शनिवार, 13 अगस्त 2016

इंतेहां…..हो गई, इंतजार क


14 अगस्त
संजय दीक्षित
लगता है, रिटायर नौकरशाहों को लाल एवं नीली बत्ती के देने में सरकार उनके धैर्य की परीक्षा ले रही है। पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग के लिए सरकार ने दो महीने का नार्म रखा था। याने रिटायरमेंट के बाद दो महीना वेट करना होगा। लेकिन, ये टाईम लिमिट भी खतम हो गई। इसके बाद सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र के बाद का संकेत दिया था। सत्र खतम हुए भी महीना होने जा रहा है। अब तो अफसरों से लोगों ने पूछना भी बंद कर दिया है, साब कब हो रहा है…..। पत्नियां इंसल्ट के चलते किटी पार्टियों में जाना बंद कर दिया है, सो अलग। चिंता का विषय यह है कि रिटायर अफसरों की संख्या बढ़ती जा रही है। सीट लिमिटेड है। ठीक-ठाक में तो दो ही समझिए। मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य निर्वाचन आयुक्त। पीएससी मेम्बर भी है। मगर 62 साल आयु सीमा के कारण रिटायर अफसरों के लिए दो साल ही मिलता है। बहरहाल, पुनर्वास के दावेदारों के पास शराबी फिल्म का गाना गुनगुनाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है, इंतेहा हो गई….इंतजार की, आई ना कोई खबर, लाल बत्ती की….।

झंडा उंचा रहे हमारा

बात दंतेवाड़ा की है। 2008 के आसपास वहां एक महिला कलेक्टर थीं। पहला जिला था। सो, चूक हो गई थी। तिरंगा उल्टा फहर गया। मामला कोर्ट केस तक पहंुच गया। इस बार तो आधा दर्जन से अधिक नए कलेक्टर हैं। 2009 बैच के ही पांच आईएएस पहली बार कलेक्टर बने हैं। उनसे सीनियर बैच के दो कलेक्टरों का भी पहला स्वतंत्रता दिवस होगा। उपर से सोशल मीडिया का जमाना। गड़बड़ होने का मतलब आप समझ सकते हैं। सो, नए कलेक्टर सहमे हुए हैं, कोई चूक न हो जाएं। नए कलेक्टर वाले जिलों में फूंक-फंूककर तैयारी की जा रही है।

एसपी की सुनेगी सरकार

राज्य बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब सरकार सिर्फ एसपी की सुनेगी। इससे पहले, कलेक्टर और एसपी कांफ्रेंस एक साथ होती थी। कलेक्टर का पहले और सेकेंड हाफ मेें याने भोजन के बाद एसपी, आईजी की। चार सितारा होटल का जायकेदार भोजन करने के बाद न कोई सुनने के मूड में रहता था और ना ही सुनाने की स्थिति में। ओके और थैंक्स में मामला निबट जाता था। लेकिन, 24 अगस्त को एसपी कांफ्रेंस होने जा रही है, उनमें ऐसा नहीं होगा। अबकी वेन्यू भी मंत्रालय नहीं, पीएचक्यू होगा। इसमें सीएम दिन भर रहेंगे। सबसे पहिले, सात आईपीएस एसपी रायपुर संजीव शुक्ला, बिलासपुर एसपी मयंक श्रीवास्तव, दुर्ग एसपी अमरेश मिश्रा, महासमुंद एसपी नेहा चंपावत, राजनांदगांव एसपी प्रशांत अग्रवाल, ट्रेफिक एआईजी जीतेंद्र मीणा और एसपी एसआईटी दीपक झा अपना प्रेजेंटेशन देेंगे। सातों को टापिक दे दिया गया है। प्रेजेंटेशन के बाद सीएम एसपी से मुखातिब होंगे। उनकी दिक्कतों सुनेंगे। बहरहाल, पीएम की इच्छा का सम्मान कर सबसे पहिले एसपी कांफ्रेंस करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है। पीएम ने दिल्ली में डीजीपी कांफ्रेंस में अपने मन की बात कही थी कि डीजीपी कांफें्रस की तरह मुख्यमंत्रियों को क्यों नहीं एसपी कांफें्रस करना चाहिए।
खतरे की घंटी
आईपीएस अमित कुमार का सीबीआई डेपुटेशन 8 सितंबर को समाप्त हो जाएगा। उनके पास सुप्रीम कोर्ट के कुछ केसेज हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ लौटने के लिए शीर्ष कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ेगी। हालांकि, ये रुटीन प्रक्रिया है। इसलिए, अनुमति मिलने में दिक्कत नहीं होती। ऐसे में यह मानकर चला जा रहा है कि सितंबर के दूसरे पखवाड़े में वे कैडर राज्य में बैक हो जाएंगे। अमित 98 बैच के आईपीएस हैं। सरकार ने उन्हें पिछले साल आईजी का प्रोफार्मा प्रमोशन दिया था। बहरहाल, अमित के आने से आईजी लेवल पर एक और फेरबदल की अटकलें शुरू हो गई है। अमित को सरकार के गुडबुक में माना जाता है। उनके लिए गुजांइश बनाने के लिए जाहिर है, सरकार कुछ करेगी। और, खतरे की वजह आईजी यही मान रहे हंै।

