5 मार्च
संजय दीक्षित
छत्तीसगढ़ के कलेक्टर्स इन दिनों शराब दुकानें बनाने में व्यस्त हैं। उन्हें कहीं लोगों को चमकाना पड़ रहा है तो कहीं मनुहार की मुद्रा में दिख रहे हैं। पिछले दिनों मंत्रालय से कलेक्टरों की वीडियोकांफ्रेंसिंग कर अपडेट मांगा गया। सवाल हुआ, फलां….तुमने कितनी बनवाई….और तुम……? एक महिला कलेक्टर ने बताया, मेरे यहां सात दुकानों का काम प्रारंभ हो गया है। साब बोले, वेरी गुड। दूसरी महिला कलेक्टर ने कहा, सर! हमारे यहां बड़ा विरोध हो रहा है। इस पर साब ने उन्हें ऐसे देखा कि पूछिए मत! इधर, कलेक्टरों की पत्नियां पूछ रही है, अजी! तुम तो कहते थे कि हमलोग देश चलाते हैं….तुम तो शराब दुकान बनवा रहे हो….मैं तो वैसे ही परेशां थी…..अब अपनी ही दुकान हो जाने पर तुम्हारा कहीं डोज न बढ़ जाएं….हे राम!
ये होना था-फटाफट कारपोरेशन बनाकर ठेका दे देना था। प्रायवेट पार्टी दुकानें बनाती तो कलेक्टरों की इस तरह छीछालेदर नहीं होती। लॉ एन आर्डर तो तहसीलदार भी देख लेता।
संजय दीक्षित
छत्तीसगढ़ के कलेक्टर्स इन दिनों शराब दुकानें बनाने में व्यस्त हैं। उन्हें कहीं लोगों को चमकाना पड़ रहा है तो कहीं मनुहार की मुद्रा में दिख रहे हैं। पिछले दिनों मंत्रालय से कलेक्टरों की वीडियोकांफ्रेंसिंग कर अपडेट मांगा गया। सवाल हुआ, फलां….तुमने कितनी बनवाई….और तुम……? एक महिला कलेक्टर ने बताया, मेरे यहां सात दुकानों का काम प्रारंभ हो गया है। साब बोले, वेरी गुड। दूसरी महिला कलेक्टर ने कहा, सर! हमारे यहां बड़ा विरोध हो रहा है। इस पर साब ने उन्हें ऐसे देखा कि पूछिए मत! इधर, कलेक्टरों की पत्नियां पूछ रही है, अजी! तुम तो कहते थे कि हमलोग देश चलाते हैं….तुम तो शराब दुकान बनवा रहे हो….मैं तो वैसे ही परेशां थी…..अब अपनी ही दुकान हो जाने पर तुम्हारा कहीं डोज न बढ़ जाएं….हे राम!
ये होना था-फटाफट कारपोरेशन बनाकर ठेका दे देना था। प्रायवेट पार्टी दुकानें बनाती तो कलेक्टरों की इस तरह छीछालेदर नहीं होती। लॉ एन आर्डर तो तहसीलदार भी देख लेता।
सुंदर का राज
बस्तर से आईजी एसआरपी कल्लूरी की बिदाई के बाद प्रभारी बनाकर भेजे गए सुंदरराज पी को एसपी सहयोग नहीं कर रहे थे। सरकार की नोटिस में भी ये बात लगातार आ रही थी कि उन्हें ओवरलुक किया जा रहा है। पिछले हफ्ते चीफ सिकरेट्री, डीजीपी, पीएस होम जगदलपुर गए थे। तीनों ने वहां लंबी बैठक लेकर इशारों में कह दिया था कि सुंदर को सपोर्ट करें। इसके बाद भी बस्तर के एसपी नहीं सुधरे तो सरकार ने चक्र चला दिया। चलिये, दो को बस्तर से बाहर और दो को इधर-से-उधर करने के बाद बस्तर में अब सुंदर का राज स्थापित हो गया है।
सजा या ताजपोशी?
