शनिवार, 29 जून 2013

तरकश, 23 जून

वन प्वाइंट फार्मूला


कांग्रेस नेता अगर यह सोच रहे होंगे कि बड़े नेताओं की परिक्रमा या गुटीय समीकरण की बदौलत अबकी विधानसभा की टिकिट हासिल कर लेंगे, तो यह उनका भ्रम हो सकता है। कांग्रेस आलाकमान ने इसके लिए सिंगल फार्मूला तय किया है। वह यह कि सर्वे में जिन नेताओं के नाम आएंगे, उन्हीं में से प्रत्याशी तय किए जाएंगे। याने सर्वे में नाम आना अनिवार्य होगा। सर्वे के लिए जल्द ही दिल्ली से टीम यहां आने वाली है। बताते हैं, सर्वे की रिपोर्ट पार्टी के पर्यवेक्षकों को सौंपी जाएगी, जो गोपनीय रहेगी। पीसीसी के आला पदाधिकारियों को भी तभी पता चलेगा, जब टिकिट वितरण की मीटिंग होगी। मीटिंग में सर्वे में आए नाम रखे जाएंगे और फिर सबकी सहमति से जीतने वाले प्रत्याशी तय किए जाएंगे।

कट एन पेस्ट


दरभा नक्सली हमले के बाद बस्तर में बिलासपुर की 2011 की टीम पहुंच गई है। तब बिलासपुर में अजय यादव एसपी थे और अरुणदेव गौतम आईजी। आरपी जैन कमिश्नर थे। तीनों जगदलपुर पहुंच गए हैं। हालांकि, उस समय बिलासपुर के कलेक्टर रहे सोनमणि बोरा का नाम भी जगदलपुर के लिए चला था। मगर ऐन वक्त अंकित आनंद को बस्तर की कमान सौंप दी गई। वरना, बस्तर के एसपी, कलेक्टर से लेकर आईजी, कमिश्नर, सभी बिलासपुरी होते। ऐसे में इस पर भला चुटकी क्यों न ली जाए। कहा जा रहा है, सरकार ने मगजमारी करने के बजाए पुराना पोस्टिंग चार्ट निकालकर कट एंड पेस्ट कर दिया।

तीन ओवर और...


डीजीपी रामनिवास की हालत उसी तरह की हो गई है, जब तीन ओवर में 20 रन का टारगेट होने पर कप्तान की हो जाती है। कुल जमा 13 महीने टाईम मिला। उसमें एक महीना बधाई और शुभकामनाओं में निकल गया। 15 दिन न्यू ईयर में। डेढ़ महीना बजट सत्र में गया। महीना भर दरभा मंे निकल गया। और इसके बाद चुनावी माहौल शुरू हो जाएगा। नई सरकार की ताजपोशी होने के बाद चलाचली की बेला आ जाएगी। फरवरी में रिटायरमेंट है। ऐसे में क्या करें। समय से पहले कुछ मिलता नहीं। वरना, कोशिश तो की थी। अलबत्ता, 16 महीना काका ने यूं ही निकाल दिया। ओपी राठौर की मौत के बाद से सूबे की पोलिसिंग जो पटरी से उतरी है, किसी को समझ में नहीं आ रहा कि उसे लाइन पर लाई कैसे जाए। रामनिवास को कुछ कर दिखाने का समय मिला नहीं। राहत की बात यह है कि रामनिवास के बाद गिरधारी नायक का नम्बर है। और उनके पास पांच साल से अधिक समय रहेगा। 

शर्मनाक


कैंसर का भय दिखाकर युवा महिलाओं की बच्चेदानी निकालने वाले डाक्टरों के खिलाफ कहां अपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए था, उल्टे लीपापोती कर दी गई। 9 में से मात्र 4 के खिलाफ कार्रवाई हुई। हाईपावर कमेटी ने पांच डाक्टरों को चतुराई के साथ बचा लिया। उनके खिलाफ जांच की कडि़यों को इतना कमजोर कर दिया गया है कि सरकार चाह कर भी उन डाक्टरों का कुछ नहीं कर सकती। पता चला है, जांच के दौरान एक पालीटिशियन का फोन आया था। तब इशारा सिर्फ एक डाक्टर के लिए था। मगर जांच कमेटी ने बहती गंगा में हाथ धोते हुए पांच को बड़ी सफाई से बचा लिया। इसमें बडे़ खेल की भी खबर आ रही है। दिलचस्प यह है कि घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ही 9 डाक्टरों को प्रथम दृष्टतया दोषी पाया था और इसके बाद उनके रजिस्ट्रेशन सस्पेंड किए गए थे।

मुश्किलें


दरभा नक्सली हमले के शिकार हुए बस्तर के निलंबित एसपी मयंक श्रीवास्तव की मुश्किलें और बढ़ सकती है। बताते हैं, हमले की जांच कर रहे जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग ने मयंक से प्रश्नावली भेजकर जानकारी मांगी थी। उसमें एक बिंदू यह भी था कि वारदात से पहले उन्हें कोई इंटेलिजेंस नोट्स मिले थे क्या। मयंक ने जवाब दिया है कि उन्हें खुफिया विभाग से इस तरह के कोई नोट्स नहीं मिले थे। जबकि, खुफिया विभाग का कहना था कि घटना के पहले नक्सली हलचल के बारे में एसपी को आगाह किया गया था। ऐसे में जाहिर है, मयंक की परेशानियां तो बढ़ेगी ही।

सुनिल कुमार चैक


आमतौर पर जीते जी किसी के नाम पर सड़क या चैक-चैराहा का नाम नहीं रखा जाता। मगर कई बार, आसपास कोई नामी शख्सियत रहती हो, तो सड़क या चैक का नामकरण स्वयमेव हो जाता है। राजधानी रायपुर में कुछ ऐसा ही हो रहा है। 25 साल में पहली बार, रायपुर शहर के बीचोबीच बस स्टैंड से लेकर एमएमआई अस्पताल तक कोई सड़क बन रही है। शंकर नगर रोड को जिस जगह पर यह फोर लेन सड़क क्रास कर रही है, उसके ठीक बगल में चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार का सरकारी बंगला है। सो, लोग उसे सुनिल कुमार चैक कहने लगे हैं। खास कर पीडब्लूडी के इंजीनियर। हालांकि, इसके पीछे उनका खौफ भी एक वजह हो सकती है। आखिर, उनके कार्यकाल में सबसे अधिक इंजीनियर सस्पेंड जो हुए हैं। चीफ इंजीनियर से लेकर नीचे तक। 

अंत में दो सवाल आपसे

1.     स्वरुपचंद जैन को हराकर बृजमोहन अग्रवाल पहली बार रायपुर के विधायक बने थे। तब किस कांग्रेस नेता ने उनकी खूब मदद की थी?
2.     30 जून को पैकरा के रिटायर होने के बाद सरगुजा के कमिश्नर केआर पिस्दा बनेंगे या बीएस अनंत?

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