10 फरवरी 2019
भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ मोर्चा खोले सरकार से लगता है एक बड़ी चूक हो गई। सरकार ने डा. एसआर आदिले को डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन बना दिया, जो 2006 में इसी पोस्ट पर रहने के दौरान अपनी बेटी और पूर्व सीएम के पीए की भतीजी को एमबीबीएस में गलत ढंग से दाखिला देकर जेल जा चुके हैं….लंबे समय तक वे सस्पेंड रहे। रायपुर के गोलबाजार थाने में उनके खिलाफ केस रजिस्टर्ड है। हाईकोर्ट ने दोनों का एमबीबीएस का दाखिला निरस्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पांच-पांच लाख रुपए जुर्माना कर ह्यूमन ग्राउंड पर इसलिए बख्श दिया था कि दोनों मेडिकल छात्राएं फायनल ईयर में पहुंच गईं थी। एमबीबीएस में भरती का यह मामला 2006 का है। आदिले ने सेंट्रल पुल से अपनी बेटी और एक्स सीएम के पीए की भतीजी का जगदलपुर मेडिकल कालेज में एडमिशन दे दिया था। जबकि, जगदलपुर नया मेडिकल कॉलेज खुला था और वहां सेंट्रल कोटा का प्रावधान ही नहीं था। चूकि, 13 साल पुराना मामला है, इसलिए न सत्ता में बैठे नेताओं को याद रहा और न मीडिया को। कांग्रेस ने तब इस फर्जीवाड़े के खिलाफ काफी हंगामा किया था। साफ-सुथरी छबि के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को लगता है, गलत फीडबैक मिल गया। क्योंकि, अपने अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में जिस डीन को ले गए हैं, वो भी सिम्स के डीन रहते पिछले साल खरीदी-बिक्री और भरती के मामले में सस्पेंड हो चुके हैं। महाराज को थोड़ा सतर्क रहना होगा।
भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ मोर्चा खोले सरकार से लगता है एक बड़ी चूक हो गई। सरकार ने डा. एसआर आदिले को डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन बना दिया, जो 2006 में इसी पोस्ट पर रहने के दौरान अपनी बेटी और पूर्व सीएम के पीए की भतीजी को एमबीबीएस में गलत ढंग से दाखिला देकर जेल जा चुके हैं….लंबे समय तक वे सस्पेंड रहे। रायपुर के गोलबाजार थाने में उनके खिलाफ केस रजिस्टर्ड है। हाईकोर्ट ने दोनों का एमबीबीएस का दाखिला निरस्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पांच-पांच लाख रुपए जुर्माना कर ह्यूमन ग्राउंड पर इसलिए बख्श दिया था कि दोनों मेडिकल छात्राएं फायनल ईयर में पहुंच गईं थी। एमबीबीएस में भरती का यह मामला 2006 का है। आदिले ने सेंट्रल पुल से अपनी बेटी और एक्स सीएम के पीए की भतीजी का जगदलपुर मेडिकल कालेज में एडमिशन दे दिया था। जबकि, जगदलपुर नया मेडिकल कॉलेज खुला था और वहां सेंट्रल कोटा का प्रावधान ही नहीं था। चूकि, 13 साल पुराना मामला है, इसलिए न सत्ता में बैठे नेताओं को याद रहा और न मीडिया को। कांग्रेस ने तब इस फर्जीवाड़े के खिलाफ काफी हंगामा किया था। साफ-सुथरी छबि के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को लगता है, गलत फीडबैक मिल गया। क्योंकि, अपने अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में जिस डीन को ले गए हैं, वो भी सिम्स के डीन रहते पिछले साल खरीदी-बिक्री और भरती के मामले में सस्पेंड हो चुके हैं। महाराज को थोड़ा सतर्क रहना होगा।
भूपेश और बारिश
सूबे में सीएम भूपेश बघेल और बारिश का अद्भूत संयोग चल रहा है। 17 दिसंबर को भूपेश शपथ लिए, उस दिन इतनी बारिश हुई कि वेन्यू बदलना पड़ा। 26 जनवरी को राजधानी के पुलिस ग्राउंड में उन्होंने झंडा फहराया तो भी सावन जैसी झड़ी लग गई। और, 8 फरवरी को उन्होंने बजट पेश किया तो भी झमाझम बारिश हो गई। वैसे, सीएम बनने के बाद भूपेश भी लगातार बरस ही रहे हैं….। शपथ के दिन से मौसम भी उनका साथ दे रहा है।
अपना मंत्रालय
आईपीएस मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को सरकार ने सस्पेंड कर दिया। भूपेश बघेल के सीएम बनने के बाद सबसे बड़ी ये कार्रवाई होगी। संवेदनशील भी….मुकेश का अपना ओहरा तो है ही, पोस्ट भी डीजी का। इसके बाद भी अवर सचिव ने जो आदेश निकाला, उसमें नान मामले को 2014 की जगह 2004 लिख दिया। बचाव में टंकण त्रुटि….मानवीय भूल कहा जा सकता है। लेकिन, इतने संवेदनशील आदेश में भी ऐसी भूल। दरअसल, मुख्यमंत्री को मंत्रालय के निचले सिस्टम का भी रिव्यू करना चाहिए। आखिर, राज्य में शासन तो यही से चलता है, योजनाओं का क्रियान्वयन यहीं से होता है। अधिकांश विभागों में मैट्रिक पास लोग प्रमोशन पाते-पाते डिप्टी सिकरेट्री, अंडर सिकरेट्री, स्पेशल सिकरेट्री तक पहुंच गए हैं। बाबुओं का बुरा हाल है। पिछले साल एक विभाग को भारत सरकार से 300 करोड़ रुपए मिलने थे। लेकिन, बाबू अलमारी में फाइल रखकर भूल गया। नए सिकरेट्री जब कार्यभार संभाले तो उन्होंने फाइल ढूंढवाई तो पता चला कि डेट निकल गया है। सिकरेट्रीजी को इन्हीं लोगों से काम चलाना है, इसलिए उनकी लाचारगी भी समझी जा सकती है। मगर इससे राज्य का नुकसान होता है।
ब्यूरोक्रेट्स की उम्मीदें
नई सरकार आने के बाद कुछ आईएएस, आईपीएस बेविभाग हुए थे, उनमें एक नाम सौरभ कुमार का भी था। सौरभ को दंतेवाड़ा का कलेक्टर रहने के दौरान इनोवेशन में पालनार बाजार को कैशलेस करने के लिए प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री अवार्ड से नवाजा गया था। लेकिन, बाद में कांग्रेस ने उन पर डिस्ट्रिक्ट माईनिंग फंड की बंदरबांट के आरोप लगाए। यही नहीं, साउथ छत्तीसगढ़ में एक दंतेवाड़ा ही रहा, जिसने बीजेपी की लाज बचाई। सरकार बदली तो सौरभ का ट्रांसफर हो गया। डेढ़ महीने से बिना विभाग के मंत्रालय में बैठ रहे सौरभ की पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई। बताते हैं, सीएम ने सौरभ के पक्ष को गंभीरता से सुना। फिर, बोले…देखते हैं। और, 41 आईएएस की लिस्ट निकली, उनमें सौरभ का नाम आ गया। सौरभ को ज्वाइंट सिकरेट्री स्कूल एजुकेशन बनाया गया है। चलिये, अपने अफसर पर सीएम के बड़ा दिल दिखाने से बाकी बेविभाग नौकरशाहों की इससे उम्मीद जवां हुई है।
2012 बैच की ओपनिंग
