3 दिसंबर
वेटिंग सीएस और प्रोबेशन पीरियड
राज्य सरकार ने एसीएस अजय सिंह को वेटिंग सीएस के तौर पर प्रोबेशनर के रूप में काम लेना शुरू कर दिया है। मंत्रालय की कई अहम मीटिंगों में विवेक ढांड की जगह इन दिनों अजय सिंह नए जाकिट में दिख रहे हैं। 30 नवंबर को सीएम फेलोशिप के तहत सलेक्ट यंग प्रोफेशनल के साथ फोटो सेशन में भी सीएम की दाई ओर अमन सिंह औ बाएं अजय सिंह नजर आए। लेकिन, दिक्कत यह है कि सरकार ने उनका प्रोबेशन पीरियड तय नहीं किया है। हफ्ते, महीना या जनवरी….कुछ कहा नहीं जा सकता। रेड़ा का पेड़ा बंटने के बाद भी कोई भरोसा नहीं….आजकल करते-करते…..। जाहिर है, अजय सिंह को यह ब्लाइंड प्रोबेशन पीरियड परेशान कर रहा होगा।
वेटिंग सीएस और प्रोबेशन पीरियड
राज्य सरकार ने एसीएस अजय सिंह को वेटिंग सीएस के तौर पर प्रोबेशनर के रूप में काम लेना शुरू कर दिया है। मंत्रालय की कई अहम मीटिंगों में विवेक ढांड की जगह इन दिनों अजय सिंह नए जाकिट में दिख रहे हैं। 30 नवंबर को सीएम फेलोशिप के तहत सलेक्ट यंग प्रोफेशनल के साथ फोटो सेशन में भी सीएम की दाई ओर अमन सिंह औ बाएं अजय सिंह नजर आए। लेकिन, दिक्कत यह है कि सरकार ने उनका प्रोबेशन पीरियड तय नहीं किया है। हफ्ते, महीना या जनवरी….कुछ कहा नहीं जा सकता। रेड़ा का पेड़ा बंटने के बाद भी कोई भरोसा नहीं….आजकल करते-करते…..। जाहिर है, अजय सिंह को यह ब्लाइंड प्रोबेशन पीरियड परेशान कर रहा होगा।
राजनीति में अंसारी?
84 बैच के आईपीएस डब्लूएम अंसारी के लिए दिसंबर आखिरी महीना होगा। 31 को वे रिटायर हो जाएंगे। अंसारी तेज अफसर माने जाते हैं। लेकिन, उनकी किस्मत उतनी तेज नहीं निकली। राज्य बनते ही वे जोगी सरकार के निशाने पर आ गए थे। जशपुर के लीली कुजूर दुष्कर्म कांड में उन्होंने तत्कालीन सरकार के जशपुर के प्रिय कलेक्टर एमआर सारथी के खिलाफ दबाकर जांच कर दी थी। इस पर सरकार ने उन्हें उस दंतेवाड़ा का डीआईजी बनाकर भेज दिया था, जो ठीक से जिला का शेप नहीं ले सका था। कांग्रेस के निशाने पर रहने का स्वाभाविक लाभ उन्हें बीजेपी शासन में भी नहीं मिला। उल्टे, एडीजी जेल रहने के दौरान डेपुटेशन पर दिल्ली जाकर उनसे एक बड़ी भूल हो गई। अगर वे दिल्ली नहीं गए होते तो गिरधारी नायक और अंसारी याने दो-दो सीनियर अफसरों को सुपरशीट करके एएन उपध्याय को डीजी बनाने से पहिले सरकार को सोचना पड़ता और बनाती तो भी बैलेंस करने के लिए अंसारी का ठीक-ठाक विभाग मिल गया होता। अब खबर है, अंसारी रिटायर होने के बाद राजनीति में किस्मत आजमाने की सोच रहे हैं। यूपी में उनके परिवार से जुड़े लोग राजनीति में हैं भी। दुआ करें, राजनीति में उनकी किस्मत साथ दे दें।
सिर मुड़ाते ओले….
