16 जुलाई
संजय दीक्षित
पुलिस महकमे के लिए शर्मनाक है…..अफसर इतना नीचे उतर सकता है। खुला खेल फर्रुखाबादी स्टाईल में काम करने वाले सूबे के एक आईपीएस ने ट्रांसफर होने के बाद भी कमाल कर डाला। 11 जुलाई की शाम आर्डर निकलने के बाद 12 जुलाई को थानेदारों को एक प्रायवेट बैंक का एकाउंट नम्बर भेजा गया….इस खाते में 40 हजार रुपए ट्रांसफर करवा दें….नए साब को बोल दिया गया है। आपलोगों का खयाल रखेंगे। दरोगाजी लोग क्या करते। आईपीएस हैं। कुछ साल बाद कहीं आईजी बनकर पहुंच गए तो क्या होगा?
वाह एसपी साब-2
राज्य सरकार के पास खासकर पुलिस में विकल्प का ऐसा टोटा होता जा रहा है कि थाना लूटवाने वाले आईपीएस आईजी बन जा रहे हैं और अपने रिवाल्वर की हिफाजत नहीं कर पाने वाले एसपी। 11 जुलाई को चार जिलों के लिए एसपी अपाइंट हुए, इनमें एक जनाब ऐसे भी हैं, जिनका कुछ साल पहिले सर्विस रिवाल्वर चोरी हो गई थी। मामले को पुलिस वालों ने ले-देकर रफा-दफा कराया। अब, आप ही बताइये, जो अफसर अपने सरकारी पिस्तौल की सुरक्षा नहीं कर पा रहा हो, वो जिले का प्रोटेक्शन क्या करेगा। इससे पहिले, सरकार ने एक ऐसे आईपीएस को अहम रेंज का आईजी बनाया है, जो जहां एसपी रहे थाना लूटा गया या फिर न्यूसेंस हुआ।
प्रमोटी में आगे
स्टेट पुलिस सर्विस के अफसर एसपी बनने में प्रमोटी कलेक्टरों से आगे निकल गए हैं। फिलवक्त, 27 में से सिर्फ छह जिलों में प्रमोटी कलेक्टर्स हैं। दुर्ग, मुंगेली, कोरिया, नारायणपुर, कांकेर, और जगदलपुर। जबकि, अबकी फेरबदल में प्रमोटी एसपी नौ हो गए हैं। वीवीआईपी जिला कवर्धा और राजधानी रायपुर के अलावा धमतरी, कोरिया, जशपुर, अंबिकापुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर। दर्जन भर और आईपीएस अवार्ड होने हैं। याने चुनाव के पहिले तक प्रमोटी एसपी की संख्या जाहिर है, एक दर्जन से उपर पहुंच जाएगी। हालांकि, चुनाव के करीब आने पर प्रमोटी कलेक्टरों की संख्या बढ़ेगी। लेकिन, कलेक्टरों में बड़ा टफ कंपीटिशन हैं। रेगुलर रिक्रूट्ड की तादात इतनी तेजी से बढ़ रही है कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए राह आसान नहीं होगा। प्रमोटी में अब वही कलेक्टर बनेंगे जो या तो उमेश अग्रवाल टाईप हों या फिर टामन सिंह सोनवाने जैसा। टामन सिंह विभागीय जांच के बाद भी बड़े जिले में कलेक्टर बनने में कैसे सफल हो गए, इसका कारण लिखना उचित नहीं होगा।
नया आइडिया
जाति विवाद में फंसे अजीत जोगी कैंप ने सोशल मीडिया में एक नया ट्रेंड चालू किया है, कार्टून्स एवं श्लोगन के जरिये विरोधियों पर हमला करने का। नंदकुमार साय का कार्टून बनाकर पहला निशाना अमित जोगी ने लगाया। यही नहीं, सोशल मीडिया में भी खूब श्लोगन चल रहे हैं….जोगी-जोगी जपते हो…..जोगी सरकार बन रही है…..इनकी नींद उड़ रही है। बताते हैं, इसके लिए जोगी हाउस में एक पूरी टीम है, जो नए-नए आइडियाज सोचकर कार्टून और श्लोगन बना रहे हैं।
नाम का गफलत
सरकार के दो कारपोरेशन हैं-सीएसआईडीसी और सीआईडीसी। दोनों का नाम लगभग मिलता-जुलता है। सिर्फ एस का फर्क है। यही वजह है, हमेशा गफलत हो जाती है। 11 जुलाई को कुछ आईएएस के ट्रांफसर में रीतू सेन को सीआईडीसी का एमडी बनाया गया। मीडिया में चल गया सीएसआईडीसी के एमडी बदले। सुनील मिश्रा का पूरा दिन निकल गया लोगों को सीएसआईडीसी और सीआईडीसी का मतलब समझाने में….यह बताने में कि मेरा ट्रांसफर नहीं हुआ है।
बड़ा सवाल
डिप्टी कलेक्टर सुधाकर खलको और भरतलाल बंजारे ने हाईकोर्ट में लड़कर आईएएस अवार्ड की डीपीसी में अपना नाम शामिल करवा लिया। लेकिन, उनकी राह अभी भी आसान नहीं है। सीआर के बेस पर उनका नाम कट गया था। हाईकोर्ट ने डीओपीटी को खलको और बंजारे के नाम पर विचार करने कहा है। लेकिन, जब सीआर का सवाल है तो आखिर डीओपीटी कितना कंसीडर करेगा? बहरहाल, 10 पोस्ट के लिए 17 जुलाई को दिल्ली में डीपीसी बैठेगी। इसमें चीफ सिकरेट्री भी मौजूद रहेंगे। सीनियर होने के कारण सुधाकर खलको और भरतलाल बंजारे का नाम सबसे उपर है। उनके ंबाद हैं जितेंद्र शुक्ला, जन्मजय मोहबे, जेके ध्रुव, रिमुजियेस एक्का, तारणप्रकाश सिनहा, इफ्फत आरा, दिव्या मिश्रा, पुष्पा साहू। खलको और बंजारे का नाम कटने की स्थिति में संजय अग्रवाल और पीएस ध्रुव अंडर टेन में आ जाएंगे। संजय नौंवे नम्बर पर और ध्रुव दसवें पर। संजय को अगर आईएएस अवार्ड हो जाता है, तो 10 में से चार बिलासपुर संभाग के होंगे। जितेन्द्र शुक्ला और जन्मजय मोहबे बिलासपुर के हैं और दिव्या और संजय रायगढ़ और खरसिया के। और, कहीं खलको और का नम्बर लग गया तो संजय और ध्रुव को इंतजार करना पड़ेगा।
वोटों का गणित
पीएल पुनिया को कांग्रेस का प्रभारी बनाए जाने की एक वजह दलित वोट भी माना जा रहा है। कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने माना, पार्टी पुनिया के जरिये दलितों को साधने की कोशिश करेगी। दलित कभी कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक थे। लेकिन, पिछले दो चुनावों में दलित वोट छिटककर बीजेपी के पाले में चले गए। 2013 में तो सत्ताधारी बीजेपी 10 में से नौ सीटें जीतने में कामयाब हो गई। कांग्रेस को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा था। अलबत्ता, पुनिया की नियुक्ति से पीसीसी चीफ भूपेश बघेल की डिमांड भी पूरी हो गई। मई फर्स्ट वीक में राहुल गांधी से जब छत्तीसगढ़ के नेताओं से वन-टू-वन मुलाकात की थी उस समय बताते हैं, भूपेश ने हिन्दी बेल्ट के नेता को प्रभारी बनाने का आग्रह किया था। पुनिया यूपी के तो हैं ही, आईएएस भी रहे हैं।
स्मार्टनेस का राज
बस्तर आईजी विवेकानंद सिनहा शांत चित के अफसर माने जाते हैं…..चाकलेटी भी। तभी तो सरकार ने उनका जब बस्तर का आर्डर निकाला तो लोगों के मुंह से निकल गया था….ओह! सरकार ने बेचारे को कहां फंसा दिया। वही विवेकानंद बस्तर में इतने एक्टिव हो गए हैं कि पूछिए मत! मिलिट्री ड्रेस में बिल्कुल कमांडर टाईप….स्मार्ट भी। आए दिन एक-दो नक्सली भी ढेर हो रहे हैं। विवेकानंद में आए इस बदलाव के पीछे जगदलपुर पुलिस आफिसर मेस का नया जिम बताया जा रहा है। आईजी, डीआईजी, एसपी समेत जिले के बड़े अफसर रोज सुबह सात से नौ बजे आना अनिवार्य है। जिम में दो घंटे पसीना बहाने का ही नतीजा है कि विवेकानंद से लेकर डीआईजी सुंदरराज, एसपी शेख आरिफ ने पांच से लेकर आठ किलो तक वजन कम कर लिया है। दूसरा फायदा यह है कि जिम में ही आज क्या करना है, उसकी स्टे्ज्डी बना ली जाती है। याने जिम के साथ पोलिसिंग भी। व्हाट एन आइडिया……।
अंत में दो सवाल आपसे
1. डीएफओ के ट्रांसफर के आठ दिन बाद सरकार को आर्डर क्यों बदलना पड़ गया?
2. किस आईएएस के बारे में चर्चा है कि वे एक जुलाई को वीआरएस के लिए नोटिस देंगे, लेकिन उन्होंने पल्टी मार दी?
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