ब्रम्हास्त्र
खाददान्न सुरक्षा विधेयक कानून बनाकर डा0 रमन सिंह ने एक तरह से कहें, तो ब्रम्हास्त्र चला ही दिया। 32 लाख से बढ़कर अब 42 लाख बीपीएल और अतिगरीब इसके दायरे में आ गए हैं। उन्हें अब सस्ते चावल के साथ ही मुफत में नमक, 10 रुपए में दाल और आदिवासी इलाके में पांच रुपए में चना मिलेगा। सरकार ने वोट पौकेट बढ़ाने के लिए बड़ी चतुरार्इ से नार्इ, मोची, राजमिस्त्री जैसे सारे असंगठित क्षेत्रों को शामिल कर लिया है। 42 लाख परिवार मुफत का नमक खाएगा, तो उसका भी कुछ फर्ज बनेगा ही। सत्ताधारी पार्टी को और चाहिए क्या। और, एक अहम बात यह भी, रमन सिंह का कद और बढ़ गया। पता नहीं, लोकल मीडिया ने इसे कैसे अंडरस्टीमेेट कर लिया। नेशनल और अंग्रेजी मीडिया में शनिवार को यह खबर सुर्खियो में रही......खाध सुरक्षा कानून बनाकर छत्तीसगढ़ ने बाजी मारी.....केंद्र को भी पीछे छोड़ दिया। केंद्र पिछले पांच साल से इसके लिए कवायद कर रहा है। हालांकि, रमन इसे ब्रम्हास्त्र नहीं मानते। विधानसभा की लाबी में मीडिया ने जब उनसे पूछा कि क्या यही उनका ब्रम्हास्त्र है, उन्होेंने मुस्कराते हुए इंकार में सिर हिला दिया। लेकिन सियासी प्रेक्षकों की मानें, तो इससे बड़ा ब्रम्हास्त्र नहीं हो सकता। सदन में विपक्ष के चेहरे पर इसका असर पढ़ा जा सकता था।
गिव एंड टेक
कांग्रेस में भले ही महाभारत छिड़ा हो, एक-दूसरे पर भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य का आरोप लगाए जा रहे हों, इसके उलट सत्ताधारी पार्टी हंड्रेड परसेंट चुनावी मोड में आ गर्इ है। सरकार के रणनीतिकारों ने चुनाव तक के कार्यक्रमों का ब्लूपिं्रट तैयार कर लिया है। खाध सुरक्षा कानून बनाने के बाद सरकार अगले महीने नौ नए जिले में जिला उत्सव करने जा रही है। बिल्कुल राज्योत्सव की तरह। 10 जनवरी से इसका आगाज होगा। इसमें रमन का रोड शो होगा और लोगों को बताया जाएगा कि सरकार ने किस तरह आम लोगों का खयाल करके प्रशासन को उनके नजदीक पहुंचाया। इसके निहितार्थ यही हैं, नौ महीने बाद, बटन दबाते समय इसे याद रखना। राजनीति में गिव एंड टेक ही तो चलता है।
मंत्रालय का बाबू
बाबू और उस पर मंत्रालय का, अच्छे-अच्छे लोग घबराते हैं। अगर इसमें कोर्इ शक हो तो आप सीआर्इडी के आर्इजी पीएन तिवारी से कंफार्म कर लीजिए। मंत्रालय के गृह विभाग के बाबू ने अंड-बंड नोट लिखकर उनकी फाइल ही अटका दी। तिवारीजी का इसी महीने रिटायरमेंट है और संविदा नियुकित के लिए फाइल चल रही है। बाबू ने नोटिंग कर दी, आर्इजी सीआर्इडी कैडर पोस्ट है, इसलिए इस पर संविदा नियुकित नहीं दी जा सकती। फाइल देखकर पुलिस अफसर सन्न रह गए। वास्तविकता यह है कि आर्इजी सीआर्इडी, कैडर पोस्ट नहीं है। मगर बाबू को फाइल लटकानी थी, सो होशियारी दिखा दी। अब नोटशीट फिर से लिखी जा रही है। मगर इसमें टार्इम लग जाएगा। और पुलिस महकमे की दिक्कत यह है कि आर्इजी का टोटा है। अब बड़ा सवाल है, पंडितजी की फाइल किलयर नहीं हुर्इ, तो 31 दिसंबर के बाद सीआर्इडी कौन देखेगा।
चुनावी टीम
