शनिवार, 7 मार्च 2015

तरकश, 8 मार्च

tarkash photo

 

वाह भाई!

सूबे में आईएएस तो कई हैं और कलेक्टर भी, मगर ठसक सबकी एक जैसी नहीं है। अब देखिए न, एक आईएएस ने सरकार से डंके की चोट पर मांग कर जिला लिया। हालांकि, सरकार ने मनचाहा जिला उन्हें नहीं दिया, मगर अफसर शाही अंदाज के जो ठहरे। सो, हवाई जहाज से ज्वाईन करने पहुंचे। अब, भले ही कोई कहे कि खाली प्लेन जा रहा था मगर हवाई मार्ग से पदभार ग्रहण करने जाएंगे तो चर्चा तो होगी ही। ब्यूरोके्रसी में हर जगह लाट साब की ठसक की चर्चा हो रही है।

छुट-पुट चेंजेंस

ऐसा नहीं है कि बजट सत्र चल रहा है, तो प्रशासनिक फेरबदल नहीं होंगे। छुट-पुट चेंजेस होते रहेंगे। आपने देखा ही, होलिका दहन के दिन सरकार ने रायपुर नगर निगम कमिश्नर अवनीश शरण को चेंज किया गया। दो-तीन आईएफएस अफसरों की भी लिस्ट निकली। शनिवार को एडिशनल कलेक्टर भी चेंज किए गए। ऐसे एक-एक, दो-दो नामों की सूची निकलती रहेगी।

टेम्पोरेरी पोस्टिंग

रायपुर नगर निगम कमिश्नर अवनीश शरण को सरकार ने रायपुर का अपर कलेक्टर बनाया है लेकिन इसे टेम्पोरेरी पोस्टिंग ही समझना चाहिए। अवनीश को नगर निगम में पौने तीन साल से अधिक हो गया था। वे पहले डायरेक्ट आईएएस थे, जो दो नगर निगम किए। आमतौर पर एक बार नगर निगम करने के बाद पंचायत सीईओ या कलेक्टरी मिल जाती है। जोगी सरकार के समय पहली बार डा0 एसके राजू को बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर से सरगुजा का कलेक्टर पोस्ट किया गया था। इसके बाद मुकेश बंसल और ओपी चैधरी इसी तरह कलेक्टर बनें। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो अगले एक महीने के भीतर कलेक्टरों की जो सप्लीमेंट्री लिस्ट निकलेगी, उसमें 2009 बैच के अवनीश का नाम भी होगा। 2008 बैच में हालांकि, दो आईएएस अभी कलेक्टर बनने के लिए बचे हैं। मगर दो में से एक के सीआर के बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं है। सो, अगली सूची में 2008 बैच में से संभवतः एक और 2009 से अवनीश, किरण कौशल और प्रियंका शुक्ला में से दो का नम्बर लगना लगभग निश्चित माना जा रहा है।

सबको राम-राम

कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी के हरिप्रसाद पिछले हफ्ते रायपुर आए……एक-एक लोगों से मिले और इशारे-इशारे में सबको राम-राम कर गए। बताते हैं, कुछ दिनों के भीतर कांग्रेस कार्यकारिणी का पुनगर्ठन होना है, उसमें उन्हें बदले जाने का संकेत मिल चुका है। यही वजह है कि हरिप्रसाद कई लोगों से यह कहना नहीं भूले कि प्रदेश प्रभारी के तौर पर उनका यह आखिरी छत्तीसगढ़ दौरा होगा। बहरहाल, नए प्रभारी के अपाइंटमेंट के बाद प्रदेश में कांग्रेस के भीतर समीकरण भी कुछ बदलेंगे ही। जाहिर है, पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के हरिप्रसाद से रिश्ते प्रगाढ़ थे।

हालत पतली

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का पारफरमेंस भले ही बेहतर हुआ है, मगर 11 साल से सत्ता से बाहर रहने के चलते उसकी माली हालत खास्ता होती जा रही है। खास तौर से केंद्र से गवर्नमेंट जाने के बाद। केंद्र में अपनी सरकार थी तो आफिस खर्च के नाम पर हर महीने दो लाख रुपए आता था। दिसंबर से वह भी बंद हो गया है। फंड जुटाने के लिए पीसीसी ने 250-250 रुपए लेकर 5000 सदस्य बनाने का टारगेट किया है। यही नहीं, एमएलए पर भी पार्टी अब प्र्रेशर बना रही है। एमएलए साल में एक बार बेसिक वेतन पार्टी को देते हैं। कांग्रेस विधायक पिछले साल भी बेसिक जमा नहीं किया था। पार्टी ने फारमान जारी कर बेसिक जमा करने कहा है।

संकटमोचक

विधानसभा में संख्याबल को लेकर कांग्रेस जब संकट में घिरी तो पार्टी से निष्कासित विधायक सियाराम कौशिक और आरके राय संकटमोचक बनकर खड़े हुए। संसदीय कार्यमंत्री अजय चंद्राकर ने यह कहकर हमला बोला कि कांग्रेस के निष्कासित विधायकांे को जब पार्टी मीटिंग में नहीं बुलाया जा रहा तो पार्टी यह बताए कि उसके कितने एमएलए हैं। इसके बाद सत्ताधारी पार्टी ने कांग्रेस को घेरना शुरू किया तो नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव खड़े होकर बाले कि दोनों विधायक मुझे लिखकर दिए हैं कि वे मरते समय तक कांग्रेस में रहेंगे। इसके बाद आश्चर्यजनक घटनाक्र्रम में दोनों विधायकों ने पार्टी में वापसी के लिए आवेदन कर दिया। हालांकि, सत्ताधारी पार्टी के हमले से कुछ होता नहीं, मगर पार्टी की किरकिरी होती। सो, तुरंत डैमेज कंट्रोल किया गया। और, इसके लिए दोनों निष्कासित विधायक आवेदन देने के लिए तैयार हो गए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस कलेक्टर की फेसबुक पर कमेंट की बड़ी चर्चा है?
2. भूपेश बघेल ने विसानसभा में सरकार से अधिक एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता को क्यों निशाना बनाया?

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