रविवार, 8 अगस्त 2021

मंत्रियों का जिला नहीं, पट्टा

 संजय के. दीक्षित

तरकश, 8 अगस्त 2021

छत्तीसगढ़ के एक जिले में 40 करोड़ की खरीदी कागजों में हो गई। कुछ का खुलासा हुआ है, कुछ की अभी जांच चल रही है। पता चला है, इसमें जिले के प्रभारी मंत्री के बेटे की भूमिका अहम रही। उन्होंने अफसरों पर प्रेशर बनाकर ऐसे दुकानों से लाखों की खरीदी का बिल बनवा लिया, जिस दुकान की कुल पूंजी लाख रुपए की नहीं होगी। याने पूरा खेल कागजों में हुआ। हालांकि, कतिपय शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुछ प्रभारी मंत्रियों के प्रभार में फेरबदल किया था। ताकि, जिलों में विकास कार्यों का कोआर्डिनेशन स्मूथली चल सकें। मगर दिक्कत यह है कि प्रभारी मंत्री जिलों को जिला नहीं, अपना पट्टा समझ ले रहे हैं। जिले में जो भी काम हो रहा, उसमें आलपिन भी खरीदा रहा तो कमीशन चाहिए। डीएमएफ में तो 40 परसेंट का रेट चल रहा है। डीएमएफ में अगर प्रभारी मंत्री की कलेक्टर से हिस्सेदारी को लेकर सेटिंग हो गई तो ठीक। वरना, कलेक्टर पर भांति-भांति का प्रेशर। अब कलेक्टर अपना काम करे या प्रभारी मंत्रियों के कुनबों को झेले? कुछ अच्छे कलेक्टरों की परेशानियों को सरकार को नोटिस में लेना चाहिए। 

मंत्रीजी का बेटा!

अभी तक मंत्री पुत्रों की ट्रांसफर, पोस्टिंग के साथ कामकाज में हस्तक्षेप की खबरें आती थीं। लेकिन, अब कुछ ज्यादा ही हो जा रहा...मंत्री की जगह उनके बेटे चीफ गेस्ट बन कार्यक्रमों में पहुंचने लगे हैं। यहां जिस वाकये की चर्चा कर रहे हैं, वह दुर्ग के एक सरकारी स्कूल का है। कोरोना के बाद स्कूल खुलने पर बच्चों को वेलकम करने के लिए शाला में जलसा रखा गया था। इलाके के एक वरिष्ठ मंत्री उसके मुख्य अतिथि थे। चूकि मंत्रीजी का मामला था, लिहाजा स्कूल शिक्षा विभाग ने तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी। स्कूल सज-धजकर तैयार था। किन्तु ऐन समय मंत्रीजी के बेटे को कार से उतरते देख स्कूल वाले हैरान रह गए। मंत्री पुत्र बोले, पापा जरूरी मीटिंग में हैं, इसलिए मैं आ गया। स्कूल वालों को अब काटो तो खून नहीं। किसी तरह जल-भूनकर कार्यक्र्र्रम निबटाया गया। स्कूल विभाग में इसकी खासी चर्चा है।      

सबको राम-राम

31 जुलाई को रिटायरमेंट से पहिले आईएएस सीके खेतान ने एक को छोड़कर सारे पूर्व मुख्य सचिवों को पत्र लिखा। अरुण कुमार से लेकर सुनील कुमार, विवेक ढांड, अजय िंसह, सुनील कुजूर...सभी से मिले मार्गदर्शन को लेकर उन्होंने उन्हें आभार जताया। खेतान ने जिन मंत्रियों और विधायकों के साथ काम करने का अवसर मिला, उन्हें भी शुक्रिया कहा। अजीत जोगी, नंदकुमार पटेल और शक्राजीत नायक अब नहीं रहे। उन्होंने अमित, उमेश और प्रकाश नायक को भी उनके पिता के साथ बिताए वाकये को याद किया। यानी सबको राम-राम। 

प्रायवेट सेक्टर में?