विधानसभा सत्र खतम होने के साथ ही आर्इएएस, आर्इपीएस की एक बड़ी लिस्ट निकालने की तैयारी शुरू हो गर्इ है। सीएम के करीबी सूत्रों की मानें, तो आधा दर्जन से अधिक जिले के एसपी इसके लपेटे में आएंगे। कर्नाटक कैडर से डेपुटेशन पर छत्तीसगढ़ आइर्ं सोनल मिश्रा को रायपुर में मौका मिल सकता है। उनके आर्इएएस पति संतोष मिश्रा रायपुर में ही पर्यटन मंडल के एमडी हैं। वहीं, रायपुर के एसएसपी दिपांशु काबरा अब पीएचक्यू में फुलफलैश एसआर्इबी संभालेंगे। इसी तरह रायगढ़ के एसपी आनंद छाबड़ा जनवरी में डीआर्इजी बन रहे हैं। उन्हें पुलिस मुख्यालय में लाने की खबर है। कांकेर के एसपी राहुल भगत और नारायणपुर के मयंक श्रीवास्तव में से कोर्इ एक रायगढ़ जाएगा। एसपी बनने वालों में अंकित गर्ग, अजय यादव और शेख आरिफ का भी नाम शामिल है। यादव रायगढ़ जा सकते थे मगर बिलासपुर के एसपी रहते उन्होेंने दिलीप सिंह जूदेव को नाराज कर दिया था। सो, जशपुर के पड़ोस में उन्हें भेजना मुनासिब नहीं समझा जा रहा। अक्टूबर तक जिनका तीन साल पूरा हो जाएगा, उनका हटना या जिला चेंज होना, तो एकदम तय है। लिस्ट जल्द ही निकलेगी। एक बार याद होगा, 31 दिसंबर को निकल गर्इ थी। इसी तरह सरकार चौंका सकती है। बस, कलेक्टर और एसपी की लिस्ट में एकाध दिन का अंतर रहेगा।
देर आए.....
न्यू रायपुर की चमचमाती सड़कों को देखकर हर आदमी के मन में यह सवाल कौंधता था कि राज्य की सड़कें ऐसी क्यों नहीं बनार्इ जा सकती। चीफ सिकरेट्री सुनील कुमार भी कर्इ मीटिंग में इस बात को उठा चुके हैं। और सीएम ने भी इसको लेकर झिड़का था। चलिये, देर आए, दुरुस्त आए....पीडब्लूडी ने विधानसभा रोड को माडल रोड के रूप में पेश किया है। बिल्कुल न्यू रायपुर के टक्कर का। बलिक उससे अधिक झम-झाएं। और प्लान है, बरसात के पहले शहरों की सड़कों को चकाचक कर दिया जाए, लंबी दूरी की सड़कों का पेच वर्क भी। बिलासपुर रोड का काम पहले से ही तेजी से चल रहा है। रायपुर और बिलासपुर, दोनों छोर पर 20-20 किलोमीटर फोर लेन होगा। प्लान रोमांचित करने वाला है। मगर साकार हो पाएगा, यह वक्त बताएगा।
धक्का
शत्रुंजय की आकसिमक मौत ने भाजपा के मास लीडर दिलीप सिंह जूदेव को हिला दिया है। शत्रुंजय को उन्हाेंने न केवल अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, बलिक यह बात बहुत कम लोगों को मालूम है कि बिलासपुर से उन्हें अगला लोकसभा चुनाव में उतारने की भी तैयारी कर रहे थे। शत्रुंजय के लिए बिलासपुर अनजान नहीं था। चुनाव के समय वे साये की तरह अपने पिता के साथ रहे, अलबत्ता, उनके सारथी भी रहे। उनकी प्रचार अभियान वाली सफारी गाड़ी को डेढ़ महीने तक शत्रुंजय ने ही ड्राइव किया था। अंत में दो सवाल आपसे
1. बालको मामले में विपक्ष से सवाल पूछवाने को लेकर किस आर्इएएस अफसर की भूमिका कटघरे में है?
2. क्या अनिल नवानी को इसलिए पुलिस हाउसिंग बोर्ड में पुनर्वास नहीं दिया गया, क्योंकि मार्च में रिटायरमेंट के बाद डीजी होमगार्ड संतकुमार पासवान को वहां बिठाया जाएगा?
