29 नवंबर
संजय दीक्षित
कैबिनेट की बैठक में सिर्फ गरमागरमी ही नहीं हुई, कुछ मंत्रियों ने करीना कपूर को लेकर ठंडी आहें भी भरीं। इसकी शुरूआत रायपुर के एक यंग मिनिस्टर की इस मिठी शिकायत से हुई कि डाक्टर साब! सरकारी कार्यक्रमों में मंत्रियों को आमंत्रित नहीं किया जाता। उनका इशारा राजधानी में हुए करीना कपूर के कार्यक्रम की ओर था। इसमें समाज कल्याण मंत्री रमशीला साहू ने सिर्फ सीएम को बुलाया था। बताते हैं, रमशीला ने दीगर मंत्रियों को इसलिए नहीं न्यौता कि लगभग सब धमक जाते। बहरहाल, कैबिनेट में करीना प्रसंग छिड़ते ही एक अन्य मंत्री का दर्द छलक आया। वे अपने आप को यह कहने से रोक नहीं पाए कि डाक्टर साब, हमें भी निमंत्रण मिला होता तो हम भी आपकी तरह करीना के साथ एक सेल्फी ले लेते। इस पर सीएम समेत सारे मंत्रियों ने जमकर ठहाके लगाए।
कैबिनेट की बैठक में सिर्फ गरमागरमी ही नहीं हुई, कुछ मंत्रियों ने करीना कपूर को लेकर ठंडी आहें भी भरीं। इसकी शुरूआत रायपुर के एक यंग मिनिस्टर की इस मिठी शिकायत से हुई कि डाक्टर साब! सरकारी कार्यक्रमों में मंत्रियों को आमंत्रित नहीं किया जाता। उनका इशारा राजधानी में हुए करीना कपूर के कार्यक्रम की ओर था। इसमें समाज कल्याण मंत्री रमशीला साहू ने सिर्फ सीएम को बुलाया था। बताते हैं, रमशीला ने दीगर मंत्रियों को इसलिए नहीं न्यौता कि लगभग सब धमक जाते। बहरहाल, कैबिनेट में करीना प्रसंग छिड़ते ही एक अन्य मंत्री का दर्द छलक आया। वे अपने आप को यह कहने से रोक नहीं पाए कि डाक्टर साब, हमें भी निमंत्रण मिला होता तो हम भी आपकी तरह करीना के साथ एक सेल्फी ले लेते। इस पर सीएम समेत सारे मंत्रियों ने जमकर ठहाके लगाए।
बंद कमरा और 20 मिनट
मंगलवार को सीएम हाउस में हुई कैबिनेट में ऐसा कुछ हुआ, जो राज्य बनने के 15 साल में नहीं हुआ। अब तक नेताओं के शिकार अफसर होते थे। अफसरों को लोगों ने थप्पड़ खाते भी देखा है। बैठकों में अफसरों का गला भरते भी। लेकिन, मंगलवार को उल्टा हुआ। एक नौकरशाह की शिकायत करते-करते पंचायत मिनिस्टर अजय चंद्राकर जैसे रफ-टफ मंत्री का गला रुंध गया। सीनियर मंत्री की पीड़ा सुन सीएम, मंत्री, अफसर, सब सकपका गए। कैबिनेट में ऐसा सीन….किसी ने सोचा भी नहीं था। अफसरों के सामने सीएम ने कुछ नहीं बोला, सिर्फ यह कि देखते हैं। बैठक के बाद सीएम ने इशारा किया और एक-एक कर सारे अफसर कैबिनेट हाल से बाहर निकल गए। बच गए सीएम और मंत्री। मंत्रियों से कुछ देर चर्चा के बाद बैठक खतम हो गई। सीएम भीतर चले गए और मंत्री सीएम हाउस से निकलने लगे। अजय चंद्राकर भी कार में बैठने ही वाले थे कि भीतर से संदेशा आया सीएम साब याद कर रहे हैं। चंद्राकर फौरन पलटे। सीएम अपने कक्ष में उनका इंतजार कर रहे थे। बंद कमरे में दोनों के बीच 20 मिनट तक गुफ्तगू हुई इसके बाद चंद्राकर जब बाहर निकले तो उनका चेहरा खिला हुआ था। सत्ता के गलियारे में यह जानने की बड़ी उत्सुकता है कि बंद कमरे में 20 मिनट में आखिर ऐसा क्या हुआ कि मायूसी लेकर चंद्राकर भीतर गए और मुस्कराते हुए बाहर आए।
पंगे के पीछे
पंचायत मंत्री और सीनियर ब्यूरोक्रेट्स के बीच पंगा बहुत पुराना नहीं है। याद होगा, इसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बस्तर विजिट में सेलिबिट्री कलेक्टर का गागल और कलरफुल ड्रेस एपीसोड सुर्खियो में रहा। इतना ज्यादा कि इस खबर के सामने बस्तर का दौरा तो भूल जाइये, इसके दो दिन बाद हुआ पीएम का चीन दौरा फीका पड़ गया। नेशनल मीडिया में सिर्फ यही था। इसके बाद नए मंत्रालय में हुई कैबिनेट की बैठक में पंचायत मंत्री एक आला नौकरशाह पर परंपरागत स्टाईल में चढ़ बैठे थे…..आपके चलते ये हुआ…..कलेक्टर को नोटिस भेजने की जरूरत क्या थी। और दी भी, तो मीडिया को लीक क्यों की गई….आपने हमारे प्रधानमंत्री के दौरे की ऐसी-तैसी कर दी। अब, इसे संयोग कहें या…….कि इसके बाद मंत्रीजी को घेरने वाली चीजें चालू हो गईं। एक के बाद एक खुलासे। जाहिर है, मंत्री समर्थक इसे अफसर से जोड़कर देखेंगे ही।
मैं भी दुखी, मैं भी….
