धमाकेदार वापसी
आईपीएस पवनदेव और एसआरपी कल्लूरी ने आखिरकार धमाकेदार वापसी की। पिछले एक दशक में दोनों को खास पोस्टिंग नहीं मिली थी। कोरबा और बिलासपुर जैसे जिले के एसपी रहे कल्लूरी को 2005 में बलरामपुर पुलिस जिला का एसपी बनाया गया था। उन्होंने नक्सलियों का सफाया करके रिजल्ट भी दिया था। मगर बात बनी नहीं। पुलिस महकमे के गुटीय पालीटिक्स में दोनों हांसिये पर ही रहे। पवनदेव ने सबसे खराब दौर देखा, जब उन्हें विधानसभा चुनाव के ऐन पहले लोक अभियोजन में भेज दिया गया। लेकिन, रमन सरकार ने अब उन पर भरोसा करते हुए अहम जिम्मेदारी सौंप दी है। पवनदेव को बिलासपुर और कल्लूरी को बस्तर जैसे संवेदनशील पुलिस रेंज का आईजी पोस्ट किया गया है।
डीजीपी को पावर
राज्य सरकार ने पवनदेव और एसआरपी कल्लूरी को अहम रेंज की कमान सौंपकर एक तरह से कहें तो डीजीपी अमरनाथ उपध्याय को मजबूत किया है। इसकी झलक शुक्रवार को हुई पोस्टिंग में दिखी। उनके पसंदीदा अफसर पवनदेव और कल्लूरी रेंज आईजी बन गए। हालांकि, बिना सरकार की सहमति के इस लेवल पर अपाइंटमेंट नहीं होते, लेकिन उपध्याय भी यही चाह रहे थे। उनके पसंद के चलते ही बस्तर एसपी अजय यादव की कुर्सी सलामत रही। सरकार भी चाहती है कि पुलिस महकमा बढि़़यां परफार्म करें। डीजीपी को मजबूत हुए बिना यह संभव नहीं है। लिहाजा, अब उन्हें पावर देना शुरू कर दिया है। वैसे भी उपध्याय बस्तर आईजी रह चुके हैं। उससे पहले, जब कल्लूरी ने बलरामपुर में माओवादियों का सफाया किया, तब उपध्याय अंबिकापुर के आईजी थे। सो, यह मानकर चलिये कि पुलिस का फोकस अब बस्तर होगा और आने वाले समय में वहां नक्सलियों के खिलाफ मुहिम तेज होगी।
गुड आइडिया
डीओपीटी के तेवर के चलते एम गीता को एमपी गवर्नमेंट ने आखिरकार सोमवार को रिलीव कर दिया। गीता के पति बैंक में नौकरी करते हैं और छत्तीसगढ़ में उनका पोस्ट नहीं है, इस आधार पर गीता ने 14 साल भोपाल में निकाल दिया। कैट गई, फिर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट ने डीओपीटी को फैसला करने का आदेश दिया। डीओपीटी ने यह कहते हुए कि कई महिला आईएएस के पति प्रायवेट संस्थाओं में नौकरी करते हैं। ऐसे में, आपको राहत देने से गलत संदेश जाएगा। इस आर्डर के बाद भी गीता ने कोशिश की, कि मामला कुछ दिन और खींच जाए। मगर तब तक मोदी की सरकार फर्म हो गई। डीओपीटी ने भी अपना तेवर दिखाते हुए एमपी के चीफ सिकरेट्री को गीता को तत्काल रिलीव करने का निर्देश दिया था। चलिये, कानूनी लड़ाई में गीता को 14 साल मोहलत तो मिल गई। बच्चे पढ-लिख गए। अब, छत्तीसगढ़ में भी दिक्कत नहीं होगी। गुड आइडिया।
97 बैच और दो देवियां
97 बैच में छत्तीसगढ़ कैडर के तीन आईएएस हैं। सुबोध ंिसंह, एम गीता और निहारिका बारिक। इनमें से सुबोध सिंह ही हैं, जो शुरू से छत्तीसगढ़ में रहे। गीता और बारिक, दोनों छत्तीसगढ़ आने से हमेशा कतराती रहीं। गीता तो छत्तीसगढ़ न जाना पड़े, इसके लिए कैट, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गईं। इस चक्कर में उन्हें 14 साल मध्यप्रदेश में काम करने की मोहलत मिल गई। उधर, बारिक राज्य बनने के बाद मुश्किल से आठ महीने अंबिकापुर में अपर कलेक्टर रहीं। उसके बाद दिल्ली का जो रुख की, बायोडाटा में कलेक्टरी दर्ज कराने के लिए साल भर के लिए छत्तीसगढ़ लौटी। वो भी तब, जब सरकार ने उन्हें महासमुंद कलेक्टर का आर्डर निकाला। इसके बाद फिर दिल्ली चली गईं।
पर्चे के पीछे
कांग्रेस के पर्चे के पीछे नेतृत्व परिवर्तन की आहट महसूस की जा रही है। पर्चे में संगठन में लगाातार ओबीसी को अहमियत देने की ओर इशारा किया गया है। कांग्रेस के अंदर से भी यह बात उठ रही है कि महंत, पटेल के बाद भूपेश बघेल को पीसीसी की कमान सौंपी गई है। अब, अगड़ों को भी एक बार मौका मिलना चाहिए। अगड़े बोले तो सत्यनारायण शर्मा और रविंद्र चैबे। मोतीलाल वोरा गुट का समर्थन भी इस मुहिम में मिल रहा कि एक बार अगड़े के हाथ में भी पार्टी की कमान सौंपी जाए। जोगी गुट से भी समर्थन लेने की कोशिश की जा रही है। कुल मिलाकर टारगेट एक ही है, नेतृत्व परिवर्तन।
सुब्रमण्यिम का जादू
लगता है, मनमोहन सिंह के बाद नरेंद्र मोदी पर भी बीवीआर सुब्रमण्यिम का जादू चल गया है। मोदी ने उन्हें पीएमओ में रोक लिया है। सुब्रमण्यिम 87 बैच के आईएएस हैं और लंबे समय से पीएमओ में पोस्टेड हैं। राज्य सरकार लंबे समय से उन्हें यहां बुलाने के लिए केंद्र से पत्राचार कर रही है। राज्य सरकार ने नियमों का हवाला देते हुए पिछले साल प्रेशर बनाया था, तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रिक्वेस्ट के अंदाज में डा0 रमन सिंह को पत्र लिखा था, मैं प्रधानमंत्री हूं, मेरे पसंद का एक आईएएस तो पीएमओ में रहने दीजिए। मनमोहन सिंह के हटने के बाद सुब्रमण्यिम का छत्तीसगढ़ लौटना तय माना जा रहा था। मगर, मंत्रालय के आईएएस शुक्रवार को तब भौंचक रह गए, जब पीएमओ से सुब्रमण्यिम का एक साल एक्सटेंशन का खत पहुंचा।
नए पीसीसीएफ
पीसीसीएफ एके सिंह अगले महीने रिटायर हो जाएंगे। सो, वन महकमे के नए मुखिया के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। सीनियरिटी के हिसाब से देखेंत तो सिंह के बाद रामप्रकाश आते हैं। 79 बैच के आईएफएस रामप्रकाश लंबे समय से वाइल्डलाइफ देख रहे हैं। हालांकि, इसी बैच के आरके बोवाज भी हैं। मगर बैच में सीनियर रामप्रकाश हैं। हालांकि, रामप्रकाश के रिटायरमेंट में साल भर बाकी है। मगर जिस तरह रिटायरमेंट से छह महीेने पहले सिंह को सरकार ने पीसीसीएफ बना दिया, उसके देखते रामप्रकाश को वन विभाग की कमान मिलने की संभावना अधिक दिख रही है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. क्या बोर्ड और आयोगों में पोस्टिंग के बाद तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी?
2. किस आईएएस को बिलासपुर का प्रभारी कमिश्नर बनाए जाने की चर्चा है?
