11 जून
संजय दीक्षित
अमित शाह की मैराथन मीटिंग के चक्कर में कुशाभाउ ठाकरे परिसर में एक मंत्री को चक्कर आ गया। पीए को फोन कर दवाई बुलाई, तब जाकर उन्हें रिलीफ मिला। उधर, अमित शाह की स्टेमिना देखिए, मैराथन बैठकों के बाद भी चेहरे पर कोई शिकन नहीं थीं। पहले दिन की ही बात करें। रायपुर आने के लिए सुबह 6.20 में दिल्ली एयरपोर्ट पर वे पहुंच गए थे। जाहिर है, वे सुबह चार बजे उठे होंगे। रायपुर आने के बाद सुबह 8.50 बजे से रात 11.30 बजे तक वे मीटिंगों में व्यस्त रहे। तीनों दिन उनका यही रुटीन रहा। सीएम तो 47 डिग्री टेम्परेचर में लोक सुराज करके वार्मअप हो गए थे, लेकिन, बाकी नेताओं की हालत खराब रही।
संजय दीक्षित
अमित शाह की मैराथन मीटिंग के चक्कर में कुशाभाउ ठाकरे परिसर में एक मंत्री को चक्कर आ गया। पीए को फोन कर दवाई बुलाई, तब जाकर उन्हें रिलीफ मिला। उधर, अमित शाह की स्टेमिना देखिए, मैराथन बैठकों के बाद भी चेहरे पर कोई शिकन नहीं थीं। पहले दिन की ही बात करें। रायपुर आने के लिए सुबह 6.20 में दिल्ली एयरपोर्ट पर वे पहुंच गए थे। जाहिर है, वे सुबह चार बजे उठे होंगे। रायपुर आने के बाद सुबह 8.50 बजे से रात 11.30 बजे तक वे मीटिंगों में व्यस्त रहे। तीनों दिन उनका यही रुटीन रहा। सीएम तो 47 डिग्री टेम्परेचर में लोक सुराज करके वार्मअप हो गए थे, लेकिन, बाकी नेताओं की हालत खराब रही।
सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट और….
डायल 112 सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट था। 10 जनवरी को एसपी कांफ्रेंस में उन्होंने इसे एक अप्रैल से लागू करने का कहा था। यही नहीं, इसके लिए उन्होंने 250 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। लेकिन, पीएचक्यू और गृह विभाग के अफसरों की डेढ़ होशियारी ने इस प्रोजेक्ट का बेड़ा गर्क कर दिया। कहां अप्रैल डेडलाइन था…..जून आधा खतम होने वाला है, अफसर टेंडर क्लियर नहीं कर पाए। पराकाष्ठा तो तब हो गई, कम रेट और अनुभवी कंपनी को छोड़कर हैदराबाद की कंपनी को काम दे दिया। बाद में जब उसके लूज पोल पता चला तो अफसरों की बोलती बंद हो गई। बताते हैं, जिस पार्टी का टेंडर खारिज किया गया, उसका न केवल रेट कम था बल्कि, मध्यप्रदेश में 650 करोड़ रुपए का सेम वर्क कर रही है। वैसे भी, सीएम जब कोई टास्क देते हैं तो अफसरों की काबिलियत इससे परखी जाती है कि किसी भी सूरत में वह रिजल्ट दे। इस केस में दो ही कंपनियों ने टेंडर भरा। एक को खारिज कर दिया गया और दूसरी फर्जी निकल गई। अगर दो-तीन कंपनियों से और टेंडर जमा करा लिया गया होता तो ये स्थिति नहीं आती। टेंडर की प्रक्रिया में अब मानकर चलिय नवंबर, दिसंबर आ जाएगा। जाहिर है, सरकार के पास अब सिर पिटने के अलावा कोई चारा नहीं होगा। डायल 112 सरकार की एक अहम उपलब्धि होती। इस एक नम्बर पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से लेकर फायर, हेल्थ, एक्सीडेंट की सूचना, सारा काम होता।
अमरेश के बाद उमेश
दुर्ग जिले पर सरकार की नजरे इनायत कुछ ज्यादा ही दिख रही है। पहले सख्त आईपीएस अमरेश मिश्रा को एसपी बनाकर भेजा गया। अब उमेश अग्रवाल को कलेक्टर पोस्ट कर दिया है। उमेश ने महासमुंद के स्टाईल में क्लास लेनी शुरू कर दी है। कलेक्ट्रेट से लेकर पूरे जिले में हड़कंप मच गया है….कलेक्टर किसी की सुनता नहीं। विरोधी पार्टी के नेता महासमुंंद से निर्दलीय विधायक विमल चोपड़ा से फीडबैक ले रहे हैं। विमल क्या फीडबैक देंगे, आप समझ सकते हैं। महासमुंद में चोपड़ा और उमेश के बीच पूरे समय तनातनी बनी रही। अलबत्ता, दुर्ग जिले से पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के साथ ही अरुण वोरा विधायक हैं। ताम्रध्वज साहू सांसद हैं। सो, उमेश अग्रवाल के लिए भी चुनौती होगी।
