संजय दीक्षित
1 जुलाई 2018
थाने में महासमुंद विधायक विमल चोपड़ा की पिटाई के बाद वहां के आईपीएस उदय किरण को सरकार ने हटा दिया। उन्हें एसटीएफ में असिस्टेंट एसपी बनाया गया है। डंडे से निर्ममतापूर्वक पिटे जाने वाले विधायकजी आईपीएस के सिर्फ ट्रांसफर पर इतने खुश हो गए कि सीएम के साथ ही कैबिनेट में उनके पक्ष में आवाज उठाने वाले मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, प्रेमप्रकाश पाण्डेय और अजय चंद्राकर को धन्यवाद दे डाला। सरकार अगर अफसर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की होती तो पता नहीं खुशी में वे और क्या कर डालते। हालांकि, यह भी साफ है कि विधानसभा का मानसून सत्र सामने नहीं होता तो उदय किरण का ट्रांसफर नहीं होता। आखिर, कार्रवाई होने में दसेक दिन तो लग ही गए। असल में, सरकार नहीं चाहती थी कि इस मसले पर विस में नाहक हल्ला हो। लिहाजा आदेश निकाल दिया। लेकिन, मुख्यमंत्री के आज के बयान से स्पष्ट भी हो गया कि सरकार इस प्रकरण पर क्या सोच रखती थी। सीएम ने रायपुर में मीडिया से कहा, कोई भी विवाद या झगड़़ा एकतरफा नहीं होता। जाहिर है, जांच में यह बात आई है कि भीड़ ने ही पहले थाने में घुसकर उपद्रव किया।
1 जुलाई 2018
थाने में महासमुंद विधायक विमल चोपड़ा की पिटाई के बाद वहां के आईपीएस उदय किरण को सरकार ने हटा दिया। उन्हें एसटीएफ में असिस्टेंट एसपी बनाया गया है। डंडे से निर्ममतापूर्वक पिटे जाने वाले विधायकजी आईपीएस के सिर्फ ट्रांसफर पर इतने खुश हो गए कि सीएम के साथ ही कैबिनेट में उनके पक्ष में आवाज उठाने वाले मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, प्रेमप्रकाश पाण्डेय और अजय चंद्राकर को धन्यवाद दे डाला। सरकार अगर अफसर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की होती तो पता नहीं खुशी में वे और क्या कर डालते। हालांकि, यह भी साफ है कि विधानसभा का मानसून सत्र सामने नहीं होता तो उदय किरण का ट्रांसफर नहीं होता। आखिर, कार्रवाई होने में दसेक दिन तो लग ही गए। असल में, सरकार नहीं चाहती थी कि इस मसले पर विस में नाहक हल्ला हो। लिहाजा आदेश निकाल दिया। लेकिन, मुख्यमंत्री के आज के बयान से स्पष्ट भी हो गया कि सरकार इस प्रकरण पर क्या सोच रखती थी। सीएम ने रायपुर में मीडिया से कहा, कोई भी विवाद या झगड़़ा एकतरफा नहीं होता। जाहिर है, जांच में यह बात आई है कि भीड़ ने ही पहले थाने में घुसकर उपद्रव किया।
राजनीतिक पहुंच के फायदे
छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस टीजे लांग कुमेर के नागालैंड के डीजीपी बनने में उनके राजनीतिक बैकग्राउंड का बड़ा लाभ मिला। उनके ससुर एससी जामेर नेहरु सरकार में मंत्री रहे और मनमोहन सिंह सरकार के समय राज्यपाल। उनका प्रभाव ऐसा था कि मोदी गवर्नमेंट में भी उड़ीसा के राज्यपाल बने रहे। लांग कुमेर की मां भी यूपीएससी की मेम्बर रहीं हैं। और, फिलहाल नागालैंड महिला आयोग की चेयरमैन हैं। उनके परिवार के और लोग भी राजनीति में सक्रिय हैं। इतना तगड़ा बैकग्राउंड का भला लाभ कैसे नहीं मिलेगा।
कलेक्टर निशाने पर
अफसरों पर भाजपा कार्यकर्ता की तरह काम करने का आरोप लगाने वाले पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने इस बार सीधे दुर्ग कलेक्टर उमेश अग्रवाल पर निशाना साधा है। उनकी विवादित जमीन को पाटन की शाला समिति के हवाले करने के कलेक्टर के आदेश पर भूपेश ने कहा है कि दुर्ग के अफसर बीजेपी का बिल्ला लगाकर काम कर रहे हैं। कलेक्टर को अधिकार नहीं है कि उनकी जमीन को शाला समिति के सुपूर्द कर दें। हालांकि, भूपेश को इस बात की तकलीफ ज्यादा होगी कि इस एपीसोड में जोगी कांग्रेस की जीत हो गई। दरअसल, जोगी कांग्रेस ने ही जमीन मामले की शिकायत की थी। सरकार ने इसकी जांच के आदेश दिए थे और कलेक्टर ने जमीन का अधिपत्य निरस्त करते हुए 29 एकड़ जमीन स्कूल को सौंप दिया।
आईएएस की लव स्टोरी!
छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस चंद्रकांत वर्मा ने आठ साल पुरानी दोस्त करिश्मा दुबे से ब्याह रचा लिया। करिश्मा तहसीदार हैं। चंद्रकांत ने शायद आईएएस बनने के बाद ही शादी करने की ठानी थी। इसलिए, मसूरी अकादमी से ट्रेनिंग कर लौटते ही शादी की तारीख पक्की कर दी। हालांकि, आईएएस बनने के बाद कई ऐसे उदाहरण हैं कि लव स्टोरी के नायक या नायिका ने संबंधों से पल्ला झाड़ लिया। क्योंकि, भाप्रसे में सलेक्ट होते ही उनका लेवल बदल जाता है। लेकिन, चंद्रकांत ने आठ साल पुराने रिश्ते को कायम रखते हुए लव स्टोरी को शादी के अंजाम तक पहुंचाया। अलबत्ता, करिश्मा के करिश्मे को भी मानना पडे़़गा कि चंद्रकांत को फैसले से इधर-उधर नहीं होने दिया।
जीएडी कुछ करे
कुंदन कुमार, चंद्रकांत समेत चार आईएएस अफसरों की पिछले तीन महीने में शादियां हुई है। लेकिन, रीतेश अग्रवाल, जगदीश सोनकर समेत कुछ ऐसे आईएएस हैं, जिनकी शादियां अभी तक नहीं हुई हैं। जबकि, ये 2013 बैच के आईएएस हैं। याने प्रशासनिक सेवा में सलेक्ट हुए इन्हें पांच साल हो गए। यद्यपि, शादी करना, न करना किसी भी अफसर का पर्सनल मामला होता है। इसमें कोई जोर-जबर्दस्ती थोड़े ही करेगा। लेकिन, जीएडी को इसकी जानकारी तो रखनी ही चाहिए कि आखिर वजह क्या है। क्योंकि, ऐसे में सरकार का काम तो प्रभावित होता ही है।
उईके की उलझन
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामदयाल उईके पाली-तानाखार से विधायक हैं। इस सीट पर कभी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का सिक्का चलता था। गोंगपा नेता हीरासिंह मरकाम का ऐसा प्रभाव था कि भाजपा और कांग्रेस को वहां पोलिंग एजेंट तक नहीं मिलते थे। मगर अजीत जोगी के शासन काल में हीरासिंह मरकाम का पूरा साम्राज्य खतम हो गया। उन्हें खुद मध्यप्रदेश शिफ्थ होना पड़ा था। इसी वजह से रामदयाल उईके को तानाखार में पनपने का मौका मिल गया। लेकिन, हीरा सिंह की कांग्रेस के साथ नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं। पिछले महीने राहुल गांधी के कोटमी और सरगुजा दौरे में हीरा सिंह उनके साथ मंच पर बैठे थे। जाहिर है, कांग्रेस की यह गोंडवाना समुदाय को साधने की कवादय थी। लेकिन, ऐसे में फिर रामदयाल उईके का क्या होगा। क्योंकि, हीरा सिंह अगर कांग्रेस में शामिल होंगे तो स्वाभाविक तौर पर उनकी पहली शर्त तानाखार सीट होगी। ऐसे में, रामदयाल की चिंता समझी जा सकती है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. क्या छत्तीसगढ़ के किसी आईएएस पर ईडी का शिकंजा कसने वाला है?
2. केडीपी राव की मंत्रालय वापसी होगी या रेवन्यू बोर्ड से ही बिदा हो जाएंगे?
2. केडीपी राव की मंत्रालय वापसी होगी या रेवन्यू बोर्ड से ही बिदा हो जाएंगे?
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