चुनावी टीम
21 मई
संजय दीक्षित
23 मई को कलेक्टरों की वीडियोकांफ्रेंसिंग है। उनके परफारमेंस का अंतिम आंकलन करने के बाद हो सकता है, 23 की देर शाम तक या फिर अगले दिन कलेक्टरों की लिस्ट निकल जाए। क्योंकि, कलेक्टरों के काम तो खुद सीएम उनके जिले में देखकर आ चुके हैं। उन्हें सब पता है कि कौन कितना पानी में हैं। फिर, पिछले कलेक्टर कांफ्रेंस में सीएम ने जो टास्क दिए थे, उसके आउटपुट का ब्यौरा सरकार पहले से ही मंगा चुकी है। बहरहाल, लंबी प्रतीक्षा के बाद ट्रांसफर हो रहे हैं, तो जाहिर है लिस्ट भी लंबी ही होगी। हो सकता है, फिगर दर्जन तक पहुंच जाएं। सलेक्शन भी चुनावी होंगे। याने यही कलेक्टर अगले साल विधानसभा का चुनाव कराएंगे। इसलिए, सरकार ठोक-बजाकर ही अपाइंटमेंट करेगी। हालांकि, एक फायनल लिस्ट अगले साल फरवरी, मार्च तक और निकलेगी। इनमें जो डिरेल्ड होंगे या हिट विकेट, उन्हें फायनल टीम से हटा लिया जाएगा।
संजय दीक्षित
23 मई को कलेक्टरों की वीडियोकांफ्रेंसिंग है। उनके परफारमेंस का अंतिम आंकलन करने के बाद हो सकता है, 23 की देर शाम तक या फिर अगले दिन कलेक्टरों की लिस्ट निकल जाए। क्योंकि, कलेक्टरों के काम तो खुद सीएम उनके जिले में देखकर आ चुके हैं। उन्हें सब पता है कि कौन कितना पानी में हैं। फिर, पिछले कलेक्टर कांफ्रेंस में सीएम ने जो टास्क दिए थे, उसके आउटपुट का ब्यौरा सरकार पहले से ही मंगा चुकी है। बहरहाल, लंबी प्रतीक्षा के बाद ट्रांसफर हो रहे हैं, तो जाहिर है लिस्ट भी लंबी ही होगी। हो सकता है, फिगर दर्जन तक पहुंच जाएं। सलेक्शन भी चुनावी होंगे। याने यही कलेक्टर अगले साल विधानसभा का चुनाव कराएंगे। इसलिए, सरकार ठोक-बजाकर ही अपाइंटमेंट करेगी। हालांकि, एक फायनल लिस्ट अगले साल फरवरी, मार्च तक और निकलेगी। इनमें जो डिरेल्ड होंगे या हिट विकेट, उन्हें फायनल टीम से हटा लिया जाएगा।
भूल-चूक, लेनी-देनी!
यह पहला मौका होगा, जब कलेक्टरों को ट्रांसफर का टेंटेटिव टाईम पता है। 23 की शाम से लेकर दो-एक दिन के भीतर। अधिकांश को ये भी पता है, उनका क्या होने जा रहा? लिहाजा, कई कलेक्टर्स अपना बोरिया-बिस्तर समेटने लगे हैं। कुछ तो ठेकेदारो, सप्लायरों से भूल-चूक, लेनी-देनी में व्यस्त हो गए हैं। वैसे भी, लोक सुराज भी अब खतम हो गया है। ट्रांसफर में जो जिले प्रभावित होने वाले हैं, वहां तीन-चार दिन काम ठप्प ही रहेंगे।
तीन क्वांरे विधायक
छत्तीसगढ़ में चार क्वांरे विधायक थे। सभी बीजेपी से। लेकिन, संख्या अब एक कम हो जाएगी। आरंग विधायक नवीन मार्केण्डेय सरला जोशी के साथ दांपत्य सूत्र में बंध गए हैं। बच गए देवजी भाई पटेल, अवधेश चंदेल और अशोक साहू। सरकार की कई कन्यादान योजनाएं चल रही हैं…..सरकार को उन्हें मोटिवेट करना चाहिए कि वे भी घर बसा लें। वरना, अगले साल चुनाव के चक्कर में 2018 भी निकल जाएगा।
आईएफएस के लिए गुड
भारतीय वन सेवा के अफसरों के लिए के लिए मई गुड रहा। अल्पज्ञात आईएफएस एसएल साव को सरकार ने झाड़-पोंछकर पीएससी में बिठा दिया। पीसीसीएफ के सुब्रमण्यिम छत्तीसगढ़ साइंस एन टेक्नालॉजी कौंसिल के डीजी बन गए। वहां रिटायरमेंट का एज 70 साल है। याने सरकार कहीं रिपीट हो गई तो फिर 2023 तक कोई हिला नहीं पाएगा। एडिशनल पीसीसीएफ केसी यादव स्टेट रुरल इंस्टिट्यूट से बैक हुए तो उन्हें फॉरेस्ट प्रोटेक्शन का चार्ज मिल गया। दो और आईएफएस पोस्टिंग की लाइन में हैं। चलिये, बढ़ियां है।
पीएस होम की तलाश
पीएस होम बीबीआर सुब्रमण्यिम तीन महीने की छुट्टी पर अमेरिका गए हैं। उनके लौटने से पहिले हो सकता है, उनका होम खिसक जाए। सरकार ने सुब्रमण्यिम के विकल्प की तलाश शुरू कर दी है। सबसे पहला नाम एसीएस सुनील कुजूर का लिया जा रहा है। लेकिन, अभी ये सिर्फ चर्चा है। ऐन वक्त पर कोई नया चेहरा भी आ जाए, तो अचरज नहीं।
इंवेस्टर्स मीट में नक्सल
