शनिवार, 13 मई 2017

भावी सीएस का ट्रेलर


14 मई
संजय दीक्षित
एसीएस टू सीएम बैजेंद्र कुमार का चीफ सिकरेट्री बनने की चर्चा बड़ी तेज है। उनकी ताजपोशी कब होगी, इसी जून में होगी या फिर अगले साल, ये तो डाक्टर साब बताएंगे। मगर बैजेंद्र ने आज दस का दम दिखाया। आपको बता दें, सूबे की सीमेंट कंपनियां इतनी ताकतवर हो गई थी कि मंत्रालय में होने वाली हाई प्रोफाइल मीटिंगों में आना उन्हें गवारा नहीं था, वो शनिवार को बैजेंद्र कुमार के दरवाजे पर घूटनों के बल खड़ी थीं….मिन्नतें कर रही थीं, आप जैसा कहेंगे, वैसे हम करेंगे। दरअसल, रेट को लेकर मनमानी पर उतर आई सीमेंट कंपनियों ने कारटेल बनाकर रेट 270 कर दिया है। चिल्हर में तो 280 तक बिक रहा है। यहीं नहीं, कंपनियां इस कोशिश में थी कि रेट 300 से उपर ले जाया जाए। लेकिन, जब मीडिया का प्रेशर बढ़ा तो सरकार ने बैजेंद्र को फ्री हैंड दे दिया। और, उन्होंने सीमेंट प्लांटों की ऐसी नस दबाई कि शनिवार छुट्टी का दिन होने के बाद भी त्राहि माम करते हुए कंपनियों के अफसर उनके बंगले पर पहुंच गए। दरअसल, अल्ट्राटेक और एसीसी को सरकार ने आज बंद कर दिया था और एक नई कंपनी की भी माइनिंग लीज खतम करने का आदेश जारी होने वाला था। कंपनी ने माईनिंग में बड़ा गड़बड़झाला किया है। चलिये, सीमेंट कंपनियों की गलतफहमी दूर हो गई….आखिर, सरकार, सरकार होती है। सरकार जब कुछ करने पर आ जाएं तो किसी की कोई मजाल नहीं।

रांग नम्बर डायल

लोक सुराज में बिलासपुर के एक ब्लॉक कांग्र्रेस अध्यक्ष रांग नम्बर डायल कर पुलिस के हत्थे चढ़ गया। दरअसल, एसीएस पंचायत एमके राउत बेलगहना के पास चौपाल लगाए थे। ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष नया लड़का है, वह राउत के ओहरा से वाकिफ नहीं था। सो, उसने नेतागिरी चालू कर दी। राउत ने पहले उसे प्रेम से चौपाल में बिठाया। मगर, वह सुनने के लिए तैयार नहीं था। जब उसकी नेतागिरी की पराकाष्ठा हो गई तो राउत भृकुटी चढ़ाते हुए पुलिस अधिकारियों पर भड़के….लोक सुराज को डिस्टर्ब किया जा रहा है….तुमलोग क्या कर रहे हो…? इस पर वहां मौजूद तमाम अफसर सकपका गए। पुलिस वाले ने तुरंत कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई का कांग्रेस की ओर से इसलिए विरोध नहीं हुआ कि रायपुर, बिलासपुर के बीजेपी और कांग्रेस के जितने नेता है, सभी राउत के सामने बड़े हुए हैं। राउत उस समय दोनों जिलों के कलेक्टर रहे, जब बिलासपुर में कोरबा, जांजगीर, मुंगेली और रायपुर में धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद शामिल था।

मजबूरी का नाम डीडी सिंह

सिकरेट्री जीएडी निधि छिब्बर सेंट्रल डेपुटेशन के लिए रिलीव हो गईं। उनके पास निर्वाचन के साथ जीएडी में आईएएस सेक्शन का चार्ज था। आईएएस काफी संजीदा विभाग माना जाता है। आईएएस के खिलाफ जांच से लेकर नोटिस-वोटिस सब इसी में आता है। इसलिए, हमेशा इसमें रेगुलर रिक्रट्ड याने आरआर आईएएस को ही पोस्ट किया जाता था। वैसे भी, इस पोस्ट पर ज्यादातर महिला आईएएस रही हैं। इशिता राय से लेकर शहला निगार, रेणु पिल्ले, रितू सेन, निधि छिब्बर तक लंबी फेहरिश्त है। निधि के डेपुटेशन पर जाने के बाद राज्य में पहली बार आईएएस सेक्शन का जिम्मा राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर आईएएस बने डीडी िंसंह को दिया गया है। बताते हैं, जीएडी के आईएएस सेक्शन देखने के लिए अबकी कोई आईएएस तैयार नहीं हुआ। जीएडी वैसे भी माल-मसाला वाला विभाग है नहीं। उपर से आईएएस सेक्शन का मतलब चीफ सिकरेट्री के सीधे नियंत्रण में। लिहाजा, मजबूरी का नाम डीडी सिंह….सरकार ने इस विभाग को डीडी सिंह के हवाले कर दिया।

