संजय के दीक्षित
तरकश, 14 नवंबर 2021
रायपुर में कलेक्टर और एसएसपी रहने के दौरान आरपी मंडल और अशोक जुनेजा की जोड़ी बड़ी चर्चित रही...उन्हें जय-बीरु कहा जाता था। वक्त का पहिया घूमा...जय चीफ सिकरेट्री बन गए मगर उन्हें ये कसक रह गई...काश! वे और बीरु एक साथ सीएस और डीजीपी होते। चलिये देर से ही सही जुनेजा भी डीजीपी बन गए। उनकी पोस्टिंग के साथ ही चीफ सिकरेट्री के साथ उनकी अनूठी जोड़ी बन गई है। पहला, दोनों एक ही बैच के हैं। अमिताभ जैन 89 बैच के हैं और जुनेजा भी। दूसरा, अमिताभ और अशोक दोनों मेष राशि वाले हैं, दोनों का नाम अ से शुरू होता है। और तीसरा, जो बिरले हीे होते हैं....छत्तीसगढ़ में कभी नहीं हुआ, मध्यप्रदेश में भी किसी को याद नहीं। अमिताभ और अशोक 97 में मध्यप्रदेश के राजगढ़ में कलेक्टर और एसपी रह चुके हैं। और अब सीएस और डीजीपी। जाहिर है, दोनों में ट्यनिंग भी अच्छी है।
कमजोर बॉल पर छक्का
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रेस कांफ्रेंस कर धान खरीदी में लेटलतीफी को देखते सरकार से किसानों को धान का रेट 28 सौ रुपए क्विंटल देने की मांग की। लेकिन, ये मामला उल्टा पड़ गया। मुख्यमंत्री ने धरम के बॉल लांग ऑन पर छक्का जड़ दिया। उन्होंने 28 सौ का ऐलान ही नहीं किया बल्कि कैलकुलेशन भी बता दिया कि चुनाव आते-आते किस तरह छत्तीसगढ़ के किसानों को धान का रेट 28 सौ मिलने लगेगा। बीजेपी सरकार में 18 सौ में धान खरीदती थी। अब अगर हजार रुपए ज्यादा मिलेगा तो समझा जा सकता है क्या होगा? बीजेपी को बैट्समैन को देखते बॉल फेंकना चाहिए।
डीजीपी की बिदाई!
अशोक जुनेजा से पहिले छत्तीसगढ़ में 10 डीजीपी हुए। उनमें से सिर्फ चार ही डीजीपी किस्मती रहे, जो पुलिस प्रमुख की कुर्सी से बिदा हुए। बाकी को किन्हीं-न-किन्हीं वजहों से बीच में ही रुखसत होना पड़ा। टेन्योर पूरा न करने वालों में पहला नाम छत्तीसगढ़ के पहले डीजीपी श्रीमोहन शुक्ला का है। उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले अजीत जोगी ने हटाकर पीएससी का फर्स्ट चेयरमैन अपाइंट कर दिया था। उनके बाद वीके दास अपना टेन्योर कंप्लीट कर पाए मगर अशोक दरबारी के साथ भी ऐसा ही हुआ। उन्हें रमन सिंह ने रिटायरमेंट से पहले पीएससी की कमान सौंप दी। दरबारी के बाद डीजी बनें ओपी राठौर का एक कार्यक्रम में भाषण देते समय दिल का दौरा पड़ने से नहीं रहे। सबसे बूरा हुआ सबसे ताकतवर डीजीपी विश्वरंजन का। दो साल तक तो उनका जलजला सबने देखा। लेकिन, बाद में रमन सरकार इस तरह खफा हुई कि वे बेटी से मिलने अहमदाबाद जा रहे थे....अहमदाबाद एयरपोर्ट पर फ्लाइट से जैसे ही वे उतरे चीफ सिकरेर्ट्री पी जाय उम्मेन ने उन्हें फोन कर बताया कि सरकार ने आपको हटाकर अनिल नवानी को डीजीपी बना दिया है। उनके बाद दिसंबर 2018 में जब सरकार बदली तो डीजीपी एएन उपध्याय को हटाकर हाउसिंग कारपोरेशन भेज दिया गया। और अब डीएम अवस्थी रिटायरमेंट से करीब डेढ़ साल पहले डीजी पद से बिदा हो गए। बहरहाल, वीके दास, आरएलएस यादव, नवानी और रामनिवास...ये चार ही आईपीएस ऐसे हुए छत्तीसगढ़ में, जो डीजीपी की कुर्सी से रिटायर हुए।
