रविवार, 22 जुलाई 2018

एक और एसीएस!

22 जुलाई
भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के आईएएस अमिताभ जैन को एडिशनल सिकरेट्री इम्पेनल कर दिया है। याने राज्य सरकार के बाद केंद्र सरकार ने भी उनका रुतबा बढ़ा दिया है। राज्य में वे वैसे ही वित्त, वाणिज्यिक कर, गृह, जेल और परिवहन जैसे बेहद अहम विभाग संभाल रहे है। 89 बैच के आईएएस अमिताभ फिलहाल प्रिंसिपल सिकरेट्री हैं। और, उनका एडिशनल चीफ सिकरेट्री का प्रमोशन अगले साल जनवरी में ड्यू होगा। मगर बीवीआर सुब्रमण्यिम के जम्मू-कश्मीर के चीफ सिकरेट्री बनने के बाद एसीएस का एक पद खाली हुआ है। फिर, फायनेंस की वजह से सरकार के नजदीक हैं ही। लिहाजा, उन्हें एसीएस प्रमोट करने की चर्चा पहले से चल रही थी। लेकिन, अब जबकि भारत सरकार ने भी उन्हें एडिशनल सिकरेट्री में इम्पेनल कर दिया है। अमिताभ का पलड़ा अब और भारी हो गया है। सो, अब किसी भी दिन उन्हें एसीएस बनाने के लिए मंत्रालय में डीपीसी हो जाए, तो चौंकिएगा मत। एसीएस का राज्य में तीन कैडर और तीन एक्स कैडर पोस्ट है। याने छह। और अफसर हैं पांच हीं। अजय सिंह, सुनील कुजूर, सीके खेतान, आरपी मंडल और केडीपी राव। जैन का नम्बर छठ होगा।

जीएडी का कमाल

छत्तीसगढ़ का सामान्य प्रशासन विभाग किस ढर्रे पर चल रहा है, आप इससे अनुमान लगा सकते हैं। एग्रीकल्चर प्रोडक्शन कमिश्नर याने एपीसी किसी भी राज्य का बेहद महत्वपूर्ण पद होता है। उसके बिना कृषि विभाग में पत्ता नहीं खड़कता। लेकिन, अपने छत्तीसगढ़ में राज्य बनने के बाद 18 साल में किसी को सुध ही नहीं आया कि एपीसी का पोस्ट क्रियेट किया जाए। जबकि, भारत सरकार ने उसे कैडर पोस्ट घोषित किया है। बताते हैं, राज्य में चूकि एक ही एपीसी होता है। इस दृष्टि से मध्यप्रदेश में भी पोस्ट एक ही था। राज्य निर्माण के दौरान अब एक का बंटवारा भला कैसे होता। और, छत्तीसगढ़ पोस्ट सृजित करना भूल गया। पर, कागजों में जीएडी जरूर एपीसी की पोस्टिंग कर देता है। दिलचस्प यह है कि अजय सिंह अभी चीफ सिकरेट्री हैं। इसके पहिले वे ही एपीसी थे। उनके पहिले भी और कई दिग्गज नौकरशाह एपीसी रहे हैं। अभी सुनील कुजूर यह पद संभाल रहे हैं। हालांकि, एपीसी ही नहीं, कमिश्नर एग्रीकल्चर का भी पोस्ट राज्य में नहीं है। इसका खुलासा तब हुआ, जब सरकार ने आलोक अवस्थी को कमिश्नर अपाइंट कर डाला। बाद में उनका आर्डर केंसिल किया गया। अब आप समझ सकते हैं…जीएडी के बारे में अब ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है।

ऐसे भी सिकरेट्री

राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश के बाद भी गई प्रभारी सचिव अपने प्रभार वाले जिलों के विकास कार्यां में न रुचि लेते और न ही वहां रात गुजारते। ऐसे नौकरशाहों को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सिकरेट्री दुर्गा शंकर मिश्रा से सीखना चाहिए कि उपर वाले ने अवसर दिया है तो काम कैसे करना चाहिए। मिश्रा कल रायपुर पहुंचे। दिन भर की थकाउं बैठकों के बाद भी वे आज सुबह स्मार्ट सिटी के हेरिटेज वॉक में पैदल घूमे। आज वे राजनांदगांव में रुकेंगे। राज्य बनने के बाद 18 साल में कोई पहला केंद्रीय सचिव होगा, जो छत्तीसगढ़ में दो दिन रुका होगा। और, वह भी पांव-पांव चलकर ग्राउंड वर्क को देखा। नगरीय प्रशासन सचिव रोहित यादव और रायपुर निगम कमिश्नर रजत बंसल को भी पता चल गया कि ऐसे भी ब्यूरोक्रेट्स होते हैं। मीटिंगों और देर रात डिनर के बाद भी मिश्रा ने दोनों को सुबह छह बजे विजिट के लिए बुला लिया था।

