तरकश, 2 नवंबर 2025
संजय के. दीक्षित
भड़के सीजे...सहमे अफसर
31 अक्टूबर 2000 की रात छत्तीसगढ़ का रायपुर कई सियासी और ब्यूरोक्रेटिक घटनाओं का साक्षी बना। इनमें से एक था बिलासपुर हाई कोर्ट के एक्टिव चीफ जस्टिस बनाए गए आरएस गर्ग की नाराजगी। दरअसल, 31 अक्टूबर की आधी रात रायपुर के पुलिस ग्राउंड में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया था। मंच पर पहले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गर्ग ने शपथ ग्रहण की। चूकि उस समय राज्यपाल ने शपथ नहीं लिया था, इसलिए नवगठित प्रदेशों की परंपरा के अनुसार मुख्य न्यायाधीश ने मंच पर खुद से शपथ लिया। इसके पांच मिनट बाद चीफ जस्टिस ने प्रथम राज्यपाल दिनेशनंदन सहाय को शपथ दिलाई और फिर उसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री अजीत जोगी को। बहरहाल, अब शीर्षक पर आते हैं। चीफ जस्टिस नियुक्त होने के बाद जस्टिस गर्ग 31 अक्टूबर की शाम रायपुर पहुंचे। रात 12 बजे उन्हें शपथ लेना था। शाम करीब सात बजे प्रथम मुख्य सचिव अरुण कुमार वीआईपी रोड स्थित उस जमाने के एक ठीकठाक होटल में उनसे मिलने पहुंचे। मुलाकात के बाद चीफ सिकरेट्री बोले, सर... मैं निकलता हूं...प्रिंसिपल सिकरेट्री लॉ आपको पुलिस ग्राउंड लेकर जाएंगे। इस पर जस्टिस गर्ग भड़क गए। बोले, मैं चपरासी के साथ जाउंगा मगर इनके साथ नहीं। बताते हैं, चीफ जस्टिस किसी मसले को लेकर पीएस लॉ से काफी नाराज थे। सीजे के तेवर देख वहां मौजूद अफसर सहम गए। फिर राजधानी परियोजना के प्रशासक एमके राउत से कहा गया...आप सीजे साहब को लेकर शपथ स्थल पर जाओगे। बता दें, ज्यूडिशिरी में जस्टिस गर्ग की अपनी अलग पहचान रही। सूबे का सिस्टम उनके नाम से थर्राता था...तो वकीलों को भी वे टोकने से गुरेज नहीं करते थे।
रात 10 बजे कैडर बंटवारा
हालांकि, 31 अक्टूबर से दो दिन पहले मध्यप्रदेश के चीफ सिकरेट्री कृपाशंकर शर्मा ने दो-तीन सीनियर अफसरों को बुलाकर बता दिया था कि आपको छत्तीसगढ़ जाना है। उनके निर्देश पर फर्स्ट सीएस अरुण कुमार रायपुर पहुंच चुके थे। 31 की आधी रात शपथ ग्रहण समारोह हुआ, उसमें सचिवालय के ब्यूरोक्रेट्स के तौर पर अकेले अरुण कुमार मौजूद थे। बहरहाल, कैडर बंटवारे में एमपी गवर्नमेंट द्वारा काफी चतुराई बरती गई। वहां के सीएम दिग्विजय सिंह ने कैडर बंटवारे का ऐसा फार्मूला तैयार कराया, उसमें चार-पांच ही ठीक-ठाक आईएएस छत्तीसगढ़ को मिल पाए, अधिकांश रिजेक्टेड को छत्तीसगढ़ को टिका दिया गया। कोई कोर्ट न जा पाए, इसलिए उसके लिए टाईम नहीं दिया गया। 31 अक्टूबर को आधी रात नई सरकार का गठन होना था, और उसके दो घंटे पहले रात 10 बजे डीओपीटी से कैडर बंटवारे का आदेश आया। और, अगले दिन 1 नवंबर को सभी अफसरों को भोपाल से एकतरफा रिलीव कर दिया गया।
आधी रात पोस्टिंग लिस्ट
मध्यप्रदेश सरकार ने सीनियरिटी के हिसाब से मुख्य सचिव, डीजीपी और पीसीसीएफ की नियुक्ति दो दिन पहले कर दी थी, मगर बाकी सचिवों के विभागों का बंटवारा 31 अक्टूबर की आधी रात को तब किया गया, जब डीओपीटी से कैडर बंटवारे की लिस्ट जारी हो गई। आलम यह था कि एक तरफ रायपुर में नई सरकार के शपथ समारोह चल रहा था, दूसरी तरफ भोपाल में नए सचिवों के विभाग वितरण का आदेश टाईप हो रहा था। नए राज्यों में यही नियम है, इसलिए 18 विभागों के सचिवों की पोस्टिंग की पहली लिस्ट भोपाल से जारी हुई। करीब चारेक महीने बाद फिर जोगीजी ने कुछ सचिवों के विभाग बदले थे।
