24 जुलाई
संजय दीक्षित
छत्तीसगढ़ में सुनिल कुमार, प्रशांत मेहता, उदय वर्मा, विवेक ढांड, एमके राउत जैसे कलेक्टरों को लोगों ने देखा है। तब का जिला 150-200 किलोमीटर में पसरा। और, ये आफिसर कभी नाव पर तो कभी राजदूत में दुरुह जिलों का दौरा करते थे। उदय वर्मा और एमके राउत तो गांव में ही दरबार लगाकर मौके पर ही समस्याओं का निबटारा कर देते थे। मगर कभी किसी को बताया नहीं। और, ना ही मीडिया में छपवाया। क्योंकि, मालूम था कि सरकार ने उन्हें जिले का मुखिया बनाया है, तो वह उनकी ड्यूटी है। लेकिन, नए जमाने के कलेक्टर काम कम, तमाशेबाजी ज्यादा कर रहे हैं। कोई कीचड़ में उतर जाता है तो कोई सायकिल चलाने लगता है। फिर, सोशल मीडिया में तस्वीर वायरल की जाती है। यकीनन, कुछ कलेक्टर सोशल मीडिया में ही कलेक्टरी कर रहे हैं। ऐसे अफसरों को पता होना चाहिए कि 12 साल के सीएम और इतने ही साल के अनुभवी उनके रणनीतिकार। वे बखूबी जानते हैं कि कौन क्या कर रहा है। नए कलेक्टरों को मुकेश बंसल, ओपी चैधरी, अलरमेबल ममगई, आर संगीता जैसे सीनियर कलेक्टरों से सीखना चाहिए। कि साइलेंट वर्क कैसे किया जाता है। जीएडी को भी नए कलेक्टरों को समझाना चाहिए कि अल्टीमेटली काम ही काम आता है। तमाशेबाजी नहीं।
बड़ों में टकराव
नान घोटाले के अफसरों को अग्रिम जमानत देने को लेकर ब्यूरोक्रेसी और महालेखाकार आफिस के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। पता चला है, कुछ आला अधिकारी चाहते थे कि महालेखाकार आफिस हाईकोर्ट में अफसरों की जमानत का विरोध ना करें। मगर एजी कार्यालय सहमत नहीं हुआ। बल्कि, सीएम को भी कंविंस कर लिया कि जमानत का विरोध न करने पर गलत मैसेज जाएगा। मीडिया से लेकर विरोधी पार्टी निशाना बनाएगी कि सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है। एक ओर केस दर्ज करने के लिए भारत सरकार को अनुशंसा कर रही है तो दूसरी तरफ जमानत दिलवा रही। बताते हैं, सीएम को यह बात समझ में आ गई। उन्होंने ओके कर दिया। लेकिन, नौकरशाही ने इसे मन में बिठा लिया है। नए रायपुर में कामर्सियल कोर्ट की ओपनिंग के मौके पर दोनों के बीच टकराव की झलक दिखी। एजी आफिस के लोगों को मंच से नीचे बिठा दिया। जबकि, प्रोटाकाल में एजी आफिस के लोग नौकरशाहों से उपर होते हैं। जाहिर है, इससे एजी आफिस के लोगों को नाराज होना ही था। चिठ्ठी के जरिये सीएम तक यह बात पहुंच गई है। हालांकि, सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। क्योंकि, दोनों के टकराव से राज्य के केसों पर प्रभाव पड़ेगा।
हाट इश्यू
ब्यूरोक्रेसी में अभी एक ही हाट इश्यू है……डीएस मिश्रा को पोस्ट रिटायरमेंट ताजपोशी होती है या नहीं….नए मुख्य सूचना आयुक्त कौन बनेगा? मंत्रालय के जिस कमरे में जाओ, यही सवाल। दरअसल, सरकार ने भी संकेत दिए थे कि मानसून सत्र के बाद अफसरों को लाल बत्ती दे दी जाएगी। हालांकि, सीएम सचिवालय में इसकी कोई सुगबुगाहट अभी नहीं है। मूख्य सूचना आयुक्त और राज्य निर्वाचन आयुक्त के लिए कमेटी की बैठक होगी। कमेटी में सीएम, नेता प्रतिपक्ष और स्पीकर होते हैं। बैठक की कोई तिथि भी अभी तय नहीं हुई है।
अमर को फ्री हैंड?