राष्ट्रपति के दौरे के बाद

राज्य सरकार अब राष्ट्रपति के बस्तर प्रवास की तैयारियों में जुट गई है। लिहाजा, कलेक्टर, एसपी, आईजी के ट्रांसफर अब कम-से-कम 26 जुलाई तक तो नहीं ही होंगे। इसकी वजह यह है कि बस्तर संभाग के भी कुछ आईएएस, आईपीएस ट्रांसफर में प्रभावित होंगे। दंतेवाड़ा एसपी का बदलना तो तय ही है। इससे पहिले 14 अप्रैल के पीएम विजिट के कारण ही बस्तर के कलेक्टरों का ट्रांसफर रुका था। बस्तर को छोड़ सरकार ने पांच जिलों के कलेक्टरों को बदल दिया था।

उद्घाटन का रिटेक

फिल्मों के सीन का रिटेक तो आपने सुना होगा लेकिन, किसी उद्घाटन का रिटेक नहीं सुने होंगे। लेकिन, नया रायपुर में ऐसा हुआ। दरअसल, नया रायपुर के कनवेंशन सेंटर के इनाग्रेशन से पहले सीएसआईडीसी चेयरमैन छगन मुंदड़ा उद्योगपतियों को स्टॉल का भ्रमण करा रहे थे। इस बीच सीएम मंच पर पहुंच गए। मुंदड़ा को पता चला तो भागते हुए मंच पर गए तब तक सीएम बटन दबा चुके थे। बाद में, आवास पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत ने सीएम से आग्रह किया कि उद्घाटन में चेयरमैन की फोटो नहीं आई है, भाई साब…..। सीएम इशारा समझ गए….मुस्कराए। फिर, मुंंदरा का मान रखने के लिए उन्होंने फिर बटन दबाया। इस बार फ्रेम में मंत्री, चेयरमैन समेत सभी आ थे।

बृजमोहन छाता

विधानसभा चुनाव की रणभेड़ी बजने का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, नेताओं की प्रचार सामग्रियां तैयार होकर गोडाउन में जमा होती जा रही हैं। अलबत्ता, सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल चुनाव प्रचार में सबसे आगे निकल गए हैं। रायपुर में बृजमोहन छाप रंग-बिरंगे छाता बंटने लगे हैं। इसमें मंत्री और कमल की तीन-तीन फोटो लगी हुई हैं। हालांकि, छाता चाइनिज है। लेकिन, बरसात में लोगों के लिए काफी उपयोगी है। इसे फोल्ड करके बैग में रखा जा सकता है। बताते हैं, बृजमोहन इस बार 50 हजार की लीड का टारगेट रखकर तैयारी कर रहे हैं। लेकिन, यह तभी संभव हो पाएगा, जब विपक्ष का प्रत्याशी उनके मापदंड पर खरा उतरे।

एक अनार, सौ बीमार

पीसीसीएफ के दो पदो ंके लिए डीपीसी होने के ढाई महीने बाद भी आदेश नहीं निकल पाया। खबर है, वन विभाग ने पोस्टिंग के लिए नोटशीट उपर भेज दी थी। लेकिन, सीएम ने मंत्री से चर्चा लिख दिया। मंत्री ने इस पर सीएम से चर्चा भी कर ली है। लेकिन, बताते हैं, पसंद, नापसंद के चक्कर में मामला आगे नहीं बढ़ पा रहा। किसी एक नाम पर पीसीसीएफ आरके सिंह को दिक्कत है तो दूसरे पर सरकार को। कश्मकश की वजह है वाईल्डलाइफ। वाइल्डलाइफ एक अनार सौ बीमार जैसे हो गया है। छत्तीसगढ़ के बाहर से भी इस पोस्ट के लिए एप्रोच लगाए जा रहे हैं। अब देखना है, यह कश्मकश कब खतम होता है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. राज्य निर्वाचन कार्यालय में एडिशनल सीईओ की नियुक्ति से 2004 से लेकर 2008 बैच के आईएएस क्यों घबराए हुए हैं?
2. दो ऐसे मंत्री का नाम बताइये, जो अपने विधानसभा इलाके में सबसे ज्यादा काम किया हो और दूसरा सबसे कम?

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