14 फरवरी
संजय दीक्षित
छत्तीसगढ़ बोले तो सबसे शांत, सुघड़ प्रदेश। मगर कुछ दिनों से सूबे में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। गर आप ज्योतिष पर यकीन करते हैं तो छत्तीसगढ़ की कंुडली में मंगल, बुध और शनि का पोजिशन कुछ इस तरह बन गया है कि अपर लेवल में झगड़ा-फसाद खूब होंगे। देख ही रहे हैं। नेता, मंत्री, अफसर सब लड़ रहे हैं। कांग्रेस में अपनों में ही तलवारें खींची हुई है। ऐसा, कि सामने पड़ जाएं, तो गर्दन उड़ा दें। कैबिनेट में मंत्री लड़ रहे हैं। तो सड़क पर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस तलवारें भांज रहे हैं। बिल्कुल अराजकता के हालात। हालांकि, सबसे पहले तलवार लेकर सड़क पर उतरे आईएएस ही। मगर इसमें उनका कोई कसूर नहीं। छत्तीसगढ़ का ग्रह-नक्षत्र ही….। आपको याद होगा, कुछ दिन पहले आईएएस ट्रेड यूनियन के अंदाज में आईपीएस से रहम के लिए पहुंच गए थे सीएम के पास। तो हाल में, आईएएस, आईपीएस, दोनों से भिड़ गए आईएफएस। वन मंत्री महेश गागड़ा तो और एक कदम आगे निकल आए। एसीबी के छापे के खिलाफ आईएफएस को लेकर पहंुच गए सीएम के पास। उन पर मंगल का प्रभाव नहीं होता तो मंत्री होने की सुविधा के नाते वे सीएम से वन-टू-वन भी बात कर सकते थे। वो ज्यादा प्रभावशाली भी होता। मीडिया में खबर भी नहीं बनती। किन्तु….। और देखिए, अगले दिन एसीबी ने संपति का खुलासा करके गागड़ा पर ही जवाबी गोला दाग दिया। अब, इसे क्या कहेंगे? ग्रह-नक्षत्र का असर! तो सरकार को इसके लिए कुछ करना चाहिए। ठोस कदम। पुख्ता इंतजाम। वरना, प्रदेश के लिए यह स्थिति ठीक नहीं है।
छत्तीसगढ़ बोले तो सबसे शांत, सुघड़ प्रदेश। मगर कुछ दिनों से सूबे में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। गर आप ज्योतिष पर यकीन करते हैं तो छत्तीसगढ़ की कंुडली में मंगल, बुध और शनि का पोजिशन कुछ इस तरह बन गया है कि अपर लेवल में झगड़ा-फसाद खूब होंगे। देख ही रहे हैं। नेता, मंत्री, अफसर सब लड़ रहे हैं। कांग्रेस में अपनों में ही तलवारें खींची हुई है। ऐसा, कि सामने पड़ जाएं, तो गर्दन उड़ा दें। कैबिनेट में मंत्री लड़ रहे हैं। तो सड़क पर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस तलवारें भांज रहे हैं। बिल्कुल अराजकता के हालात। हालांकि, सबसे पहले तलवार लेकर सड़क पर उतरे आईएएस ही। मगर इसमें उनका कोई कसूर नहीं। छत्तीसगढ़ का ग्रह-नक्षत्र ही….। आपको याद होगा, कुछ दिन पहले आईएएस ट्रेड यूनियन के अंदाज में आईपीएस से रहम के लिए पहुंच गए थे सीएम के पास। तो हाल में, आईएएस, आईपीएस, दोनों से भिड़ गए आईएफएस। वन मंत्री महेश गागड़ा तो और एक कदम आगे निकल आए। एसीबी के छापे के खिलाफ आईएफएस को लेकर पहंुच गए सीएम के पास। उन पर मंगल का प्रभाव नहीं होता तो मंत्री होने की सुविधा के नाते वे सीएम से वन-टू-वन भी बात कर सकते थे। वो ज्यादा प्रभावशाली भी होता। मीडिया में खबर भी नहीं बनती। किन्तु….। और देखिए, अगले दिन एसीबी ने संपति का खुलासा करके गागड़ा पर ही जवाबी गोला दाग दिया। अब, इसे क्या कहेंगे? ग्रह-नक्षत्र का असर! तो सरकार को इसके लिए कुछ करना चाहिए। ठोस कदम। पुख्ता इंतजाम। वरना, प्रदेश के लिए यह स्थिति ठीक नहीं है।
अमित के लौटने के बाद
