शनिवार, 3 मार्च 2012

तरकश, 4 मार्च


बैड न्यूज
पिछले फेरबदल में अछूते रहे रमन सरकार के कुछ मंत्रियों की खुशी लगता है, ज्यादा दिनों कायम नहीं रह पाएगी। उनके लिए एक बैड न्यूज है......बजट सत्र के बाद रमन सिंह कुछ और मंत्रियों के विभाग बदलेंगे और वह फिर आखिरी फेरबदल होगा। दूसरी सूची में बृजमोहन अ्रग्रवाल, ननकीराम कंवर, चंद्रशेखर साहू, केदार कश्यप और लता उसेंडी का नम्बर लग सकता है। केदार के पास पिछले आठ साल से पीएचई है। लता उसेंडी और केदार के बीच खेल और युवक कल्याण तथा पीएचई की अदला बदली हो सकती है। विक्रम उसेंडी का कद और बढ़ सकता है। उसेंडी को गृह भी मिल जाए तो अचरज नहीं। पिछले चेंज में बृजमोहन और ननकीराम का विभाग बदलना तय माना जा रहा था......लोगों को लग रहा था, डाक्टर साब कोई बड़ा धमाका करेंगे। और यही वजह थी कि फेरबदल के बाद तरह-तरह के कमेंट सुनने को मिले, खोदा पहाड़, निकली चुहिया... चुहिया भी नहीं, चुहिया की पूंछ निकली। मगर सत्ता के करीबी लोगों की मानें तो अबकी चैंकाने वाला मामला रहेगा। दो-एक संसदीय सचिव भी निबटेंगे। सरकार उन्हें माटी की मूरत बनकर नहीं रहने देना चाहती। 


नारायण....
राजस्व बोर्ड के नाम पर सीनियर आईएएस अधिकारियों की भी धड़कनें बढ़ी हुई है। आईएएस  एसोसियेशन के अध्यक्ष नारायण सिंह को पिछले महीने जब करंट लगा तो किसी आईएएस ने मिजाजपुर्सी के लिए घर जाने की जरूरत नहीं समझी मगर अब वही लोग प्रार्थना कर रहे हैं, नारायण राजस्व बोर्ड में चले जाएं। असल में, बोर्ड में अजयपाल सिंह और दुर्गेश मिश्रा के बीच जंग छिड़ी हुई हई है। और यह निश्चित है, उन्हें वहां से हटाया जाएगा। नारायण को माशिमं के अलावा बोर्ड की कमान सौंप दी गई तो ठीक है, वरना मंत्रालय से प्रींसिपल सिकरेट्री लेवल के किसी अफसर को वहां शिफ्थ करना पडे़गा। और राजस्व बोर्ड भला कौन जाना चाहेगा। बोर्ड का नाम सुनकर ही आईएएस अधिकारी रमन और अमन की परिक्रमा करने लगते हैं। यह अलग बात है कि अभी नारायण....नारायण....कर रहे हैं। 
   
बाम्बरा माडल
31 मार्च को डीजी होमगार्ड विश्वरंजन और एडीजी टे्रनिंग आनंद तिवारी रिटायर हो जाएंगे। इनमें से विश्वरंजन का अभी कुछ पुख्ता नहीं है मगर तिवारीजी का तय मानिये, सरकार अभी उन्हें बिदा नहीं करेगी। खबर है, पंडितजी दो साल का संविदा मिल रहा है। फिलहाल वे पुलिस प्रशिक्षण देख रहे हैं और 31 मार्च के बाद भी वे वहीं सेवा देते रहेंगे। इससे पहले ट्रांसपोर्ट के लिए उनका नाम खूब चला था और भरपूर जैक होने के बाद भी पता नहीं क्यों डाक्टर साब पसीजे नहीं। लेकिन अब बताते हैं, भोले बाबा ने उन्हें तथास्तु कह दिया है। वैसे स्टेट पुलिस सर्विसेज में पिछले कई साल से बाम्बरा माडल चल रहा है। जीएस बाम्बरा 65 साल की उम्र में भी बर्दी पहनकर सीएसपीगिरी कर रहे हैं। सुना है, बाम्बरा माडल को हाल ही में झारखंड सरकार ने भी लागू किया है। नोटशीट में छत्तीसगढ़ के बाम्बरा माडल का हवाला देकर वहां भी एक अधिकारी को संविदा में रखा गया है। तो बाम्बरा की तुलना में तिवारी महाराज तो चुस्त और हैंडसम हैं। टे्रनिंग में कोई जाना भी नहीं चाहता। सो, तिवारीजी का चलेगा। 