हेडिंग से आप चौंकिएगा मत! इंवेस्टर्स मीट में इतनी सुरक्षा होती है कि वहां नक्सली नहीं पहुंच सकते। हम बात कर रहे हैं, इंवेस्टर्स में नक्सलियों को लेकर बेचैनी की। पिछले हफ्ते अहमदाबाद में इंवेस्टर्स मीट हुआ। इंडस्ट्री मिनिस्टर अमर अग्रवाल, चेयरमैन छगन मूंदड़ा समेत उनका पूरा अमला पहुंचा था। अमर अग्रवाल को आधा वक्त तो यह समझाने में लग गया कि नक्सली रायपुर के आसपास नहीं, 400 किलोमीटर दूर हैं। तब जाकर इंवेस्टर्स छत्तीसगढ़ आने के लिए उत्साहित हुए।
निधि के बाद अमित
निधि छिब्बर के बाद अमित कटारिया भी जल्द दिल्ली के लिए कूच कर सकते हैं। सरकार ने उनके डेपुटेशन के लिए हरी झंडी देने में देर नहीं लगाई। उनका एनओसी डीओपीटी को भेज दिया गया है। संकेत हैं, निधि की तरह अमित को भी डिफेंस में पोस्टिंग मिल सकती है। सो, बस्तर से हटाने के बाद अमित को हल्की-फुल्की पोस्टिंग ही मिलेगी। जिससे उन्हें रिलीव करने में सोचना न पड़े।
निहारिका बैक होंगी
बिलासपुर कमिश्नर निहारिका बारिक सिंह रायपुर बैक हो सकती है। मंत्रालय में सिकरेट्री की संख्या लगातार कम होती जा रही है। इस महीने ही तीन कम हो जाएंगे। निधि छिब्बर दिल्ली चली गई हैं। एसीएस एनके असवाल 31 मई को रिटायर हो जाएंगे। सिकरेट्री पीआर संतोष मिश्रा का भी इसी महीने डेपुटेशन पूरा हो जाएगा। निर्वाचन में भी किसी की पोस्टिंग करनी होगी। लिहाजा, निहारिका को रायपुर बुलाने पर विचार चल रहा है। वैसे भी, कमिश्नर की पनिशमेंट पोस्टिंग हो गई है। चार में से सिर्फ निहारिका ही डायरेक्ट आईएएस हैं। बाकी, तीन के तो भगवान ही मालिक हैं। 97 बैच की आईएएस निहारिका को भी बिलासपुर नहीं भेजा जाता। आखिर, एम गीता और रीचा शर्मा भी तो लंबे समय बाद डेपुटेशन से लौटीं थीं। लेकिन, निहारिका ब्यूरोक्रेसी की पालीटिक्स का शिकार हो गई।
2010 बैच की पोस्टिंग
कलेक्टरों की पोस्टिंग में 2010 बैच का भी इस बार नंबर लगेगा। इस बैच में यहां चार आईएएस हैं। जेपी मौर्य, कार्तिकेय गोयल, सारांश मित्तर और रानू साहू। इनमें से मौर्य और गोयल को कलेक्टर बनने की संभावना सबसे अधिक है। रानू साहू जेपी मौर्य की पत्नी है। लिहाजा, दोनों को एक साथ सरकार शायद ही कलेक्टर बनाएं। पति-पत्नी कलेक्टर वाला छत्तीसगढ़ में अभी दो ही पेयर है। एक बार विकास शील बिलासपुर और निधि छिब्बर जांजगीर कलेक्टर थी। और, दूसरा वर्तमान में अंबलगन पी बिलासपुर और अलरमेल मंगई डी रायगढ़ में कलेक्टर हैं।
सीईओ में इक्के-दुक्के
जिला पंचायत सीईओ में इक्के-दुक्के ही ट्रांसफर होंगे। बिलासपुर जिला पंचायत के सीईओ जेपी मौर्य को चूकि कलेक्टरी ड्यू है और अपने बैच में सबसे सीनियर भी हैं। इसलिए, उनका जिले में जाना लगभग तय समझा जा रहा है। एकाध के परफारमेंस से सरकार अगर नाराज होगी, तो उन्हें बदला जाएगा। बाकी, पीएम अवास से लेकर कई निर्माण कार्य चल रहे हैं। ऐसे में, ट्रांसफर होने पर काम प्रभावित होंगे। लिहाजा, सरकार ने तय किया है कि सीईओ को डिस्टर्ब नहीं किया जाएगा।
होटल पर गाज
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामकृपाल यादव को भूखे रहने का खामियाजा होटल को भुगतना पड़ रहा है। होटल का भुगतान रोक दिया है। दरअसल, केंद्रीय मंत्री बीजेपी की बैठक लेने आए थे। बैठक समाप्त होने के बाद वे फ्रेश होने गए, तब तक भाजपाइयों ने रायपुर के नामी होटल के लजीज नाश्ते को सफाचट कर दिया। मंत्रीजी पहुंचे तो प्लेटे बिखरी पड़ी थी। इस पर रायपुर के एक मंत्री ने पहले तो होटल के स्टाफ को अपने अंदाज में जमकर हड़काया। होटल वाले को अब पेमेंट के लिए चक्कर काटना पड़ रहा है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. जनसंपर्क का अगला सिकरेट्री क्या कोई ज्वाइंट सिकरेट्री लेवल का आईएएस होगा?
2. सत्ताधारी पार्टी में महिला नेत्रियों की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है?
2. सत्ताधारी पार्टी में महिला नेत्रियों की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है?
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