,15 मई
संजय दीक्षित
शीर्षक आपको अटपटा लग रहा होगा कि सुबे का सबसे ताकतवर नौकरशाह अमन सिंह सारथी डीएम अवस्थी का! मगर यह सत्य है। लोक सुराज के दौरान देश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित भेज्जी में सीएम ने जब मोटरसायकिल से विजिट किया, उनके साथ सीएस विवेक ढांड, पीएस टू सीएम अमन सिंह एवं स्पेशल डीजी नक्सल डीएम अवस्थी थे। इनमें से अमन को छोड़कर सभी मोटरसायकिल पर पीछे बैठे। अमन ने बाइक थामी और डीएम उनके पीछे बैठे। ऐसे में, अमन डीएम के सारथी ही हुए ना। और, अमन जब सारथी बन ही गए हैं तो डीएम को अब चिंता की कोई जरूरत नहीं है। कुशल सारथी के बदौलत अर्जुन कौरवों का विध्वंस कर दिए थे, डीएम के लिए तो सिर्फ एक सीढ़ी बची है।
शीर्षक आपको अटपटा लग रहा होगा कि सुबे का सबसे ताकतवर नौकरशाह अमन सिंह सारथी डीएम अवस्थी का! मगर यह सत्य है। लोक सुराज के दौरान देश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित भेज्जी में सीएम ने जब मोटरसायकिल से विजिट किया, उनके साथ सीएस विवेक ढांड, पीएस टू सीएम अमन सिंह एवं स्पेशल डीजी नक्सल डीएम अवस्थी थे। इनमें से अमन को छोड़कर सभी मोटरसायकिल पर पीछे बैठे। अमन ने बाइक थामी और डीएम उनके पीछे बैठे। ऐसे में, अमन डीएम के सारथी ही हुए ना। और, अमन जब सारथी बन ही गए हैं तो डीएम को अब चिंता की कोई जरूरत नहीं है। कुशल सारथी के बदौलत अर्जुन कौरवों का विध्वंस कर दिए थे, डीएम के लिए तो सिर्फ एक सीढ़ी बची है।
कैबिनेट का फैसला और 17 दिन
कैबिनेट बोले तो सरकार का सुप्रीम बाडी। सीएम से भी बड़ा। उसके फैसले को अमल में लाने में अगर 17 दिन लग जाते हैं तो समझा जा सकता है, सिस्टम किस रफ्तार में चल रहा है। हम बात कर रहे हैं, हेलमेट का जुर्माना 200 रुपए करने का। कैबिनेट ने 27 अप्रैल को इसका फैसला किया था। इससे पहले, बजट सत्र में सीएम ने भी इसका ऐलान किया था। इसके बाद भी 13 मई को इसका आदेश जारी हुआ। याने 17 दिन में। अफसर इसको लेकर संजीदा होते तो दो दिन में राजपत्र में प्रकाशित करके तीन-चार दिन के भीतर या अधिकतम हफ्ते भर में उसे क्रियान्वित कर देते। कोई काम अगर समय पर होता है तो उसका रिस्पांस भी मिलता है। 200 की जगह 500 रुपए जुर्माना देने पर लोगों ने 15 दिन सरकार को खूब कोसा….बेवकूफ बना रही है, बोलती है 200 कर दिया और वसूल रही है 500। सरकार को इसे नोटिस में लेना चाहिए। ताकि, कम-से-कम कैबिनेट के फैसले अफसरशाही का शिकार न हो जाए।
मंत्रियों की गरमी के पीछे
लोक सुराज अबकी मंत्रियों के गरम होने के लिए याद किया जाएगा। प्रेमप्रकाश पाण्डेय, पुन्नूराम मोहिले और रामसेवक पैकरा जैसे मंत्रियों को छोड़ दें तो बाकी सबके तेवर तीखे ही रहे। केदार कश्यप ने कोरिया में डीईओ को हटा दिया। तो कुनकुरी में छात्राओं के मेकअप पर बोल विरोधियों को गरम कर दिया। अजय चंद्राकर के बारे में बताने की जरूरत नहीं है। सबसे अधिक सुर्खियां उन्होंने ही बटोरी। महेश