12 नवंबर
सेक्स सीडी की थ्योरी अंदरखाने से निकलकर बाहर आ रही है, उसके अनुसार सीडी बनाने वालों ने एक तीर से कई शिकार किए। विरोधियों को ठिकाने लगाया, वहीं बड़ी रकम पर भी हाथ साफ किया। इस फिल्म का सबसे सस्पेंस सीन रहा, 12 घंटे के भीतर असली सीडी का पता लगा लेना। जबकि, इंडियन पोर्न की बात करें तो नेट पर 50 लाख से अधिक स्लाट होंगे। ऐसे में, रायपुर पुलिस क्या, अमेरिका की पुलिस भी 12 घंटे में इसका पता नहीं लगा सकती थी। असली सीडी की गारंटी सिर्फ एक आदमी के पास थी, जिसने टेम्पर्ड किया होगा। आखिर, असली से ही तो उसने नकली बनाई होगी। और, जिस सच की सत्ता के गलियारों में चर्चा बड़ी तेज है, वह इसी से मेल खाती है। बताते हैं, रायपुर के प्रख्यात सीडी निर्माता ने एक राजनीतिक दल से सौदा करके सीडी टिकाया था। उसी ने सियासी तूफान उठने पर असली सीडी लोगों को मुहैया कराने में देर नहीं लगाई। इससे उसे तीन फायदे हुए। पहले सौदे से भी उसे काफी कुछ मिला। दूसरा, मंत्री को वॉट लगाया। और, तीसरा असली सीडी के एवज में कई खोखा लिया। दरअसल, मामला ही ऐसा था, इस विपदा से बचने तो आदमी अपना घर-द्वार तक बेच डाले।
सेक्स सीडी की थ्योरी अंदरखाने से निकलकर बाहर आ रही है, उसके अनुसार सीडी बनाने वालों ने एक तीर से कई शिकार किए। विरोधियों को ठिकाने लगाया, वहीं बड़ी रकम पर भी हाथ साफ किया। इस फिल्म का सबसे सस्पेंस सीन रहा, 12 घंटे के भीतर असली सीडी का पता लगा लेना। जबकि, इंडियन पोर्न की बात करें तो नेट पर 50 लाख से अधिक स्लाट होंगे। ऐसे में, रायपुर पुलिस क्या, अमेरिका की पुलिस भी 12 घंटे में इसका पता नहीं लगा सकती थी। असली सीडी की गारंटी सिर्फ एक आदमी के पास थी, जिसने टेम्पर्ड किया होगा। आखिर, असली से ही तो उसने नकली बनाई होगी। और, जिस सच की सत्ता के गलियारों में चर्चा बड़ी तेज है, वह इसी से मेल खाती है। बताते हैं, रायपुर के प्रख्यात सीडी निर्माता ने एक राजनीतिक दल से सौदा करके सीडी टिकाया था। उसी ने सियासी तूफान उठने पर असली सीडी लोगों को मुहैया कराने में देर नहीं लगाई। इससे उसे तीन फायदे हुए। पहले सौदे से भी उसे काफी कुछ मिला। दूसरा, मंत्री को वॉट लगाया। और, तीसरा असली सीडी के एवज में कई खोखा लिया। दरअसल, मामला ही ऐसा था, इस विपदा से बचने तो आदमी अपना घर-द्वार तक बेच डाले।
सीडी में भी जातिवाद
रायपुर के मशहूर सीडी निर्माता ने अनेक राजनेताओं की सीडी बना रखी है। कुछ असली है तो कुछ मंत्री टाईप्ड टेम्पर्ड। बताते हैं, सबसे पहिले बीजेपी के एक नेता की सीडी बाहर लाने के लिए प्लान किया गया था। लेकिन, एक राजनीतिक पार्टी ने उसे देखने के बाद लेने से इंकार कर दिया। बताते हैं, वो जातभाई की सीडी थी। फिर, दूसरी सीडी राजेश मूणत की दिखाई गई। यह सीडी जंच गई। फिर, इसका सौदा हो गया।
धर्मसंकट-1
सेक्स सीडी कांड से अपने मंत्री को उबारने को लेकर सत्ताधारी पार्टी धर्मसंकट में पड़ गई है। दरअसल, राजनेताओं का चरित्र ही ऐसा हो गया है कि सीडी कांड की असलियत सामने आ जाने के बाद भी अधिकांश लोग मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि सीडी टेम्पर्ड है। और सही भी है, 13 मिनट की असली सीडी देखे बगैर वास्तविकता का पता चलता नहीं। और दिक्कत है, सत्ताधारी पार्टी आम लोगों के बीच असली सीडी का वितरण कर भी नहीं सकती। बीजेपी की एक कम महत्व की मीटिंग में एक नेता ने चुटकी ली….सीडी लोगों को दिखानी पड़ेगी। लेकिन, इसका विरोध हो गया….लोग कहेंगे, बच्चों के साथ अधेड़ लोगों को भी बिगाड़ने का काम कर रही है बीजेपी।
