सोमवार, 10 जुलाई 2017

महंतों का फेर

महंतों का फेर


25 जून
दो महंतों के फेर में जैजैपुर नगर पंचायत में कांग्रेस चारो खाने चित हो गई। जोगी कांग्रेस ने आश्चर्यजनक तौर से यह सीट अपने खाते में कर ली। कांग्रेस के लोग ही बताते हैं, प्रत्याशी चयन में अगर सबको साथ लिया गया होता तो आज ये दिन नहीं देखने पड़ते। दरअसल, जांजगीर जिले में दो महंत हैं। पीसीसी ने प्रत्याशी चयन में एक महंत से राय मशिवरा किया, दूसरे को नजरअंदाज कर दिया। इसका खामियाजा कांग्रेस प्रत्याशी को भुगतना पड़ा। एक महंत ने अपनी ही पार्टी को निबटाने के लिए चुटिया बांधी और जोगी कांग्रेस को इसका लाभ मिल गया…..कांग्रेस चौथे नम्बर पर लुढ़क गई। हालांकि, बीजेपी भी तीसरे नम्बर पर रही। मगर दोनों का वोट अंतर लगभग डबल का रहा। आखिर, ठीक ही कहा जाता है, कांग्रेस को हराने के लिए अपने ही काफी हैं। फिर भी, पार्टी को सबक लेना चाहिए। वरना, 2018 के चुनाव में जोगी की पार्टी कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। क्योंकि, कांग्रेस में हर विधानसभा सीट पर दो-चार महंत तो हैं हीं। भूपेश बघेल को तो सबसे पहिले इन महंतों को साधना चाहिए।

 सरकार बड़ी या एसपी

कलेक्टरों की लंबी लिस्ट लोक सुराज खतम होने के दूसरे रोज ही निकल गई थी। मगर एसपी का मामला अटक गया है। सरकार के साउथ कोरिया से लौटे 17 दिन हो गए। लेकिन, इंतजार की घड़ी खतम नहीं हो रही है। बताते हैं, एसपी की छुट्टी वाली सूची में जिस एसपी का नाम सबसे उपर था, उसने ऐसा जैक लगा दिया कि सरकार का मन खराब हो गया। लिहाजा, लिस्ट को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

जीएडी का कमाल

आईएएस नरेंद्र शुक्ला को सरकार ने महीने भर के भीतर हेल्थ डायरेक्टर से हटाकर वेयर हाउस का एमडी बना दिया। उनके हटने का कारण हेल्थ कमिश्नर आर प्रसन्ना और शुक्ला का बैच सेम होना बताया जा रहा है। दोनों 2004 बैच के आईएएस हैं। मगर जीएडी ने दोनों को एक ही विभाग में उपर-नीचे कर दिया था। लेकिन, मान गए शुक्लाजी को। याद होगा, रमन सरकार की दूसरी पारी में उन्हें रायपुर जिला पंचायत का सीईओ बनाया गया था। नौ साल पहले अनडिवाइडेड एमपी में वे रायपुर का सीईओ रह चुके थे। लिहाजा, उन्होंने ज्वाईन करने से इंकार कर दिया था। सरकार ने आदेश बदलकर उनका आबकारी में किया। और, इस बार भी ऐसा ही हुआ। दोनों में जीएडी का ही कमाल रहा। पर, पंडितजी ने दोनों बार आदेश बदलवाकर अपनी ताकत दिखा ही दी। आखिर, पृष्ठभूमि का लाभ मिलता ही है।

 महिला आईएएस और राहु का साया

छत्तीसगढ़ की दो महिला आईएएस पोस्टिंग से बड़ी दुखी थीं। 97 बैच की निहारिका बारिक और 2010 बैच की रानू साहू। निहारिका को दिल्ली डेपुटेशन से लौटने के बाद इसलिए बिलासपुर भेज दिया गया था कि वे दूर रहने के कारण परिवार के पास फ्रिक्वेंटली दिल्ली नहीं जा पाएंगी। दूसरा, रानू साहू। मैटरनिटी लीव से लौटते ही रानू को जब बिलासपुर से सरगुजा पटका गया तो ब्यूरोक्रेट्स भी नहीं समझ पाए कि ऐसा हुआ क्यों….दुधमुंह बच्चे पर भी रहम नहीं….? यही नहीं, रानू के हसबैंड जेपी मौर्य को बिलासपुर से सुकमा का कलेक्टर बनाकर भेज दिया गया। याने पति दक्षिण, पत्नी उत्तर। ऐसा पुख्ता इंतजाम कि दोनों चाह कर भी नहीं मिल सकें। मुख्यमंत्री की नोटिस में ये बात लाई गई। उन्हें बताया गया कि निहारिका और रानू पर राहु का प्रकोप है…..लाख चाहने के बाद भी वह हटने के लिए तैयार नहीं है। इस पर मुख्यम़ंत्री मुस्कराए। बोले, मैं कुछ करता हूं। अब 13 साल के सीएम हैं….राहु ने हाथ जोड़ लिया। इसके बाद एक-एक करके निहारिका और रानू को रायपुर मे ठीक-ठाक पोस्टिंग मिल गई।

