसे तेज और काबिल अधिकारी को समय से पहले हटाने में सरकार संकोच महसूस कर रही है। सो, सुनील कुमार जैसे अधिकारी को स्कूल शिक्षा में बिठा रखा है। सुनील कुमार अगर चीफ सिकरेट्री होते तो जाहिर है, कलेक्टर-एसपी की जिला छोड़कर भागने की हिम्मत नहीं होती? उनके नाम से अधिकारी घबराते हैं। इसलिए, राजधानी में लोगों ने कहना शुरू कर दिया है, सरकार को सरकार की तरह राजहित में कड़े फैसले लेने में हिचकना नहीं चाहिए।
लखीराम विवि
बिलासपुर में खुल रहे नए विवि का नाम लखीराम विवि हो सकता है। संगठन के कई नेता इसके लिए प्रयासरत हैं। और मुख्यमंत्री ने भी मना नहीं किया है। डाक्टर साब भी आखिर लखीरामजी के सबसे प्रिय लोगों में थे। सो, कुलपति के साथ ही विवि के नाम की घोषणा भी जल्द हो सकती है। छत्तीसगढ़ भाजपा के पितृ पुरुष कहे जाने वाले लखीराम की खरसिया में एक प्रतिमा भर लगी है। इसके अलावा और कुछ नहीं। जबकि, यह कहने की बात नहीं कि छत्तीसगढ़ में भाजपा को खड़ा करने का श्रेय लखीरामजी को है। पार्टी के नेता ही कहते हैं, काका में पार्टी के प्रति गजब का समर्पण था। पिछले साल एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के जितने भी नेता हैं, सबने लखीरामजी से राजनीति का ककहरा सीखा है। ऐसे में लखीराम विवि का ऐलान हो जाए तो आश्चर्य नहीं।
अपना रायपुर
शीर्ष राष्ट्रीय पत्रिका इंडिया टुडे ने देश के तेजी से उभरते पांच शहरों में फरीदाबाद, रांची, जमशेदपुर, ग्वालियर के साथ अपने रायपुर को भी शामिल किया है। अलबत्ता, रायपुर को इनमें पहला स्थान मिला है। पत्रिका के सर्वे के मुताबिक रायपुर की इकानामिक ग्रोथ लोगों को हैरान कर रही है। चार माल बन चुके है और छह कंप्लीट होने की स्थिति में हैं। रायपुर की आबादी 12 लाख है और देश के 20 लाख आबादी वाले शहरों में भी 10 माल नहीं हैं। रायपुर में हर साल चार हजार मकान बन रहे हैं और इनमें 700 करोड़ से अधिक का निवेश हो रहा है। 2003 की तुलना में कालोनियों की संख्या सात गुनी बढ़ गई है। स्टील उत्पादन में रायपुर पंजाब के मंडी गोविंदगढ़ को पीछे छोड़ नम्बर वन पर कब्जा जमा लिया है। पूर्वी विदर्भ और पश्चिमी उड़ीसा का प्रमुख व्यावसायिक केंद्र होने एवं राजनीतिक स्थिरता की वजह से वह मध्य भारत का ही नहीं बल्कि देश का बड़ा बिजनेस हब बनने की स्थिति में है। रायपुर में रोजाना 32 फ्लाइट आती-जाती है। देश के सभी बड़े शहर एयर कनेक्टिविटी में है। सर्वे की ये बात भी अहम है, नियोजित ढंग से बनने वाला देश का चौथा शहर होगा न्यू रायपुर। राजनीतिक स्थिरता, आजीविका की असीमित संभावनाएं और लोगों के शांतिपूर्ण व्यवहार के चलते बसने और व्यपार करने की दृष्टि से यह लोगों का पसंदीदा शहर बनता जा रहा है। हालांकि, गंदगी, प्रदूषण और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी को शहर की जबर्दस्त खामी बताई गई है। बावजूद इसके, फख्र तो हम कर सकते हैं, ग्रोथ के मामले में देश का ध्यान खींचा है अपना रायपुर।
अंत में दो सवाल आपसे
1. अप्रैल में डीजीपी अनिल नवानी को खो करने के लिए पीएचक्यू का कौन-सा खेमा अभी से प्रचार शुरू कर दिया है कि नवानी का काम बड़ा स्लो है ?
2. जोगी लेवल वाले सारे अधिकारी मुख्य धारा में हैं मगर स्ट्रांग सीआर होने के बाद भी एसआरपी कल्लूरी का वनवास क्यों खतम नहीं हो पा रहा?
बधाई हो संजय जी. ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है. तरकश के तीर कब कब किसे चुभे अब इतिहास के पन्नों में दर्ज रहेगा.
जवाब देंहटाएंराजेश अग्रवाल