पंचायत विभाग संभालने वाले आरपी मंडल के लिए शिक्षाकर्मियों की हड़ताल सिर मुड़ाते ओले पड़ने जैसी हो गई है। शिक्षाकर्मियों की हड़ताल उन्हें गिफ्ट में मिला ही अलबत्ता, विभाग का चार्ज लेने से एक दिन पहिले ही सरकार ने हड़ताली शिक्षकों से बात करने का शेड्यूल तय कर दिया। हालांकि, वार्त्ता विफल हो गई। मगर मंडल सिर पर हाथ फेरते हुए खुद ही चुटकी ले रहे हैं….मेरा क्या होगा…..। दरअसल, वे सचमुच सिर मुड़ाएं हुए हैं। हाल ही में उनकी मदर इन लॉ की डेथ हुई है।
दो बैचलर, एक विभाग
सरकार ने नगरीय प्रशासन सिकरेट्री रोहित यादव को जीएडी सिकरेट्री का एडिशनल चार्ज दिया है। विकास शील इस विभाग के प्रिंसिपल सिकरेट्री हैं। इसमें खबर ये नहीं है कि जीएडी में दो सिकरेट्री क्यों….पहले भी ऐसा रहा है। एक आईएएस देखता है, दूसरा राज्य प्रशासनिक सेवा। खास यह है कि दोनों बिना पत्नी वाले हैं। बिना पत्नी का आशय आप दूसरा ना निकालें। दोनों की आईएएस पत्नी डेपुटेशन पर दिल्ली चली गई हैं। पहले विकास शील की पत्नी निधि छिब्बर डिफेंस में गईं और इसी अक्टूबर में रोहित की पत्नी रितू सेन दिल्ली के छत्तीसगढ़ भवन में। लिहाजा, दोनों बैचलर हैं। ऐसे में, सरकार ने सोचा….दोनों सिंगल को एक विभाग में कर दो, पत्नियों के जाने का गम हो या खुशी, बेचारे एक-दूसरे से शेयर करते रहेंगे।
सब पर भारी
ठाकुर राम सिंह भले ही सरकार के सबसे नजदीक और पसंदीदा आईएएस रहे हों मगर ठसके के साथ पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग में अशोक अग्रवाल ने सबको पीछे छोड़ दिया। राम सिंह को रिटायर होने के बाद ढाई महीने तक पोस्टिंग के लिए इंतजार करना पड़ा था। अग्रवाल को रिटायरमेंट के चार महीने पहिले सरकार ने न केवल सूचना आयुक्त का आर्डर निकाल दिया बल्कि वीआरएस लेने का समय भी उनकी इच्छा पर छोड़ दिया। जनवरी में रिटायर होने वाले अग्रवाल ने 23 नवंबर को वीआरएस लिया है। ज्ञातव्य है, सरकार ने एक अघोषित नियम बनाया था कि रिटायरमेंट के दो महीने बाद ही पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग दी जाएगी। आरएस विश्वकर्मा से लेकर राम सिंह तक इसी के तहत पोस्टिंग हुई। लेकिन, अग्रवाल सब पर भारी पड़े।
पहली बॉल पर चौका
लगता है, खेल विभाग में खिलाड़ियों के बीच रहते-रहते आईएएस सोनमणि बोरा को यह गुर पता चल गया है कि किस बॉल को उठाकर मारना है और किसे प्लेट करना है। तभी तो ईरीगेशन संभालते ही उन्होंने पहली बॉल पर चौका जड़ दिया। उन्होंने 14 करोड़ रुपए के विवादास्पद सर्वेश्वर एनई कट के टेंडर को निरस्त करने में देर नहीं लगाई। जबकि, सर्वेश्वर एनई कट पर तत्कालीन इरीगेशन डिपार्टमेंट और ईओडब्लू के बीच तनातनी के हालात निर्मित हो गए थे। इरीगेशन के अफसरों को लेटर लिख कर बिना उनकी इजाजत के ईओडब्लू को कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया था। मुकेश गुप्ता ने इससे नाराज होकर सीएस को पत्र लिख दिया था। बहरहाल, सोनमणि बॉल को समझ गए हैं। जाहिर है, उन्हें अब बैटिंग में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
आखिरी बात हौले से
आदमी की रीढ़ में 33 हड्डियां होती हैं….और सरकारी नौकरी में हर साल उनमें से एक हड्डी टूट जाती है। इसलिए, जो 33 साल से पहिले रिटायर हो जाते हैं, उनकी रीढ़ की कुछ हड्डियां बची होती है। लेकिन, 33 के बाद एक भी हड्डियां नहीं बचती। राजनेता ऐसे अफसरों को अत्यधिक पंसद करते हैं, जिनकी रीढ़ की समूची हड्डियां टूट चुकी हों। क्योंकि, उनसे कुछ भी करा लो…..उन्हें बिछने में दिक्कत नहीं होती।
अंत में दो सवाल आपसे?
1. ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि आईपीएस मुकेश गुप्ता और जीपी सिंह की जोड़ी हिट होने वाली है?
2. एक सीनियर ब्यूरोक्रेट्स का नाम बताएं, जिन्हें मीटिंगों में जाने से पहिले संवरने में 10 मिनट लगता है?
2. एक सीनियर ब्यूरोक्रेट्स का नाम बताएं, जिन्हें मीटिंगों में जाने से पहिले संवरने में 10 मिनट लगता है?
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