बस्तर में कल्लूरी के हनुमान कहे जाने वाले आरएन दाश को सरकार ने हटा दिया है। पता चला है, आरएन दाश के उस बयान को सरकार ने गंभीरता से लिया, जिसमें उन्होंने कहा कि कल्लूरी के जाने के बाद मिशन अधूरा रह गया। लेकिन, बलौदा बाजार भेज कर उन्हें सजा दी गई है या इनाम? यह सवाल चर्चा में है। जाहिर है, बलौदा बाजार बस्तर से कहीं अधिक मलाईदार जिला है। आधा दर्जन से अधिक सिमेंट प्लांट हैं। भाटापार जैसे कारोबारी जगह भी बलौदा बाजार में है। कसडोल जैसा वीआईपी विधानसभा क्षेत्र भी बलौदा बाजार में ही है। बताते हैं, बड़ी चतुराई के साथ बलौदा बाजार के लिए दाश का नाम बढ़ाया गया और सत्ता में बैठे लोग इस गेम को समझ नहीं पाए। दाश की तो लाटरी निकल आई।
अंधा बांटे रेवड़ी….
आईपीएस की कल की पोस्टिंग को देखकर सवाल उठता है पुलिस में पोस्टिंग का कोई फार्मूला है भी या अंधा बांटे रेवड़ी, चिन्ह-चिन्ह को दें…..वाला चल रहा है। अभिषेक मीणा कोंडागांव से नारायणपुर गए थे और वहां से उन्हें कल सुकमा भेज दिया गया। याने बस्तर में लगातार तीन जिला। संतोष सिंह की पूरी जवानी बस्तर में ही निकल जाएगी। वहीं, एडिशनल एसपी रहे। फिर, एसपी कोंडागांव। अब उन्हें नारायणपुर भेज दिया गया। पराकाष्ठा तो शेख आरिफ के साथ हो गई…..दाश को एडजस्ट करने के लिए चार महीने में ही बलौदा बाजार से छुट्टी हो गई। कुल मिलाकर यह स्थापित हो गया है कि जिसका उपर में कोई जैक नहीं है, वह बस्तर या सरगुजा, जशपुर में घूमता रह जाएगा। आखिर, मैदानी इलाके में कई ऐसे एसपी हैं, जिन्होंने कभी बस्तर नहीं देखा।
उल्टा-पुल्टा
यह पहला मौका होगा…जंगल विभाग के अधिकारी को सरकार ने राज्य के लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा सौंपा है। आईएफएस अनिल साहू सिकरेट्री हेल्थ बनाए गए हैं। हेल्थ में जब जंगल विभाग के अफसर नहीं थे तब कभी मलेरिया में, तो कभी नसबंदी जैसे मामूली आपरेशन में लोग जान गंवा रहे थे। लोगों को अब डर सता रहा, अब क्या होगा? इससे पहिले एक एमबीबीएस डाक्टर को सरकार ने रोड बनाने का काम दिया था। तीन साल में एक ढेला काम नहीं हुआ। तब जाकर उन्हें हटाया गया। सरकार अब इस तरह उल्टा-पुल्टा करेगी तो ऐसा ही होगा।
डीएम की ताजपोशी?
