संजय के दीक्षित
तरकश, 5 अप्रैल 2021
महिला बाल विकास विभाग की एक महिला अधिकारी को हटा दिया गया। बताते हैं, उन्होंने विभाग की सप्लाई लाइन पर नजरें टेढ़ी कर दी थी। आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 10 करोड़ रुपए से अधिक का खिलौना कांड में उन्होंने महकमे के एक रंगा को सस्पेंड करने लिख दिया था। बताते हैं, पाॅलीटेक्नीक काॅलेज के विशेषज्ञों ने खिलौने का टेस्ट कर गंभीर रिपोर्ट दी थी। बच्चों के लिए खरीदे गए खिलौने तय मानक के हिसाब से सही नहीं थे बल्कि किसी लेब का प्रमाण भी नहीं था कि खिलौने में टाॅक्सिन नहीं हैं। महिला अधिकारी ने इसके बाद न केवल रंगा को सस्पेंड करने लिखा बल्कि नए खरीदी की फाइल को रोक दी थी। इसके बाद मामला टर्न हो गया। अधिकारी ने सस्पेंड करने की नोटशीट भेजी और उसके दो दिन बाद 30 मार्च को उनका विभाग बदल गया। और, इसमें हाइट देखिए...30 को उनका ट्रांसफर हुआ और 31 मार्च को विभागीय अधिकारियों ने दोबारा खिलौने खरीदने का आर्डर दे दिया। बुलेट की रफ्तार से ये काम इसलिए किया गया क्योंकि 31 मार्च के बाद बजट लेप्स हो जाता।
आईपीएस से तकरार
एक मंत्री की सीनियर आईपीएस से तकरार इन दिनों खूब चर्चा में है। बताते हैं, मंत्री ने वाहन के मामले पर आईपीएस से सवाल-जवाब किया। आईपीएस ने दो टूक जवाब दे दिया। इस पर मंत्री भड़क गए...बोले, ये बात करने का तरीका नहीं है, सस्पेंड हो जाओगे। आईपीएस ने भी कह दिया, ठीक है सर...सस्पेंड कर दीजिए। हालांकि, आॅल इंडिया के अफसर को सस्पेंड करने का अधिकार मंत्री को नहीं होता। सिर्फ मुख्यमंत्री के पास ये पावर है। मंत्री ने शायइ इसीलिए इसे इश्यू नहीं बनाया।
मंत्री का गुस्सा
लगता है, मंत्री लोगों पर अब सत्ता का नशा हावी होने लगा है। तभी तो बलौदा बाजार रोड पर एक मंत्री ने कार वाले पर हाथ उठाते-उठाते रुके। बताते हैं, मंत्रीजी के सायरन के बाद भी भीड़-भाड़ की वजह से एक कार वाले ने जल्दी साइड नहीं दी। उनकी पायलट गाड़ी ने जब जोर-जोर से सायरन बजाने लगी तो कार वाले ने साइड तो दिया लेकिन, मंत्रीजी को लगा कि उसने गाली देने जैसा कुछ कहा है। उन्होंने तुरंत गाड़ी रुकवाई और नीचे उतर पड़े। उन्होंने पूछा, तूने गाली क्यों दिया। गुस्साते हुए मंत्रीजी ने हाथ उठा लिया था, तब तक पता चला कार वाला आरंग के पास उनके मामा गांव का रहने वाला है। इसके बाद समझाइस देते हुए मंत्री अपने काफिले में निकल गए।
व्हाट एन आइडिया!
सूबे के एक मंत्री ने सेफगेम का अजब तरीका निकाला है। ट्रांसफर का काम बिलासपुर के एक अ-सरदार को सौंप दिया है तो विभागीय खरीदी-बिक्री का काम डौंडी लोहारा के एक व्यापारी संभाल रहे हैं। रायपुर में मंत्री के बंगले में व्यापारी के लिए बकायदा चेम्बर बन गया है। दरअसल, मंत्रीजी को किसी ने सलाह दी कि मंत्री बंगले से अगर जिले के अधिकारियों को फोन जाता है तो उसकी सुनवाई ज्यादा होेती है। मंत्रीजी को सलाह जमी और उन्होंने व्यापारी के लिए बंगले में चेम्बर बनवा दिया। इसके बाद जमकर काम भी हो रहा और मंत्रीजी सुरक्षित भी हैं। है न आइडिया!
