शनिवार, 18 मार्च 2017

प्रमोटी पर अंतर्द्वंद्व


19 मार्च
संजय दीक्षित
प्रमोटी आईएएस को जिलों में कलेक्टर बनाने के नाम पर सरकार के भीतर अंतर्द्वंद्व की स्थिति निर्मित हो गई है। कुछ लोग चाहते हैं पिछले दो चुनावों की भांति जिलों में अब प्रमोटी की संख्या बढ़ाई जाए। तो
कुछ यूपी और पंजाब का हवाला देते हुए रेगुलर रिक्रूट्ड आईएएस का ही प्रभुत्व कायम रखने की वकालत कर रहे हैं। यूपी और पंजाब में 60 फीसदी से अधिक जिलों में कलेक्टर और एसपी प्रमोटी थे। दोनों ही सूबों में सरकारें निबट गईं। छत्तीसगढ़ में भी एक वक्त था, जब एक समय में 12-13 प्रमोटी कलेक्टर हुआ करते थे। रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़ सरीखे जिलों में भी प्रमोटी कलेक्टर रहे। लेकिन, 2013 में बीजेपी की तीसरी बार सत्ता आने के बाद रेगुलर रिक्रूट आईएएस ने जिलों में कब्जा जमा लिया। अभी आलम यह है कि 27 में से महज पांच प्रमोटी कलेक्टर हैं। कवर्धा, बेमेतरा, महासमुंद, सूरजपुर और नारायणपुर। इनमें एक भी बड़ा जिला नहीं है। लोक समाधान शिविर के बाद सरकार प्रमोटी कलेक्टरों की संख्या बढ़ाने का संकेत दे चुकी है। लेकिन, नए हालात में देखना दिलचस्प होगा कि सरकार चुनाव के समय प्रमोटी पर दांव लगाएगी या रेगुलर रिकू्रट की सत्ता कायम रखेगी।

आईएएस की बढ़ती तादात

छत्तीसगढ़ में आरआर और प्रमोटी की बात पहले इसलिए नहीं होती थी कि आरआर की संख्या में बेहद कम थी। पिछले कुछ साल से आईएएस के हर बैच में संख्या बढ़ती जा रही है। पांच-सात से कम आईएएस तो कभी आ नहीं रहे। यही वजह है, कलेक्टरी में भी छत्तीसगढ़ कैडर पिछड़ने लगा है। यूपी, बिहार, झारखंड में 2011 बैच कलेक्टर बन गया है। छत्तीसगढ़ में अभी 2010 बैच का नम्बर नहीं लगा है। एक दर्जन से अधिक आईएएस ऐसे हैं, जिन्होंने सिर्फ एक जिला किया है। इसको देखकर लगता है, आने वाले समय में आरआर ने दो-से-तीन जिला कर लिया तो बहुत होगा।

सिकरेट्री का भी संकट

संकट सिकरेट्री लेवल पर है। खासकर, अगला दो-तीन साल काफी क्रायसिस वाला रहेगा। अगले मार्च तक सीएस विवेक ढांड एसीएस एनके असवाल, एसीएस एमके राउत, सिकरेट्री गणेश शंकर मिश्रा सेवानिवृत्त हो जाएंगे। सिकरेट्री पीआर एन टूरिज्म संतोष मिश्रा का मई में डेपुटेशन खतम हो जाएगा। निधि छिब्बर दिल्ली जा रही हैं। जाहिर है, उनके पीछे-पीछे विकास शील भी जाएंगे ही। बीएल अग्रवाल हिट विकेट हेकर तिहाड़ पहुंच गए हैं। ज्वाइंट सिकरेट्री टू सीएम रजत कुमार हॉवर्ड जा रहे हैं। उनके पास एनआरडीए और एवियेशन भी है। सरकार को एनआरडीए में भी ज्वाइंट या स्पेशल सिकरेट्री रैंक के आईएएस को पोस्ट करना होगा।

