11 मार्च
पिछले साल 23 अक्टूबर को कलेक्टर्स कांफ्रेंस हुई थी। सरकार ने 27 में से 10 को आउटस्टैंडिंग, 10 को संतोषजनक और सात के काम को पुअर माना था। सरकार के सार्वजनिक ऐलान से लगा था कि सात की किसी भी समय छुट्टी हो जाएगी। लेकिन, छह महीना हो गया। कोई एक्शन नहीं। इस बीच सरकार ने कई कलेक्टरों को विदेश का सैर भी करा दिया। कलेक्टर भी चुपके से घूमकर आ गए। चालाकी से कोई फोटो-वोटो भी नहीं डाला सोशल मीडिया में। बहरहाल, सवाल यह है कि पुअर पारफारमेंस मानने के बाद भी कलेक्टरों पर कार्रवाई नहीं होगी, तो फिर कलेक्टर कांफ्रेंस को कलेक्टर्स गंभीरता से कैसे लेंगे।
ट्वीट पर फसाद
राज्य के मुखिया का काम लोगों में प्रेम और सौहार्द्र स्थापित करना है। लेकिन, अपने मुख्यमंत्री के एक ट्वीट ने कई घरों में फसाद खड़ा कर दिया। महिला दिवस के एक रोज पहले डाक्टर साब ने अपनी पत्नी की फोटो शेयर करते हुए सपोर्ट के लिए उन्हें शुक्रिया किया। उस ट्वीट के बाद तो कई घरों में महाभारत छिड़ गई। पत्नियां कहने लगी, सीएम साब को देखो और एक आप हो! रायपुर में एक मंत्री की पत्नी ने यहां तक कह दिया, हमारे साथ फोटो खिंचाने से बचते हो....शपथ लेने के बाद हमारे तरफ देखे भी नहीं, और सीएम साब को देखो, उन्होंने मंच पर ही मैडम को गले लगा लिया था। झगड़े को खतम करने के लिए मंत्रीजी ने फिर महिला दिवस के दिन सोशल मीडिया में पत्नी संग फोटो शेयर किया। यही नहीं, एक एसीएस और दो प्रिंसिपल सिकरेट्री के घर जंग छिड़ गई। मंत्रालय से घर पहुंचते ही पत्नियों ने तंज कसा....सीएम साब का ट्वीट देखे हो....क्यों देखोगे? आज तक कभी मुझे क्रेडिट दिए हो....तुम जान लो, जो हो मेरी वजह से। शादी के बाद ही तुम इतना आगे बढ़े। मेरी पुण्याई से तुमको बडे़-बड़े विभाग मिल जा रहे हैं। वरना, तुम कहीं ऐसे-वैसे विभाग में पड़े होते। ये तो एक बानगी है...ऐसे प्रसंग अनेक घरों में सुनने को मिले।
बड़ा नुकसान
कलेक्टरों का ट्रांसफर फिर टल गया है। अब लोक सुराज के बाद बदले जाएंगे कलेक्टर। पहले इसे सीएम के फॉरेन से लौटने के बाद किया जाना था। फिर, बजट सत्र के बाद। अब अप्रैल चला गया है। बार-बार ट्रांसफर का टलना राज्य के हित में नहीं। जिन कलेक्टरों का हटना तय है या फिर तलवार लटकी है, समझ सकते हैं उनका काम में कितना मन लगेगा। कलेक्टर भी मान चुके हैंं, अब जाना तय है तो ऐसे काम हाथ में क्यों लें, जिसे वे महीने-डेढ़ महीने में पूरा ही नहीं कर सकते। जाहिर है, ऐसे में राज्य का नुकसान होगा। जिन कलेक्टरों की बदलने की चर्चा है, उनमें दंतेवाड़ा, बीजापुर, जगदलपुर, दुर्ग, धमतरी, गरियाबंद, जांजगीर, बलरामपुर और जशपुर शामिल प्रमुख हैं।
सिंगल आर्डर
गरियाबंद कलेक्टर श्रुति सिंह डेपुटेशन पर यूपी जा रही हैं। उनका प्रॉसिजर भी पूरा हो गया है। लेकिन, कलेक्टरों के ट्रांसफर के लिए उनका रुका था। अब जबकि, ट्रांसफर टल गया है तो उनका सिंगल आर्डर निकल सकता है। श्रुति डायरेक्ट आईएएस हैं। खबर है, उनके जाने के बाद गरियाबंद में किसी प्रमोटी आईएएस को कलेक्टर बनाकर भेजा जाएगा।
किस्मत का यू टर्न