रिटायरमेंट के बाद सीके खेतान क्या करेंगे...ब्यूरोक्रेसी में यह सवाल मौजूं है। पता चला है, खेतान प्रायवेट सेक्टर में जाना चाहते हैं। इसके लिए परमिशन लेने के लिए उन्होंने राज्य सरकार को आवेदन दिया है। आईएएस में नियम है कि रिटायरमेंट के एक साल के भीतर किसी प्रायवेट सेक्टर ज्वाईन करना है तो उसके लिए जिस कैडर से रिटायर हुए हैं, उस राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी। अनुमति मिलने के बाद खेतान फिर कोई कंपनी ज्वाईन करेंगे। हालांकि, उनके पास तीन साल पहले भी एक मल्टीनेशनल कंपनी का बड़ा ऑफर आया था। लेकिन, चीफ सिकरेट्री बनने के चक्कर में उन्होंने उसे ठुकरा दिया था। फिलहाल, खेतान ने अशोका रतन में अपना कार्यालय कम लायब्रेरी बनाया है। वहीं, लोगों से पूरे से मिल रहे हैं। दरअसल, 34 साल तक सुबह 10 बजे आफिस निकलने का ऐसा रुटीन सेट हो जाता है कि अफसरों के लिए रिटायरमेंट के बाद डिप्रेशन की स्थिति बन जाती है। रिटायरमेंट के दिन शाम पांच बजे के बाद सब कुछ खतम। कहां देश चलाते हैं, उसके बाद घर में सिमट जाना। यही वजह है कि अमूमन ब्यूरोक्रेट्स चाहते हैं कि छोटा-मोटा पद ही क्यों न हो, पोस्ट रिटायरमेंट कुछ मिल जाए। इससे होता यह है कि धीरे-धीरे अफसरों की फिर कम पावर, कम सुविधाओं की आदत पड़ जाती है। खेतान की पत्नी ने जरूर इसमें पहल करके पति के लिए रिटायरमेंट से पहले ही आफिस खोलवा दी थी। पति का हौसला अफजाई करने वनिता कहती हैं, पहले ये अकेले काम करते थे, अब हम दोनों काम करेंगे।    

थैंक्स गॉड!

सिकरेट्री सोनमणि बोरा को राज्य सरकार ने सेंट्रल डेपुटेशन के लिए रिलीव कर दिया। बोरा की गए मई में भारत सरकार के भूमि प्रबंधन विभाग में पोस्टिंग मिली थी। तीन महीने निकल जाने के बाद उनके मन में आशंकाएं घूमड़ रही होंगी कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। लेकिन, कामख्या देवी की कृपा रही कि इस असमिया अफसर का सब कुछ ठीक-ठाक हो गया। वरना, निधि छिब्बर का केस सबके जेहन में है ही। निधि को डिफेंस में पोस्टिंग का आर्डर निकलने के बाद भी राज्य सरकार ने रिलीव करने से मना कर दिया था। इस पर केंद्र ने उन्हें सेंट्रल डेपुटेशन से पांच साल के लिए डिबार कर दिया था। निधि फिर कैट की शरण ली। कैट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने उन्हें रिलीव किया। इसके बाद वे दिल्ली में ज्वाईन की। लिहाजा, बोरा के हाथ में जब आदेश मिला होगा....तो जाहिर है उनके मुंह से थैंक्स गॉड निकला होगा। 