आईपीएस पवनदेव और एसआरपी कल्लूरी ने आखिरकार धमाकेदार वापसी की। पिछले एक दशक में दोनों को खास पोस्टिंग नहीं मिली थी। कोरबा और बिलासपुर जैसे जिले के एसपी रहे कल्लूरी को 2005 में बलरामपुर पुलिस जिला का एसपी बनाया गया था। उन्होंने नक्सलियों का सफाया करके रिजल्ट भी दिया था। मगर बात बनी नहीं। पुलिस महकमे के गुटीय पालीटिक्स में दोनों हांसिये पर ही रहे। पवनदेव ने सबसे खराब दौर देखा, जब उन्हें विधानसभा चुनाव के ऐन पहले लोक अभियोजन में भेज दिया गया। लेकिन, रमन सरकार ने अब उन पर भरोसा करते हुए अहम जिम्मेदारी सौंप दी है। पवनदेव को बिलासपुर और कल्लूरी को बस्तर जैसे संवेदनशील पुलिस रेंज का आईजी पोस्ट किया गया है।
डीजीपी को पावर
राज्य सरकार ने पवनदेव और एसआरपी कल्लूरी को अहम रेंज की कमान सौंपकर एक तरह से कहें तो डीजीपी अमरनाथ उपध्याय को मजबूत किया है। इसकी झलक शुक्रवार को हुई पोस्टिंग में दिखी। उनके पसंदीदा अफसर पवनदेव और कल्लूरी रेंज आईजी बन गए। हालांकि, बिना सरकार की सहमति के इस लेवल पर अपाइंटमेंट नहीं होते, लेकिन उपध्याय भी यही चाह रहे थे। उनके पसंद के चलते ही बस्तर एसपी अजय यादव की कुर्सी सलामत रही। सरकार भी चाहती है कि पुलिस महकमा बढि़़यां परफार्म करें। डीजीपी को मजबूत हुए बिना यह संभव नहीं है। लिहाजा, अब उन्हें पावर देना शुरू कर दिया है। वैसे भी उपध्याय बस्तर आईजी रह चुके हैं। उससे पहले, जब कल्लूरी ने बलरामपुर में माओवादियों का सफाया किया, तब उपध्याय अंबिकापुर के आईजी थे। सो, यह मानकर चलिये कि पुलिस का फोकस अब बस्तर होगा और आने वाले समय में वहां नक्सलियों के खिलाफ मुहिम तेज होगी।
गुड आइडिया
डीओपीटी के तेवर के चलते एम गीता को एमपी गवर्नमेंट ने आखिरकार सोमवार को रिलीव कर दिया। गीता के पति बैंक में नौकरी करते हैं और छत्तीसगढ़ में उनका पोस्ट नहीं है, इस आधार पर गीता ने 14 साल भोपाल में निकाल दिया। कैट गई, फिर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट ने डीओपीटी को फैसला करने का आदेश दिया। डीओपीटी ने यह कहते हुए कि कई महिला आईएएस के पति प्रायवेट संस्थाओं में नौकरी करते हैं। ऐसे में, आपको राहत देने से गलत संदेश जाएगा। इस आर्डर के बाद भी गीता ने कोशिश की, कि मामला कुछ दिन और खींच जाए। मगर तब तक मोदी की सरकार फर्म हो गई। डीओपीटी ने भी अपना तेवर दिखाते हुए एमपी के चीफ सिकरेट्री को गीता को तत्काल रिलीव करने का निर्देश दिया था। चलिये, कानूनी लड़ाई में गीता को 14 साल मोहलत तो मिल गई। बच्चे पढ-लिख गए। अब, छत्तीसगढ़ में भी दिक्कत नहीं होगी। गुड आइडिया।
97 बैच और दो देवियां