खाददान्न सुरक्षा विधेयक कानून बनाकर डा0 रमन सिंह ने एक तरह से कहें, तो ब्रम्हास्त्र चला ही दिया। 32 लाख से बढ़कर अब 42 लाख बीपीएल और अतिगरीब इसके दायरे में आ गए हैं। उन्हें अब सस्ते चावल के साथ ही मुफत में नमक, 10 रुपए में दाल और आदिवासी इलाके में पांच रुपए में चना मिलेगा। सरकार ने वोट पौकेट बढ़ाने के लिए बड़ी चतुरार्इ से नार्इ, मोची, राजमिस्त्री जैसे सारे असंगठित क्षेत्रों को शामिल कर लिया है। 42 लाख परिवार मुफत का नमक खाएगा, तो उसका भी कुछ फर्ज बनेगा ही। सत्ताधारी पार्टी को और चाहिए क्या। और, एक अहम बात यह भी, रमन सिंह का कद और बढ़ गया। पता नहीं, लोकल मीडिया ने इसे कैसे अंडरस्टीमेेट कर लिया। नेशनल और अंग्रेजी मीडिया में शनिवार को यह खबर सुर्खियो में रही......खाध सुरक्षा कानून बनाकर छत्तीसगढ़ ने बाजी मारी.....केंद्र को भी पीछे छोड़ दिया। केंद्र पिछले पांच साल से इसके लिए कवायद कर रहा है। हालांकि, रमन इसे ब्रम्हास्त्र नहीं मानते। विधानसभा की लाबी में मीडिया ने जब उनसे पूछा कि क्या यही उनका ब्रम्हास्त्र है, उन्होेंने मुस्कराते हुए इंकार में सिर हिला दिया। लेकिन सियासी प्रेक्षकों की मानें, तो इससे बड़ा ब्रम्हास्त्र नहीं हो सकता। सदन में विपक्ष के चेहरे पर इसका असर पढ़ा जा सकता था।
गिव एंड टेक
कांग्रेस में भले ही महाभारत छिड़ा हो, एक-दूसरे पर भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य का आरोप लगाए जा रहे हों, इसके उलट सत्ताधारी पार्टी हंड्रेड परसेंट चुनावी मोड में आ गर्इ है। सरकार के रणनीतिकारों ने चुनाव तक के कार्यक्रमों का ब्लूपिं्रट तैयार कर लिया है। खाध सुरक्षा कानून बनाने के बाद सरकार अगले महीने नौ नए जिले में जिला उत्सव करने जा रही है। बिल्कुल राज्योत्सव की तरह। 10 जनवरी से इसका आगाज होगा। इसमें रमन का रोड शो होगा और लोगों को बताया जाएगा कि सरकार ने किस तरह आम लोगों का खयाल करके प्रशासन को उनके नजदीक पहुंचाया। इसके निहितार्थ यही हैं, नौ महीने बाद, बटन दबाते समय इसे याद रखना। राजनीति में गिव एंड टेक ही तो चलता है।
मंत्रालय का बाबू
बाबू और उस पर मंत्रालय का, अच्छे-अच्छे लोग घबराते हैं। अगर इसमें कोर्इ शक हो तो आप सीआर्इडी के आर्इजी पीएन तिवारी से कंफार्म कर लीजिए। मंत्रालय के गृह विभाग के बाबू ने अंड-बंड नोट लिखकर उनकी फाइल ही अटका दी। तिवारीजी का इसी महीने रिटायरमेंट है और संविदा नियुकित के लिए फाइल चल रही है। बाबू ने नोटिंग कर दी, आर्इजी सीआर्इडी कैडर पोस्ट है, इसलिए इस पर संविदा नियुकित नहीं दी जा सकती। फाइल देखकर पुलिस अफसर सन्न रह गए। वास्तविकता यह है कि आर्इजी सीआर्इडी, कैडर पोस्ट नहीं है। मगर बाबू को फाइल लटकानी थी, सो होशियारी दिखा दी। अब नोटशीट फिर से लिखी जा रही है। मगर इसमें टार्इम लग जाएगा। और पुलिस महकमे की दिक्कत यह है कि आर्इजी का टोटा है। अब बड़ा सवाल है, पंडितजी की फाइल किलयर नहीं हुर्इ, तो 31 दिसंबर के बाद सीआर्इडी कौन देखेगा।
चुनावी टीम