सिकरेट्री की फौज़

छत्तीसगढ़ कैडर में कभी सिकरेट्री लेवल पर भारी कमी रही। आलम यह था कि एक अफसर को दो-दो, तीन-तीन विभाग मिल जाता था। इसका लाभ उठाते हुए अफसरों ने खूब मलाई काटी। लेकिन, अब वो स्थिति रही नहीं। 97 बैच से लेकर 2005 बैच तक छत्तीसगढ़ में सचिवों की संख्या 35 हो गई है। सबसे सीनियर सचिव सुबोध सिंह हैं और सबसे जूनियर में 2005 बैच के नीलम एक्का। इन 35 में से 9 डेपुटेशन पर हैं। फिर भी बचे 26। छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य के लिए ये बहुत होते हैं। प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव लेवल पर जरूर स्थिति ठीक नहीं है। एसीएस में तो दो ही बचे हैं। रेणु पिल्ले और सुब्रत साहू। कहां पहले छह-छह, सात-सात एसीएस होते थे। प्रमुख सचिव में भी गिनती के तीन। मनोज पिंगुआ, गौरव द्विवेदी और मनिंदर द्विवेदी। गृह, वन और पंचायत तीन ऐसे विभाग हैं, जिसमें आमतौर पर सीनियर अफसरों का बिठाया जाता है। इसमें सचिव नहीं चलते। उपर लेवल में पांच-छह साल तक यही स्थिति रहेगी, जब 2002, 03 बैच के आईएएस प्रमुख सचिव नहीं बन जाते। उसके बाद फिर उपर लेवल में भी अफसरों की संख्या ठीक-ठाक हो जाएगी।  

हेलिकाप्टर की सवारी

छत्तीसगढ़ में कुछ खास टूरिस्ट केंद्रों के लिए जल्द ही प्रायवेट हेलिकाप्टर की सेवाएं चालू हो सकती है। खासकर, कोरबा के सतरेंगा के लिए। उसके बाद सीजन और जरूरत के हिसाब से मैनपाट के लिए भी। टूरिज्म बोर्ड के नए अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने पदभार संभालते ही इसकी पहल शुरू कर दी है। एक हेलिकाप्टर कंपनी से बात प्रारंभ भी हो गई है। सतरेंगा बन तो अल्टीमेट गया है। 40 किलोमीटर की लंबी झील है। प्रकृति ने सतरेंगा को भरपूर दिया है। लेकिन, सिस्टम ने सड़क नहीं दिया। आप रायपुर से बिलासपुर तक बढ़ियां से पहुंच जाएंगे। मगर उसके बाद रतनपुर से कटघोरा तक सड़क की स्थिति ऐसी है कि एक बार सफर कर लिए तो आप कांप जाएंगे। बहरहाल, सतरेंगा के लिए रायपुर से हेलिकाप्टर सेवा रहेगी। रायपुर में लोगों के पास पईसा की कमी नहीं है। लोग छत्तीसगढ़ को देखना चाहते हैं। मगर सुविधाएं नहीं हैं। घूम-फिरकर वही बारनवापारा। बारनवापारा में उजाड़ का जंगल के अलावा कुछ है भी नहीं। हेलिकाप्टर सर्विसेज अगर प्रारंभ हो गई, तो सूबे के टूरिज्म व्यवसाय को पंख लग जाएगा। 

तीन छुट्टी कील

सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए ये बड़ा पेनफुल होगा, संडे ने उनकी तीन छुट्टियां खराब कर दिया। हरेली, 15 अगस्त और राखी, तीनों रविवार को पड़ रहा है। कल 8 अगस्त को हरेली है। छत्तीसगढ़ में हरेली की छुट्टी रहती है। उसके बाद दो और रविवार ऐसे ही जाएगा। 

अंत में दो सवाल आपसे

1. जोर-तोड़ वाले आईपीएस को झटका देते हुए सरकार ने एसपी लेवल पर फिल्टर कर दिया, कलेक्टरों का फिल्टर कब किया जाएगा?

2. किस सिकरेट्री के चिड़चिड़ापन से कलेक्टर परेशानी महसूस कर रहे हैं?

1 टिप्पणी:

  1. कमोवेश हर जगह यही हाल रहता है, ये बात अलग है कि सामने नहीं आती बात। बात लाएगा भी कौन सब आपसी भाई-बन्द जो बन जाती हैं, मिल बैठ खाने वाले

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