17 जून
मोदीमय छत्तीसगढ़!
छत्तीसगढ़ में दो महीनेे के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोे विजिट हो गए। अगले दो महीने में एक दौरा और होगा। सरकार की प्लानिंग है, आचार संहिता लागू होने के पहिले प्रधानमंत्री का एक कार्यक्र्रम और हो जाए। इसके लिए मौका भी तलाश लिया गया है। एनटीपीसी का लारा प्लांट बनकर तैयार है। एनटीपीसी प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री ही करते हैं। सीपत प्लांट का उद्घाटन करने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आए थे। सीपत संयंत्र की आधारशिला तत्कालीन पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने रखी थी। जाहिर है, लारा एनटीपीसी का कार्यक्रम ऐसा है कि पीएमओ मना नहीं कर सकता। आचार संहिता अक्टूबर फस्र्ट वीक में लगेगा। कोेशिश होगी, सितंबर मध्य में लारा प्लांट का लोकार्पण करने प्रधानमंत्री आएं। बहरहाल, पीएम विजिट कराकर सरकार के पक्ष में वातावरण तैयार करने में सीएम के रणनीतिकारों की भूमिका अहम मानी जा रही है। वरना, दो महीने के भीतर दूसरी बार पीएम किसी राज्य में शायद ही जाते हैं। लेकिन, भिलाई के कार्यक्रम को ऐसा ड्राफ्ट किया गया कि पीएमओ मना नहीं कर सका। और अब एनटीपीसी है। छत्तीसगढ़ मोदीमय होने से बचाने के लिए कांगे्रेेस के समक्ष चुनौती होगी….राहुल गांधी का दौरा और कराए।
मोदीमय छत्तीसगढ़!
छत्तीसगढ़ में दो महीनेे के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोे विजिट हो गए। अगले दो महीने में एक दौरा और होगा। सरकार की प्लानिंग है, आचार संहिता लागू होने के पहिले प्रधानमंत्री का एक कार्यक्र्रम और हो जाए। इसके लिए मौका भी तलाश लिया गया है। एनटीपीसी का लारा प्लांट बनकर तैयार है। एनटीपीसी प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री ही करते हैं। सीपत प्लांट का उद्घाटन करने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आए थे। सीपत संयंत्र की आधारशिला तत्कालीन पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने रखी थी। जाहिर है, लारा एनटीपीसी का कार्यक्रम ऐसा है कि पीएमओ मना नहीं कर सकता। आचार संहिता अक्टूबर फस्र्ट वीक में लगेगा। कोेशिश होगी, सितंबर मध्य में लारा प्लांट का लोकार्पण करने प्रधानमंत्री आएं। बहरहाल, पीएम विजिट कराकर सरकार के पक्ष में वातावरण तैयार करने में सीएम के रणनीतिकारों की भूमिका अहम मानी जा रही है। वरना, दो महीने के भीतर दूसरी बार पीएम किसी राज्य में शायद ही जाते हैं। लेकिन, भिलाई के कार्यक्रम को ऐसा ड्राफ्ट किया गया कि पीएमओ मना नहीं कर सका। और अब एनटीपीसी है। छत्तीसगढ़ मोदीमय होने से बचाने के लिए कांगे्रेेस के समक्ष चुनौती होगी….राहुल गांधी का दौरा और कराए।
मोदी की छत्तीसगढ़ी
भिलाई की सभा में प्रधानमंत्री ने अच्छी छत्तीसगढ़ी बोली….बिना हिचके, बिना देखे….धड़धड़ाते हुए। छत्तीसगढ़ के नेताओं से ज्यादा ठेठ अंदाज में जय जोहार किया। लेकिन, ये ऐसे ही नहीं हुआ। सरकार के अफसर इसको लेकर सतर्क थे कि कहीं पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गांधी की सभा जैसी चूक न हो जाए। पुराने लोगों को याद होगा, 86 में राजीव गांधी मई दिवस पर भिलाई आए थे। उन्हें, फीड करने वाले ने गलती कर दी, जिससे वे संबोधन की शुरूआत में नोनी मन, डौकी मन बोल गए थे। महिलाओं को डौकी बोलने पर बाद में काफी क्रिटिसाइज हुआ था। इसीलिए, पीएम मोदी माना एयरपोर्ट पर एयरफोर्स के एमआई-17 हेलिकाप्टर पर सवार हुए तो उन्हें पर्चा थमा दिया गया। अब, मोदी की मेमोरी तो है ही, पूरा बांच दिए।