उल्टी गिनती

कलेक्टरों के ट्रांसफर की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 20 को लोक सुराज खतम होगा। 23 को कलेक्टरों का परफारमेंस परखने के लिए सीएम कलेक्टर कांफ्रेंस करने जा रहे हैं। इसी रोज कैबिनेट भी है। जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, 23 की शाम को ही कलेक्टरों के आर्डर जारी हो जाएंगे। कलेक्टर कांफ्रेंस के तुरंत बाद कलेक्टरों का उनका रिपोर्ट कार्ड बताया जाएगा। अत्यधिक संभावना इस बात की भी है कि कांफ्रेंस के बाद कलेक्टर अपने जिले में पहुंचेंगे, उससे पहिले उनका आर्डर पहुंच जाएगा। सो, कलेक्टरों में बेचैनी लाजिमी है।

ईमानदारी को ईनाम

आईएफएस के सुब्रमण्यिम किन्हीं कारणों से भले ही सीएम सचिवालय से बाहर हो गए हों मगर सीएम ने अपने साथ काम करने और उनकी ईमानदारी को पुरस्कृत किया। छत्तीसगढ़ साइंस एन टेक्नालॉजी कौंसिल के डीजी का पद हाल ही में खाली हुआ है। बताते हैं, सीएम ने इसके लिए सुब्रमण्यिम को बुलाकर उन्हें इस पद पर पोस्ट करने की सूचना दी। राज्य में ऐसी पोस्टिंग शायद ही हुई होगी, जिसे सीएम ने खुद ऑफर किया हो। सुब्रमण्यिम वन विभाग में दो-एक गिने चुने अफसरों में शामिल हैं, जिनकी आनेस्टी की चर्चा होती है।

अब हिंदी भाषी प्रभारी

दिग्विजय सिंह के बाद कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी बीके हरिप्रसाद की किसी भी दिन छुट्टी हो सकती है। दिल्ली गए कांग्रेस नेताओं को राहुल गांधी ने इसके संकेत दिए हैं। बताते हैं, पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने पार्टी आलाकमान से अबकी किसी हिन्दी बेल्ट के नेता को प्रभारी बनाने का आग्रह किया है। सो, यूपी, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश या राजस्थान जैसे किसी प्रदेश के तेज-तर्रार कांग्रेस नेता को यह जिम्मा मिल जाए, तो आश्चर्य नहीं। असल में, पार्टी नेता चाहते हैं कि अगले साल चुनाव को देखते किसी गरजने वाले नेता को छत्तीसगढ़ की कमान दी जाए।

अब पछता रहे कांग्रेसी

राहुल गांधी से मिलने दिल्ली गए कांग्रेस नेताओं को ये पता नहीं था कि राहुल गांधी से वन-टू-वन मिलने का इस तरह मौका मिल जाएगा। राहुल ने पहले पार्टी दफ्तर में मिलने का टाईम दिया था। लेट हुआ तो घर बुला लिया। भूपेश और टीएस के साथ कांग्रेस के लोग बंगले पहुंचे तब तक सबको यही भान था कि जैसे पहले राहुल दो मिनट में हाउ डू यू करते आगे बढ़ जाते थे, वैसा ही कुछ इस बार भी होगा। लेकिन, विजिटर्स रुम में जैसे ही राहुल आए, बोले, वन-टू-वन मिल लेते हैं…इस पर पहले तो सभी सकपका गए। फिर, मोतीलाल वोरा बोले, पहले मैं मिलता हूं। तब लोगों ने चुटकी भी ली….काका! आप तो रोज ही मिलते हो। बहरहाल, जो नेता दिल्ली नहीं गए वे अब पछता रहे हैं….उन्हें भी मन का गुबार निकालने का मौका मिल जाता।

अंत में दो सवाल आपसे

1. भूपेश बघेल के खिलाफ ईओडब्लू में एफआईआर से सत्ताधारी पार्टी को फायदा होगा या नुकसान?
2. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की बैठक में मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह किस केंद्रीय मंत्री पर भड़क गए?

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