एसपी की लिस्ट
अमित शाह के दौरे से सरकार के फ्री होने के बाद समझा जाता है, एसपी की लिस्ट आज-कल में निकल जाएगी। हालांकि, कलेक्टरों के समान लिस्ट लंबी नहीं होगी। मोटे तौर पर चार-पांच जिले के एसपी प्रभावित होंगे। धमतरी में मनीष शर्मा को ढाई साल से उपर हो गया है। रेलवे एसपी पारुल माथुर, कवर्धा एसपी डी रविशंकर, अंबिकापुर एसपी आरएस नायक, कोरिया से सुजीत कुमार को बदले जाने की चर्चा है। कवर्धा एसपी को सरकार कोई और चार्ज देना चाहती है। एसपी लेवल पर बड़ा फेरबदल अब जनवरी में होगा, जब 12 आईपीएस डीआईजी बनेंगे।
फॉरेन ट्रिप पक्का
डीपीआर बोले तो डायरेक्टर पब्लिक रिलेशंस….सरकार की छबि चमकाने वाला अफसर। साउथ कोरिया और जापान के दौरे में सरकार अबकी डीपीआर को भी साथ ले गई थी। इससे पहिले 13 साल में सरकार के साथ कभी डीपीआर को जाने का मौका नहीं मिला। लेकिन, अबकी विदेश दौरे का मीडिया में कवरेज इतना मिला कि सरकार अब जब भी विदेश जाएगी, डीपीआर कोई भी हो, उसकी एक सीट पक्की रहेगी।
पतंजलि और योग आयोग
21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के पहिले योग आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति हो जाएगी। योग आयोग सूबे का पहला आयोग होगा, जिसमें गैर राजनीतिक व्यक्ति की पोस्टिंग की जाएगी। पता चला है, इस पोस्ट पर सरकार पतंजलि से जुड़े किसी शख्स को अपाइंट कर सकती है।
सुपरपावर….वाह-वाह!
भारतीय वन सेवा के एक सीनियर अधिकारी के जलवे से आईएफएस लॉबी वाह-वाह! कर रही है। गर्व करें क्यों नहीं, ऐसी ताकत की नुमाइश….किसी ने सोचा भी नहीं होगा। प्रमोशन होने के बाद अफसर ने चार महीने तक पोस्टिंग की फाइल दबवा दी, आर्डर नहीं होने दिया। और, सरकार ने डरते-सहमते आदेश निकाला भी तो अफसर को उस पोस्ट को एडिशनल तौर पर थमा दिया गया, जिस पद का वे पिछले आठ साल से सुख भोग रहे हैं। उनके आदेश में लिखा गया, अगली नियुक्ति तक फलाश्री इस पोस्ट पर बने रहेंगे। वन विभाग के इस सुपरपावर की चर्चा इन दिनों मंत्रालय के गलियारों में खूब हो रही है। जाहिर है, जलवे में तो आईएफएस ने आईएएस, आईपीएस को पीछे छोड़ दिया है।
नहले पर दहला
अमित जोगी रायपुर प्रेस क्लब के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे थे। बोलने की बारी आई तो विधानसभा की उनकी कसक बाहर आ गई। बोले, स्पीकर साब मुझे वहां पांच मिनट से अधिक टाईम नहीं देते। लेकिन, आज मैं ज्यादा बोलूंगा। इसके बाद स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल डायस पर आए तो उन्होंने अमित को जवाब दिया….अब आपकी बोलने का समय खतम होने वाला है। उनका इशारा चुनाव की ओर था। बता दें, पूरे बजट सत्र में अमित स्पीकर के निशाने पर रहे।
अंत में दो सवाल आपसे
1. बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह के साथ प्लेन से नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल दिल्ली क्यों गए?
2. जगदलपुर कलेक्टर से रिलीव होने के हफ्ते भर बाद भी अमित कटारिया ने यहां ज्वाईनिंग क्यों नहीं दी है?
2. जगदलपुर कलेक्टर से रिलीव होने के हफ्ते भर बाद भी अमित कटारिया ने यहां ज्वाईनिंग क्यों नहीं दी है?
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