25 मार्च
मन कैबिनेट ने 23 मार्च को एक अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी का पद क्रियेट कर दिया। राज्य निर्वाचन कार्यालय में दो आईएएस पोस्ट हैं। एक सीईओ सुब्रत साहू और दूसरा ज्वाइंट सीईओ समीर विश्नोई। एडिशनल सीईओ का पोस्ट करने का मतलब है किसी सीनियर आईएएस को वहां डंप किया जाएगा। हालांकि, चुनाव के नजदीक आने पर एक एडिशनल सीईओ को पोस्ट किया जाता है। लेकिन, निर्वाचन में भला कौन जाना चाहेगा। बहरहाल, 2000 से 2006 बैच के बीच के किन्हीं तीन अफसरों के नामों का पेनल बनाकर राज्य सरकार अब चुनाव आयोग को भेजेगी। इनमें ज्यादा खतरा 2004 और 06 बैच को है। क्योंकि, 2002, 03 और 05 बैच के आईएएस न केवल मजबूती से क्रीज पर जमे हैं बल्कि सरकार से केमेस्ट्री भी उनकी बढ़ियां है।
नया हेल्थ सिकरेट्री
राज्य निर्वाचन अधिकारी सुब्रत साहू को चुनाव आयोग ने अब हेल्थ डिपार्टमेंट में काम करने की छूट देने से इंकार कर दिया है। सरकार के आग्रह पर चुनाव आयोग जुलाई से लेकर अब तक तीन बार सुब्रत को एक्सटेंशन दे चुका है। आखिरी बार उन्हें फरवरी में दो महीने की मोहलत मिली थी, जिसका टाईम 31 मार्च को समाप्त हो जाएगा। जाहिर है, 31 के बाद सुब्रत को हेल्थ से हटना पड़ेगा। और, उनकी जगह पर सरकार को नए सचिव की पोस्टिंग करनी होगी। हालांकि, सरकार के लिए यह मशक्कत भरा काम होगा। क्योंकि, अफसर हैं नहीं। स्पेशल सिकरेट्री रैंक के ठीक-ठाक अफसरों को सरकार ने किसी-न-किसी विभाग में बिठा दिया है। बच रही हैं सिर्फ रेणु पिल्ले और मनिंदर कौर द्विवेदी। रेणु फिलहाल रेवन्यू बोर्ड में मेम्बर हैं और मनिंदर डेपुटेशन के बाद छुट्टी पर हैं। मनिंदर भी अगले महीने के अंत तक लौट सकती हैं। अब, देखना है सरकार किसे हेल्थ की कमान सौंपती है।
कलेक्टरों की धड़कन
लोक सुराज जैसे-जैसे समापन की ओर बढ़ रहा है, कलेक्टरों की दिल की धड़कनें तेज होती जा रही हैं। जाहिर है, 31 मार्च के बाद कभी भी कलेक्टरों की बहुप्रतीक्षित लिस्ट निकल जाएगी। इसमें सात से आठ से दस कलेक्टर बदलेंगे। सरकार भी इस बार चुप्पी साधी हुई है। किसी को कोई संकेत नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि राजधानी और न्यायधानी को छोड़कर सारे कलेक्टरों की नींद उड़ी हुई है….सरकार कहां पटकती है या फिर किस जिले में भेजेगी।
पुलिस पर शनि
पुलिस के ग्रह-नक्षत्र कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं। आलम यह है कि अपराधों को रोकथाम करने वाली पुलिस अपराधिक गतिविधियों में लिप्त होकर खुद ही खबर बन जा रही है। कहीं रेप में कोई पुलिस वाला पकड़ा गया तो कहीं आपस में ही एक-दूसरे से भिड़ गए। दंतेवाड़ा में एक आईपीएस ने दो उप निरीक्षकों की धुनाई कर दी तो रायपुर और राजनांदगांव में एसआई ने हवलदार की पिटाई कर दी। एसटीएफ का एक जवान राजस्थानी महिला से रेप में फंस गया। हफ्ते के आखिरी दिन बिलासपुर के सिरगिट्टी थाने में आग लग गई। डीजीपी को बनारस के किसी पंडित को बुलाकर शनि की शांति के लिए पूजा-पाठ कराना चाहिए।
वन विभाग का ढाबा
शीर्षक आपको चौकाएंगी….वन विभाग का भला ढाबा कैसे हो सकता है। लेकिन, छत्तीसगढ़ के वन विभाग में कुछ भी हो सकता है। ढाबा भी। ढाबा भी कोई ऐसी-वैसी जगह पर नहीं। धरमपुर से गुजरने वाले एयरपोर्ट रोड पर। दरअसल, स्टेशन रोड के गेस्ट हाउस पर मानवाधिकार आयोग का कब्जा होने के बाद वन विभाग ने जीई रोड से लगे धरमपुरा में लग्जरी गेस्ट हाउस बनवाया है। नेता, अफसर, मीडिया जैसे फोकटिया प्रजाति से बचने अफसरों ने दिमाग लगाया, क्यों न किसी प्रायवेट पार्टी को रेस्टोरेंट का जिम्मा दे दिया जाए। बात जमी और फायनल हो गया। वन विभाग के एक अफसर को पंजाबी ढाबा का खाना बेहद पसंद है। सो, उन्होंने अपनी चलाकर उसे गेस्ट हाउस का काम दिला दिया। लेकिन, इस भूल का अहसास तब हुआ, जब हाल ही में वन विभाग के एक बड़े अफसर के कुछ रिश्तेदार गेस्ट हाउस में रुके। रात में रिश्तेदारों को अपने घर खाना खिलाकर जब वे उन्हें छोड़ने गेस्ट हाउस पहुंचे तो लड़खडाते हुए एक आदमी उनकी गाड़ी के गेट के पास आकर पूछ दिया, तुम कौन? अब अफसर के गुस्से का ठिकाना नहीं। खैर, ये तो होना ही था। सरकारी गेस्ट हाउस में सार्वजनिक ढाबा खुलेगा तो उसमें बाहरी लोग आएंगे ही। फिर, गेट पर अल्कोहल की जांच करने वाली मशीन तो लगी नहीं है।
संग्राम शिविर
सरकार का समाधान शिविर जैसे-जैसे अंतिम दिन की ओर बढ़ रहा है, वह संग्राम शिविर के रूप में बदलते जा रहा है। बिल्हा में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक का वहां के विधायक सियाराम कौशिक से विवाद हो गया तो दुर्ग के अहिरवारा में मंच पर कुर्सी को लेकर विधायक और पूर्व विधायक आपस में ही भिड़ गए। चुनाव के छह महीने पहिले ही राजनीतिक पार्टियों में इस कदर संग्राम छिड़ गया है तो फिर चुनाव आते-आते क्या होगा, समझा जा सकता है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. अप्रैल के फर्स्ट वीक में कलेक्टरों के होने वाले ट्रांसफर में सरकार कितने जिलों के कलेक्टरों को रायपुर में डंप करेगी?
2. राज्य सभा चुनाव में कांग्रेस जोगी कांग्रेस से गच्चा खाई है या फिर अमित जोगी की धमकी की परवाह न कर कांग्रेस ने दो विधायकों को पार्टी से बाहर करने का मार्ग प्रशस्त होने दिया?
2. राज्य सभा चुनाव में कांग्रेस जोगी कांग्रेस से गच्चा खाई है या फिर अमित जोगी की धमकी की परवाह न कर कांग्रेस ने दो विधायकों को पार्टी से बाहर करने का मार्ग प्रशस्त होने दिया?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें