शनिवार, 30 अगस्त 2014

तरकश, 31 अगस्त

तरकश, 31 अगस्त

तरकश


राजभवन सख्त

राजभवन का कामकाज अब पुराने ढर्रे पर नहीं चलेगा। अभी तक राज्यपाल को कई ऐसी फाइलें भेज दी जाती थी, जिस पर उनके हस्ताक्षर की जरूरत नहीं होती थी। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने तो और स्तर हल्का कर दिया था…..एचओडी के अपाइंटमेंट तक की फाइलें राजभवन भेजी जाती थी। वीसी के अवकाश के आवेदन भी राजभवन आते हैं। राज्यपाल बलरामदास टंडन इससे खुश नहीं हैं। राजभवन में पुलिस प्राधिकार, मुख्य सूचना आयुक्त तक की छुट्टियों की अर्जी आती हैं। जबकि, ऐसा कोई नियम नहीं है। दरअसल, राज्यपाल बिना नियम देखे किसी कागज पर हस्ताक्षर नहीं करते। उन्होंने कई मामलों में जब नियम मांगा तो राजभवन के अफसरों के होश उड़ गए। अभी तक बिना नियम के ही बहुत सारे काम चल रहे थे। मगर, अब राज्यपाल के पास कोई फाइल लेकर जाने से पहले नियम खंगाले जा रहे हैं। अब, उच्च शिक्षा विभाग का इम्पार्टेंस भी बढ़ेगा। अभी तक इस विभाग का रोना था कि वाइस चांसलर उनकी सुनते नहीं। मगर अब शायद ऐसा न हो।

पुलिस का अनुशासन

पुलिस महकमे में सबसे अधिक अनुशासन की अपेक्षा की जाती है लेकिन हो उल्टा रहा है। गृह मंत्री रामसेवक पैकरा मंगलवार को जब पुलिस मुख्यालय पहुंचे तो कई सीनियर अफसरों को बिना यूनिफार्म में देखकर वे दंग रह गए। जबकि, बैठक पूर्व प्रस्स्तावित थी। डीजीपी एएन उपध्याय खुद यूनिफार्म में थे। याद होगा, पूर्व राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन कोरबा एसपी पर इसलिए भड़क गए थे कि वे बिना वर्दी पहले उन्हें रिसीव करने आ गए थे। रायपुर, बिलासपुर और राजनांदगांव में एसपी रहे डा0 आनंद कुमार अपनी एंबेसडर कार में हैंगर में वर्दी लटकाकर चलते थे। ताकि, कहीं ला एंड आर्डर की स्थिति आ जाए तो तत्काल वर्दी पहनकर मौके पर पहुंच जाएं। पर लगता है, वह पुरानी बात हो गई।

चारो खाने चित

अंतागढ़ उपचुनाव से कांग्रेस पार्टी को बड़ी उम्मीद थी। नवंबर में हुए चुनाव में विक्रम उसेंडी पांच हजार वोट से ही तो जीते थे। ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, कई उपचुनावों में भाजपा को पटखनी मिली है। यहां, राशन कार्ड का मुद्दा था ही। कांग्रेस की तैयारी थी कि जिस तरह 2006 में कोटा उपचुनाव में कांग्रेस ने सत्ताधारी पार्टी को हराया था, उसी तरह अंतागढ़ बाइ इलेक्शन जीत कर माहौल बनाया जाए। और, उसकी फसल नगरीय निकाय चुनावों में काटी जाए। मगर पार्टी प्रत्याशी द्वारा आश्चर्यजनक ढंग से नाम वापिस लेने से कांग्रेस चुनाव के पहले ही चारो खाने चित हो गई।

