रविवार, 29 जून 2014

तरकश, 15 जून

अक्लमंदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने पहले भाषण में छत्तीसगढ़ सरकार की पीठ थपथपा कर एक साथ कई संदेश दिए। उन्होंने संसद जैसे सर्वोच्च मंच से देश के सिर्फ दो राज्य सरकारों के कामों की प्रशंसा की। एक, नार्थ ईस्ट में सिक्किम और दूसरा, हिन्दी बेल्ट में छत्तीसगढ़। उन्हांेने देश को बताया कि माओवाद से ग्रस्त छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य ने पीडीएस में अनोखा काम किया है....छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जो गरीबों को भरपेट भोजन मुहैया करा रहा है। रमन सरकार की तारीफ कर मोदी ने भविष्य के सियासी समीकरणों का संदेश भी दिया। राजनीतिक प्रेक्षक भी मानते हैं, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे बड़े भाजपा शासित राज्यों की बजाए मोदी ने अगर छत्तीसगढ़ की तारीफ की है, तो इसके अपने निहितार्थ हैं। मोदी जैसा पीएम संसद में पहला भाषण दें और, उसमें छत्तीसगढ़ सरकार की प्रशंसा के पुल बांध दें, और वह भी उस समय जब राज्य मे नेतृत्व को चुनौती देने की हवा उड़ाई जा रही हो, इसे हल्के से नहीं लिया जा सकता। वैसे, कम लोगों को पता होगा कि मोदी और रमन में बढि़यां केमेस्ट्री है। मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्विट कर कहा था, विकास देखना हो तो न्यू रायपुर जाइये। लोकसभा के नतीजे आने के दो दिन पहले डा0 रमन सिंह गांधीनगर जाकर मोदी को पीएम बनने की एडवांस में बधाई दे आए थे। ऐसे में, असंतुष्टों को किसी तरह के सपने देखना फिलहाल, अक्लमंदी नहीं होगी।

इधर भी ओपी, उधर भी....

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पर्सनल असिस्टेंट ओपी चंदेल हैं। गुजरात में साथ थे और अब, पीएमओ में भी साथ हैं। जाहिर तौर पर ताकतवर भी हैं। मोदी से मिलने वालों को पहले ओपी से मिलना होता है। वैसे, एक ओपी अपने रायपुर में भी हैं। सीएम के निज सहायक। दोनों ओपी संघ से आए हैं, दोनों करीबी दोस्त हैं और दिल्ली में एक कमरे में रहे हैं। संघ ने एक ओपी को मोदी के पास भेजा था और दूसरे को नंदकुमार साय के पास। सायजी वाले ओपी छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने पर जम्प मारकर डा0 रमन सिंह के पास पहुंच गए। अपने ओपी का भी जलवा कम नहीं है। पहली पारी में तो इधर भी ओपी, उधर भी ओपी थे। दूसरी पारी में पर्सनल कारणों से ओपी कुछ कमजोर पड़े। मगर रमन की तीसरी पारी में ओपी ने फिर अपनी जगह बना ली है। लोकसभा चुनाव में कवर्धा में बढि़यां परफारमेंस दिया। और, अब तो बल्ले-बल्ले है। पीएमओ में कोई काम होगा, तो लोग ओपी को खोजेंगे। क्योंकि, इधर भी ओपी, उधर भी ओपी है।

सहवाग स्टाईल 

राजधानी में एक युवा आईएएस वीरेंद्र सहवाग टाईप बैटिंग कर रहे हैं। जिले में थे, तो गड़बड़ लोगों को ठोक-ठाक कर ठीक किया था। सर्व शिक्षा अभियान में गए तो एक बड़े मंत्रीजी के समर्थक की कागजों में चल रही दो गाडि़यों का आर्डर रद्द कर दिया। पिछले सात साल से मंत्री समर्थक की दो गाड़ी किराये में लगी थी। सरकार ने आईएएस को वहां से हटाकर दूसरे अहम विभाग में बिठाया तो वहां उन्होंने फर्जी लोगों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। एक आदमी उन्हें 35 हजार की घड़ी गिफ्ट करने गया। आईएएस ने न केवल उसे जमकर लताड़ा बल्कि गुस्से में घड़ी को उठाकर फेंक दिया। अब देखना दिलचस्प होगा, अपना सहवाग कितने समय तक क्रीज पर टिकता है। ये अलग बात है कि सरकार ने उसे तेज गति से बैटिंग करने के लिए ही भेजा है।