रात 2 बजे सिंगल मेंबर कैबिनेट
छत्तीसगढ़ के 25 साल के इतिहास में सिंगल मेंबर वाला कैबिनेट सिर्फ एक बार हुआ है। 31 अक्टूबर की रात 12 बजे अजीत जोगी ने अकेले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उसके दो दिन बाद उनके 24 कैबिनेट और राज्य मंत्रियों की शपथ हुई। बहरहाल, शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री को एक मैसेज देना था। सो, शपथ समारोह के बाद जोगी ने अतिथियों को विदा किया। इसके बाद सीएस अरुण कुमार से कहा, कैबिनेट की बैठक अभी करनी है, चलिये मंत्रालय। चूकि मंत्रिमंडल बना नहीं था। सो, सिंगल मेंबर से कैबिनेट की बैठक हो गई। उसमें सूबे में पड़े सूखे को लेकर कई अहम फैसले किए गए।
एकतरफा रिलीव
31 अक्टूबर की रात कैडर बंटवारे का आदेश आने के बाद जिन आईएएस अधिकारियों को एमपी जाने का आदेश हुआ था, वे काम में दिलचस्पी लेना बंद कर दिए थे। उनमें रायपुर कलेक्टर अजय तिर्की समेत कई अफसर शामिल थे। मुख्यमंत्री अजीत जोगी को जब यह पता चला तो उन्होंने तुरंत आदेश निकाल एकतरफा रिलीव करवा दिया। एमपी कैडर के सिर्फ एकमात्र आईसीपी केसरी बच गए थे, जो राज्य बंटवारे के करीब पांच साल बाद 2005 में भोपाल लौटे।
ब्यूरोक्र्रेसी के लिए लॉटरी?
अलग राज्य बनने की खुशी छत्तीसगढ़ में सबको थी। मगर एक वर्ग ऐसा था, जो लंबे समय तक बेहद दुखी रहा। वह थी नौकरशाही। असल में, इक्का-दुक्का को छोड़ दें 99 परसेंट आईएएस, आईपीएस भोपाल जैसा शहर छोड़ रायपुर आना चाहते नहीं थे। उन्हें जबरिया वहां से ढकेला गया। लिहाजा, नाराज होकर दर्जन भर आईपीएस अधिकारी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गए। मगर यह भी सच हैं कि जो लोग अपना च्वाइस देकर छत्तीसगढ़ आए, उनमें से एक भी चीफ सिकरेट्री या डीजीपी नहीं बन पाए। राज्य बनने के 25 साल में अभी तक जितने भी मुख्य सचिव और डीजीपी बने हैं, सभी छत्तीसगढ़ आने के पक्ष में नहीं थे। पिछड़ा, नक्सल प्रभावित परसेप्शन वाला वही छत्तीसगढ़ 2003 के बाद ब्यूरोक्रेसी के लिए टॉप के चमकदार राज्यों में शामिल हो गया। स्थिति यह है कि अब अफसर च्वाइस देकर छत्तीसगढ़ आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री का फैसला
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के फैसले के बाद प्रथम मुख्यमंत्री के नामों को लेकर अटकलें तेज हो गई थी। इनमें पहला नाम विद्या भैया याने वीसी शुक्ला का था। जाहिर है, राज्य बनने से पहले विद्या भैया ने छत्तीसगढ़ संघर्ष समिति बनाकर रायपुर से लेकर दिल्ली तक लंबा आंदोलन चलाया था। विद्या भैया की सियासी उंचाइयों को राजनीतिक प्रेक्षक भी मानकर चल रहे थे कि इंदिरा गांधी कैबिनेट में रहे वीसी भैया को कांग्रेस पार्टी प्रथम मुख्यमंत्री बना देगी। मगर 31 अक्टूबर 2000 को दिल्ली फ्लाइट से पार्टी महासचिव प्रभा राव, मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पार्टी के सचिव गुलाम नबी आजाद रायपुर पहुंचे तो एयरपोर्ट पर इनमें से किसी ने अपने परिचित को अजीत जोगी का