शनिवार, 15 अक्तूबर 2016

बड़ा उलटफेर

16 अक्टूबर

संजय दीक्षित
एक नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद राज्य में बड़ी उलटफेर की खबरें निकल कर आ रही है। न केवल मंत्रिमंडल में बल्कि ब्यूरोक्रेसी में भी पता चला है, डाक्टर साब बड़ा बदलाव करेंगे। आला सूत्रों की मानें तो कुछ मंत्रियों के पारफारमेंस से सीएम प्रसन्न नहीं हैं। खासकर नए मंत्रियों से। लिहाजा, कम-से-कम एक मंत्री को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। ऐन वक्त पर संख्या दो भी पहुंच सकती है। यही नहीं, कुछ सीनियर मंत्रियों को भी हल्का किया जाएगा। इसी के साथ ब्यूरोक्रेसी में भी बड़ा बदलाव हो जाए, तो अचरज नहीं। दो-तीन विभागों के सिकरेट्री से भी सरकार खुश नहीं है। उन्हें डंप किया जा सकता है। बदलाव की बयार से मंत्री भी अनभिज्ञ नहीं है। कई मंत्री सीएम हाउस में बुके लेकर दौड़ते दिखे।

डीएस से हो गई चूक

जब ठाकुर राम सिंह का निर्वाचन आयुक्त के लिए आर्डर निकल रहा था, बहुत कम लोगों को मालूम है कि रिटायर आईएएस डीएस मिश्रा से भी पूछा गया था। दरअसल, सरकार चाहती थी कि राम सिंह के साथ सहकारिता आयोग के लिए डीएस का भी आर्डर निकल जाए। सीएम हाउस से डीएस को फोन गया। मगर वे ठीक से जवाब नहीं दे पाए। बताते हैं, वे लगे ढुल-मुल बात करने…..मैं अभी रायपुर से बाहर हूं….देखता हंू……। इसके बाद सरकार के दूत ने ओके बोल कर फोन काट दिया। डीएस के लिए वह एक बढ़ियां अवसर था। लाल बत्ती तो मिल ही जाती। मगर वे डिसीजन नहीं ले पाए। और, मामला गड़बड़ा गया। अब, आगे क्या होगा, वक्त बताएगा।

लांग कुमेर भी चले नागालैंड

एडीजी यातायात लांग कुमेर डेपुटेशन पर अपने गृह राज्य नागालैंड जा रहे हैं। नागालैंड सरकार ने इसके लिए एनओसी दे दी है। फाइल भारत सरकरा को गई है। सो, लांग कुमेर की कभी भी नागालैंड की टिकिट कट सकती है।

भूपेश के बाद अब बाबा

पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के बाद नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के खिलाफ भी जमीन की हेराफेरी के केस में सरकारी शिकंजा कस सकता है। दोनों ही मामलों के सूत्रधार हैं अजीत जोगी। जोगी ने पहले भूपेश के खिलाफ सरकार को पत्र लिखा। भूपेश की जमीन की जांच चालू हो गई। अब, टीएस के खिलाफ लिखा है। क्या लिखा है, उसकी थीम आपको बताते हैं। सिंहदेव परिवार की अंबिकापुर शहर के बीचोबीच 53 एकड़ जमीन है। पहले वहां तालाब था। राजपरिवार ने उसे निस्तारी के लिए सरकार को दे दी थी। बाद में, एमएस सिंहदेव जब एमपी के चीफ सिकरेट्री बनें तो। राजपरिवार ने जमीन को वापिस लेने के लिए आवेदन लगाया। और, वह सिंहदेव परिवार को वापिस मिल गई। जोगी का ब्लेम है, जमीन के स्थानांतरण में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। बहरहाल, आज की तारीख में उस जमीन की कीमत छह करोड़ रुपए एकड़ है। याने करीब 300 करोड़ की जमीन होगी। पता चला है, जोगी की शिकायत को सरकार ने परीक्षण के लिए भेज दिया है। चलिये, सरकार के अब दोनों ही हाथ में लड्डू है। एक में भूपेश और दूसरे में टीएस।

जोगी का बस्तर शो

बस्तर की अहमियत अजीत जोगी बखूबी जानते हैं। आखिर, उसी बस्तर ने 2003 में उनकी लुटिया डूबो दी थी। यही वजह है कि 13 अक्टूबर को आयोग में पार्टी के पंजीयन का डेट होने के बाद भी जोगी ने मोहलत मांग ली। मगर बस्तर का प्रोग्राम चेंज नहीं किया। बस्तर में जोगी का प्रोग्राम सुपरहिट रहा। जोगी ने यह कहकर दीगर पार्टियांे को सोचने पर मजबूर कर दिया कि हमारी सरकार आएगी तो बस्तर का डिप्टी सीएम होगाा।

बस्तर के मत्रियों को देखिए

एक तरफ बीजेपी बस्तर में कार्यसमिति की मीटिंग कर रही है। जोगी पंजीयन का डेट छोड़कर बस्तर को वेटज दे रहे हैं। दूसरी ओर, बस्तर के 600 साल पुराने मुरिया दरबार में पहली बार अबकी वहां के एक भी मंत्री शरीक नहीं हुए। जबकि, मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह ने 13 अक्टूबर को खासकर इसीलिए जगदलपुर में थे। बस्तर से मंत्री केदार कश्यप विदेश दौरे पर हैं। और, महेश गागड़ा उसी दिन बीजापुर से प्लेन से रायपुर आ गए थे। उनके परिवार में हफ्ते भर पहिले कोई गमी हुई है। मगर मुरिया दरबार का भी अपना इम्पोर्टेंस है। इसी से समझा जा सकता है कि सीएम इसमें हर साल शरीक होते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस रिटायर आईएएस के खिलाफ विभागीय जांच के लिए सरकार ने भारत सरकार से अनुमति मांगी है?
2. प्रधानमंत्री के लिए भीड़ जुटाने के लिए रायपुर और दुर्ग संभाग के किन-किन कलेक्टरों को जिम्मा दिया गया है?

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