3 जून
चीफ सिकरेट्री अजय सिंह अब दिल्ली में मुख्य आवासीय आयुक्त भी होंगे। सरकार ने उनकी नई नियुक्ति का आर्डर जारी कर दिया है। 5 जून को वे मीटिंग में दिल्ली जा रहे हैं। संभवतः इसी दिन वे इस अतिरिक्त पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। सिंह इसी साल जनवरी में विवेक ढांड के वीआरएस लेने के बाद चीफ सिकरेट्री बने थे। वे देश के पहले चीफ सिकरेट्री होंगे, जिनके पास दिल्ली में आवासीय आयुक्त की जिम्मेदारी होगी। इससे पहिले इस पोस्ट पर एन बैजेंद्र कुमार रहे। बैजेंद्र के एनएमडीसी चेयरमैन बनने के बाद यह पद खाली था। आईएफएस संजय ओझा एडिशनल कमिश्नर के रूप में दिल्ली का कामकाज देख रहे थे।
चीफ सिकरेट्री अजय सिंह अब दिल्ली में मुख्य आवासीय आयुक्त भी होंगे। सरकार ने उनकी नई नियुक्ति का आर्डर जारी कर दिया है। 5 जून को वे मीटिंग में दिल्ली जा रहे हैं। संभवतः इसी दिन वे इस अतिरिक्त पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। सिंह इसी साल जनवरी में विवेक ढांड के वीआरएस लेने के बाद चीफ सिकरेट्री बने थे। वे देश के पहले चीफ सिकरेट्री होंगे, जिनके पास दिल्ली में आवासीय आयुक्त की जिम्मेदारी होगी। इससे पहिले इस पोस्ट पर एन बैजेंद्र कुमार रहे। बैजेंद्र के एनएमडीसी चेयरमैन बनने के बाद यह पद खाली था। आईएफएस संजय ओझा एडिशनल कमिश्नर के रूप में दिल्ली का कामकाज देख रहे थे।
एक्सचेंज पोस्टिंग
आईएएस रजत कुमार हावर्ड में एक साल का हायर स्टडी करके दिल्ली लौट आए हैं। 3 जून वे यहां ज्वाईनिंग देंगे। सरकार ने उनके लौटने से पहले ही वे सारे विभाग उनके हवाले कर दिए, जो मुकेश बंसल के पास थे। मुकेश भी एमबीए करने अमेरिका के एमआईटी जा रहे हैं। मुकेश के पास स्पेशल सिकरेट्री टू सीएम के साथ ही सीईओ एनआरडीए, डायरेक्टर एवियेशन एवं स्पेशल सिकरेट्री एवियेशन का चार्ज था। हालांकि, रजत जब हावर्ड जा रहे थे तो उनके पास यही विभाग थे, जिसे सरकार ने मुकेश बंसल को दिया था। और, अब रजत के लौटने पर सरकार ने उनका विभाग लौटा दिया है। ये होता है, ओहरा। एक तरफ बाहर से लौटने वाले अफसर पोस्टिंग के लाले पड़ जाते हैं…उन्हें लंबा ट्रायल से गूुजरना पड़ता है। रजत को अमेरिका से इंडिया की फ्लाइट पकड़ने से पहिले ही सरकार ने आर्डर निकाल दिया। चलिये, कोर गु्रप में रहने के लाभ तो मिलते ही हैं।
ब्यूरोक्रेसी में लाॅबी
राज्यों की ब्यूरोक्रेसी में क्षेत्रीयता के हिसाब से कई गुट होते हैं। छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में कभी उड़ीया लाॅबी का बड़ा जोर रहा करता था। चीफ सिकरेट्री एसके मिश्रा के समय तो पूछिए मत….! मगर वक्त के साथ वह खतम हो गई। इसके बाद साउथ लाॅबी ताकतवर हुई थी। लेकिन, इस समय हवा का रुख भांपकर वह भी बैकफुट पर है। छत्तीसगढ़ कैडर में कुछ साल से बिहार के अफसरों की संख्या बढ़ी है। लेकिन, अत्यधिक तेज लोगों में कभी एकजुटता हो नहीं सकती। पुणे के भी आधा दर्जन से अधिक आईएएस हो गए हैं। पुणे मतलब मराठी। कुछ मराठी अफसरों में एकजुटता है, किन्तु लाॅबी जैसी बात नहीं है। आईएएस का 2005 बैच जरूर एक मजबूत लाॅबी के रूप में उभरा है। ये बैच अपने को इतना पावरफुल करके रखा है कि इसे और किसी की जरूरत नहीं। इनमें रजत कुमार, मुकेश बंसल, राजेश टोप्पो, ओपी चैधरी, आर संगीता और एस प्रकाश हैं। इस बैच के सारे अफसर मजबूत स्थिति में बैठे हैं। मुकेश बंसल एमआईटी गए तो रजत सीएम सचिवालय में फिर आ गए। ओपी चैधरी कलेक्टर रायपुर। राजेश टोप्पो जनसंपर्क आयुक्त। याने सरकार के क्लोज। संगीता को भी लेबर कमिश्नर के साथ ही सिकरेट्री का जिम्मा। इस पोस्ट पर एसीएस के रूप में कभी विवेक ढांड, एमके राउत और आरपी मंडल रह चुके हैं। सबसे हल्के एस प्रकाश थे। 2005 बैच ने लाबिंग करके हाल ही में प्रकाश को एजुकेशन से जुड़े सारे मिशन, बोर्ड का जिम्मा दिलवा दिया।