सत्ता के गलियारों से संकेत कुछ और निकलते हैं। और आर्डर कुछ और। पीएससी चेयरमैन की पोस्टिंग में सबने देखा ही। बात प्रदीप पंत की चल रही थी। और, नियुक्ति केएम पिस्दा की हो गई। जबकि, पिस्दा का कहीं कोई चर्चा नहीं थी। फिलहाल, विषय डीएम अवस्थी हैं। डीजीपी के लिए इन दिनों उनके नाम की चर्चा बड़ी तेज है। पीएचक्यू में हर दूसरा अफसर डीएम के बारे में पत्तासाजी कर रहा है। बहरहाल, लाख टके का सवाल यह है कि क्या पुलिस के मुखिया चेंज होंगे? बस्तर के कड़वे एपीसोड को छोड़ दें तो पुलिस से सरकार को कोई दिक्कत नहीं है। हां, दिल्ली से बीके सिंह छत्तीसगढ़ लौटकर समीकरण बिगाड़ दें तो कोई आश्चर्य नहीं। क्योंकि, दिल्ली में उनकी सीएम से मुलाकातों की खबरें आती रहती है।
माटी पुत्र का दम
पेंड्रावन डेम में भूपेश बघेल से पंगा लेकर इरीगेशन सिकरेट्री फंस गए। भूपेश ने उनके पिता का नाम लेकर उतार दिया। उपर से विशेषाधिकार हनन की नोटिस भी इश्यू हो गई। जबकि, जीएस का दर्द कौन समझे। उन्होंने अल्ट्रा टेक सीमेंट को एनओसी देने के विरोध में डेढ़ पन्ने की नोटशीट लिखी थी। मगर अल्ट्राटेक के सामने सिस्टम ने घूटना टेक दिया तो जीएस क्या करें। अलबत्ता, इस बात के लिए उन्हें दाद देनी होगी कि जिस भूपेश बघेल के खिलाफ बोलने में सरकार के मंत्रियों को सोचना पड़ता है। बड़े-बड़े आईएएस भूपेश का नाम आते ही हाथ जोड़ लेते हैं। उनसे जीएस भिड़ गए। माटी पुत्र में दम तो है। दम तो हालांकि, एसआरपी कल्लूरी में भी था। भूपेश के खिलाफ खम ठोक दिया था। जाहिर है, कल्लूरी की स्थिति इससे और मजबूत हुई थी। आखिर, भूपेश के आरोपों का मतलब होता है, सरकार का प्रिय होना। लेकिन, कल्लूरी खुद ही अपने को थ्री इडियेट में शामिल कर लिए तो सरकार क्या करें।
सरोज का चौका
सरकार के निमंत्रण पर छत्तीसगढ़ आए श्री श्री सुदर्शन पर जब पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने हमला बोला तो बीजेपी संगठन का कोई पदाधिकारी मुंह खोला और ना ही सरकार के कोई मंत्री। ऐसे में, पार्टी की राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पाण्डेय ने शेरों-शायरी के जरिये भूपेश पर प्रहार कर पूरा क्रेडिट लूट ले गई। बताते हैंं, जब ये प्रसंग हुआ, सरोज चेन्नई में थी। वहीं से उन्होंने भूपेश पर तीर छोड़ा। लेकिन, मान गए भूपेश को भी। आमतौर पर वे आस्तिन चढ़ाते हुए आक्रमक अंदाज में जवाब देते हैं लेकिन बात सरोज पाण्डेय की थी और शेरों-शायरी के जरिये तो…..नेकियां खरीदी है हमने….शायरी के अंदाज में जवाब देकर भूपेश ने माहौल को शायराना बना दिया। बहरहाल, अशोक जुनेजा को ये पता करने के लिए लगाया गया है कि सरोज के खिलाफ भूपेश यकबयक शायर कैसे हो गए….जवाब देते समय उन्होंने महिला जानकर आस्तिन नहीं चढ़ाई या कोई और बात है।
पोस्टिंग गेम
दो सीनियर आईएफएस को पीसीसीएफ बनाने के लिए 21 फरवरी को डीपीसी हुई। मुदित कुमार और सुब्रमण्यिम। अभी तक उनका आर्डर नहीं निकला है। पीसीसीएफ जैसे शीर्ष पद के लिए आर्डर क्यों अटका है, इसकी वजह हम आपको बताते हैं। एक सीनियर आईएफएस इतने ताकतवर हो गए हैं कि जिस पोस्ट पर हैं, वहां से वे हटना नहीं चाहते। कोशिश हो रही है कि उसी पोस्ट को पीसीसीएफ लेवल में अपग्रेड कर दिया जाए। इस पावर गेम के चलते पीसीसीएफ की पोस्टिंग रुकवा दी गई है। लिहाजा, वन विकास निगम और मेडिसिनल प्लांट बोर्ड की कुर्सी खाली पड़ी है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि इस साल रिटायरमेंट के बाद आईएएस जीएस मिश्रा को लाल बत्ती मिलना अब तय है?
2. तिहाड़ी आईएएस की सूची में छत्तीसगढ़ का नाम शुमार होने पर आपका क्या मानना है?
2. तिहाड़ी आईएएस की सूची में छत्तीसगढ़ का नाम शुमार होने पर आपका क्या मानना है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें