2 अक्टूबर
संजय दीक्षित
पीसीसी चीफ भूपेश बघेल भले ही जोगी कांग्रेस के रजिस्ट्रेशन न होने पर सवाल उठा रहे हों और जाति मामले की सरकारी तलवार उन पर लटकी हो, मगर अजीत जोगी का हौसला देखिए…..। जोगी न केवल पार्टी का विस्तार करने जा रहे बल्कि पंजाब और यूपी चुनाव में कंडीडेट उतारने की तैयारी में जुटे हैं। जोगी की मानें तो पंजाब और यूपी में कांग्रेस के असंतुष्ट नेता लगातार उनके संपर्क में हैं। जोगी की रणनीति यह है कि पंजाब और यूपी में कुछ दमदार कंडिडेट पर दांव लगा दिया जाए। वहां एकाध सीट भी आ गई तो छत्तीसगढ़ में माहौल बनाने में उससे बड़ा लाभ मिलेगा। पार्टी राष्ट्रीय स्तर की हो जाएगी, सो अलग। उधर, 19 अक्टूबर को विदर्भ में भी पार्टी का गठन होने जा रहा है। याने जोगीजी अब राष्ट्रीय स्तर पर पैरेलल कांगे्रस खड़ी करने जा रहे हैं।
पीसीसी चीफ भूपेश बघेल भले ही जोगी कांग्रेस के रजिस्ट्रेशन न होने पर सवाल उठा रहे हों और जाति मामले की सरकारी तलवार उन पर लटकी हो, मगर अजीत जोगी का हौसला देखिए…..। जोगी न केवल पार्टी का विस्तार करने जा रहे बल्कि पंजाब और यूपी चुनाव में कंडीडेट उतारने की तैयारी में जुटे हैं। जोगी की मानें तो पंजाब और यूपी में कांग्रेस के असंतुष्ट नेता लगातार उनके संपर्क में हैं। जोगी की रणनीति यह है कि पंजाब और यूपी में कुछ दमदार कंडिडेट पर दांव लगा दिया जाए। वहां एकाध सीट भी आ गई तो छत्तीसगढ़ में माहौल बनाने में उससे बड़ा लाभ मिलेगा। पार्टी राष्ट्रीय स्तर की हो जाएगी, सो अलग। उधर, 19 अक्टूबर को विदर्भ में भी पार्टी का गठन होने जा रहा है। याने जोगीजी अब राष्ट्रीय स्तर पर पैरेलल कांगे्रस खड़ी करने जा रहे हैं।
पार्टीबाज कलेक्टर
बस्तर के पार्टीबाज कलेक्टर सरकार के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। कुछ कलेक्टरों के बारे में खुफिया इनपुट्स हंै कि बस्तर के सात में से चार कलेक्टर एक-दूसरे जिलों में जाकर न केवल देर रात तक पार्टी करते हैं बल्कि नशे की हालात में ही घर लौटने के लिए विवश करते हैं। इस वजह से उनके साथ चलने वाले ड्राईवर एवं जवानों की जान खतरे में है। कलेक्टर्स ये तब कर रहे हैं, जब उन्हें मालूम है कि उसी बस्तर में सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर अलेक्स पाल मेनन का माओवादियों ने दिनदहाड़े अपहरण कर लिया था। बावजूद इसके, पार्टीबाज कलेक्टर्स धुर नक्सल प्रभावित जंगलों से गुजरकर जान जोखिम में डालने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। ठीक है, नशे में आदमी शेर बन जाता है। मगर जरा सोचिए, रास्ते में उन्हें कहीं सवा सेर मिल गए तो क्या होगा। जवाब तो सरकार को देना होगा ना। बहरहाल, कलेक्टरों ने अगर अपनी आदत नहीं बदली तो सरकार को एलेक्टस-2 के लिए प्रीपेयर्ड रहना चाहिए।
फिर बना चेन
पिछली बार पवनदेव के ट्रांसफर के कारण पुलिस में एक चेन बना और रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग के आईजी समेत रायपुर और रायगढ़ के एसपी बदल गए थे। अबकी गरियाबंद एसपी अमित कांबले को डेपुटेशन पर दिल्ली जाना था। इस चक्कर में तीन जिलों के एसपी बदल गए। गरियाबंद में चेंज तो हुआ ही, लगे हाथ सरकार ने बालोद एवं बलौदाबार के एसपी भी बदल डाले। नुकसान हुआ बलौदा बाजार एसपी अभिषेक शांडिल्य को। उन्हें पीएचक्यू लौटना पड़ा। और, दोहरे लाभ में रहे शेख आरिफ हूसैन। एक तो बलौदा बाजार जैसा जिला मिल गयां। दूसरा, बालोद के जिला प्रशासन से सरकार ने निजात दिला दी।
सर्जिकल स्ट्राइक