सरकार, सरकार होती है
छत्तीसगढ़ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट काॅरपोरेशन में कभी ओएसडी नहीं रहा। वो भी दिल्ली में। लेकिन, सरकार ने आईएएस मनिदंर कौर द्विवेदी के लिए रास्ता निकाला। उन्हें सीआईडीसी का दिल्ली में ओएसडी बनाया गया है। ठीक ही कहते हैं, सरकार, सरकार होती है। कुछ भी कर सकती है। खुद मनिंदर के आईएएस पति गौरव द्विवेदी को दिल्ली डेपुटेशन से लौटने पर सरकार ने तीन महीने तक प्रशासन अकादमी में बिठा दिया था। उन्हें मंत्रालय वापसी के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। लेेकिन, मनिंदर ने दिल्ली में पोस्टिंग की इच्छा जाहिर की तो सरकार ने पोस्ट क्रियेट कर उन्हें दिल्ली में ही रहने की सुविधा दे दी।
पहली बार
राज्य बनने के बाद शासन पहली बार डीएफओ की कांफें्रस करने जा रहा है। पहले 4 जून को मंत्रालय में होनी थी। लेकिन, आईएफएस स्व0 देवेंद्र सिंह की तेरहवीं के चलते इसे अब 6 जून किया गया है। इसमेें स्टेट के सारे डिवीजनों के डीएफओ को बुलाया गया है। सीएम अभी तक कलेक्टर, एसपी और जिपं सीईओ की हर साल क्लास लेते हैं। लेकिन, डीएफओ जैसे बड़़े क्षेत्र की नुमाइंदगी करने वाले अफसर पता नहीं सरकार से कैसे छूट गए थे। राजनीतिक दृष्टि से भी डीएफओ का रोल ज्यादा महत्वपूर्ण रहता है। सूबे में 40 फीसदी से अधिक वन तो हैं ही, 34 परसेंट में से अधिकांश आदिवासी वन्य क्षेत्रों में ही रहते हैं।
राहुल गांधी का फोन
राजनीति में कोई चीज अंतिम नहंी होती….राजनीतिज्ञों के हर हां में ना और ना में हां की गुंजाइश होती है। 11 दिन पहले राहुल गांधी ने अजीत जोगी के बारे में आखिर क्या कहा था। राहुल के दो टूक से कांग्रेस के लोगों को लगा कि अब जोगी की पार्टी में इंट्री नामुमकिन है। लेकिन, जोगी की तबीयत बिगड़ने पर राहुल गांधी ने उनका हाल जानने के लिए रेणु जोगी को फोन लगाने में देर नहींे लगाई। हालांकि, राहुल ने परिपक्व और बड़े नेता जैसा आचरण किया। लेकिन, उनके फोन ने पार्टी के लोकल नेताओं को दुखी कर दिया है। कांग्रेस के विरोधी पहले ही शिगूफा छोड़ते रहते थे, चुनाव से पहिले जोगीजी कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे। राहुल के फोन के बाद तो जोगी कांग्रेस के कार्यकर्ता कहने लगे हैं, कुमार स्वामी की तरह भइया सीएम होंगे और कांग्रेस उन्हें सपोर्ट करेगी…आखिर कर्नाटक में प्रचार के दौरान राहुलजी कुमार स्वामी की पार्टी को बीजेपी की बी टीम कहते थे। लेकिन, रिजल्ट के बाद उन्हें ही सीएम का आॅॅॅॅफर कर दिया….अपने साब को उनके पुराने करीबी रहे हैं। अब ऐसे में, कांग्रेस को तकलीफ तो होगी ही।
जन्मदिन गिफ्ट
राजधानी में आक्सी रीडिंग जोन और नालंदा परिसर आज प्रारंभ हो गया। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए बनाया गया यह अद्भूत और अनूठा कैम्पस 24 घंटे खुला रहेगा। नालंदा परिसर की कल्पना रायपुर कलेक्टर ओपी चैघरी ने की थी। दंतेवाड़ा की एजुकेशन सिटी के बाद रायपुर में वे एक ऐसा कैम्पस बनाना चाहते थे, जिससे यहां के युवाओं को परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली न जाना पड़े। उन्होंने इसे कंप्लीट करने के लिए रात-दिन एक कर दी थी। मुख्यमंत्री ने भी उनके जन्मदिन के रोज नालंदा परिसर का उद्घाटन कर ओपी को बर्थडे गिफ्ट दिया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. वाणिज्यिक कर मंत्री अमर अग्रवाल को हराने के लिए छत्तीसगढ़ की शराब लाॅबी लामबंद क्यों हो रही हैं?
2. पीसीसीएफ आरके सिंह के हेड आॅफ फाॅरेस्ट बनने के बाद उनके पास वाईल्डलाइफ का प्रभार रहेगा या बदल जाएगा?
2. पीसीसीएफ आरके सिंह के हेड आॅफ फाॅरेस्ट बनने के बाद उनके पास वाईल्डलाइफ का प्रभार रहेगा या बदल जाएगा?
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