97 बैच में छत्तीसगढ़ कैडर के तीन आईएएस हैं। सुबोध ंिसंह, एम गीता और निहारिका बारिक। इनमें से सुबोध सिंह ही हैं, जो शुरू से छत्तीसगढ़ में रहे। गीता और बारिक, दोनों छत्तीसगढ़ आने से हमेशा कतराती रहीं। गीता तो छत्तीसगढ़ न जाना पड़े, इसके लिए कैट, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गईं। इस चक्कर में उन्हें 14 साल मध्यप्रदेश में काम करने की मोहलत मिल गई। उधर, बारिक राज्य बनने के बाद मुश्किल से आठ महीने अंबिकापुर में अपर कलेक्टर रहीं। उसके बाद दिल्ली का जो रुख की, बायोडाटा में कलेक्टरी दर्ज कराने के लिए साल भर के लिए छत्तीसगढ़ लौटी। वो भी तब, जब सरकार ने उन्हें महासमुंद कलेक्टर का आर्डर निकाला। इसके बाद फिर दिल्ली चली गईं।
पर्चे के पीछे
कांग्रेस के पर्चे के पीछे नेतृत्व परिवर्तन की आहट महसूस की जा रही है। पर्चे में संगठन में लगाातार ओबीसी को अहमियत देने की ओर इशारा किया गया है। कांग्रेस के अंदर से भी यह बात उठ रही है कि महंत, पटेल के बाद भूपेश बघेल को पीसीसी की कमान सौंपी गई है। अब, अगड़ों को भी एक बार मौका मिलना चाहिए। अगड़े बोले तो सत्यनारायण शर्मा और रविंद्र चैबे। मोतीलाल वोरा गुट का समर्थन भी इस मुहिम में मिल रहा कि एक बार अगड़े के हाथ में भी पार्टी की कमान सौंपी जाए। जोगी गुट से भी समर्थन लेने की कोशिश की जा रही है। कुल मिलाकर टारगेट एक ही है, नेतृत्व परिवर्तन।
सुब्रमण्यिम का जादू
लगता है, मनमोहन सिंह के बाद नरेंद्र मोदी पर भी बीवीआर सुब्रमण्यिम का जादू चल गया है। मोदी ने उन्हें पीएमओ में रोक लिया है। सुब्रमण्यिम 87 बैच के आईएएस हैं और लंबे समय से पीएमओ में पोस्टेड हैं। राज्य सरकार लंबे समय से उन्हें यहां बुलाने के लिए केंद्र से पत्राचार कर रही है। राज्य सरकार ने नियमों का हवाला देते हुए पिछले साल प्रेशर बनाया था, तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रिक्वेस्ट के अंदाज में डा0 रमन सिंह को पत्र लिखा था, मैं प्रधानमंत्री हूं, मेरे पसंद का एक आईएएस तो पीएमओ में रहने दीजिए। मनमोहन सिंह के हटने के बाद सुब्रमण्यिम का छत्तीसगढ़ लौटना तय माना जा रहा था। मगर, मंत्रालय के आईएएस शुक्रवार को तब भौंचक रह गए, जब पीएमओ से सुब्रमण्यिम का एक साल एक्सटेंशन का खत पहुंचा।
नए पीसीसीएफ
पीसीसीएफ एके सिंह अगले महीने रिटायर हो जाएंगे। सो, वन महकमे के नए मुखिया के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। सीनियरिटी के हिसाब से देखेंत तो सिंह के बाद रामप्रकाश आते हैं। 79 बैच के आईएफएस रामप्रकाश लंबे समय से वाइल्डलाइफ देख रहे हैं। हालांकि, इसी बैच के आरके बोवाज भी हैं। मगर बैच में सीनियर रामप्रकाश हैं। हालांकि, रामप्रकाश के रिटायरमेंट में साल भर बाकी है। मगर जिस तरह रिटायरमेंट से छह महीेने पहले सिंह को सरकार ने पीसीसीएफ बना दिया, उसके देखते रामप्रकाश को वन विभाग की कमान मिलने की संभावना अधिक दिख रही है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. क्या बोर्ड और आयोगों में पोस्टिंग के बाद तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी?
2. किस आईएएस को बिलासपुर का प्रभारी कमिश्नर बनाए जाने की चर्चा है?
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