तरकश, 8 सितंबर
जोर का झटका
स्कूल शिक्षा विभाग में 22 इंच की जगह 20 इंच की सायकिल टिकाकर करोड़ों का खेल करने वाली कंपनियों को सरकार ने तगड़ा झटका दिया है। कंपनियों ने स्कूल शिक्षा विभाग के खटराल अफसरों से सांठ-गांठ करके आर्डर लेकर चीनी कंपनी को प्रोडक्शन का आर्डर दे दिया था। सायकिलों के कुछ पाट्र्स चाइना से आ भी गए थे। इससे पहले, सरकार ने गडबड़झाले को भांपकर हितग्राहियों को कैश देने का नियम बना दिया। स्कूल विभाग में 35 करोड़ और कर्मकार मंडल में 65 करोड़ के सायकिल और सिलाई मशीनें बांटी जानी थीं। याने 100 करोड़ की। दोनों विभागों में 20 से 25 फीसदी चलता है। इस तरह इतने ही खोखा का जुगाड़ था। और चुनाव के समय 25 खोखा मायने रखता है। मगर खेल बिगड़ गया। अब लुधियाना की कंपनियां थैली लेकर घूम रही है, कोई तो काम करा दें। याद होगा, सीएम ने एक मीटिंग में कहा था कि सायकिलें ऐसी सप्लाई की जा रही है कि बैठने पर टूट जाती है। इसके बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग नहीं चेता।नया एजी
एडवोकेट जनरल संजय अग्रवाल के हाईकोर्ट जज बनना तय हो जाने के बाद अब नए एजी की खोज शुरू हो गई है। उनकी जगह दो-तीन नाम चल रहे हैं और सभी राज्य के बाहर के हैं। अग्रवाल का आदेश सोमवार को पहुंच सकता है। और हो सकता है, उसके अगले दिन हाईकोर्ट में उनका ओवेशन हो। हालांकि, एजी के रूप में सरकार को अग्रवाल की कमी खटकेगी। उनके महाधिवक्ता कार्यालय संभालने के बाद सरकार को राहत मिली थी। कमल विहार प्रोजेक्ट को उन्होंने हाईकोर्ट से हरी झंडी दिलाई थी। अग्रवाल के लिए उपलब्धि वाली बात यह रही कि कांग्रेस सरकार के समय भी वे डिप्टी एजी रहे और भाजपा सरकार ने भी उन पर भरोसा जताया। आखिर, ये काबिलियत का ही तो प्रमाण है।ताजपोशी या….
नौ साल तीन महीने दिल्ली डेपुटेशन पर रहने के बाद आईएएस अमित अग्रवाल शुक्रवार को आखिरकार रायपुर लौटे। रमन सरकार आने के छह महीने बाद याने जुलाई 2004 में वे दिल्ली का रुख किए थे। यद्यपि, उनका डेपुटेशन 2011 में पूरा हो गया था। मगर स्पेशल केस में एक-एक साल का एक्सटेंशन लेने में वे कामयाब रहे थे। उन्हें बुलाने के लिए सरकार को कई बार पत्र लिखना पड़ा। सिकरेट्रीज लेवल पर अफसरों की कमी का हवाला दिया गया था। बहरहाल, अग्र्रवाल को दुर्ग संभाग का ओएसडी बनाने की चर्चा है। दुर्ग नया संभाग घोषित हुआ है। अधिसूचना जारी न होने के चलते कमिश्नर के बजाए अभी ओएसडी पोस्ट किया जाएगा। अधिसूचना जारी होने के बाद पदनाम बदलकर कमिश्नर कर किया जाएगा। हालांकि, उनके कुछ हितैषी उन्हें ओएसडी या कमिश्नर बनाकर बीएल तिवारी, बीएल अनंत और आरपी जैन के समकक्ष रखना नहीं चाहते। तो एक पक्ष यह भी है कि डेपुटेशन से लौटने में आनाकानी ़करने वाले अफसरों को आते ही ताजपोशी न की जाए। अब, सीएम के विकास यात्रा से लौटने के बाद इस पर निर्णय होगा कि अमिताभ जैन की तरह अग्रवाल को भी कुछ खास टाईप का मैसेज दिया जाए या फिर अच्छी पोस्टिंग।
