30 अप्रैल
संजय दीक्षित
कैबिनेट द्वारा रियल एस्टेट अथॉरिटी को हरी झंडी देने के बाद इसके गठन का रास्ता अब साफ हो गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के रिटायर नौकरशाहों के पुनर्वास का एक और मलाईदार ठिकाना तैयार हो गया है। इस अथारिटीका हेड चीफ सिकरेट्री या इसके समकक्ष ऑल इंडिया सर्विसेज के अफसर होंगे। सीएस, एसीएस से रिटायर होने वाले आईएएस के लिए सूबे में अभी तक दो ही जगह थी। सूचना आयोग या फिर इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन। हालांकि, शिवराज सिंह बिजली कंपनियों के चेयरमैन हैं। लेकिन, उनको अपवाद ही समझिए। रही बात सूचना आयोग की तो इसमें सुख-सुविधाओ का पूरा बंदोबस्त है मगर महात्मा गांधी वाला स्कोप खतम हो जाता है। अलबत्ता, इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी की तरह रियल एस्टेट की पोस्टिंग पांचों उंगली घी की तरह होगी। सारे बिल्डर्स अब अथॉरिटी के अंतगर्त इनरोल होंगे। अथॉरिटी जब चाहे, तब बिल्डरों के कान मरोड़ सकता है। इससे बढ़ियां और क्या चाहिए….जय हो!
संजय दीक्षित
कैबिनेट द्वारा रियल एस्टेट अथॉरिटी को हरी झंडी देने के बाद इसके गठन का रास्ता अब साफ हो गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के रिटायर नौकरशाहों के पुनर्वास का एक और मलाईदार ठिकाना तैयार हो गया है। इस अथारिटीका हेड चीफ सिकरेट्री या इसके समकक्ष ऑल इंडिया सर्विसेज के अफसर होंगे। सीएस, एसीएस से रिटायर होने वाले आईएएस के लिए सूबे में अभी तक दो ही जगह थी। सूचना आयोग या फिर इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन। हालांकि, शिवराज सिंह बिजली कंपनियों के चेयरमैन हैं। लेकिन, उनको अपवाद ही समझिए। रही बात सूचना आयोग की तो इसमें सुख-सुविधाओ का पूरा बंदोबस्त है मगर महात्मा गांधी वाला स्कोप खतम हो जाता है। अलबत्ता, इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी की तरह रियल एस्टेट की पोस्टिंग पांचों उंगली घी की तरह होगी। सारे बिल्डर्स अब अथॉरिटी के अंतगर्त इनरोल होंगे। अथॉरिटी जब चाहे, तब बिल्डरों के कान मरोड़ सकता है। इससे बढ़ियां और क्या चाहिए….जय हो!
तारीफ के मायने
हमसफर एक्सप्रेस के हरी झंडी दिखाने के कार्यक्रम में सीएम ने लोकल एमपी रमेश बैस की इतनी तारीफ कर दी कि लोग सोच में पड़ गए….ये हुआ कैसे। बैस की गिनती अभी तक ऐसे असंतुष्ट नेता के तौर पर होती थी, जो सरकार के क्रियाकलाप पर खुलकर असहमति जताते हैं। मगर रेल मंत्री की मौजूदगी में सीएम ने राजधानी के विकास का पूरा क्रेडिट बैस को दे डाला। बोले, रायपुर में जो भी काम हुए हैं, सब बैसजी ने कराया है। ध्यान रहे, इस समारोह में रायपुर के दोनों मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत आमंत्रित नहीं थे। रायपुर में शायद ही कोई बड़ा समारोह हो, जिसमें बृजमोहन न रहते हां। नया रायपुर में पीएचक्यू के उद्घाटन में न बुलाने पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर नाराजगी जाहिर कर दी थी। बहरहाल, लोग अपने-अपने हिसाब से राजनीति के उलझे तारों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
कलेक्टर को दुर्ग पसंद है
कलेक्टर्स इन वेटिंग की संख्या को देखते सरकार अब 2004 बैच को क्लोज करने पर विचार कर रही है। इस बैच के अभी तीन कलेक्टर्स हैं। अमित कटारिया बस्तर, अंबलगन पी बिलासपुर और अलरमेल मंगई रायगढ़। इनमें से एक कलेक्टर की कलेक्टरी की अभी मन भरा नहीं है। वे सरकार में लगातार एप्रोच करवा रहे हैं कि एक बार उन्हें दुर्ग जिला मिल जाए। इसके बाद वे फिर जिले की माग नहीं करेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कलेक्टर की पसंद को तवज्जो देते हुए 2004 बैच को कंटीन्यू करती है या फिर अगले महीने रायपुर बुला लेगी।
