19 नवंबर
सीडी कांड की जांच सीबीआई के पास आते ही राजधानी में कई लोगों को सांप सूंघ गए हैं। खासकर ऐसे लोग, जो रोज नए सीडी होने के दावे करते थे या फिर मुफ्त के व्हाट्सएप पर इन दावों में पंख लगाते थे। बताते हैं, एक राजनीतिक पार्टी ने दर्जन भर से अधिक सीडी बनवा रखी थी। दो-एक दिन में सीबीआई टीम के धमकने की खबर के बाद अब उसे छत्तीसगढ़ से बाहर भिजवा दिया है। जिनके पास सीडी नहीं थी, वे भी ताव दे रहे थे। अब सभी एक सूर में बोल रहे हैं, सीडी…..ना बाबा, ना….।
डीजीपी और शोले
आईपीएस एएन उपध्याय को डीजीपी बने पौने चार साल से अधिक हो गए हैं। चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड से एक महीने पहिले वे स्टेट पुलिस के चीफ बन गए थे। दोनों इस साल जनवरी, फरवरी में जब तीन साल पूरे किए तो पीएचक्यू के अफसर चुटकी लेते थे…. साब और सीएस साब की होड़ चल रही है। लेकिन, सीएस के रेरा चेयरमैन बनने की खबरें ब्रेक होने के बाद अब लोग कहने लगे हैं…..अपने डीजी साब अब शोले पिक्चर का रिकार्ड ब्रेक करेंगे। शोले मुंबई के मराठा मंदिर में साढ़े पांच साल चली थी। डीजी का भी टेन्योर सवा साल से ज्यादा है….याने सब जोड़े तो साढ़े पांच साल। वास्तव में अगर ऐसा हुआ तो डीजी साब न केवल पुराने डीजीपी विश्वरंजन का रिकार्ड तोड़ेंगे बल्कि शोले का भी। हालांकि, कहने वाले तो यह भी कहते हैं, सरकार किसी भी बनें, डीजी उपध्याय ही रहेंगे। क्योंकि, उनके जैसा अफसर भला मिलेगा कहां….न उधो से लेना और न माधो को देना।
सीएस की क्यूं
अगला चीफ सिकरेट्री अजय सिंह होंगे, इस पर से अब कुहासा छंट चुका है। रेरा की मीटिंग होते ही कभी भी उनकी ताजपोशी हो जाएगी। लेकिन, इस ठाकुर अफसर को टेंशन यह रहेगा कि सीएस की लेन में तीन और आईएएस आकर खड़े हो गए हैं। 87 बैच के तीनों इसी हफ्ते एसीएस प्रमोट हुए हैं। सीके खेतान, आरपी मंडल और बीबीआर सुब्रमण्यिम। जनवरी में वे सीएस बनने के लिए आईएएस में जरूरी 30 साल पूरा कर लेंगे। हालांकि, इसमें टाईम कंसीडर करना सरकार पर निर्भर करता है। एएन उपध्याय को 29 साल में ही सरकार ने डीजीपी अपाइंट कर दिया था। ऐसे में, अजय सिंह को सीएस बनने के बाद भी टेंशन बना रहेगा।
मेरिट लिस्ट
पिछले हफ्ते एक नेताजी की बंगले पर एक महिला नेत्री कोई काम लेकर पहुंची। आवेदन को मार्क करने के बाद नेताजी ने पूछा, और तो सब ठीक है न! नेत्री ने अपना दुखड़ा सुना दिया….भाई साब, इस जमाने में हमारे जैसों की कोई पूछ नहीं है….जो हवा-हवाई काम कर रही हैं, उन्हें ही अहम पद मिलते जा रहे हैं। नेताजी ने चुटकी के अंदाज में कहा, तुम भी जमाने के हिसाब से क्यों नहीं चलती। महिला नेत्री ने जो जवाब दिया, वह न केवल आपको हिला देगी बल्कि राजनीति में महिलाओं की क्या स्थिति है, यह साफ हो जाएगा। उसने कहा, भाई साब! जमाने के हिसाब से चलने के लिए मैं तैयार हूं….लेकिन, उसमें भी वेटिंग है….मेरा नम्बर लग पाएगा कि नहीं….भरोसा नहीं। जवाब सुनकर नेताजी भी सन्न रह गए।
अमित कुमार की वापसी
सब कुछ ठीक रहा तो अगले महीने के मध्य तक आईपीएस अमित कुमार सीबीआई डेपुटेशन से छत्तीसगढ़ लौट सकते हैं। हालांकि, उनका डेपुटेशन पीरियड पिछले साल सितंबर में समाप्त हो गया था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के ओआईसी होने के चलते वे रिलीव नहीं हो पा रहे थे। मगर अब जो संकेत मिल रहे हैं, उनका लौटना लगभग तय हो गया है। और, इसके साथ ही रायपुर का आईजी बनना भी।
केडीपी भी एसीएस
87 बैच के आईएएस के एडिशनल चीफ सिकरेट्री बनने के बाद अब 88 बैच के केडीपी राव के भी एसीएस बनने का रास्ता जल्द ही साफ हो जाएगा। विवेक ढांड के रिटायर होने के बाद खाली हुए पद पर केडीपी का प्रमोशन हो सकता है। केडीपी लंबे समय से मंत्रालय से बाहर हैं। बिलासपुर कमिश्नरी का चक्कर लगाते हुए व ेअब रेवन्यू बोर्ड पहुंच गए हैं। उनके शुभेच्छु इस उम्मीद में थे कि किसी सीनियर आईएएस के दिन खराब हों तो राव साब को मुक्ति मिलें। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। विवेक ढांड, अजय सिंह की हथेली में उपर वाले ने ऐसी लकीरें खींच कर भेजी है कि लोग टकटकी लगाए बैठे रह गए।
बीजेपी की चुनौती
कांग्रेस की सभाओं में उमड़ती भीड़ से बीजेपी के रणनीतिकारों के कान खडे़ हो गए हैं। खासकर, सीडी कांड के बाद पीसीसी चीफ भूपेश बघेल की पदयात्राओं में जिस तरह से हुजूम एकत्र हुआ है। जबकि, सीडी कांड के बाद माना जा रहा था, भूपेश की स्थिति कमजोर हुई है…..पार्टी में वे अकेला पड़ते जा रहे हैं। लेकिन, पदयात्रा में सभी जगहों पर अपेक्षा से कहीं अधिक भीड़ जुटाने में कांग्रेस पार्टी कामयाब रही। ऐसे में, बीजेपी के साथ ही कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं की चिंता लाजिमी है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. किस मंत्री के बारे में कहा जाता है कि वे कांग्रेस की टिकिट तय करते हैं?
2. रेड़ा का पेड़ा देने में सरकार अफसरों को क्यों ललचा रही है?
2. रेड़ा का पेड़ा देने में सरकार अफसरों को क्यों ललचा रही है?
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