रविवार, 3 फ़रवरी 2013

तरकश, 3 फरवर


विरोधाभास

दागी और खराब छबि वाले आईएएस अफसरों के रिकार्ड्स की समीक्षा करने वाली कमेटी में प्रशासन अकादमी के महानिदेशक नारायण सिंह भी शामिल हैं। नारायण सिंह का मतलब आप जानते हैं, मालिक मकबूजा कांड। इसके लिए सिंह को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी। राज्य के वे पहले आईएएस हैं, जो भारत सरकार द्वारा डिमोेट किए गए। और अब देखिए, वे खराब छबि वाले अफसरों की सूची बना रहे हैं। आईएएस अफसर इसको सूपा और चलनी का मामला बताकर चुटकी ले रहे हैं, तो इसमें गलत क्या है?

डेसिंग

88 बैच के साफ और सौम्य छबि के आईपीएस संजय पिल्ले को जब ईओडब्लू और एसीबी की कमान सौंपी गई थी, तो लोगों को लगा था अब छापे और ट्रेप में कमी आ जाएगी। मगर पिल्ले, तो पूर्ववर्ती ईओडब्लू चीफ दुर्गेश माधव अवस्थी से भी एक कदम आगे निकल गए। महीने भर के भीतर ही बड़ा निशाना बनाया। 10 करोड़ी अफसर को पकड़ा, डिप्टी कमिश्नर कामर्सियल टैक्स शंकरलाल अग्रवाल को। भाजपा शासन काल में अग्रवाल अफसर के घर छापा, किसी अचरज से कम नहीं है।  

खतरा

जैजैपुर के विधायक महंत रामसुंदर दास की गद्दी खतरे में है। उनकी सीट पर कांग्रेस के एक दिग्गज नेता की नजर गड़ गई है। नेताजी अपनी अद्र्धांगिनी को इस सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। जैजैपुर सामान्य सीट है और इस समय कांग्रेस के लिए सबसे मुफीद समझी जा रही है। सो, नेताजी को और क्या चाहिए। महंतजी को, उनके लोगों के जरिये समझाने की कोशिश की जा रही है कि जैजैपुर की जगह चांपा या सक्ती में से जहां चाहे, उन्हें टिकिट दिलवा दी जाएगी। पर, महंतजी इसके खतरे से अनभिज्ञ नहीं हैं। फिर, वे जैजैपुर से दूसरी बार विधायक हैं। और तीसरी बार में भी कोई दिक्कत नहीं है। खुदा-न-खास्ते कांग्रेस कहीं आ गई, तो महंतजी मंत्री पद के प्रबल दावेदार होंगे। ऐसे में मना करने के अलावा उनके पास चारा क्या था। मगर नेताजी के लोग कहां मानने वाले। महंतजी के कार्यकर्ताओं को तोड़ने का काम चालू हो गया है। अब देखना है, महंतजी झुकते हैं या नेताजी।  

नम्बर बढ़ा

गर्भवती महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री द्वारा महतारी एक्सप्रेस चलाने की योजना का ऐलान करने पर सयसे अधिक कोई खुश है, तो वे हैं आईएएस सोनमणि बोरा। यह कांसेप्ट मूलतः बोरा का था और इसके लिए उन्हें यूनिसेफ से जमकर सराहना मिली थी। 2010 में बोरा जब बिलासपुर के कलेक्टर थे, तब उन्होंने महतारी एक्सप्रेस चलाई थी। इसके लिए टोल फ्री नम्बर 102 रखा गया था। सरकारी वेबसाइट पर नजर डालें, तो इस योजना का सर्वाधिक लाभ दूरस्थ और आदिवासी इलाके की महिलाओं को मिला था। तब बिलासपुर का संस्थागत प्रसव 17 से बढ़कर 54 फीसदी पहुंच गया था। अब राज्य सरकार ने इसे एडाप्ट कर लिया है। जाहिर है, इससे बोरा का नम्बर बढ़ा है। बोरा अभी हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर के साथ ही डीपीआर हैं।

नया चेहरा

स्टेट पौल्यूशन बोर्ड में जल्द ही नया चेहरा दिख सकता। 87 बैच के आईएफएस अफसर नरसिंह राव पिछले चार साल से बोर्ड की कमान संभाल रहे थे। पता चला है, सरकार अब उन्हें रिप्लेस करने जा रही है। राव की जगह कोई आईएफएस ही लेगा। वह पीसी पाण्डेय हो सकते हैं या फिर आनंद बाबू। इनके अलावे कुछ और आईएएस, आईएफएस भी ट्राई मार रहे हैं। कुछ तो आवास पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव बैजेंद्र कुमार से बहाने ढूंढ-ढूंढकर मिल रहे हैं। शायद, साब सिफारिश कर दें।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक मंत्रीजी का नाम बताइये, जो आजकल अपने को सुपरटाईम स्केल वाले मंत्री बताते है?
2. आईएएस बिरादरी में किस आईएएस को छत्तीसगढ़ का दूसरा शैलेष पाठक कहा जा रहा है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें