सीएम का गुस्सा
सीएम को या तो गंभीर मुद्रा में या फिर हल्की मुस्कुराहट में ही लोगों ने देखा है। मगर उस रोज सीएम हाउस के लोग स्तब्ध थे। रायगढ़ में जिंदल इंजीनियरिंग कालेज में जीरो ईयर करने पर सीएम हाउस में मीटिंग चल रही थी। सीएम ने नवीन जिंदल को फोन लगवाया। डाक्टर साब के यह कहने के बाद भी कि बच्चों के भविष्य का सवाल है, जिंदल अगर-मगर करते रहे……यही नहीं, उन्होंने कालेज बंद करने की बात कर दी। इस पर डाक्टर साब ने गुस्से में आकर लैंडलाइन फोन को पटक दिया। चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार और सिकरेट्री टू सीएम अमन सिंह फौरन सक्रिय हुए। और सरकारी आदेशों की नाफारमानी करने वाले शैक्षणिक संस्थानों को अधिग्रहित करने के लिए कैबिनेट का ड्राफ्ट तैयार हो गया और अगले दिन मंत्रिपरिषद ने इसे पारित कर दिया। सीएम की नाराजगी का ही असर था कि अगले दिन ही जिंदल के अफसर सीएम हाउस पहुंचे और सरेंडर कर दिया।एक ही राशि
राज्य में जिन आईएएस अफसरों को रिटायर होने के बाद पुनर्वास मिला है, उनमें एसके मिश्रा और शिवराज सिंह को छोड़कर सभी लगभग एक ही राशि के हैं। अशोक विजयवर्गीय से लेकर सरजियस मिंज, पीसी दलेई, एसके तिवारी और अब नारायण सिंह। ऐसे में मंत्रालय में लोग ऐसे ही चुटकी नहीं ले रहे हैं कि काम मत करों, रिटायर होने के बाद पोस्टिंग अच्छी मिल जाएगी। नारायण सिंह के बाद तो अब दागी और कु-ख्यात आईएएस भी रिटारमेंट के बाद मलाईदार पदास्थापना के सपने देखने लगे हैं।एक्सचेंज पोस्टिंग
कुछ भाजपा नेता अपनी कसरत में कामयाब रहे, तो विधानसभा सत्र के बाद हाउसिंग बोर्ड और सीएसआईडीसी के कमिश्नर और एमडी एक्सचेंज हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो कुछ नेताओं की शिकायत है कि हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर सोनमणि बोरा चुनावी साल का रिक्वायरमेंट पूरा करने में रुचि नहीं ले रहे हैं। कुछ नेताओं ने इसकी शिकायत सीएम से की है। मगर सीएम और सीएस ने बोरा को फिलहाल बदलने से मना कर दिया है। पता चला है, बोरा को सीएसआईडीसी के एमडी सुनिल मिश्रा से एक्सचेंज करने का आइडिया सीएम को दिया गया है। याने मिश्रा हाउसिंग बोर्ड में और बोरा सीएसआईडीसी में। हालांकि, अभी कुछ फायनल नहीं हुआ है।जय-जय
वेयर हाउस का एक बाबू सरकारी इंडिगो कार में चले, यह छत्तीसगढ़ में ही संभव है। दरअसल, मंत्रालय में पोस्टेड एक आईएएस के लिए सिगरेट से लेकर घरेलू सामान जुटाना, मनीराम को साब तक पहुचाने का काम लोवर डिवीजन क्लर्क करता है। सो, अपने विश्वस्त का खयाल रखना आखिर, साब का भी तो दायित्व बनता है। उन्होंने मार्कफेड से किराये से इंडिगो लेकर क्लर्क को दिलवाया है। और जितना क्लर्क को वेतन नहीं मिलता, उससे दुगुना गाड़ी का किराया देता है मार्कफेड। अब बास का आदेश है, तो मार्कफेड भला कैसे टाल सकता है। भले ही वह दूसरे बोर्ड का बाबू हो। आलम यह है कि वेयरहाउस के एमडी से बढि़यां कार में वहां का बाबू आता है। और उसकी रसूख की वहां जय-जय होती है।ऐसी उपेक्षा
खाद्य विभाग से ही देश में छत्तीसगढ़ की पहचान बनीं, इसलिए यह विभाग हमेशा सरकार की प्राथमिकता में रहा है। मगर अभी कुछ महीने से इसका बुरा हाल हो गया है। हाल तक इस विभाग मे प्रींसिपल सिकरेट्री पोस्टेड रहे। एमके राउत, विवेक ढांड और उससे भी पहले जोगी काल में पंकज द्धिवेदी पीएस फूड रहे। पिछले साल तक ढांड के साथ तीन-तीन आईएएस रहे। सोनमणि बोरा भी उनके साथ फूड में थे। सरकार ने अब सिकरेट्री विकास शील के भरोसे खाद्य विभाग को छोड़ दिया है। विकास शील अकेले अब क्या करें। 30 लाख मीट्रिक टन धान अभी भी संग्रहण केंद्रों में पड़ा हुआ है। बारिश में धान अगर खराब हुआ, तो करोड़ों की चपत लगेगी।ग्रह-नक्षत्र का खेल?
आईएएस केडीपी राव और बीएस अनंत द्वारा तबादले को ठेंगा दिखाने के बाद अब आईएफएस अनिल साहू ने भी एसईसीएल में डेपटेशन पर जाने से इकार कर दिया है। केडीपी के नक्शे कदम पर चलते हुए उन्होंने एसईसीएल के बजाए किसी भी जगह पोस्ट करने के लिए सरकार को पत्र लिखा है। इससे पहले, जशपुर कलेक्टर एलएस केन सरकारी कार्यक्रम में मंच पर प्रभारी मंत्री ननकीराम कंवर से भिड़ गए। उधर, आरडीए के सीईओ अलेक्स पाल मेनन गुस्से में मीटिंग छोड़कर भाग गए। मेनन सरीखे जूनियर आईएएस आरडीए के पदाधिकारियों को आंखें दिखा रहे हैं। सोच लीजिए, छत्तीसगढ़ में किस तरह का एडमिनिस्ट्रेटिव कल्चर डेवलप हो रहा है। ननकीराम कंवर तो इसे ग्रह-नक्षत्र का खेल ही कहेंगे। मगर जो हो रहा है, वह नए राज्य के लिए अच्छे संकेत नहीं कहे जा सकते। सरकार को इस पर सोचना चाहिए। और बनें तो जीएडी में कुछ पूजा-पाठ भी कराना चाहिए।दोनों हाथ में लड्डू
कांग्रेस में शह-मात का जो खेल चल रहा है, उसकी खुशी सत्ताधारी पार्टी के नेताओं पर पढ़ी जा सकती है। पार्टी का हर दूसरा नेता हैट्रिक की बात कर रहा है। भाजपा नेताओं की मानें तो अजीत जोगी अगर कांग्रेस में मुख्य धारा में रहे तब भी और ना रहें तब भी, फायदा भाजपा को ही होना है। महंत के नेतृत्व में गर चुनाव हुआ तो विरोधी कांग्रेस की लुटिया डूबोएंगे और विरोधी कहीं सामने आए तो लोग न चाहने के बाद भी कमल पर ही ठप्पा लगाएंगे। याने दोनों हाथों में लड्डू है।अंत में दो सवाल आपसे
1. रिटायर डीजी संतकुमार पासवान को किस जगह पर पुनर्वास की चर्चा है?
2. वित्त महकमे द्वारा अड़ंगा लगाने से किस मंत्री को 300 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया है?
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