रायपुर के पुराने कलेक्टर आरपी मंडल और एसएसपी अशोक जुनेजा में इतना जबरदस्त तालमेल था कि लोग उन्हें जय और बीरु कहते थे। मगर कलेक्टर और एसपी में वैसे रिश्ते दिखते नहीं। उल्टे अब तलवारें खींच रही हैं। कोंडागांव और बालोद में तो आपने देखा ही। हालांकि, कोंडागांव में सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया। मगर बालोद में संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए। क्योंकि, ये बीमारी दीगर जिलों में भी फैल सकती है।
कमिश्नर, आईजी निबटा लिए थे
अविभाजित मध्यप्रदेश में एक बार जशपुर में कलेक्टर-एसपी आमने-सामने हुए थे। कलेक्टर थे विनोद कुमार और एसपी अपने एसआरपी कल्लुरी। मामला था सीएमओ के यहां पुलिस द्वारा तलाशी लेने का। कलेक्टर को यह नागवार गुजर गया। मगर तब के बिलासपुर कमिश्नर मदनमोहन उपध्याय और आईजी एसएस बडबड़े ने डांट-डपट कर अपने स्तर पर मामले को निबटा दिया था। लेकिन, अब न तो वैसे कमिश्नर रहे और ना ही आईजी। अब तो कलेक्टर, एसपी ही कमिश्नर, आईजी को हड़का देंगे।
गौतम पीएस होम
प्रींसिपल सिकरेट्री बीबीआर सुब्रमण्यिम कल 22 दिन की ट्रेनिंग पर जा रहे हैं। उनकी गैरमौजूदगी में सिकरेट्री होम अरुणदेव गौतम पीएस होम का काम देखेंगे। जीएडी ने इसका आर्डर आज जारी कर दिया। छत्तीसगढ़ बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब किसी आईपीएस को गृह विभाग सौंपा गया है। बताते हैं, होम के लिए कोई आईएएस तैयार नहीं हुआ। कारण? बस्तर में कब क्या हो जाए। खामोख्वाह काहे को फंसना।
खास कार्यसमिति
2003 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बस्तर में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक हुई थी। और, 13 साल बाद अपनी जमीन मजबूत करने के लिए बीजेपी ने फिर कार्यसमिति के लिए बस्तर को चुना। मगर दोनों में आम और खास कर अंतर था। तब बस्तर टाईगर बलीराम कश्यप वहां मेन रोल में थे। बैठक के बाद भोज का आयोजन था। उन्होंने उसमें जिद करके बस्तर के समूचे कार्यकर्ताओं को बुलाया कि ताकि, वे पार्टी से जुड़ाव महसूस कर सकें। चुनाव में इसका एकतरफा लाभ मिला। इस बार यह खास तक ही सिमट कर रह गया। क्योंकि, बलीराम कश्यप जैसा प्रभावशाली नेता बस्तर में कोई बचा नहीं। अब, देखना है कि खास तक सिमटा कार्यसमिति से बीजेपी को बस्तर में कितना लाभ हो पाता है।
मंत्रियों पर गुस्सा
बीजेपी के बस्तर कार्यसमिति में सदस्यों ने मंत्रियों पर जमकर भड़ास निकाला। खासकर सवाल-जवाब के सेशन में। इस दौरान एक मंत्रीजी की बारी आई तो कई लोग एक साथ खड़े होकर बोलने लगे…..ये क्या बताएंगे, रायपुर जाने पर ठीक से बात नहीं करते। इसके बाद तो सारे मंत्रियों पर सबने जमकर गुस्सा उतारा। सार यही था कि मंत्री जमीन से उपर उठ गए हैं। उन्हें आम नेताओं से कोई वास्ता नहीं रह गया है। आखिरकार, सौदान सिंह को बचाव में आगे आना पड़ा। उन्होंने यह कहते हुए सवाल-जवाब का सत्र बंद कराया कि आप लोग अपने सवाल लिखित में दे दीजिए।
छुट्टी हुई खराब!
बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के चलते बस्तर कलेक्टर अमित कटारिया की छुट्टी खराब हो गई। वे परिवार के साथ विशाखापटनम में थे। चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड ने उनकी छुट्टी केंसिल कर बुला लिया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. अजीत जोगी ने प्रेत योनी से मुक्ति दिलाने के लिए अबकी खास अनुष्ठान किया……किसी कांग्रेस नेता का भूत तो उन्हें नहीं सता रहा है?
2. कांग्रेस में ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि रविंद्र चैबे का कद बढ़ गया है?
2. कांग्रेस में ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि रविंद्र चैबे का कद बढ़ गया है?
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