पोल खुली

गृह विभाग और एसआईबी का इंफारमेशन कितना स्ट्रांग है, 11 मार्च को सुकमा नक्सली हमले में इसकी पोल खुल गई। घटना के बाद गृह और पुलिस विभाग के अफसर सीएम को ब्रीफ करने के लिए सीएम हाउस में जुटे। एक तरफ सीएम सचिवालय के अफसर बैठे, दूसरी ओर गृह और पुलिस के अफसरान। राज्य के मुखिया को घटना की जानकारी देने पहुंचे अफसरों के पास न तो इनपुट थे और ना ही आगे का प्लान। सीएम ने पूछा, केजुअल्टी का एगजेक्ट फिगर क्या है? अफसर लगे एक-दूसरे से कानाफूसी करने। एक ने कहा….सर! अभी पूछकर बताता हूं तो दूसरे… मोबाइल खोलकर सोशल मीडिया की खबर पढ़ने लगे। इसी दौरान प्रधानमंत्री का फोन आ गया। सीएम ने उन्हें शहीदों की संख्या 11 बताई। जबकि, दिल्ली में 14 जवानों के शहीद होने की खबर वायरल हो गई थी। गृह विभाग के अफसरों ने अगर ढंग से सरकार को ब्रीफ किया होता और संख्या को लेकर कंफ्यूज्ड नहीं होते तो सीएम भी दमदारी से बोलते, संख्या 11 ही है। ऐसे में, सीएम का दुखी होना लाजिमी है।

मुकेश सीएम सचिवालय में?

राजनांदगांव कलेक्टर मुकेश बंसल की कलेक्टर की पारी राजनांदगांव में खतम हो सकती है। हालांकि, वीवीआईपी जिले में रहने वाले अफसरों की एक अच्छी पोस्टिंग बोनस मे मिलती है। लेकिन, खबर है मुकेश अब कलेक्टरी करने के पक्ष में नहीं हैं। उपर में भी उन्होंने अपनी इच्छा से अवगत करा दिया है। पता चला है, मुकेश सीएम सचिवालय में अपनी नई पारी शुरू करेंगे। उन्हें ज्वाइंट सिकरेट्री बनाया जाएगा। सीएम के यहां अभी एक ज्वाइंट सिकरेट्री हैं रजत कुमार। वे भी हॉवर्ड जा रहे हैं। यद्यपि, रजत के जाने से मुकेश की पोस्टिंग का कोई सरोकार इसलिए नहीं है कि रजत के हॉवर्ड में सलेक्शन से पहिले ही मुकेश का नाम सीएम सचिवालय के लिए चर्चा में था। वैसे भी, सीएम सचिवालय में दो ज्वाइंट सिकरेट्री की जरूरत है। रजत और मुकेश न केवल एक बैच के हैं बल्कि उनके बैच में ट्यूनिंग भी गजब की है। लिहाजा, रजत के अगले साल मई में लौटने पर दोनों एक साथ होंगे।

सिद्धार्थ का रिकार्ड

मुकेश बंसल की अगर कलेक्टरी की पारी राजनांदगांव में खतम हो गई तो 2003 बैच के आईएएस सिद्धार्थ कोमल परदेशी का रिकार्ड टूटना मुश्किल हो जाएगा। परदेशी लगातार चार जिलों में कलेक्टरी करने वाले छत्तीसगढ़ के पहिले आरआर आईएएस हैं। परदेशी कवर्धा, राजनांदगांव, रायपुर और बिलासपुर में कलेक्टर रहे। मुकेश का भी लगातार तीन जिला हो गया है। कवर्धा, रायगढ़ और राजनांदगांव। चौथा जिला करते तो वे परदेशी की बराबरी कर लेते। यद्यपि, रायगढ़ कलेक्टर अलरमेल ममगई डी भी रायगढ़ में लगातार तीसरा जिला कर रही हैं। लेकिन, 2004 बैच अब काफी सीनियर हो गया है। मई एंड में यह बैच संभवतः क्लोज हो जाएगा। वरना, अलरमेल के लिए चौथे जिले का स्कोप था।

अंत में दो सवाल आपसे

1. भूपेश बघेल को पीसीसी चीफ से हटाया जा रहा है, इस अफवाह को पंख लगाने में क्या कांग्रेस नेताओं का भी हाथ था?
2. एक जुनूनी कलेक्टर का नाम बताइये, जो अर्ली मॉरनिंग घर से निकल जाते हैं। और, समय बचाने के लिए आफिस के बाथरुम में नहाकर 10.30 बजे चेम्बर में बैठ जाते हैं?

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