26 जुलाई
नान घोटाले में निबटने वाले ब्यूरोके्रट्स लोकल हैं तो निबटाने वाले भी। प्रिंसिपल सिकरेट्री डा0 आलोक शुक्ला भिलाई से हैं। रायपुर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किए। इसके बाद आईएएस में सलेक्ट हुए। वहीं, स्पेशल सिकरेट्री अनिल टुटेजा बिलासपुर को बिलांग करते हैं। दोनों को निबटाने वाले एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता भी बिलासपुर से ही हैं। वहीं, सामान्य प्रशासन विभाग के हेड याने चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड भी लोकल हैं। रायपुरिया। चाहे जैसे भी हो, दोनों से विभाग छीनने का आर्डर उन्होंने ही निकाला। याने छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े स्केम में बाहरी कोई नहीं है। सभी अपने माटी पुत्र हैं।
लाबिंग बट….
नान स्केम में फंसे आईएएस अफसरों को प्रोटेस्ट करने के लिए सीनियर ब्यूरोक्रेट्स ने खुलकर सामने आने में जब असमर्थता जताई, तो यंग आईएएस ने मोर्चा संभाला। हाल ही में युवा अफसरों के प्र्रतिनिधिमंडल ने पुलिस मुख्यालय जाकर डीजीपी एएन उपध्याय से मुलाकात की। मिलने का मेन मकसद था, किसी तरह एसीबी पर प्रेशर बनें। मगर कहते हैं ना, समय खराब होता है, तो उंट पर बैठने पर भी कुत्ता कूद कर काट लेता है। हुआ कुछ ऐसा ही। पड़ोस में व्यापम पर बवंडर मच गया। ऐसे में, कोई चारा नहीं था। सरकार ने दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की हरी झंडी दे दी, बल्कि विभाग भी लेने में देर नहीं लगाई। वरना, अभियोजन चलाने की अनुमति मांगने से पहले जीएडी द्वारा मामले को साफ्ट करने की भरपूर कोशिशें की गई। नान के एमडी ब्रजेश मिश्रा से ओपेनियन मंांगा गया था कि पीडीएस के ट्रांसपोंिर्टंग और चावल के क्वालिटी कंट्रोल में इस लेवल पर करप्शन की गुंजाइश है? आईएएस लाबी अश्वस्त भी हो गई थी कि केस अब निबट जाएगा। मगर सब गड़बड़ हो गया।
राइट च्वाइस?
नान घोटाले में सरकार ने डा0 आलोक शुक्ला से हेल्थ डिपार्टमेंट ले लिया। हेल्थ अब विकासशील को दिया गया है। विकास की पोस्टिंग इसलिए की गई है कि उनके खिलाफ नान मामले में कोई आरोप नहीं है। एसीबी की डायरी में भी चार-पांच जगह उनके नाम नहीं है। ना तो उन्होंने नान के पैसे से एयर के टिकिट कराए हैं और ना ही मोबाइल चार्ज समेत कई पर्सनल काम। ऐसे में, विकासशील को राइट च्वाइस मानने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कम-से-कम एसीबी जब तक खामोश है, तब तक।
मंत्रीजी की मुश्किलें
एसीबी ने पिछले हफ्ते काली कमाई के दर्जन भर कुबेरों के यहां दबिश दी, उनमें एक मंत्रीजी का करीबी अफसर भी शामिल है। अफसर के जरिये ही मंत्रीजी के पास ठेकेदारों का माल-मसाला पहंुचता था। लेकिन, एसीबी ने वह भी बंद कर दिया। वैसे भी, एक-एक कर सप्लाई लाइन काटने से मंत्रीजी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है।
सर्वाधिक डायरेक्ट
बिलासपुर सूबे का पहला जिला होगा, जहां न केवल पांच आईएएस पोस्टेड हैं बल्कि सबके सब डायरेक्ट भी। कमिश्नर सोनमणि बोरा से शुरूआत होती है। इसके बाद कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल परदेशी, जिला पंचायत सीईओ सर्वेश भूरे, एडिशनल कलेक्टर जेपी मौर्या, नगर निगम कमिश्नर रानू साहू। रायपुर में भी पांच आईएएस पोस्टेड हैं। मगर इनमें दो प्रमोटी हैं। बिलासपुर में चूकि सबके सब डायरेक्ट है सो, वहां के लोगों की उम्मीदें भी ज्यादा होगी ना।
कलेक्टर नहीं, कमिश्नर
वैसे तो, छत्तीसगढ़ में कई आईएएस हैं, जो कलेक्टर नहीं बन सके। या तो वे रिटायर हो गए या फिर चला-चली की बेला में हैं। लेकिन एसएल रात्रे का केस कुछ हटके हैं। उन्हें कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिला। मगर प्रभारी ही सही, कमिश्नर जरूर रह लिए। वो भी बिलासपुर जैसे कमिश्नरी में। करीब साल भर तक। जब केडीपी राव ने कमिश्नर बनने से इंकार कर दिया था। रात्रे का रिटायरमेंट करीब है। वे इस बात से ही प्रसन्न होंगे कि कलेक्टर ना सही, कमिश्नर का सुख तो भोग लिए। वो भी ऐसी जगह, जहां सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, रीना कंगाले, ओपी चैधरी, मुकेश बंसल जैसे हाईप्रोफाइल कलेक्टर रहे या अभी हैं।
हफ्ते का व्हाट्सएप
संता जा रहा था। रास्ते में एक चुड़ैल ने उसे रोक कर कहा, हा..हा….हा……., रुकजा मैं चुड़ैल हूं। संता ने कहा, मैनु पता है। तेरी एक बहिन मेरे नाल ही ब्याही है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. कांग्रेसियों ने रायपुर के शंकर नगर स्थित अमर अग्रवाल के बंगले में तोड़फोड़ की, मगर उनके बाउंड्री से जुड़े बृजमोहन अग्रवाल के बंगले को क्यों बख्श दिया?
2. क्रांतिकारी सी ग्वेरा के अनुयायी कलेक्टर का नाम बताइये, जिन पर माओवादियों के कैम्पों में जाने के आरोप लग रहे हैं?
2. क्रांतिकारी सी ग्वेरा के अनुयायी कलेक्टर का नाम बताइये, जिन पर माओवादियों के कैम्पों में जाने के आरोप लग रहे हैं?
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