विधानसभा सत्र खतम होने के साथ ही आर्इएएस, आर्इपीएस की एक बड़ी लिस्ट निकालने की तैयारी शुरू हो गर्इ है। सीएम के करीबी सूत्रों की मानें, तो आधा दर्जन से अधिक जिले के एसपी इसके लपेटे में आएंगे। कर्नाटक कैडर से डेपुटेशन पर छत्तीसगढ़ आइर्ं सोनल मिश्रा को रायपुर में मौका मिल सकता है। उनके आर्इएएस पति संतोष मिश्रा रायपुर में ही पर्यटन मंडल के एमडी हैं। वहीं, रायपुर के एसएसपी दिपांशु काबरा अब पीएचक्यू में फुलफलैश एसआर्इबी संभालेंगे। इसी तरह रायगढ़ के एसपी आनंद छाबड़ा जनवरी में डीआर्इजी बन रहे हैं। उन्हें पुलिस मुख्यालय में लाने की खबर है। कांकेर के एसपी राहुल भगत और नारायणपुर के मयंक श्रीवास्तव में से कोर्इ एक रायगढ़ जाएगा। एसपी बनने वालों में अंकित गर्ग, अजय यादव और शेख आरिफ का भी नाम शामिल है। यादव रायगढ़ जा सकते थे मगर बिलासपुर के एसपी रहते उन्होेंने दिलीप सिंह जूदेव को नाराज कर दिया था। सो, जशपुर के पड़ोस में उन्हें भेजना मुनासिब नहीं समझा जा रहा। अक्टूबर तक जिनका तीन साल पूरा हो जाएगा, उनका हटना या जिला चेंज होना, तो एकदम तय है। लिस्ट जल्द ही निकलेगी। एक बार याद होगा, 31 दिसंबर को निकल गर्इ थी। इसी तरह सरकार चौंका सकती है। बस, कलेक्टर और एसपी की लिस्ट में एकाध दिन का अंतर रहेगा।
देर आए.....
न्यू रायपुर की चमचमाती सड़कों को देखकर हर आदमी के मन में यह सवाल कौंधता था कि राज्य की सड़कें ऐसी क्यों नहीं बनार्इ जा सकती। चीफ सिकरेट्री सुनील कुमार भी कर्इ मीटिंग में इस बात को उठा चुके हैं। और सीएम ने भी इसको लेकर झिड़का था। चलिये, देर आए, दुरुस्त आए....पीडब्लूडी ने विधानसभा रोड को माडल रोड के रूप में पेश किया है। बिल्कुल न्यू रायपुर के टक्कर का। बलिक उससे अधिक झम-झाएं। और प्लान है, बरसात के पहले शहरों की सड़कों को चकाचक कर दिया जाए, लंबी दूरी की सड़कों का पेच वर्क भी। बिलासपुर रोड का काम पहले से ही तेजी से चल रहा है। रायपुर और बिलासपुर, दोनों छोर पर 20-20 किलोमीटर फोर लेन होगा। प्लान रोमांचित करने वाला है। मगर साकार हो पाएगा, यह वक्त बताएगा।
धक्का
शत्रुंजय की आकसिमक मौत ने भाजपा के मास लीडर दिलीप सिंह जूदेव को हिला दिया है। शत्रुंजय को उन्हाेंने न केवल अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, बलिक यह बात बहुत कम लोगों को मालूम है कि बिलासपुर से उन्हें अगला लोकसभा चुनाव में उतारने की भी तैयारी कर रहे थे। शत्रुंजय के लिए बिलासपुर अनजान नहीं था। चुनाव के समय वे साये की तरह अपने पिता के साथ रहे, अलबत्ता, उनके सारथी भी रहे। उनकी प्रचार अभियान वाली सफारी गाड़ी को डेढ़ महीने तक शत्रुंजय ने ही ड्राइव किया था। अंत में दो सवाल आपसे
1. बालको मामले में विपक्ष से सवाल पूछवाने को लेकर किस आर्इएएस अफसर की भूमिका कटघरे में है?
2. क्या अनिल नवानी को इसलिए पुलिस हाउसिंग बोर्ड में पुनर्वास नहीं दिया गया, क्योंकि मार्च में रिटायरमेंट के बाद डीजी होमगार्ड संतकुमार पासवान को वहां बिठाया जाएगा?
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