किसी भी राज्य में इंवेस्टर्स मीट या रोड शो सीएम का होता है। उद्योग मंत्री उनकी सहायक की भूमिका में होते हैं। लेकिन, अपने उद्योग मंत्री अमर अग्रवाल ने चंडीगढ़ में शुक्रवार को इंवेस्टर्स मीट किया। ऐसे में, यह सवाल उठना लाजिमी है कि अमर को फ्री हैंड देकर सरकार ने उनका कद तो नहीं बढ़ाया है।
सिंह इज किंग
स्टेट हर्बल बोर्ड के सीईओ एवं पीसीसीएफ दिवाकर मिश्रा 31 जुलाई को रिटायर हो जाएंगे। नए सीईओ के दावेदारों में दो एडिशन पीसीसीएफ हैं। केसी बेवर्ता और आरके सिंह। सिंह दिल्ली में डेपुटेशन पर हैं। मगर पता चला है, वे यहां लौटना चाहते हैं। हालांकि, दोनों सेटिंग वाले अफसर नहीं है। इसलिए, फैसला मेरिट पर ही होना है। दोनों में सिंह सीनियर हैं। इसलिए, उन्हें मौका मिल जाए, तो अचरज नहीं।
जोगी की रणनीति
रेणु जोगी को पार्टी में बनाए रखने की रणनीति तब कारगर दिखी जब पूर्व विधायकों की बैठक में अजीत जोगी के बारे में एक लाइन बात नहीं हो पाई। बताते हैं, रेणु जोगी सामने आकर बैठ गई। इससे, अजीत जोगी के बारे में ना संगठन के नेता बोल पाए और ना ही पूर्व विधायक। जबकि, बातचीत का एजेंडा जोगी ही थे कि किस तरह उनके प्रभाव को कम करते हुए पूर्व विधायकों को काम करना चाहिए। लेकिन, सबको मन मसोसकर रह जाना पड़ा। रेणु जोगी के सामने कोई कैसे बोले।
28 के पहले लाल बत्ती?
आयोग और बोर्डों की लाल बत्ती 29 जुलाई से पहले बंट जाएंगी। 29 को बीजेपी का चंपारण में चिंतन शिविर है। बारनवापारा चिंतन शिविर में तय हुआ था कि चेयरमैन
और मेम्बरों का अपाइंटमेंट इसके पहले कर दिया जाएगा। पता चला है, सीएम, संघ और संगठन के नेताओं की इस पर दो दौर की बातचीत हो चुकी है। संघ ने भी अपने नाम दे दिए हैं और संगठन ने भी। अभी जिन पदों पर नियुक्तियां होनी है, उनमें चेयरमैन कर्मकार मंडल, फिल्म विकास निगम, सिंधी साहित्य एकेडमी, पीएससी मेम्बर, महिला आयोग एवं माध्यमिक शिक्षा मंडल सदस्य शामिल हैं।
और मेम्बरों का अपाइंटमेंट इसके पहले कर दिया जाएगा। पता चला है, सीएम, संघ और संगठन के नेताओं की इस पर दो दौर की बातचीत हो चुकी है। संघ ने भी अपने नाम दे दिए हैं और संगठन ने भी। अभी जिन पदों पर नियुक्तियां होनी है, उनमें चेयरमैन कर्मकार मंडल, फिल्म विकास निगम, सिंधी साहित्य एकेडमी, पीएससी मेम्बर, महिला आयोग एवं माध्यमिक शिक्षा मंडल सदस्य शामिल हैं।
गुड न्यूज
सिकरेट्री इंडस्ट्रीज एन माइनिंग सुबोध सिंह ने इडस्ट्रीज को कसने के बाद अब माइनिंग को भी आनलाइन करने जा रहे हैं। अब ट्रांसपोर्ट परमिट के लिए लोगों को अब माइनिंग आफिस नहीं आना पड़ेगा। आनलाइन पैसा जमा करने पर नेट पर टीपी मिल जाएगी। ट्रकों में भी चीप लगाई जाएगी, जिससे पता चल जाएगा कि जहां के लिए माल निकला है, वहां पहुंचा या कहीं और। चलिये, ठीक है, इससे बिलासपुर के बंजारे टाईप माइनिंग अफसरों पर लगाम लगेगा। और लोगों को इंस्पेक्ट राज निजात भी। जाहिर है, सिस्टम जितना आनलाइन होगा, पारदर्शिता उतनी ही बढ़ेगी।
अंत में दो सवाल आपसे
1. कोई भी एसपी जिले में जाते ही सबसे पहले क्राइम ब्रांच का गठन करता है और यह ब्रांच उसका सबसे प्रिय क्यों होता है?
2. एक मंत्री का नाम बताइये, जिसे विधायक रहने के दौरान उसके बेटे ने घर से निकाल दिया था और मंत्री बनते ही बेटे ने बंगले पर आकर लेन-देन का कारोबार संभाल लिया है?
2. एक मंत्री का नाम बताइये, जिसे विधायक रहने के दौरान उसके बेटे ने घर से निकाल दिया था और मंत्री बनते ही बेटे ने बंगले पर आकर लेन-देन का कारोबार संभाल लिया है?
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