भूपेश बघेल की सरकार से ब्यूरोक्रेट्स कितना चैन से हैं ये तो पता नहीं, लेकिन आईएएस के 2011 बैच की खुशी का तो पूछिए मत! इस बैच में छह आईएएस हैं। सभी कलेक्टर बन गए। इस बैच में नीलेश श्रीरसागर, सर्वेश भूरे, दीपक सोनी, विलास भास्कर, चंदन कुमार और संजीव झा हैं। इनके बैचमेट दीगर राज्यों में दूसरे और तीसरे जिले की कलेक्टरी कर रहे हैं। और, यहां श्रीगणेश भी नहीं हुआ था। बहरहाल, 2011 बैच तो कंप्लीट हुआ ही, 2012 बैच की भी शुरूआत हो गई है। इस बैच के रजत बंसल को धमतरी का कलेक्टर बनाया गया है। चलिये, रायपुर जैसे नगर निगम में कमिश्नर के रूप में बिना किसी आरोप के पौने तीन साल सक जाने का उन्हें ईनाम मिला है।
कलेक्टरी का रिकार्ड
मुंगेली जैसे छोटे जिले से कलेक्टरी की शुरूआत करने वाली किरण कौशल ने लगातार चौथे जिले का कलेक्टर बनकर महिला आईएएस में रिकार्ड बनाई है। उनसे पहिले अलरमेल मंगई लगातार तीन जिले की कलेक्टर रहीं। किरण ने चार पुरुष आईएएस की बराबरी कर ली हैं, जिन्होंने बिना विकेट गवाएं चार जिले किए। इस बार माटी पुत्री होने का उन्हें लाभ मिला…..कोरबा जैसे जिले की कलेक्टरी मिल गई।
पहली बार
छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी आईएएस को पशुपालन विभाग का डायरेक्टर बनाया गया है। इससे पहिले वेटनरी डाक्टर इसके हेड होते थे। लेकिन, पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के धमतरी में लंबे समय से कलेक्टरी कर रहे सी प्रसन्ना को इस बार इस विभाग में बिठाया गया है। हालांकि, जिन राज्यों में आईएएस अधिक होते हैं, वहां इस विभाग में डायरेक्टर होते हैं। बहरहाल, प्रसन्ना वेटनरी डाक्टर भी हैं। उनकी पत्नी का भी पशुओं से जुड़ा काम है। इसलिए, नरवा, गरूआ में से गरूआ का काम तो ठीक-ठाक हो जाएगा। लगता है, सरकार ने इसी दृष्टि से यह पोस्टिंग की है।
आईपीएस के बुरे दिन
इस प्रदेश में आईपीएस के बुरे दिन ही चल रहे हैं। एक ही दिन दो आईपीएस सस्पेंड हो गए। पहले आरोप थे कि आईपीएस, आईएएस को निबटा रहे हैं….अब आईपीएस आपस में ही…। प्रमोशन के मामले में भी उनका हाल जुदा नहीं है। थानेदारों जैसा रोने-गिड़गिड़ाने के बाद प्रमोशन देने का पिछले साल जो ट्रेंड शुरू हुआ, इस बरस भी उसमें कोई सुधार नहीं हुआ। एसपी, डीआईजी, आईजी….सब ताक लगाए बैठे हैं। पिछले साल का आपको याद ही होगा….2004 बैच को डीआईजी बनाने में किस तरह लेटलतीफी हुई थी। बताते हैं, भारत सरकार को प्रमोशन का प्रपोजल ही पुलिस महकमे से काफी विलंब से भेजा गया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. राज्य का नया सिकरेट्री फूड क्या कोई 2004 बैच का आईएएस होगा?
2. क्या ये सही है कि सीएम भूपेश बघेल के सस्पेंशन, एफआईआर से राज्य में करप्शन का लेवल एकदम गिर गया है?
2. क्या ये सही है कि सीएम भूपेश बघेल के सस्पेंशन, एफआईआर से राज्य में करप्शन का लेवल एकदम गिर गया है?
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