जब अफसर दौड़े विधानसभा
जीएसटी बिल पर विधानसभा में हो रही चर्चा के दौरान अफसर दीर्घा खाली रहा। सिर्फ फायनेंस और टैक्सेशन के चार-पांच अफसर बैठे थे। जबकि, सीट 25 से ज्यादा है। विपक्ष कहीं हंगामा न कर दें, इसलिए संसदीय कार्य विभाग के अफसरों से कहा गया फौरन सभी अफसरों को मैसेज कर हाउस पहुंचने के लिए कहा जाए। और, एक लाइन के व्हाट्सएप पर अफसर रायपुर और नया रायपुर से विधानसभा के लिए दौड़ पड़े। बता दें, विधानसभा के अफसर दीर्घा में आमतौर पर वे ही अफसर बैठते हैं, जिनके विभाग की चर्चा रहती है। जीएसटी चूकि फायनेंस और टैक्सेशन से जुड़ा सब्जेक्ट है, इसलिए अधिकांश आफिसर्स विधानसभा नहीं गए। लिहाजा, आफिसर दीर्घा काफी देर तक खाली रहा।
कलेक्टर्स, एसपी का जमावड़ा
बुर्कापाल नक्सली हमले के बाद बस्तर के कमिश्नर, आईजी, डीआईजी समेत सातों जिले के कलेक्टर, एसपी 2 मई को रायपुर में रहेंगे। मंत्रालय में भारत सरकार के र्शीर्ष अफसरों के साथ उनकी वीडियोकांफ्रेंसिंग होगी। दिल्ली में नेशनल सिक्यूरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल भी वीसी में बैठेंगे। इससे 2 मई की बैठक की अहमियत बढ़ गई है।
फ्लैट वाला डीजीपी
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने योगी जैसे ही अपना डीजीपी चुना। सुलखान सिंह के पास संपत्ति के नाम पर लखनउ में एक तीन कमरों वाला फ्लैट है। माता-पिता आज भी गांव के खपरैल मकान में रहते हैं। इस खबर को देश के मीडिया में खूब माइलेज मिला। हालांकि, अपने डीजीपी भी योगी से कम नहीं हैं। ईमानदारी और लिविंग में तो एएन उपध्याय का जवाब नहीं है। आज भी उनके पास 1200 रुपए वाला दो इंच स्क्रीन का मोबाइल है। घर-परिवार भी आज भी साधारण ही है। लेकिन, वह यूपी है ये छत्तीसगढ़। यहां की खबरों की दिल्ली में टीआरपी नहीं होती।
सीएम जब भड़के
मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह भड़क भी सकते हैं….यकबयक कोई यकीन नहीं करेगा। लेकिन, गुरूवार को आदिवासी विभाग के रिव्यू मीटिंग में जो कुछ हुआ, उस पर एतबार करना पड़ेगा। बताते हैं, आदिवासी इलाके के विकास के लिए भारत सरकार ने 700 करोड़ रुपए दिए हैं। लेकिन, तीन साल में एक ढेला का काम नहीं हुआ है। विभाग के अफसरों और मंत्री के कुछ करीबी स्टाफ के पचड़े में यह फंड फंस गया है। रिव्यू में मुख्यमंत्री बिगड़ पड़े। बोले,….तो मंत्री क्या कर रहे हैं। विभागीय मंत्री उनके बगल में ही बैठे थे। वे भी सकपका गए। 15 साल में किसी मंत्री को उसके मुह पर सीएम ने ऐसा नहीं बोला था। जाहिर है, सीएम हाउस के कांफ्रेंस हॉल में सन्नाटा पसर गया।
स्टेपनी या….
कुछ दिन से ऐसा हो रहा है, सूबे से कोई आईएएस डेपुटेशन पर जाए या फिर छुट्टी पर उसका विभाग प्रिंसिपल सिकरेट्री अमिताभ जैन को टिका दिया जा रहा है। अमित अग्रवाल डेपुटेशन पर दिल्ली गए तो उनका फायनेंस अमिताभ को सौंप दिया गया। अब, पीएस होम बीबीआर सुब्रमण्यिम 5 मई से तीन महीने की लंबी छुट्टी पर जा रहे हैं तो होम का प्रभार अमिताभ को दिया गया है। अविनाश चंपावत के साथ भी कुछ दिन तक ऐसी हुआ था। यही वजह रहा कि दो साल में चंपावत के चार-पांच पोस्टिंग मिल गई थी।
अंत में दो सवाल आपसे
1. स्पेशल डीजी नक्सल बनना डीएम अवस्थी के लिए फायदे का सौदा रहा या नुकसान का ?
2. पीएस होम बीबीआर सुब्रमण्यिम ने तीन महीने की छुट्टी पर जा रहे हैं। इसके पीछे कोई वजह है या नार्मल छुट्टी है?
2. पीएस होम बीबीआर सुब्रमण्यिम ने तीन महीने की छुट्टी पर जा रहे हैं। इसके पीछे कोई वजह है या नार्मल छुट्टी है?
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