तीसरा डीजी़
विश्वरंजन के रिटायरमेंट में अभी 28 दिन बाकी है मगर इससे पहले ही तीसरे डीजी के लिए पुलिस मुख्यालय में जोर-तोड़ शुरू हो गई है। दरअसल, राज्य में डीजी के दो पोस्ट है, एक कैडर और दूसरा एक्स कैडर। पोस्ट न होने की वजह से ही आपको याद होगा, केंद्र के निर्देश पर संतकुमार पासवान को डीजी से रिवर्ट किया गया था। बाद में मिनिस्ट्री आफ होम अफेयर से पासवान स्पेशल केस में तीसरे डीजी का आदेश लाने में कामयाब हो गए। विश्वरंजन की सेवानिवृत्ति को देखते एमएचए ने अप्रैल तक स्पेशल डीजी की इजाजत दी थी। ताकि, विश्वरंजन के बाद खाली पद पर पासवान डीजी बन जाएं। मगर एमएचए के आदेश में त्रुटि हो गई। कायदे से 31 मार्च लिखना था या फिर एक अप्रैल। चूकि कागज में अप्रैल तक तीसरे डीजी की अनुमति है और रामनिवास इसके स्वाभाविक  दावेदार हैं, इसलिए एक संभावना यह है कि रामनिवास डीजी बनकर पासवान की तरह फिर आदेश ले आएं। लेकिन पूरा गेम सरकार के हाथ में है। अप्रैल वाले आदेश को सरकार विश्वरंजन के रिटायरमेंट के संदर्भ में 31 मार्च तक देखेगी तो रामनिवास को अनिल नवानी के रिटायर होने तक याने नवंबर तक इंतजार करना पड़ेगा और कहीं सहानुभूति बरती तो एक अप्रैल को वे डीजी बन जाएंगे। बहरहाल, पीएचक्यू में उपर से सब कुछ ठीक-ठाक दिख रहा किन्तु अंदर में खूब गुणा-भाग चल रहा है। नवानी नवंबर में रिटायर होंगे। इसके बाद चार महीने पासवान रहेंगे। अगले साल अप्रैल मे रामनिवास का नम्बर आएगा। रामनिवास जनवरी 14 तक याने 10 महीने डीजीपी रहेंगे। सत्ता के गलियारों की खबरों पर अगर गौर करें तो रामनिवास के चाहने वाले अगले साल अप्रैल का इंतजार करने के पक्ष में नहीं है। सो, उसी हिसाब से गोटियां बिछाई जा रही है। 


सख्त
राज्य के नए विश्ववि़द्यालयों की हालत को देखते सरकार ने तय किया है कि कुलपतियों की नियुक्ति अब ठोंक बजाकर की जाएगी। बिलासपुर विवि में देरी के पीछे यही वजह है। कामधेनु विवि के लिए मध्यप्रदेश के पशुधन विभाग के डिप्टी सिकरेट्री भदौरिया का नाम सीएम के पास भेजा गया था। मगर उन्होंने आपत्ति करते हुए सीएस सुनील कुमार के पास परीक्षण के लिए भेज दिया। भदौरिया का नाम अब कटा ही समझिए। वैसे कामधेनु में दो-एक दिन में वीसी की नियुक्ति हो जाएगी और संभवतः डा. यूके मिश्रा, डा. केसीसी सिंह और एसएस गहरवार में से किसी को मौका मिल जाए। 


अंत में दो सवाल आपसे
1. बस्तर के आईजी लांग कुमेर ने नागालैंड डेपुटेशन पर जाने का मन क्यों बदल दियाघ्
2. पौने चार साल तक नौकरशाही का मुखिया रहने के बाद हटाए जाने पर पीजाय उम्मेन को             नाराज होने का हक बनता है क्याघ्

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