धर्मसंकट-2
सरकार ने आईजी एसआरपी कल्लूरी को पोस्टिंग देकर डीजीपी एएन उपध्याय का बड़ा धर्मसंकट दूर कर दिया है। कल्लूरी फरवरी में बस्तर आईजी से हटने के बाद बिना विभाग के थे। हालांकि, इस दौरान वे लंबे लीव पर रहे। किडनी ट्रांसप्लांट कराकर पिछले 18 अक्टूबर को वे रायपुर लौट आए थे। उन्होंने फेसबुक पर लिखा भी था, वे अब एकदम फिट हैं….डाक्टरों ने सामान्य रूप से उन्हें कार्य करने के लिए फ्री कर दिया है। इसके बाद भी सरकार ने कोई विभाग नहीं दिया था। इधर, दिसंबर भी सामने आ गया है। लास्ट मंथ में एसीआर लिखा जाता है। कल्लूरी डीजीपी के प्रिय अफसर हैं। जाहिर है, डीजीपी धर्मसंकट में तो होंगे ही, बिना विभाग के कल्लूरी का वे एसीआर कैसे लिख पाएंगे।
पॉलीटिकल माइलेज
बहुत कम लोगों को मालूम है, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गिरौधपुरी खुद की इच्छा से गए थे। राष्ट्रपति भवन से जब लेटर आया तो अफसरों ने इसे अनमने ढंग से लिया। वजह यह थी कि प्रेसिडेंट विजिट में सिक्यूरिटी के साथ ही तामझाम काफी होता है। लिहाजा, राष्ट्रपति राज्यों की राजधानी से बाहर बड़े कम ही जा पाते हैं। लेकिन, गिरौधपुरी में जब लोगों की भीड़ उमड़ी तो सरकार आवाक रह गई। करीब एक लाख लोग। सरकार इसलिए हैरान थी कि बलौदाबाजार, महासमुंद और जांजगीर के कलेक्टरों को भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन, जिस हिसाब से गाड़ियां लगाई गई थीं, बहुत होता तो 40-50 हजार से अधिक लोग नहीं आते। बताते हैं, सरकारी मशीनरी से ज्यादा प्रभावशाली रही दलित समाज में गर्वान्वित होने की अनुभूति। राष्ट्रपति दलित समुदाय से आते हैं। फिर, पहली बार राष्ट्रपति गिरौधपुरी आ रहे थे। इसलिए, जिस बस में 40 आदमी बैठने की क्षमता थी, उसमें 100-100 लोग ठूंसा गए। जाहिर है, इससे पालीटिकल माइलेज भाजपा को मिला।
रीना और राजेश
प्रेसिडेंट विजिट में बढ़ियां काम करने के लिए पीएस टू सीएम अमन सिंह ने सिकरेट्री के व्हाट्सएप ग्रुप में सबको थैंक्स किया। लेकिन, नाम लिखे सिर्फ दो के। ट्राईबल विभाग की हेड रीना कंगाले और डीपीआर राजेश टोप्पो के। रीना ने गिरौधपुरी में आउटस्टैंडिंग वर्क किया। तो वहीं, राजेश ने ऐसा काम किया कि राष्ट्रपति भी हैरान रह गए। गिरौधपुरी के 25 मिनट पहले की फोटो मंगाकर उसे एलबम में सजाकर एयरपोर्ट भिजवा दिया। ऐसे में राजेश का नम्बर तो बढ़ना ही था। हालांकि, तारीफ तो अमन िंसंह को भी मिली। राष्ट्रपति के सिकरेट्री ने अमन सिंह को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति के सफल कार्यक्रम के लिए एप्रीसियेट किया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. डेपुटेशन से छत्तीसगढ़ लौट रहे आईएएस गौरव द्विवेदी क्या अगला हेल्थ सिकरेट्री होंगे?
2. पीएल पुनिया से यह आग्रह करके कि आप कांग्रेस नेताओं को एक कर दीजिए, चरणदास महंत ने जाहिर कर दिया कि कांग्रेस नेता एक नहीं हैं?
2. पीएल पुनिया से यह आग्रह करके कि आप कांग्रेस नेताओं को एक कर दीजिए, चरणदास महंत ने जाहिर कर दिया कि कांग्रेस नेता एक नहीं हैं?
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