खंडन और राहत

छत्तीसगढ़ की बेजेपी नेत्री सरोज पाण्डेय को गुजरात सीएम चुनने के लिए प्रभारी बनाने के बाद छत्तीसगढ़ के सत्ताधारी कैंप में सन्नाटा पसर गया था। सन्नाटे को और गहरा उस खबर ने कर दिया कि सरोज को तीन और राज्यों का प्रभारी बना दिया गया है। याने महाराष्ट्र को मिलाकर चार राज्य। इसका मतलब आप समझ सकते हैं। बीजेपी की सबसे प्रभावशाली महासचिव। मगर बीजपी आलाकमान ने अगले रोज ही तीन राज्यों के प्रभारी वाली खबर को खारिज कर दिया। तब जाकर सत्ताधारी कैंप को राहत मिली।

एक पटका, कई मैसेज

अजीत जोगी ने अपना पटका बदल लिया है। पहले वे कांग्रेस वाला तिरंगा पटका कंधे पर रखते थे। जोगी कांग्रेस बनाने के बाद जब मीडिया वालों ने इस पर सवाल किया कि तो उन्होंने कहा था कि ये कांग्रेस का नहीं, जोगी पटका है। मगर अब उन्हें सीजेसीजे के झंडे के कलर का गुलाबी पटका रखना शुरू कर दिया है। इस पर जोगीजी की सुनिये, बस्तर के एक विधायक ने मुझसे कहा कि आपके कंधे से अभी तक तिरंगा पटका उतरा नहीं है, इसका ये मतलब तो नहीं कि आपके कांग्रेस में लौटने का गुंजाइश है। इसलिए, मैंने पटका बदल लिया। वैसे, जोगी ने इससे कई मैसेज दिया है। एक तो पूरी तरह अपनी पार्टी के रंग में रंग गए। दूसरा, बस्तर के एमएलए का जिक्र कर लोगों को बताया कि वहां के कांग्रेस नेता आज भी उनके संपर्क में है। और, तीसरा, बस्तर के नेताओं की सलाह को वेटेज देते हैं। इससे बस्तर के लोग प्रभावित होंगे। याने एक पटका और कई मैसेज।

वीसी को माफ करना काकाजी

राज्य की संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा का रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी होती है। और, उससे उम्मीद की जाती है कि जो मर्यादा का पालन न करें, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मगर दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं रहा है। ताजा केस पं0 रविशंकर शुक्ल विवि का है। सूबे के सबसे बड़े विवि और वहां के सबसे बड़े वाले कुलपति साब ने जो इमरजेंसी के टाईम नहीं हुआ, वो कर डाला। अपने संयोजकत्व में संघ के साथ कुलपतियों की बैठक करा डाली। और, साहसिक अंदाज में गर्वोक्ति भी, हां बैठक हमने कराई है। इसके बाद विवि में 10 अगस्त को जो हुआ, वह देश में इसके पहले कभी नहीं हुआ। बिना राज्यपाल के दीक्षांत समारोह का कारनामा। राज्यपाल विवि के कुलाधिपति होते हैं। यूजीसी के नार्म में साफ लिखा है कि कुलाधिपति की गैर मौजूदगी में दीक्षांत नहीं हो सकता। वीसी साब बिलासपुर के ओपन यूनिवर्सिटी की ओर ताक लेते। मई में राज्यपाल के कार्यक्रम बदलने के चलते वहां के वीसी ने एक दिन पहले दीक्षांत समारोह स्थगित कर दिया था। लेकिन, रविवि ने कमाल कर दिया। जबकि, केंद्र और राज्य में एक ही सरकार। राज्यपाल को भी कोई और नहीं, मोदी सरकार ने पोस्टिंग की है। ऐसे में, राजभवन की नाराजगी के बाद भी वीसी द्वारा दीक्षांत करा लेना। ऐसे साहसिक कुलपति को तो सैल्यूट करना चाहिए। साथ ही, उनके व्यक्तित्व पर पीएचडी भी। क्योंकि, ऐसा उच्च आचरण भला कहां देखने को मिलेगा। 90 के दशक में स्व0 विद्याचरण शुक्ल के करीबी कुलपति पाण्डेयजी तक ने भी विवि का ऐसा सिर नीचा नहीं किया। इससे पं0 रविशंकर शुक्ल की आत्मा भी कलप रही होगी। खैर, वीसी को माफ करना काकाजी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. डीजीपी एएन उपध्याय को 15 अगस्त को लोग डबल बधाई क्यों देते हैं?
2. भिलाई के एक बिल्डर के यहां किन-किन नौकरशाहों ने पैसा रखवाया है?

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