शनिवार, 10 मार्च 2012

तरकश, 11 मार्च




दुआओं का असर
लोग कहते हैं, हिंजड़ों की दुआओं में बड़ा असर होता है। अपने जोगीजी के लिए तो यह एकदम सही उतरता दिख रहा है। पिछले महीने बिलासपुर में हुए हिंजड़ों के राष्ट्रीय सम्मेलन में जोगीजी भी पहंुचे। उन्होंने झोली फैलाई.....आपकी दुआओं में बड़ा असर होता है और ऐसी दुआएं दीजिए कि अगली बार अपने पैरों पर चलकर आपसे आर्शीवाद मांगने आउं। और लगता है, यह कबूल हो गई। यह खबर खूब चर्चा में है, न्यूजीलैंड की चिकित्सकों की टीम 16 मार्च से जोगीजी को पैरों पर खड़ा करने के लिए एक बड़ा आपरेशन शुरू करने जा रही है। उनके पैरों में इलेक्ट्रानिक्स रोबोट की तरह इलेक्स सिस्टम लगाया जाएगा। डाक्टरों का दावा है, इसके बाद व्हील चेयर से निजात मिल जाएगी। और तेजी से तो नहीं मगर अपने काम के हिसाब से चल-फिर सकेंगे। जोगीजी खड़े होंगे....इस खबर से जाहिर है, कांग्रेस के उनके भाई-बंधुओं का दिल तो बैठ ही रहा होगा। व्हील चेयर पर ही साब तूफान मचाए रखते हैं, तो अब आगे का आलम क्या होगा....। 


लोकल धु्रव
मध्यप्रदेश की आरटीआई कार्यकर्ता शहला मसूद हत्याकांड में सीबीआई को अहम सूत्र हाथ लगने के बाद छत्तीसगढ़ के ध्रुवों की हालत खराब हो रही है। असल में, अपने यहां भी कई धु्रव हैं। पक्ष-विपक्ष दोनों में। बस, भाग्य का अंतर है। मध्यप्रदेश के धु्रव की किस्मत खराब थी। डबल गेम खेलने केे चक्कर में मारे गए। अपने यहां सिंगल वाला मामला है। और समय ठीक है। सो, कई का मामला सार्वजनिक होने के बाद भी कुछ बिगड़ नहंी रहा है। मगर नेताजी के जानने वालों का कहना है, शहला मामले के बाद भैयाजी लोग अब सतर्कता बरतने लगे हैं।  


बुरा हाल
अपने यहां जिस सेक्टर में सबसे अधिक सुधार की दरकार है, वही सबसे अधिक चलताउ अरेंजेमेंट का शिकार है। बात उच्च शिक्षा की हो रही है। इस विभाग की स्थिति क्या है, यह समझने के लिए इतना काफी है कि पिछले पांच साल में पांच सिकरेट्री बदल गए और अब छठवें की तैयारी है। केडीपी राव से शुरू हुआ, इसके बाद पी रमेश कुमार, फिर केडीपी राव, एमके राउत, सीके खेतान। खेतान डेपुटेशन पर दिल्ली जा रहे हैं और सारी औपचारिकताएं लगभग पूरी हो गई है। अगले हफ्ते किसी भी दिन वे रिलीव हो जाएंगे। खबर है, अब आरसी सिनहा, केडीपी राव या निधि छिब्बर में किसी का नम्बर लग सकता है। सिनहा की मंत्रालय में वापसी तो हो गई है मगर उनके पास काम कोई खास नहीं है। और छिब्बर की भी लगभग यही स्थिति है। बहरहाल, सब जगह यही सवाल है, अगले सिकरेट्री कितने महीने टिकेंगे। 


बड़ा खेल
किसी को हवा नहीं लगी और वन विभाग में कई पेटी का खेल हो गया। कुछ डीएफओ को मिड टर्म ट्रेनिंग में विदेश जाना था। मगर सीजन में कैसे जाएं.....मार्च चल रहा है और 40 फीसदी बजट को इधर-उधर करने का खेल इसी महीने में होता है, सो विदेश जाने का मतलब था, बड़ा नुकसान कराना। सो, एकराय होकर पेटियों का बंदोबस्त किया गया। और जब पेटी और खोखा हो जाए तो टे्रनिंग की परवाह किसे। आदेश हो गया, बजट सत्र की वजह से अधिकारियों को टे्रनिंग पर नहीं भेजा जा रहा है। जबकि, आल इंडिया सर्विसेज के अफसरों के लिए मिड टर्म ट्रेनिंग आवश्यक होता है। स्पेशल केस में इसकी इजाजत मिलती है। और इससे पहले भी विधानसभा के समय अधिकारी ट्रेनिंग में गए हैं। लेकिन मनीराम के सामने काहे का नियम-कायदा। 

संकट
वन विभाग छोड़कर डेपुटेशन पर जमे आईएफएस अधिकारियों के लिए बुरी खबर है। खास कर उनके लिए, जो बरसों से बाहर हैं और भूल भी चुके हैं कि वे वन विभाग के अधिकारी हैं। ऐसे अधिकारियों को वन मुख्यालय भेजने की तैयारी की जा रही है। इनमें नगरीय आयुक्त संजय शुक्ला, माइनिंग कारपोरेशन के एमडी राजेश गोवर्धन जैसे दर्जन भर अधिकारी हैं। एसएस बजाज चूकि न्यू रायपुर बना रहे हैं और उनकी छबि अलग टाईप की है, इसलिए वे अपवाद रहेंगे। मुख्यमंत्री के एक करीबी अधिकारी की मानें तो अब फ्रेश आईएफएस अधिकारियों को मौका दिया जाएगा। याने जो डेपुटेशन में राज्य शासन में नहीं आए हैं।


भाई-भाई
भाजपा और कांग्रेस, दोनों पार्टियों के नेताओं को यूपी चुनाव से बड़ी उम्मीदें थीं। कांग्रेसी नेताओं को तो और भी ज्यादा। 6 मार्च को सुबह से ही टीवी के सामने बैठ गए थे......युवराज का कोई चमत्कार हुआ कि हम यहां चढ़ाई कर दें। सामने ही विधानसभा का बजट सत्र था। सो, माहौल बनाने के लिए इससे बढ़ियां अवसर भी भला कहां मिलता। इधर, सत्ताधारी पार्टी को भी शिद्दत से इंतजार था, कुछ ठीक-ठाक हो जाए तो यूपी में मंदिर बनें-न-बनें हम तीसरी बार सरकार जरूर बना लेंगे। लेकिन दोनों की स्थिति भाई-भाई वाली रही। न युवराज चले और न साध्वी। इसलिए बजट सत्र के हंगामेदार रहने की उम्मीद तो कांगे्रेस नेताओं को भी नहीं है। 


अंत में दो सवाल आपसे
1. राजनांदगांव में लेंको को पानी देने के मसले को सीएसआईडीसी के चेयरमैन बद्रीधर दीवान ने पहले बोर्ड की बैठक में लाने से मना कर दिया और बाद में कैसे ओके कर दिया?
2. 19 मार्च को निवर्तमान चीफ सिकरेट्री पी जाय उम्मेन रायपुर आ रहे हैं, उनकी अगुवानी कौन करेंगा?

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