रिटायर एडिशनल चीफ सिकरेट्री एनके असवाल को सरकार ने आखिरकार रेरा का मेम्बर अपाइंट कर दिया। उनके साथ रिटायर पीसीसीएफ आरके टम्टा की भी रेरा में ताजपोशी की गई है। पिछले साल मई में रिटायर होने वाले असवाल हालांकि, रेरा चेयरमैन के लिए ट्राई कर रहे थे। तब रेरा में कंपीटिशन टफ नहीं हुआ था। सरकार ने ढांड का नाम सूचना आयोग के लिए तय कर दिया था और राउत का छह महीने बाकी था। रेरा चेयरमैन के लिए तब रिटायर आईएएस डीएस मिश्रा और आईएफएस बीके सिनहा की चर्चा थी। इसलिए, असवाल ने देवेंद्र नगर के बंगले को चार महीने के लिए एक्सटेंशन करा लिया था। लेकिन, बाद में ढांड के सूचना आयोग को छोड़ रेरा चेयरमैन की दौड़ में शामिल हो जाने के बाद असवाल ने रेरा में पोस्टिंग की उम्मीद छोड़ दी। साथ ही मकान भी। बोरिया-बिस्तर समेट कर वे अपने गृह नगर जयपुर लौट गए थे। लेकिन, असवाल की किस्मत ने यू टर्न ली....चेयरमैन न सही प्रदेश के सबसे वजनदार बोर्ड के वे मेम्बर तो बन ही गए।
छोटी सर्जरी
प्रिंसिपल सिकरेट्री विकास शील डेपुटेशन पर भारत सरकार में जा रहे हैं। वहां उन्हें ज्वाइंट सिकरेट्री हेल्थ बनाया गया है। अगले हफ्ते वे किसी भी दिन वे यहां से रिलीव हो जाएंगे। उन्हें कार्यमुक्त किए जाने के साथ ही स्कूल एजुकेशन में किसी को पोस्ट किया जाएगा। जाहिर है, मंत्रालय में एक छोटी सी सर्जरी होगी। स्कूल एजुकेशन के साथ ही हो सकता है, एक-दो विभागों में और बदलाव हो जाए। क्योंकि, केडीपी राव का वनवास लंबा हो गया है। गौरव द्विवेदी को भी दिल्ली से आने के बाद सरकार ने शंट किया हुआ है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के बाद हो सकें सरकार रेणु पिल्ले को बिलासपुर रेवन्यू बोर्ड से वापिस लाए। वैसे, सरकार के सामने दिक्कत यह है कि स्कूल एजुकेशन में वह न्यू मॉडल को भी इमप्लीमेंट नहीं कर सकती। क्योंकि, इंडिविजूअल विभाग को संभालने वाले जूनियर अफसर अब सरकार के पास बचे नहीं हैं। सब कहीं-न-कहीं फिट हो चुके हैं।
सरकारी शराब का दोष
होली में एक विधायक और टीआई भिड़ गए। लोग भी चौंके....विधायकजी तो ऐसे थे नहीं, बड़े मिलनसार हैं...टीआई का भी ऐसा ट्रेक रिकार्ड रहा नहीं। बाद में, पता चला दोष दोनों का नहीं था। पहले लोकल शराब ठेकेदार छत्तीसगढ़ के लोगों की सेहत का बड़ा ध्यान रखते थे। अल्कोहल की मात्रा कम करने के लिए बॉटलिंग करते समय 30 से 40 फीसदी पानी मिलाते थे। सरकारी दुकानों को इससे क्या मतलब। बाहर से आता है, और यहां उसे बेच देते हैं। तभी तो लोग बोल रहे हैं, आजकल बड़ा हार्ड हो गया है....थोड़े से में ही चढ़ जा रहा है। इसलिए, विधायक और टीआई एपीसोड को मीडिया को अब ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए। साल में एक बार होली आती है। फिर भी, अगर ठीकरा फोड़ना है, तो उसके लिए मंत्री अमर अग्रवाल उपयुक्त हैं। उन्होंने ही प्रायवेट ठेका बंद कराया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. गौरव द्विवेदी अगर प्रशासन अकादमी से हटे तो उनकी जगह पर किस आईएएस को वनवास के रुप में वहां भेजा जाएगा?
2. एनके असवाल और आरके टम्टा को रेरा का मेम्बर बनाने में किस रिटायर नौकरशाह की चली है?
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