नाम लीक कर दिया। इससे वीसी खेमे में खलबली मच गई। हालांकि, तब भी उनके समर्थकों में चमत्कार की उम्मीद बची हुई थीं। मगर दोपहर में मुख्यमंत्री चयन के लिए बैठक हुई और दिग्विजय सिंह ने जेब से निकाल अजीत जोगी के नाम का पुड़िया खोला, तो वीसी खेमा का गुस्सा फट पड़ा। चूकि वीसी को भनक लग गई थी कि उनका नाम कट गया, इसलिए वे बैठक में नहीं पहुंचे। सीएम बनाने आए कांग्रेस पार्टी के प्रेक्षकों ने मीटिंग के बाद प्रेस को ब्रीफ किया। इसके बाद प्रभा राव, दिग्विजय सिंह और गुलाम नबी आजाद वीसी की नाराजगी दूर करने उनके फार्म हाउस पहुंचे। तब न नेताओं को अंदाज था और न पुलिस को कि फार्म हाउस की सुरक्षित उंची चाहरदिवारी के भीतर कोई बड़ी घटना हो सकती है। तीनों नेता कार से उतरकर पैदल चलते हुए जैसे ही बरामदे में प्रवेश करते, उससे पहले वीसी समर्थकों ने नारेबाजी करते हुए धक्कामुक्की कर दी। दिग्विजय सिंह से शुरू से ही वीसी से सियासी रिश्ते अच्छे नहीं रहे, उपर से सोनिया गांधी के दूत बनकर वे रायपुर पहुंचे थे, इसलिए वीसी समर्थकों का गुस्सा उन पर फट गया। धक्कामुक्की में प्रभा राव गिर पड़ी, मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ क्या हुआ, यहां लिखना वाजिब नहीं, मगर उनका कुर्ता फट गया था। तब तक विद्या भैया भीतर से दौड़ते हुए आए, समर्थकों को हटाया और फिर तीनों नेताओं को भीतर ले गए। हालांकि, आपको आश्चर्य होगा कि मुख्यमंत्री के साथ ऐसी घटना कैसे हो सकती है? तो इसकी वजह सुरक्षाकर्मियों का ओवर कांफिडेंस रहा। असल में, किसी हाई प्रोफाइल पॉलीटिशियन के घर कोई बड़ा नेता जाता है तो मानकर चला जाता है कि वहां वैसी चौकसी की जरूरत नहीं होती। सुरक्षा कर्मियों को तनिक भी अहसास नहीं हुआ कि वीसी समर्थक तीनों को देखते इस तरह आपा खो देंगे। विद्या भैया का औरा ऐसा था कि न ही किसी ने इस घटना को तूल दिया और न ही किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई।
कमाल के मुख्यमंत्री
मध्यप्रदेश के लगातार 10 बरस मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह का गजब व्यक्तित्व रहा। उनका छत्तीसगढ़ से सीधा कोई कनेक्शन नहीं था, मगर यहां की सियासत में उनकी गहरी रुचि रही। मुख्यमंत्री के तौर पर शायद ही कोई महीना गुजरा होगा, जब दिग्गी राजा छत्तीसगढ न आए हों। बहरहाल, बात 31 अक्टूबर के वीसी शुक्ला फार्म हाउस की घटना की। एरिया में सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री के साथ इतनी बड़ी घटना होने के बाद तो दूसरा कोई होता तो उसी समय गुस्से में वापिस लौट गया होता। मगर दिग्गी राजा ने होटल में जाकर कुर्ता बदला और तैयार होकर बिलासपुर हाई कोर्ट का मुआयना करने चले गए। चकरभाटा हवाई पट्टी से जब से हाई कोर्ट पहुंचे तो फार्म हाउस की घटना का उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं था। पत्रकारों ने जब उनसे इस संबंध में सवाल पूछा तो चिरपरिचित ठहाका लगाते हुए बात बदल दिया।
स्पीकर हाउस और संयोग
पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में बदलाव होने से नवा रायपुर के नवनिर्मित विधानसभा अध्यक्ष बंगले को एक बड़े संयोग से वंचित होना पड़ गया। दरअसल, मोदी का जब प्रोग्राम तय हुआ, उस समय बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान नहीं हुआ था। सो, पीएम का 31 अक्टूबर की शाम रायपुर आकर एक नवंबर को शाम वापिस लौटना था। राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आमतौर पर राजभवन में रुकते हैं। मगर रायपुर शहर से नवा रायपुर के डिस्टेंस को देखते अफसरों ने तय किया था कि नवनिर्मित स्पीकार हाउस को एक दिन के लिए पीएम हाउस बनाया जाए। इस दृष्टि से पीडब्लूडी ने युद्ध स्तर पर बंगले की साज-सज्जा शुरू कर दी थी। पीएमओ और एसपीजी से भी प्रधानमंत्री को स्पीकर हाउस में रुकने के संदर्भ में औपचारिक सहमति मिल गई थी। मगर बिहार इलेक्शन के चलते पीएम मोदी का प्रोग्राम चेंज हो गया। वे एक नवंबर को सुबह आएं। उनका शेड्यूल इतना टाईट था कि टी या लंच के लिए भी फुरसत नहीं था। ऐसे में, फिर रेस्ट करने स्पीकर हाउस जाने का प्रश्न नहीं था।
आईएएस बनने इंटरव्यू
एलॉयड सर्विस कोटे से आईएएस के दो पदों के लिए 30 अक्टूबर को मंत्रालय में इंटरव्यू हुआ। चीफ सिकरेट्री विकासशील की अध्यक्षता में हुए साक्षात्कार में एसीएस मनोज पिंगुआ, सिकरेट्री रोहित यादव और रजत कुमार शामिल थे। इसमें विभिन्न विभागों के राजपत्रित कैडर के 16 अफसरों ने इंटरव्यू दिया। लोकल स्तर पर स्क्रूटनी कर एक पद के खिलाफ पांच नामों का पेनल बना यूपीएससी को भेजा जाएगा। यूपीएससी में फायनल मीटिंग के बाद फिर दो आईएएस अधिकारियों का नोटिफिकेशन जारी होगा। बता दें, अनुराग पाण्डेय और शारदा वर्मा के रिटायर होने के बाद एलॉयड कोटे से आईएएस के दो पद खाली हुए हैं। छत्तीसगढ़ में इस समय तीन का कोटा है। एक पर गोपाल वर्मा कवर्धा के कलेक्टर हैं, दो पर सलेक्शन होना है।
ऐतिहासिक आयोजन
पीएम नरेंद्र मोदी का रायपुर का आज का कार्यक्रम ऐतिहासिक रहा। राज्य बनने के बाद पिछले 25 साल में किसी प्रधानमंत्री का इतना टाईट शेड्यूल और स्मूथली प्रोग्राम नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ क्या, किसी और राज्य में विरले ही कभी होता होगा, जहां छह घंटे में पीएम के पांच कार्यक्रम होते होंगे। उसमें भी तीन में भाषण। एक रोड शो। हॉस्पिटल में बच्चों से संवाद। 50 हजार से उपर भीड़। वो भी बिना किसी बाधा और बवाल के। पीएम का भाषण का अंदाज भी आज अलग रहा। अपने उद्बोधन में उन्होंने डेवलपमेंट से लेकर सेवा, बौद्धिक और अध्यात्म को टच किया।
जिला प्रशासन का रिर्हसल
पीएम नरेंद्र मोदी के दिन भर के सफल कार्यक्रम से रायपुर जिला प्रशासन का बड़ा रिहर्सल हो गया। दरअसल, इसी महीने 28, 29 और 30 को डीजीपी कांफ्रेंस होनी है। उसमें पीएम मोदी करीब पौने तीन दिन रायपुर में रहेंगे। पूरे दो रात। 28 नवंबर की शाम रायपुर पहुंचेंगे और 30 नवंबर को शाम यहां से रवाना होंगे। जाहिर है, आज के पीएम विजिट से रायपुर जिला और पुलिस प्रशासन के लिए अगले पीएम विजिट के लिए कांफिडेंस बढ़ गया होगा।
अंत में दो सवाल आपसे?
1. छत्तीसगढ़ में डिप्टी कलेक्टर्स और डीएसपी की संख्या जिस कदर बढ़ गई है, उसमें क्या यह वाजिब होगा कि पीएससी परीक्षा में इन दोनों सर्विसों में कुछ ब्रेक दिया जाए?
2. बिलासपुर गोली कांड में कांग्रेस नेता के करीबी मुख्य आरोपी को रायपुर के किस राजनेता के बंगले से गिरफ्तार किया गया?