भगवा सरकार और माइनरिटी अफसर

बीजेपी सरकारों पर भले ही अल्पसंख्यकों की उपेक्षा के आरोप लगते हां….कुछ अफसर इस बात का रोना भी रोते हैं….बीजेपी राज में उन्हें कौन पूछेगां। लेकिन,  छत्तीसगढ़ में इस समय चार अल्पसंख्यक कलेक्टर हैं। तीन मुस्लिम और एक ईसाई। रायगढ़, कोरबा और बीजापुर में मुस्लिम और मुंगेली में क्रिश्चियन कलेक्टर। एक जिले के एसपी भी मुस्लिम हैं। मंत्रालय में भी सरकार के अति महत्वपूर्ण पोस्ट पर एक माइनरिटी आईएएस तैनात हैं। कहने का आशय यह है कि नौकरशाहों का अगर काम बढ़ियां है तो सरकार कोई भी हो, कोई फर्क नहीं पड़ता। और, वास्तव में होना भी यही चाहिए।

अमर को राहत

स्मार्ट सिटी में छत्तीसगढ़ के तीन शहर शामिल हो गए। रायपुर देश का पहला जिला होगा, जिसके दो शहर लिस्टेड होंगे। वैसे भी, छोटे से राज्य से तीन शहर का स्मार्ट सिटी में शामिल होना भी कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। लेकिन, स्मार्ट सिटी की खुशी कोई नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल से पूछे। बिलासपुर पहली सूची में शामिल नहीं हो सका था। इसके लिए वे विरोधियों के निशाने पर रहे। लेकिन, इस बार अमर ने दिल्ली में ऐसा फुलप्रूफ इंतजाम किया था कि पहले से उन्होंने लोगों से शेयर करना शुरू कर दिया था, इस बार बिलासपुर का नाम कट नहीं सकता। चलिये, वेंकैया नायडू से अमर के पारिवारिक संबंधों का लाभ बिलासपुर को मिल गया।

 मंडल स्टाईल

जांजगीर जिले में सरकारी अस्पतालों में प्रसव की संख्या जनवरी तक 52 थी। बस्तर के नारायणपुर से भी कम। सरकार ने जांजगीर के प्रभारी सचिव आरपी मंडल को इसे ठीक करने कहा। मंडल ने डाक्टरों की मीटिंग बुलाई। अपने ठेठ अंदाज में बोले, आदरणीय…मैं आप लोगों को सस्पेंड नहीं करूंगा। सस्पेंड करूंगा तो आधा वेतन यहां से लेकर आप लोग प्रायवेट हस्पिटल में बैठने लगोगे। मैं सिर्फ वेतन रोकूंगा। इसके बाद पिछले महीने मई में प्रसव की संख्या 258 पहुंच गई। ये है मंडल स्टाईल।

 बोरा का योग

सिकरेट्री, सोशल वेलफेयर सोनमणि बोरा का योग दिवस का आयोजन हंड्रेड वन परसेंट सफल रहा। दावा है, राज्य में 50 लाख लोगों ने योग किया….दो-दो वर्ल्ड रिकार्ड बने। इससे पहिले उन्होंने रायपुर में मैराथन दौड़ भी करा कर भी उन्होंने ध्यान खींचा था। लेकिन, पोस्टिंग को लेकर बोरा शायद ही खुश होंगे। रायपुर नगर निगम कमिशनर से कैरियर शुरू करने वाले बोरा की पदस्थापना से आईएएस भी कभी ईर्ष्या करते थे। जांजगीर, सीएम के गृह जिला कवर्धा, रायपुर, बिलासपुर जैसे जिले में कलेक्टरी की। डीपीआर रहे। लेकिन, इस समय जब सिकरेट्री लेवल पर जबर्दस्त टोटा है, बोरा के पास विभाग के नाम पर खेल और युवा कल्याण तथा समाज कल्याण हैं। ग्रामोद्योग के केटेगरी के ये विभाग काफी कमजोर माने जाते हैं। अब देखना है, योग दिवस का सफल आयोजन के बाद बोरा का योग बदलता है या….?

अंत में दो सवाल आपसे

1. कांग्रेस के एक नेता का नाम बताइये, जो राज्य से बाहर एक बाबा की शरण में गए हैं?
2. एंटी करप्शन ब्यूरो ने किस बड़े नौकरशाह की नस पकड़ ली है?

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