क्लास
मंत्रियों के पुअर पारफारमेंस पर मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह के तेवर अब तल्ख होते जा रहे हैं। मंगलवार को पीडब्लूडी की समीक्षा बैठक में तो उनके तेवर देखने लायक थे। सड़कों की दुर्दशा पर उन्होंने यहां तक कह डाला....सड़कें नहीं सुधरी तो जान लो, अफसर तो गाली खाएंगे ही, लोग मंत्री को भी गाली देंगे और सबसे अधिक मुझे। सीएम की भाव-भंगिमा को देखकर कांफ्रेंस हाल में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया। बताते हैं, सीएम का लहजा सख्त और अलार्मिंग था। तभी पीडब्लूडी मिनिस्टर बृजमोहन अग्रवाल को तीन महीने के भीतर सड़कें दुरुस्त करने का भरोसा देना पड़ा। इसी दिन, कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में डाक्टर साब विभागीय मंत्री चंद्रशेखर साहू को भी निशाने पर लेने से नहीं चूके। बात निकली दिल्ली से फंड लाने की। रमन ने कृषि मंत्री की ओर मुखातिब होते हुए कहा, दिल्ली जितनी बार जाना हो जाइये, मगर अब विदेश जाना बंद कीजिए। वे यही पर नहीं रुके, कहा.....आपका विदेश जाना एकदम बंद। चंद्रशेखर साहू ने बात संभालनी चाही.....इसीलिए तो मैं ंकांफे्रंस में दोहा नहीं गया। इस पर डाक्टर साब बोले, दस महीने बाद आपका दोहा होने वाला है। दोहा का आशय उनका चुनाव मैदान से था। रमन के बदले तेवर से बाकी मंत्री सहमे हुए हैं, न जाने कब किसका नम्बर लग जाए।
मजबूरी
बुधवार को आर्इजी लेवल पर बड़ी उलटफेर हुर्इ, उसमें कुछ ऐसी पोसिटंग भी हैंं, जिन्हें मजबूरी ही कह सकते हैं। मसलन, एडीजी राजीव श्रीवास्तव। उन्हंें प्रशासन की कमान सौंपी गर्इ है। प्रशासन, पीएचक्यू का अहम पार्ट होता है और अभी तक यह विभाग संभालने वाले पवनदेव ने नेताओं को त्राहि माम कर दिया था। पुलिस भरती में ऐसे सख्त नियम बना डाले कि किसी की दाल नहीं गल पार्इ। इसलिए, ऐसे आदमी की दरकार थी, जिसके डिक्शनरी में नो शब्द ना हो। एडीजी में डीएम अवस्थी दुश्मन नम्बर-वन थे, सो उनका सवाल ही नहीं था। डब्लूएम अंसारी, एएन उपाध्याय से मनमाफिक काम कराने का सवाल ही नहीं उठता। आर्इजी में संजय पिल्ले, अरूणदेव गौतम जैसे अफसर भी फीट नहीं बैठ रहे थे। इस चक्कर में राजीव श्रीवास्तव के नाम पर मुहर लग गया। उधर, र्इओडब्लू की डिमांड अधिक थी मगर सरकार ने चुनाव को देखते इसे साफ-सुथरी छबि के आर्इपीएस संजय पिल्ले के हवाले कर दिया। फेरबदल में मुकेश गुप्ता एक बार फिर ताकतवर होकर उभरे हैं। अनिल नवानी के रिटायर होने के बाद उनको लेकर खूब सवाल हो रहे थे। मगर वे इंटेलिजेंस और एसआर्इबी रखने में कामयाब रहे ही, अपने विश्वस्त जीपी सिंह को राजधानी का आर्इजी बनवा दिया और साथ में फायनेंस और प्लानिंग जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी। फेरबदल में सबसे अधिक नुकसान डीएम अवस्थी को हुआ। रमन सिंह की पहली पारी मे ंतूती बोलने वाले इस अफसर को पुलिस हाउसिंग बोर्ड में भेजकर ठिकाना लगा दिया गया।
छप्पड़ फाड़ के