गागड़ा ने रेस्ट हाउस ना मिलने पर चार को सस्पेंड कर दिया। राजेश मुणत ने वाटर हार्वेस्टिग के लिए रायपुर में बिल्डरों को हड़काया तो बस्तर में एनएमडीसी को जमकर डोज दे दिया। सबसे सीनियर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विभाग से आईएएस अफसरों को हटाने के लिए चीफ सिकरेट्री को लेटर लिख डाला। यही नहीं, महिला बाल विकास मंत्री रमशिला साहू का बिलासपुर में पारा गरम हो गया। हालांकि, तीखे तेवर का आगाज अमर अग्रवाल ने लोक सुराज के दो दिन पहले ही कर दिया था। बलौदा बाजार की समीक्षा बैठक में उन्होंने सीएमओ को सस्पेंड कर दिया था। सरकार अब इसकी पड़ताल करवा रही है कि वन विभाग ने इस बार कहीं जड़ी-बुटी की मात्रा तो नहीं बढ़ा दी। दरअसल, हर साल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान वन विभाग मंत्रियों को जड़ी बुटियों का बड़ा पैकेट भिजवाता है। उसमें च्यवनप्राश से लेकर सफेद मुसली, अश्वादि जैसी कई गरम करने वाली बुटियां होती हैं। सरकार अब प्रिंसिपल सिकरेट्री आरपी मंडल को निर्देश देने पर विचार कर रही है कि जड़ी बुटियां मानसून सत्र में बंटवाएं जाएं। वरना, मंत्रियों के चक्कर में सरकार का चौपाल फीका पड़ जाएगा। आखिर, लोक सुराज में कई दिन अखबारों के हेडलाइन मंत्री गए।
बृजमोहन और चंद्राकर
सरकार के सबसे सीनियर और तेज मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विभागों में आईएएस की बजाए विभागीय अफसरों को पोस्ट करने के लिए चीफ सिकरेट्री को पत्र लिख कर कहीं अपना कद तो कम नहीं कर लिया है, यह चर्चा इन दिनों सत्ता के गलियारों में सरगर्म है। आखिर, बृजमोहन जैसे मंत्री आईएएस से अनकंफर्ट फील करें, तो फिर उन पर सवाल तो उठेंगे ही। जबकि, उनके कृषि और सिंचाई में मात्र तीन आईएएस हैं। अजय सिंह, समीर विश्नोई और जीएस मिश्रा। अजय सिंह लो प्रोफाइल में काम करने वाले आईएएस हैं तो समीर विश्नोई तो आईएएस में अभी बच्चे ही कहे जाएंगे। जीएस मंत्रियों से बेहतर रिश्ते वाले आईएएस माने जाते हैं। बृजमोहन को अपने पुराने संगी अजय चंद्राकर की ओर भी देखना चाहिए। उनके पंचायत में एमके राउत जैसे तेज-तर्राट एसीएस हैं। हेल्थ में पांच आईएएस हैं। सिकरेट्री विकास शील, ज्वाइंट सिकरेट्री आलोक अवस्थी, टीपी वर्मा, डायरेक्टर हेल्थ आर प्रसन्ना, डायरेक्टर हेल्थ मिशन अविनाश चंपावत। 15 दिन पहले तक उनके पास होम और पुलिस के खटराल अफसर भी थे। कुल मिलाकर बृजमोहन के वेलविशर भी मान रहे हैं कि मोहन भैया को लेटर लिखकर अपनी निरीहता नहीं दिखानी थी।
मु्ुफ्त पब्लिसिटी
सरकार की छबि निखारने के लिए जनसंपर्क तो मीडिया को पैसे देकर पब्लिसिटी करवाता है। मगर जनसंपर्क संचालक राजेश टोप्पो ने तो लोक सुराज की मुफ्त में पब्लिसिटी करवा ली। दरअसल, पिछले हफ्ते राजधानी के पत्रकारों को देर शाम उन्होंने पांच मिनट के गैप में दो मिस्ड काल किया। बाद में पत्रकारों ने कालबैक किया। राजेश अब फोन रिसीव करेंगे….अब….., लोग उनके मोबाइल पर लोक सुराज का सांग सुनते रहे। मगर उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। रात 11.30 बजे राजेश ने काल करके बताया कि मैं तो आपलोगों को लोक सुराज का सांग सुनवाना चाहता था। दरअसल, वे फीडबैक लेना चाह रहे थे कि सांग कैसा है। ओके होने पर अगले दिन से सारे अफसरों के मोबाइल पर लोक सुराज का सांग बजने लगा।
मंडल का झंडा
आरपी मंडल ने राजधानी में कई नई सड़कें बनवाई मगर सबसे अधिक किसी काम को लेकर उनका नम्बर बढ़ा तो 82 फीट के तिरंगा लगाने पर। सीएम ने तो हेलिकाप्टर से उसकी फोटो लेकर ट्यूटर पर डाल दिया। सोशल मीडिया पर ये फोटो वायरल हो गई। उस दिन ये फोटो ट्रेंड में तीसरे नम्बर पर रही। अहम यह कि तीन साल पहले तक तेलीबां तालाब सिर्फ जीई रोड की ओर ही फ्री था। बाकी तीन ओर लोग लोटा लिए दिखते थे। जहां झंडा लगा है, वहां की स्थिति तो और खराब थी। गंदगी इतनी कि आप उसके बगल से भी नहीं जा सकते थे। ऐसे में, मंडल ने देश का सबसे उंचा झंडा लगाने के साथ ही अपना झंडा भी गाड़ दिया। बट….सिर्फ रायपुर ही नहीं,.एज ए पीएस अरबन एडमिनिस्ट्रेशन मंडल को रायपुर के अलावा दीगर शहरों पर भी नजरे इनायत करना चाहिए।
कुल्हाड़ी पर पैर
वन मंत्री महेश गागड़ा की सहमति पर अगर तपेश झा को जगदलपुर सर्किल का सीसीएफ बनाया गया है तो लोग कह रहे हैं, मंत्री ने कुल्हाड़ी पर पैर मार लिया है। उनके बारे में यह धारणा इसलिए बन गई है कि वे जहां भी जाते हैं, विवाद उनके पीछे चला आता है। अचानकमार टाईगर रिजर्व में ढाई साल पोस्टेड रहे। हाथी को लेकर उनकी गलतबयानी से हाईकोर्ट ने पूरे वन विभाग की क्लास ले डाली। झा ने पहले कहा था हाथी को पालतू बना रहे हैं लेकिन केंद्रीय वन मंत्रालय ने जब झिड़की दी तो बाद में वे मुकर गए। हाथी मामले में वन विभाग की भद पिट गई। अलबत्ता, अचानकमार से अच्छी जगह जगदलपुर सर्किल में उनकी पोस्टिंग हुई है। लेकिन, जाते-जाते फेसबुक पर उन्होंने पर्यावरणविद्ों, वन्यजीव प्रेमियों से लेकर मीडिया को कोस कर नाहक विवाद पैदा कर गए। अचानकमार में अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए उन्होंने फेसबुक पर कुछ फोटुएं पोस्ट की है, उनमें तौलिया पहनकर नहाते हुए, सोते हुए दिखाया गया हैं। आप उनके फेसबुक वाल पर फोटुएं देख लीजिए, फिर उसके बाद आप समझ जाएंगे कि लोग क्यों कह रहे हैं वन मंत्री ने कुल्हाड़ी पर…..।
अंत में दो सवाल आपसे
1. रामसेवक पैकरा के स्वस्थ्य होकर लौटने और अजय चंद्राकर के गृह विभाग से मुक्त होने के बाद आईपीएस अफसरों ने किस होटल में पार्टी की?
2. एक महिला कलेक्टर का नाम बताइये, जो रोज सुबह आठ बजे फेसियल करने आने से मना करने पर ब्यूटिशियन को जेल भेजने की धमकी दे डाली?
2. एक महिला कलेक्टर का नाम बताइये, जो रोज सुबह आठ बजे फेसियल करने आने से मना करने पर ब्यूटिशियन को जेल भेजने की धमकी दे डाली?
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