आईजी लेवल पर फेरबदल अब अमित कुमार के दिल्ली से लौटने के बाद ही संभव होगा। अमित फिलहाल, सीबीआई में डेपुटेशन पर हैं। अगस्त में उनका वहां पांच साल पूरा हो जाएगा। सरकार ने उन्हें आईजी का प्रोफार्मा प्रमोशन दे दिया है। जाहिर है, अमित सरकार के गुडबुक में रहे हैं। जब यहां से दिल्ली गए थे, दुर्ग एसपी थे। सो, वहां से लौटने पर उन्हें आईजी के रूप में ठीक-ठाक ही रेंज मिलेगा। तब तक रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग के आईजी की कुर्सी पर कोई खतरा नहीं दिख रहा है। अब, कोई हिट विकेट होकर अपनी कुर्सी गवां बैठे या सरकार को सर्जरी करने के लिए विवश कर दें, तो बात अलग है।
ऐसे भी आईएएस
एक सीनियर आईएएस लोन के लिए हलाकान हैं। कई बैंकों में उनके कागज जमा हुए, मगर सभी ने हाथ खड़ा कर दिया। दरअसल, आईएएस ने पहले से कुछ बैंकों से लोन ले चुके हैं। मगर चुकाया एक का भी नहीं। एक को कह दिया कि मैंने लोन लिया ही नहीं है। हस्ताक्षर मेरा नहीं है। इसलिए, बैंकर हड़के हुए हैं। चलाचली की बेला में लोन दे दिया तो वसूल तो होने वाला नहीं।
दो लाल बत्ती का असर?
बिलासपुर जिले में आने वाला तखतपुर प्रदेश का पहला ब्लाक या विधानसभा क्षेत्र होगा, जहां सरकार ने दो लाल बत्ती दी है। राजू क्षत्री को संसदीय सचिव और हर्षिता पाण्डेय को राज्य महिला आयोग की कमान। मगर बुधवार को कांग्रेस का वहां कार्यक्रम हुआ, वह प्रदेश का अब तक का सबसे जोशीला और भीड़-भाड़ वाला कार्यक्रम में दर्ज हो गया। राजू क्षत्री ने वैसे भी पिछला चुनाव कांग्रेस के आशीष सिंह से महज 600 वोटों से जीता था। वहां पावर के डबल पोल बनने से अगले चुनाव की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
स्वागत विहार
स्वागत विहार पर सरकार का शिकंजा फिर कसता जा रहा है। ताजा अपडेट यह है कि स्वागत विहार में जिस सरकारी जमीन की प्लाटिंग की गई थी, राजस्व विभाग ने उसे फिर से सरकारी रिकार्ड में दर्ज कर लिया है। और यह भी, जिन प्लाटों को सरकारी रिकार्ड में दर्ज किया गया है, उनमें बड़े-बड़ों के नाम है। सो, जो लोग संजय बाजपेयी के देहावसान के बाद राहत महसूस कर रहे होंगे, उनके लिए यह बैड न्यूज है।
सब पाण्डेयजी
सरकार ने जिन ब्राम्हण नेताओं को लाल बत्ती से नवाजा है, उनमें अधिकांश पाण्डेयजी हैं। पीएससी मेम्बर पाण्डेय। राज्य महिला आयोग में पाण्डेय और माटी कला बोर्ड में भी पाण्डेय। मंत्री प्रेमप्रकाश भी पाण्डेय तो संगठन में सरोज पाण्डेय भी पाण्डेय। रायपुर जिलाध्यक्ष भी पाण्डेय। अपवाद के तौर पर शिवरतन शर्मा और बद्रीधर दीवान। लेकिन, उनकी हालत भी देख लीजिए। भारत सरकार ने जिस तरह माईनिंग रुल बदलें है और दूसरा, सुबोध सिंह के माईनिंग सिकरेट्री बनने के बाद जिस तरह सिस्टम को आनलाईन किया गया है, चेयरमैन के लिए कुछ बच नहीं गया है। उधर, सरकार ने दीवानजी को दूसरी बार विस उपाध्यक्ष बनाया है। इस पोस्ट की कितनी अहमियत है, आप समझ सकते हैं। ऐसे में, बीजेपी में ही लोग भी चुटकी ले रहे हैं कि एक वीरेंद्र पाण्डेय के लिए सरकार ने इतने पाण्डेय को मैदान में उतार दिया है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. एक कलेक्टर का नाम बताइये, जिसकी पत्नी कलेक्टरी चलाती है?
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