8 नवंबर
संजय दीक्षित
नान घोटाले के बाद सूबे के ब्यूरोक्रेट्स छांछ को भी फूंक-फूंककर पी रहे हैं। दिवाली में तो और सहमे हुए हैं। पहले साब के घर पर ना रहने पर बिल्डर, ठेकेदार, सप्लायर चपरासी या गार्ड को डब्बा थमाकर चल देते थे। बाद में पत्नी बता देती थी, डिब्बा और डिब्बे का सामान कितना वजनदार था। अबकी स्थिति उल्टी है। अधिकांश नौकरशाहों ने चपरासी एवं गार्ड को हिदायत दे दिए हैं, अनचिन्हार का डिब्बा बिल्कुल मत लेना। छोटे ठेकेदार एवं सप्लायर का तो बिल्कुल नहीं। क्या पता, घर जाकर डायरी में लिख दें, फलां साब को फलां चीज दिया। जाहिर है, ब्यूरोके्रट्स की पत्नियों की ये दिवाली बैड रहेगी।
नान घोटाले के बाद सूबे के ब्यूरोक्रेट्स छांछ को भी फूंक-फूंककर पी रहे हैं। दिवाली में तो और सहमे हुए हैं। पहले साब के घर पर ना रहने पर बिल्डर, ठेकेदार, सप्लायर चपरासी या गार्ड को डब्बा थमाकर चल देते थे। बाद में पत्नी बता देती थी, डिब्बा और डिब्बे का सामान कितना वजनदार था। अबकी स्थिति उल्टी है। अधिकांश नौकरशाहों ने चपरासी एवं गार्ड को हिदायत दे दिए हैं, अनचिन्हार का डिब्बा बिल्कुल मत लेना। छोटे ठेकेदार एवं सप्लायर का तो बिल्कुल नहीं। क्या पता, घर जाकर डायरी में लिख दें, फलां साब को फलां चीज दिया। जाहिर है, ब्यूरोके्रट्स की पत्नियों की ये दिवाली बैड रहेगी।
टाटा और टोयटा
वित्त विभाग के अफसरों का टाटा और टोयटा के प्रति प्रेम से मंत्रालय के अफसर परेशान हैं। आला अधिकारी तक कोस रहे हैं….हम अपने लिए गाड़ी लेने जाते हैं, तो सबसे पहले उसका एवरेज देखते हैं और फायनेंस को टाटा और टोयटा के अलावा कुछ सूझता नहीं। जबकि, इन गाडि़यों का एवरेज सबसे कम है। वित्त विभाग 85 फीसदी से अधिक गाडि़यां इन्हीं कंपनियों का परचेज करता है। यद्यपि, नए रायपुर में मंत्रालय शिफ्थ होने के बाद सरकार ने फ्यूल का कोटा 40 लीटर से बढ़ा कर 240 लीटर प्रति महीने कर दिया है। इसके बाद भी पुर नहीं पा रहा है। कहीं इधर-उधर जाना पड़ जाए, तो अपने जेब से तेल भराओ या फिर उसक बिल किसी ठेकेदार या सप्लायर को टिकाओ। ऐसे में, सरकार कोे इस पर सोचना चाहिए।
पांचवे कलेक्टर
रायपुर के कलेक्टर ठाकुर राम सिंह सिकरेट्री बनने के बाद भी कलेक्टरी करने वाले सूबे के पांचवे आईएएस हो गए हैं। उनके सिकरेट्री प्रमोट होने के बाद सरकार ने रायपुर कलेक्टर के पोस्ट को सिकरेट्री लेवल में अपग्रेड कर दिया है। इससे पहले, चितरंजन कुमार खेतान, राजेंद्र प्रसाद मंडल रायपुर और सुब्रत साहू तथा जवाहर श्रीवास्तव दुर्ग के कलेक्टर रह चुके हैं। इनमें से मंडल तो सिकरेट्री रहने के बाद कलेक्टर पोस्ट किए गए थे। 2004 में जब वे रायपुर के कलेक्टर बनें, तब वे मंत्रालय में राजस्व सचिव थे।सीईओ की क्लास
हर तीन महीने में होने वाली जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की राजधानी में हुई क्लास अबकी कुछ हट के रही। सरकार ने उनसे खरी-खरी बातें की। जिनका काम मार्केबल रहा, उनकी पीठ थपथपाई गई। जिनके पारफारमेंस पुअर रहा, उनकी क्लास भी ली गई। स्वच्छता अभियान और टायलेट बनाने में राजनांदगांव, रायगढ, धमतरी और कोरबा जिले के सीईओ की मंत्री और एसीएस ने मंच से सराहना की। चलिए, प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सीईओज कुछ बढियां का करें।
एक अनार….
राज्य मानवाधिकार आयोग में मेम्बर के दो पोस्ट खाली हैं। इनमें से एक रिटायर आईपीएस शामिल है। मगर दावेदार इतने हो गए हैं कि सरकार अपाइंटमेंट नहीं कर पा रही है। चार तो तगड़े दावेदार हैं। संघ से लेकर संगठन तक एप्रोच लगा रखे हैं। लेकिन, किसे खुश करें, किसे नाखुश। सो, सरकार इसे अभी टाल रही है।
जय हो
भिलाई में आईआईटी खुलने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग याने एचआरडी इस पर सहमत हो गया है। पहले, वह न्यू रायपुर का डेवलपमेंट देखकर वहीं पर आईआईटी बनाने के लिए अड़ा था। न्यू रायपुर के बगल में एयरपोर्ट भी है। किन्तु सरकार ने भिलाई में आईआईटी खोलने के लिए विधानसभा में संकल्प पारित कर रखा है। सीएम ने दिल्ली लेवल पर कोशिशें की। सूबे के तकनीकी शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय लगे ही थे। असल में, फायदा तो पाण्डेयजी को ही होना है। भिलाई में आईआईटी खुल गया तो 2018 का चुनाव तो उसी के सहारे निकल जाएगा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. आईपीएस के कैडर रिव्यू को भारत सरकार से मंजूरी मिलने में देरी क्यों हो रही है?
2. आईएएस लाबी ने किस यंग आईएएस को बाल-बाल बचा लिया?
2. आईएएस लाबी ने किस यंग आईएएस को बाल-बाल बचा लिया?
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