बाल-बाल बचे
आचार संहिता लागू होने के पहले ही चुनाव आयोग सरकार को झटका देने के मोड मंे आ गया था। 30 अगस्त को आयोग रायपुर में था, उसी दौरान कवर्धा और सुकमा का कलेक्टर बदला गया। आयोग ने इस पर एतराज किया कि छह महीने के भीतर दोनों को क्यों हटाया गया। सवाल यह भी था कि नक्सल प्रभावित सुकमा में प्रमोटी आईएएस को कमान क्यों सौंपी गई। मगर चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार ने उन्हंे समझाया कि यह विशुद्ध प्रशासनिक फेरबदल है और इसमें रंच मात्र भी पूर्वाग्रह नहीं है। सुकमा आदिवासी जिला है और एके टोप्पो आदिवासी होने के साथ ही तेज अफसर हैं। तब जाकर बात बनी।लूट लिया मंच
शुक्रवार को बिलासपुर में अविभाजित मध्यप्रदेश के मंत्री रहे बीआर यादव के अभिनंदन ग्रंथ समारोह में दिग्विजय सिंह समेत चरणदास महंत, रविंद्र चैबे समेत कई कांग्रेसी नेता जुटे थे। समाजवादी नेता रघु ठाकुर भी थे। मगर वक्रतृत्व कला से मौके का लाभ उठा लिया अमर अग्रवाल ने। अमर ने कहा, जब मैं पहली बार चुनाव लड़ रहा था तो यादवजी से आर्शीवाद लेने गया और पूछा था कि लगातार चार बार विधायक कैसे चुने गए। यादवजी ने मुझे इसके टिप्स दिए थे। अमर ने कांग्रेस के मंच से इशारे-इशारे में कांग्रेसियों को बता दिया कि यादवजी के टिप्स से ही लगातार जीतता आ रहा हैं और अब चैथी बार भी….। इसे ही कहते हैं, मंच लूटना।चैबे के बाद महंत
पाटन में प्रदीप चैबे द्वारा अजीत जोगी पर जहरीले तीर छोड़ने के दो रोज बाद पार्टी के सेनापति ने भी तोप का गोला दाग दिया। बिलासपुर में एक कार्यक्रम में पीसीसी चीफ चरणदास महंत ने कहा, लोग आजकल अपनी जाति छुपाने लगे हैं। जाहिर है, तोप का मुंह जोगी की ओर ही था। और इससे एक बात साफ हो गया कि आलाकमान के निर्देश पर कांग्रेस नेता भले ही गले मिल लें या पैर छूकर आर्शीवाद लें, वे दिल से नहीं मिलने वाले। और भाजपा को इससे अधिक और क्या चाहिए।राजा का स्वागत
भाजपा प्रवेश के बाद जगदलपुर लौटे बस्तर के राजा कमल भंजदेव का रास्ते भर राजा की तरह ही स्वागत हुआ। अभनपुर से इसका सिलसिला शुरू हुआ और जगदलपुर जाकर समाप्त हुआ। दरअसल, भाजपा मुख्यालय से ही पार्टी कार्यकर्ताओं को इसके लिए मैसेज दिए गए थे। और उस पर अमल करने में कोई कोताही नहीं बरती गई। लेकिन इस स्वागत-सत्कार से बस्तरिया भाजपा नेताओं की धड़कन बढ़ गई है।अंत में दो सवाल आपसे
1. बस्तर के किस मंत्री के रिश्वत लेते हुए सीडी बनने की चर्चा है?2. किस रिटायर चीफ सिकरेट्री को कैबिनेट मंत्री के दर्जे वाली पोस्टिंग देने पर विचार किया जा रहा है?
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