रविवार, 15 अप्रैल 2018

नो कंडिडेट!

15 अप्रैल
दो महीने बाद बिजली विनियामक आयोग के चेयरमैन नारायण सिंह रिटायर हो जाएंगे। चीफ सिकरेट्री लेवल के इस पोस्ट के लिए राज्य में कोई नौकरशाह खाली नहीं है। जो थे, वे सभी इंगेज हो चुके हैं। एमके राउत मुख्य सूचना आयुक्त, विवेक ढांड रेरा चेयरमैन, डीएस मिश्रा सहकारिता आयोग चेयरमैन, एनके असवाल रेरा मेम्बर। इनके अलावा इस साल कोई आईएएस रिटायर नहीं हो रहे। हालांकि, प्रिंसिपल सिकरेट्री लेवल में जीएस मिश्रा खाली हैं। वे अगर दम लगा दिए तो ठीक है वरना, मुख्य सूचना आयुक्त की तरह बिजली विनियामक आयोग की कुर्सी भी किसी नौकरशाह के रिटायर होने की प्रतीक्षा में साल, डेढ़ साल तक खाली रह जाए, तो आश्चर्य नहीं।

मोदी की मेमेरी

आमतौर पर राजनेता भाषण से पूर्व नामों को नोट कर लेते हैं। लेकिन, जांगला के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को अहसास कराया कि उनकी याददश्त गजब की है। पूरे भाषण में उन्होंने छत्तीसगढ़ से जुड़े दो दर्जन से अधिक नामों को लिया। और, वो भी बिना देखे। आटो चलाने वाली सविता की तो ड्रोन बनाने वाली लक्ष्मी की भी। भोपालपटनम से लेकर भद्राचलम, कांकेर, दंतेश्वरी माई, भैरमगढ़ के भैरम बाबा, भानुप्रताप, राजनांदगांव आदि के वे नाम ऐसे ले रहे थे, जैसे छत्तीसगढ़ में उन्होंने लंबा समय बिताया हो। 58 मिनट का संबोधन समाप्त होने के बाद लोग उनकी मेमोरी को दादा दे रहे थे।

अफसर की मुश्किलें

सूबे के एक अफसर की मुश्किलें बढ़ सकती है। एक आरटीआई कार्यकर्ता ने अफसर के दोस्त की संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई मौत को त्रिकोणीय प्रेम संबंध का अंजाम बताते हुए जांच के लिए सीबीआई को लेटर लिखा है। सीबीआई ने अगर केस ले लिया तो बवाल मच सकता है।

कलेक्टरों की सूची

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बस्तर दौरे की वजह से कलेक्टरों की पूरी लिस्ट नहीं आ पाई थी। सरकार ने सिर्फ छह कलेक्टरों का ही ट्रांसफर किया था। बलरामपुर, बेमेतरा, मुंगेली, बलौदाबाजार, जांजगीर और कवर्धा। पीएम के लौटने के बाद बचे जिलों के कलेक्टरों की धड़कनें फिर तेज हो गई है। वजह यह है कि विधानसभा चुनाव सामने होने के कारण अब रिश्ते-नाते नहीं निभाए जा रहे। देखा नहीं आपने, जांजगीर जिले को सौरभ कुमार के लिए रिजर्व रखने की बात चल रही थी और पोस्टिंग हो गई नीरज बंसोड़ की। इसी तरह अवनीश शरण को किसी दीगर जिले में भेजने की बजाए सरकार ने कवर्धा में उनकी उपयोगिता ज्यादा समझी। दूसरी लिस्ट में जिन कलेक्टरों के नम्बर लग सकते हैं, उनमें मध्य और दक्षिण छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिले हैं। इनमें से कई को चुनावी दृष्टि से दूसरे जिलों में बिठाया जाएगा। वहीं, एक-दो रायपुर बुलाए जाएंगे।

लक्की जिला

बलरामपुर कलेक्टर अवनीश शरण को कवर्धा का कलेक्टर बनाया गया है। बलरामपुर पांच ब्लॉक का जिला था और कवर्धा चार का। अवनीश अपनी नई पोस्टिंग से कितना खुश होंगे यह तो नहीं पता। लेकिन, सीएम के गृह जिला का इम्पॉर्टेंस के साथ ही कवर्धा कलेक्टरों के लिए काफी लक्की रहा है। मसलन, सोनमणि बोरा का कवर्धा दूसरा जिला रहा। लेकिन, इसके बाद वे रायपुर और बिलासपुर जैसे सूबे के दोनों बड़े जिले के कलेक्टर रहे। सिद्धार्थ कोमल परदेशी का कवर्धा पहला जिला रहा। उसके बाद वे लगातार तीन जिले के कलेक्टर रहे। वीवीआईपी जिला राजनांदगांव के साथ ही राजधानी रायपुर और न्यायधानी बिलासपुर के भी। मुकेश बंसल भी कवर्धा के बाद रायगढ़ और राजनांदगांव के कलेक्टर रहे। मुकेश अगर कलेक्टरी से अरुचि नहीं दिखाए होते तो संभव था कि अभी कोई और जिले के वे कलेक्टर होते। दयानंद पी भी कवर्धा के बाद कोरबा और अब बिलासपुर की कलेक्टरी कर रहे हैं। धनंजय देवांगन कवर्धा से ही जगदलपुर गए। नीरज बंसोड़ भी रवि शास्त्री जैसी बैटिंग करने के बाद भी जांजगीर जैसा जिला पाने में कामयाब हो गए। कहने का आशय यह है कि कवर्धा जिला कलेक्टरों के कैरियर की दृष्टि से काफी बढ़ियां रहा है।

हार्ड लक

बड़े जद्दोजहद और गुणा-भाग के बाद एसीएस होम बीवीआर सुब्रमण्यिम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीजापुर कार्यक्रम का प्रभारी बनाया गया था। मगर पीएम का बीजापुर दौरा निरस्त हो गया। जाहिर है, प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों का प्रभारी बनने से अफसरों को एक्सपोजर मिलता है। कार्यक्रम अगर बढ़ियां हो गया तो सीएम से शाबासी भी। सुब्रमण्यिम को वास्तव में इसकी दरकार भी है। बेचारे जब से दिल्ली से आए हैं, गृह विभाग से पीछा नहीं छूट रहा है।

गाइडलाइन पर सवाल

कुछ महीने पहिले सीएम की राजनांदगांव सभा में कुछ व्यवधान पहुंचा था तो सरकार से कलेक्टरों को गाइडलाइन जारी हुई थी। कलेक्टर सीएम के कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी सरकार को भेजेंगे। यही नहीं, कार्यक्रम में कुछ भी गड़बड़ हुआ, तो उसके लिए वे जिम्मेदार होंगे। लेकिन, पिछले हफ्ते कोरिया में माता कर्मा जयंती के कार्यक्रम में गाइडलाइल को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। आयोजकों ने कार्यक्रम को राज्य स्तरीय बताकर सीएम से टाईम ले लिया। लेकिन, जब सीएम समरोह में पहंचे तो पता चला जिला स्तरीय आयोजन था। भीड़ भी जिला स्तरीय के हिसाब से ही आई थी। ऐसे में, कोरिया के बीजेपी नेताओं को बगले झांकने के अलावा कोई चारा नहीं था।

पुनिया का प्रयास

कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया के एका के प्रयासों पर पार्टी के नेता ही पलिते लगा रहे हैं। चुनाव अभियान समिति की बैठक में तो पुनिया के सामने ही आपस की कलह खुलकर सामने आ गई। वो भी इस कदर कि घर-परिवार के लोगों पर भी हमले किए जाने लगे। पुनिया भी आवाक थे कि ये हो क्या रहा है। चलिये, बीजेपी और जोगी कांग्रेस के लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है।

एक और आदिवासी नेता

छत्तीसगढ़ की राजनीति ने एक और आदिवासी नेता को सुनियोजित तौर पर निबटाने की कोशिशें हुई हैं। बताते हैं, अंबिकापुर में टीएस सिंहदेव जैसे प्रभावशाली नेता के सामने खड़े होने के लिए भाजपा के पास कोई चेहरा नहीं है। चर्चा थी कि सरगुजा सांसद कमलभान को बीजेपी वहां उतार सकती है। लेकिन, कमलभान का अश्लील गालियों का ऐसा आडियो टेप वायरल किया गया कि वे अब सफाई दे पाने की स्थिति में भी नहीं हैं। हालांकि, टेप सुनने से लगता है, उन्हें ट्रेप किया गया है। चलिये, कांग्रेस के लिए अब अंबिकापुर सीट और मजबूत हो जाएगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. सरकार ने बेमेतरा कलेक्टर कार्तिकेय गोयल और कवर्धा कलेक्टर नीरज बंसोड़ को 10 महीने में ही क्यों बदल दिया?
2. आखिर ऐसा क्या हुआ कि सरकार ने आलोक अवस्थी का आर्डर निकाला कमिश्नर एग्रीकल्चर का और तीसरे दिन उन्हें ग्रामोद्योग में भेज दिया?

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