इसी साल मार्च में, बिलासपुर एसपी राहुल शर्मा की मौत के मामले में आर्इजी जीपी सिंह की खासी लानत हुर्इ थी और एक तरह से कहें तो बड़े बेआबरु होकर बिलासपुर से उन्हें रुखसत होना पड़ा था। मगर नौ महीने के भीतर वाहे गुरू ने उन्हें दिया, तो छप्पड़ फाड़कर। इसी साल आर्इजी बनें सिंह को राजधानी का आर्इजी और साथ में फायनेंस और प्लांनिंग भी। राज्य पुलिस के लिए पूरी परचेजिंग फायनेंस करता है। इससे पहले, इस पोस्ट पर एडीजी या सीनियर आर्इजी रहते आए हैं। दूसरे राज्यों में तो डीजी हेड रहते हैं। ठीक ही कहते हैं, सब समय का खेल है। राहुल शर्मा कांड के बाद लोग जीपी सिंह को दो-चार साल के लिए पिक्चर से बाहर मान रहे थे और अब मुकेश गुप्ता के बाद प्रदेश के दूसरे बड़े कददावर आर्इपीएस बन गए हैं।
मजाक
आर्इएएस अफसरों की विदेश यात्रा पर पाबंदी लगी हुर्इ है। मगर अफसरों का विदेश जाना बदस्तूर जारी है। रोहित यादव जर्मनी हो आए, तो अलेक्स पाल मेनन दक्षिण कोरिया। अब प्रींसिपल सिकरेट्री अरबन एडमिनिस्ट्रेशन एंड हेल्थ अजय सिंह, अवनीश शरण जैसे नए आर्इएएस अफसरों को लेकर इस महीने 20 को आस्टे्रलिया के लिए उड़ान भरेंगे। बाकी लोगों के लिए पाबंदी और आर्इएएस को स्पेशल केस में इजाजत। पाबंदी का आखिर, यह मजाक नहीं तो क्या है।
कुर्सी की जंग
2013 के चुनाव में उंट किस करवट बैठेगा, भविष्यवक्ता भी शायद ठीक से न बता पाएं। मगर, कांग्रेस में भावी सीएम की लड़ार्इ और तेज हो गर्इ है। आधा दर्जन से अधिक दावेदार जो हैं। विधानसभा सत्र के ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे को घेरने की कोशिशों को भी कुछ ऐसा ही माना जा रहा है। चौबे के खिलाफ पत्र लिखना और फिर उसे सुनियोजित ढंग से लीक हो जाना, इसके अपने निहितार्थ हैं। असल मेंं, चौबे की एक अलग छबि है। गरिमा का ध्यान रखते हैं.....विलो स्टैंडर्ड वाला कोर्इ काम नहीं। आजादी के बाद से साजा सीट उनका परिवार जीतता आया है। देश में यह रिकार्ड है। गांधी परिवार भी चुनाव हारा है। पार्टी का ही एक धड़ा मानता है कि कांग्रेस की सत्ता में आने पर चौबे सीएम के मजबूत दावेदार हो सकते हैं। इसलिए, मकसद एक है, चौबे के खिलाफ पेपरबाजी करके विवादित कर दो, जिससे वे रेस से बाहर हो जाएं। कांग्रेस में जो कुछ चल रहा है, इस पर लगाम नहीं लगा तो पार्टी ही रेस से बाहर हो जाए, तो अचरज नहीं।
झटका
राज्य मानवाधिकार आयोग ने हार्इ एप्रोच लगा कर राजधानी का फारेस्ट गेस्ट हाउस प्राप्त करने में तो कामयाब हो गया, मगर अब हासिल आया शून्य वाला मामला प्रतीत हो रहा है। दरअसल, गेस्ट हाउस के जिस साज-सज्जा को देखकर आयोग के लोगों का मन ललचा था, जब कब्जा लेने पहुंचे तो सब गायब था। गेस्ट हाउस को सजाने में साल भर में एक करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। हर कमरे में एसी, 40 इंच की एलसीडी टीवी और फाइव स्टार जैसे पर्दे और मखमली कालीन। सो, आर्इएफएस अफसरों को अखरना स्वाभाविक था। लेकिन इस बीच आयोग के एक अफसर ने अति उत्साह में आकर गड़बड़ कर दी। पीसीसीएफ को फोन लगाकर फारमान दे दिया, दो दिन के भीतर गेस्ट हाउस का सामान खाली कर दें। और बात को पकड़कर फारेस्ट अफसरों ने पूरा खाली कर दिया। आयोग के लोग जब गेस्ट हाउस पहुंचे तो पैरों के नीचे से जमीन खिसकती महसूस हुर्इ। गेस्ट हाउस खंडहर की मानिंद लग रहा था।
अंत में दो सवाल आपसे
1. मुख्यमंत्री अपने किन दो वरिष्ठ मंत्रियों के ढील-ढाले कामकाज से नाराज हैं?
2. जीपी सिंह के आर्इजी बनने से रायपुर एसएसपी दीपांशु काबरा कैसा महसूस कर रहे होंगे?
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