कैबिनेट की बैठक में अजय चंद्राकर एपीसोड पर बवाल मचने पर कुछ और मंत्रियों ने गरम तवे पर रोटी सेंकने में देर नहीं लगाई। फौरन चालू हो गए…. अफसरों से मैं भी दुखी हूं….मैं भी, मैं भी….मेरा भी नहीं सुनते…..। दरअसल, अफसरों पर प्रेशर बनाने का मौका बढि़यां था। सो, लगे हाथ कुछ खबरें मीडिया में भी प्लांट करा दी गई। लेकिन, नान घोटाले में हाथ जलाने के बाद अफसर अब प्रेशर में नहीं आने वाले। आखिर, विभागीय जांच कभी मंत्रियों की नहीं होती। भुगतते हैं अफसर ही।
सत्र के बाद धमाका?
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद ब्यूरोक्रेसी में बड़ी उठापटक हो सकती है। सरकार कोई एटम बम भी दाग दें तो अचरज नहीं। हालांकि, रुटीन में फेरबदल अगले साल बजट सत्र के बाद समझा जा रहा था। मगर ब्यूरोक्रेसी में एक के बाद एक परिस्थितियां कुछ ऐसी निर्मित होती जा रही हंै कि सरकार सोचने पर मजबूर हो गई है। सूबे में ब्यूरोक्रेसी की लगातार भद पिट रही है, यह किसी से छिपा नहीं है। लिहाजा, बीजेपी कोर ग्रुप में भी इस पर चिंता जाहिर की गई। ऐसे में, 10 फीसदी भाग्य पर छोड़ दीजिए, तो 90 परसेंट मानकर चलिए कि सत्र के बाद कोई बड़ा धमाका होगा। धमाके का खौफ तो पुलिस महकमे पर भी साफ पढ़ा जा सकता है। सबकी यही चिंता है, दो-एक महीने में जब दुर्गेश माधव अवस्थी वैसे ही डीजी प्रमोट हो जाते तो टाईम से पहले उनके लिए डीजी का पोस्ट सृजित करने के पीछे सरकार की आखिर मंशा क्या है। आईपीएस लाबी समझ नहीं पा रही है कि पांच साल तक किनारे रखने के बाद डीएम को लेकर सरकार यकबयक हरकत में क्यों आ गई?
भाई-भाई
जशपुर में हुए एक केस में आरोपियों को छुड़ाने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने इस तरह भाई-भाई का रवैया अपनाया कि एक महिला पुलिस अधिकारी को भी न्याय नहीं मिल सका। मामला है, वहां की एडिशनल एसपी नेहा पाण्डेय के डाक्टर पति के साथ दुव्र्यवहार का। पुलिस ने चार लड़कों को गिरफ्तार किया। इनमे से दो बीजेपी के थे और दो कांग्रेस के। कांग्रेस वाले को छोड़ने के लिए कांग्रेस के एक हाईप्रोफाइल नेता ने फोन की झड़ी लगा दी तो बीजेपी के मंत्री ने भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। यही नहीं, बीजेपी और कांग्रेस, मिलकर जशपुर बंद कराने की भी तैयारी कर ली थी। ऐसे में, कोई बवाल मच हो जाए। जिला और पुलिस प्रशासन को झूकना पड़ गया। फिर, जहां-जहां हो सकता है, मान-मनुहार की गई। अगले दिन चारों जेल से बाहर आ गए।
हफ्ते का एसएमएस
शादी शुदा लोगों के लिए मुफ्त की एक सलाह है। एक तो बीवी की ज्यादा सुनो मत। और, सुन भी लिया तो चार लोगों के बीच बोलो मत। देख रहे हो ना, आमिर का हाल…!!
अंत में दो सवाल आपसे
1. ब्यूरोक्रेसी के संदर्भ में ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि सरकार जानबूझकर मक्खी निगल रही है?
2. आखिर क्या वजह है कि सरकार ने डीएम अवस्थी को डीजी बनाने के लिए आनन-फानन में एक पोस्ट के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया?
2. आखिर क्या वजह है कि सरकार ने डीएम अवस्थी को डीजी बनाने के लिए आनन-फानन में एक पोस्ट के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया?
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