ऐसे कलेक्टर
छत्तीसगढ़ में दुर्ग कलेक्टर सर्वेश भूरे के नाम से एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में कलेक्टर हाथ में लाठी लेकर बिना मास्क लगाए तफरी कर रहे लोगों की ठुकाई करते दिख रहे हैं। वीडियो देखकर यकबयक भरोसा नहीं हुआ...छत्तीसगढ़ में लाठी लेकर सड़क पर उतरने वाले ऐसे दमदार कलेक्टर कहां से आ गए। भरोसा सही निकला। वीडियो दुर्ग कलेक्टर का नहीं, मध्यप्रदेश के नागदा जिले का था। चूकि अफसर की शक्ल दुर्ग कलेक्टर से मिलती-जुलती थी, इसलिए किसी ने शरारत करते हुए भूरे के नाम से वायरल कर दिया। हालांकि, ऐसे कलेक्टर पहले छत्तीसगढ़ के लोगों ने भी देखे हैं। उग्र प्रदर्शन होने पर कलेक्टर खुद लाठी लेकर निकल जाते थे। लेकिन, कैमरे वाला मोबाइल आने के बाद कलेक्टरों ने अब हाथ की सफाई दिखाना बंद कर दिया है।
दमदार कलेक्टर?
ठीक है, दुर्ग कलेक्टर ने लाठी से लोगों की पिटाई नहीं की। लेकिन, उन्होंने लाॅकडाउन का सबसे पहले फैसला लेकर दमदारी तो दिखाई। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कलेक्टरों को जरूरत के हिसाब से लाॅकडाउन लगाने का फ्रीडम दिया। इसके अगले दिन दुर्ग कलेक्टर ने लाॅकडाउन का आदेश जारी कर दिया। हालांकि, दुर्ग कलेक्टर के आदेश के बाद आईएएस के व्हाट्सएप ग्रुप में कोहराम मच गया। सवाल उठाया गया कि कलेक्टर ने बिना रायपुर के सीनियर अफसरों को बताए कैसे लाॅकडाउन का फैसला ले लिया...बिना सूचना कलेक्टर ऐसे फैसला कैसे ले सकता है। मगर ये समझना चाहिए कि मुख्यमंत्री के जिले का कलेक्टर बिना उपर में इत्तला किए, ऐसा निर्णय ले सकता है....ये कतई संभव नहीं है।
कभी भी सर्जरी
असम चुनाव प्रचार से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 4 अप्रैल को रायपुर लौट रहे हैं। ब्यूरोक्रेसी में अटकलें है, मुख्यमंत्री के आने के बाद कभी भी कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों की लिस्ट निकल सकती है। दोनों कैडर के अधिकारियों के ट्रांसफर विधानसभा सत्र के पहिले से प्रतीक्षित है। इस बार कलेक्टरों में एक जिले की कलेक्टरी करने वाले अफसरों को दूसरा मौका मिल सकता है। इनमें डाॅ0 प्रियंका शुक्ला का भी नाम है। रायपुर नगर निगम कमिश्नर सौरभ कुमार को सरकार कोई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकती है। हेल्थ में डायरेक्टर नीरज बंसोड़ से लेकर स्पेशल सिकरेट्री सी प्रसन्ना तक के चेंज होने की अटकलें हैं। चूकि शहला निगार हेल्थ में सिकरेट्री बन गई हैं। लिहाजा, अब वहां स्पेशल सिकरेट्री होने का कोई अर्थ नहीं निकल रहा। प्रियंका शुक्ला अगर कलेक्टर बनीं तो कार्तिकेय गोयल को एनआरएचएम का प्रभार दिया जा सकता है।
कार्यकारी अध्यक्ष?
विधानसभा चुनाव में पार्टी की शर्मनाक पराजय के ढाई साल पूरा होने पर बीजेपी आलाकमान ने एक सर्वे कराया है। इसमें रिपोर्ट ये मिली है कि छत्तीसगढ़ में आज अगर चुनाव हो जाए, तो पार्टी को बमुश्किल ढाई दर्जन सीटें मिल पाएंगी। सर्वे के नतीजे से बीजेपी परेशान हो गई है। ढाई साल के एंटी इंकाबेसी के बाद भी पिछले चुनाव की तुलना में दसेक सीटें बढ़ पा रही है। इसको दृष्टिगत रखते पार्टी ने छत्तीसगढ़ के सांगठनिक ढांचे में बदलाव पर गंभीरता से सोचना शुरू कर दिया है। बंगाल चुनाव के बाद क्षेत्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश छत्तीसगढ़ आएंगे। प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी भी इस महीने के अंत में छत्तीसगढ़ आ रही हैं। पता चला है, प्रदेश अध्यक्ष के साथ सूबे में एक कार्यकारी अध्यक्ष अपाइंट करने पर विचार किया जा रहा है। वो भी कुर्मी समुदाय से। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता का दायित्व प्रेमप्रकाश पाण्डेय को सौंपा जा सकता है। आने वाले समय में पार्टी और भी कई फैसले ले सकती है।
अंत में दो सवाल आपस
1- असम चुनाव के बाद लाल बत्ती की दूसरी लिस्ट निकल जाएगी या फिर संगठन चुनाव के बाद?
2. चीफ सिकरेट्री की वीसी में आबादी की तुलना में टीकाकरण का टारगेट ज्यादा मिलने पर किस कलेक्टर ने असंतुष्टि जाहिर ही?
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