आईजी, एसपी रोड पर
सरकार चाहे तो कुछ भी संभव है और पुलिस चाहे तो परिंदा पर नहीं मार सकता.... मुख्यमंत्री के पुलिसिंग पर तीखे तेवर के बाद ये साफ हो गया है। आईजी और एसपी वातानुकूलित कमरों से निकलकर रोड पर कुर्सी-टेबल लगाए बैठे दिख रहे हैं। ऐसा दृश्य छत्तीसगढ़़ में कभी दिखा नहीं। रायपुर पुलिस ने एक ही दिन में तीन कमरों में भरा 60 लाख का हुक्का सामग्री पकड़ लिया। दूसरे जिलों में भी ऐसी ही दबिश दी जा रही। मगर ये दो-चार दिन दिखावे के लिए नहीं होनी चाहिए। अगर ये कंटीन्यू कर गया तो निश्चित तौर पर क्राइम पर अंकुश लगेगा। वैसे भी पुलिस चाह ले तो 70 परसेंट अपराध कम हो जाएं। आखिर, हम सभी बचपन से सुनते आएं हैं...पुलिस को सब पता होता है। बस सीएम को महीने-दो महीने में एक बार रिव्यू कर अपना तेवर दिखाते रहना होगा।
22 दिन में दूसरा फंक्शन
कोरोना के बाद आईएएस एसोसियेशन एक्शन में आ गया है। 21 अक्टूबर को कलेक्टर कांफ्रेंस के बाद होटल सयाजी में बड़ी पार्टी हुई और अब 13 नवंबर को 21 रिटायर आईएएस अफसरों का फेयरवेल देने के साथ ही दिवाली मिलन किया जा रहा है। याने 22 दिन में दूसरी पार्टी। हालांकि, आज की पार्टी में अफसरों को 21 अक्टूबर वाला सेलिब्रेशन का आनंद नहीं आएगा। इसमें सिर्फ डिनर होगा क्योंकि, आज के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रहेंगे।
स्पीकर खफा
एक सीनियर मंत्री के ढीले-ढाले रवैये से विधानसभा अध्यक्ष इतने नाराज हैं कि एक रोज उनके मुंह से निकल गया...अब मैं कभी कोई काम नहीं बोलूंगा। उनके एक बेहद करीबी बताते हैं, मंत्री को किसी काम के लिए भैया ने तीन महीने में तीन बार रिमाइंड किया। उसके बाद भी आदेश नहीं निकला।
ऐसे भी स्पीकर
छत्तीसगढ़ बनने के बाद दबंग कांर्ग्रेस नेता राजेंद्र प्रसाद शुक्ल विधानसभा के स्पीकर बनाए गए थे। एक बार उनके कोटा निर्वाचन क्षेत्र में उपद्रव के बाद कर्फ्यू
लग गया। पुलिस ने लोगों पर जमकर लाठियां भांजी। शुक्लाजी ने एसपी को फोन किया। उसके बाद भी पुलिस की कार्रवाई नहीं रुकी। इसके बाद उन्होंने तेवर दिखाया...वे मैसेज कराए, पुलिस अगर अब भी नहीं रुकी तो विधानसभा में सिस्टम को नंगा कर दूंगा। उनके मैसेज का असर यह हुआ कि तत्कालीन गृह मंत्री नंदकुमार पटेल भागते हुए शुक्लाजी के बंगले पहुंचे....खेद जताया। सीएम ने भी तब के एसपी को फटकार लगाई। तब जाकर मामला शांत हुआ।
अंत में दो सवाल आपसे
1. इस बात में कितन सत्यता है कि डीजीपी की कुर्सी जाने में उद्योगपति सोमानी अपहरण कांड में पुलिस टीम को इंक्रीमेंट न मिलना भी एक वजह रही?
2.राज्यपाल ने सबको चौंकाते हुए झीरम कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट सरकार को कैसे भेज दी?
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