थर्ड लिस्ट

कलेक्टरों की थर्ड लिस्ट जल्द जारी हो सकती है। फस्र्ट लिस्ट में सिंगल आर्डर निकला था ओपी चैधरी का। सेकेंड में तीन जिले के कलेक्टर बदले गए। थर्ड में भी तीन-से-चार जिले के कलेक्टर प्रभावित हो सकते हैं। इनमें मुंगेली, बलौदा बाजार जैसे जिले शामिल हैं, जहां कलेक्टरों के दो साल से अधिक हो गए हैं। हालांकि, कांकेर कलेक्टर डी ममगई का दो साल से अधिक हो गया है। मगर अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव तक उन्हें नहीं बदला जाएगा। विक्रम उसेंडी के सांसद निर्वाचित होने के कारण अंतागढ़़ विधानसभा सीट खाली हुई है। नई लिस्ट में शम्मी आबिदी और श्रूति सिंह का नम्बर लग सकता है। दूसरी सूची के समय श्रूति का नाम चर्चा में था लेकिन वह आदेश में नहीं बदल सका। शम्मी मैटरनिटी लीव पर गई थी, इसलिए कलेक्टर में उनका नम्बर नहीं लग सका। जबकि, उनसे एक साल जूनियर 2008 बैच के भीम सिंह कलेक्टर बन गए हैं। लोकसभा चुनाव के समय आयोग के निर्देश पर एनके मंडावी को हटाकर सरकार ने भीम की पोस्टिंग की थी। भीम का परफारमेंस ठीक है, इसलिए उन्हें चेंज करने का कोई विषय नहीं है।

सावधान

कलेक्टरी के मामले में छत्तीसगढ़ की महिला आईएएस रिकार्ड बना रही हैं। 27 में से चार जिलों में महिला कलेक्टर हैं। दुर्ग, कोरबा, अंबिकापुर और कांकेर जैसे जिले। ये चारों जिले आबादी और अहमियत के मामले में दर्जन भर छोटे जिले से भी बड़े होंगे। दुर्ग में संगीता आर, कोरबा में रीना बाबा कंगाले, अंबिकापुर में रीतू सेन और कांकेर में डी ममगई। दुर्ग को सूबे का सबसे अहम जिला माना जाता है। वहां इससे पहले कभी महिला कलेक्टर नहीं रही। कुछ इसी तरह का अंबिकापुर भी रहा है। बड़े जिला होने के कारण वहां भी किसी महिला को कलेक्टर नहीं बनाया गया। और, शम्मी आबिदी और श्रूति सिंह का नम्बर लग गया तो आधा दर्जन महिला कलेक्टर हो जाएंगी। गनीमत है, ठाकुर राम सिंह, सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, मुकेश बंसल और ओपी चैधरी जैसे अफसरों ने बड़े जिलों को थाम कर जेंस आईएएस का मान रखा है, वरना दिक्कत हो जाती।

मजबूरी का नाम....

आईपीएस में हालांकि, नौ एसपी के ट्रांसफर हो गए, मगर कुछ नाम बच गए। रायपुर और दुर्ग एसपी की तो खूब चर्चा थी। लेकिन बताते हैं, वहां लाया किसको जाए, यह अंतिम समय तक तय नहीं हो पाया, इस वजह से सरकार ने फिलहाल इसे पसपंड कर दिया है। अगली सूची में दो-तीन जिले के एसपी बदल सकते हैं। मगर संकेत है, एकदम तत्काल कुछ नहीं होगा।

सुवागत है

लोकसभा में अपने सांसदों ने भले ही छत्तीसगढ़ी में शपथ नहीं ली मगर 14वें विता आयोग की टीम के सामने राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ी में बैनर टांगकर अपनी मातृ भाषा का मान रखा। इस हाईप्रोफाइल मीटिंग में मंच पर जो बैनर लगा था, उसमें लिखा था, छत्तीसगढ़ म सुवागत है। चलिये, अच्छी बात है।    

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस नेता के केंद्रीय मंत्री बनने की वजह से एक आईएएस अफसर का वजन बढ़ गया है?
2. पूर्व डीजीपी रामनिवास ने राजधानी के ट्रैफिक को लेकर कुछ सुझाव दिए हैं, लेकिन अपने कार्यकाल मेें वे इस पर अमल क्यों नहीं कर पाए?

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