कमजोर सूचना तंत्र

मैदान में उतरने से पहले पार्टी प्रत्याशी द्वारा हाथ खड़ा कर देने को कांग्रेस नेता भले ही घोखा और षडयंत्र करार दें मगर इस एपीसोड में साफ हो गया है कि संगठन खेमा ने बेहद कमजोर दांव चला। मंतूराम पवार विरोधी खेमे से जुड़े हैं, इसे कौन नहीं जानता था। इसके बाद भी उन पर दांव लगा दिया। टिकिट देने से पहले आजमा तो लेना था। फिर, पुख्ता सूत्रों की मानें तो पिछले चार दिनों से पवार से नामंकन वापिस लेवाने की कोशिश चल रही थी। उनके पास फोन आ रहे थे….लोग मिल रहे थे। मगर संगठन खेमे को भनक तक नहीं लगी। जबकि, विरोधी खेमे का सूचना तंत्र देखिए, शुक्रवार शाम भूपेश बघेल का जब किसी को लोकेशन नहीं मिल रहा था, मीडिया को भी नहीं। तब विरोधी खेमे के बंगले में यह खबर थी कि बघेल कांकेर के लिए रवाना हो गए हैं और अभी धमतरी क्रास कर रहे हैं। संगठन खेमे का सूचना तंत्र मजबूत होता तो यह बाजा ही नहीं बजता।

भूपेश हटाओ…..

अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस की फजीहत होने के बाद अब पार्टी में भूपेश हटाओ मुहिम तेज होगी। कार्यकारिणी में जिन नेताओं को जगह नहीं मिली, वे अब अपना हिसाब चूकता करेंगे। विधान मिश्रा, राजेंद्र तिवारी ने हमला बोला ही है, कई और नेता संगठन खेमे के खिलाफ मुखर होंगे। भूपेश के पास टीएस सिंहदेव के अलावा कोई बड़ा नेता नहीं है, जो उनके बचाव में उतर सकें। सत्यनारायण शर्मा पहले से नाखुश हैं। बदरुद्दीन कुरैशी को कार्यकारिणी में लिए जाने से रविंद्र चैबे की नाराजगी लाजिमी है। और किसी नेता की हैसियत इतनी बड़ी नहीं है कि संगठन के साथ वह दमदारी से खड़ा हो सकें। कुल मिलाकर कांग्रेस की स्थिति और खराब होगी। ऐसे में, नगरीय निकाय चुनावों में भी पार्टी का परफारमेंस प्रभावित होगा।

हालत खास्ता

छत्तीसगढ़ के कमजोर और मध्यम वर्ग के लोगों को अब राजधानी रायपुर में अपना घर का सपना जल्द पूरा हो सकता है। हाउसिंग बोर्ड कम रेंज के 25 हजार फ्लैट बनाने जा रहा है। 15 हजार न्यू रायपुर में और 10 हजार कमल विहार में। सभी पांच लाख से 15 लाख के बीच के होंगे। याने न्यू रायपुर में भी आपको पांच लाख के मकान उपलब्ध होंगे। इसे प्री कास्ट टेक्नालाजी से बनाए जाएंगे। इस तकनीक से न केवल साल भर के भीतर मकान तैयार हो जाएंगे, बल्कि क्वालिटीयुक्त होंगे। बड़े मकान बिकते नहीं, 1000 फ्लैट खाली पड़े हैं। कोई लेनदार नहीं है। इसलिए, हाउसिंग बोर्ड ने तय किया है कि छोटे और मंझोले रेंज के आवास बनाए जाएं। अफसरों का दावा है, दो साल के भीतर 25 हजार फ्लैट तैयार कर देंगे। प्री कास्ट टेक्नालाजी के लिए एलएंडटी जैसी तीन कंपनियों से बातचीत शुरू हो गई है। कमल विहार-2 के लिए लोग बेसब्री से प्रतीक्षा कर ही रहे हैं, हाउसिंग बोर्ड का यह प्रोजेक्ट चालू हो गया तो प्रायवेट बिल्डरों ही हालत और खराब होगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. अंतागढ़ उपचुनाव वे नाम वापस लेने के लिए कांग्रेस के सगंठन खेमे को मुख्यमंत्री का पुतला जलाना चाहिए या किसी और का?
2. किस कलेक्टर पर भ्रष्टाचार की गाज गिर सकती है?

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