मुसीबत में एक्टिविस्ट
आरटीआई और कोर्ट-कचहरी के जरिये बड़े-बड़े नेताओं की नींद उड़ाने वाले रायपुर के एक्टिविस्ट मुसीबत में फंस गए हैं। उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव ने रायपुर के एक कालेज में कार्यरत उनकी असिस्टेंट प्रोफेसर पत्नी के खिलाफ अपराध दर्ज कराने के लिए कालेज प्रबंधन को लेटर लिख दिया है। उन पर आरोप है, बिना अनुमति और अवकाश लिए उन्होंने पीएचडी किया। पीएचडी करने के दौरान बाहर रहने पर भी वेतन आहरण किया। विभाग ने इसे गंभीर अनियमितता मानते हुए वेतन की राशि रिकवरी करने के साथ ही उन्हें निलंबित करने के लिए कहा है।
धन और धर्म की लड़ाई
प्रदेश की टाॅप फाइव महंगी विधानसभा सीट पर इस बार धन और धन का नहीं, धर्म और धन की लड़ाई होगी। खबर है, कांग्रेस के राजकमल सिंघानिया कसडोल से शिफ्थ कर रहे हैं। शायद भाटापारा से लड़ेंगे। उनकी जगह पर महंत रामसुंदर दास की कसडोल से टिकिट पक्की कर दी गई है। रामसुंदर दास जैजैपुर से दो बार विधायक रह चुके हैं। पिछला चुनाव वे हार गए थे। दास का मुकाबला विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल से होगा। गौरीशंकर की पिछले छह महीने से तैयारी चल रही है। उधर, पता चला है महंतजी को जोगी कांग्रेस ने भी अश्वस्त कर दिया है, वे कसडोल में उनका सपोर्ट करेंगे। जाहिर है, कसडोल में धन और धर्म का दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा।
सीट पक्की
आईआईटी के लिए भले ही सरकार ने जोर लगाया लेकिन, जाहिर तौर पर इसका फायदा भिलाई से विधायक प्रेमप्रकाश पाण्डेय को मिलेगा। आखिर, भिलाई का नाम आईआइटी के मानचित्र पर दर्ज हो ही गया। पाण्डेय 2008 का चुनाव हार गए थे। इस बार भी उनकी गारंटेड वाली स्थिति नहीं थी। लेकिन, आईआईटी से उनका पोेजिशन काफी मजबूत हो गया है। अब उन्हें गारंटेड जीत वाले तीन-चार मंत्रियों के क्लब में शामिल माना जा सकता है।
रिटायरमेंट के बाद प्रमोशन?
आईएफएस अफसरों के प्रमोशन में आजकल काॅमन हो गया है, डीपीसी के छह महीने, साल भर बाद पोस्टिंग का आर्डर निकलना। पीसीसीएफ एकेे द्विवेदी को फरवरी 2017 में प्रमोशन मिला था। लेकिन, आर्डर मिला इस अप्रैल में। याने एक साल तीन महीने बाद। एडिशनल पीसीसीएफ केसी यादव और कौशलेंद्र सिंह के प्रमोशन के लिए 30 मई को मंत्रालय में डीपीसी हुई। 16 दिन हो गया, अभी तक आर्डर का कुछ पता नहीं है। बताते हैं, वन मंत्री महेश गागड़ा के यहां फाइल पड़ी है। एके द्विवेदी जैसा एक साल तीन महीने वाला फार्मूला इस डीपीसी पर भी लागू हो गया तो समझिए यादवजी गए। उनका अगले साल जून में रिटायरमेंट है। वे प्रमोशन से पहिले रिटायर हो जाएंगे। आईएफएस को जीएडी से अलग करने का यही तो नुकसान है।
सीडी कांड में गिरफ्तारी
प्रदेश की राजनीति को हिला देने वाला सीडी कांड में सीबीआई की तफ्तीश निर्णायक मोड़ पर पहंुच गई है। पीएम मोदी के विजिट के चलते कार्रवाई रुकी हुई थी। पता चला है, सीबीआई कुछ लोगों को जल्द ही तलब करने वाली है। सीबीआई का गिरफ्तारी करने का अंदाज अलग होता है। वोे गिरफ्तारी करने के लिए पुलिस पार्टी नहीं भेजती….वो घर से उठा लाए। सीबीआई पूछताछ के नाम पर बुलाती है। और, फिर बिठा लेती है। लिहाजा, अब किसी को पूछताछ के लिए चार-पांच घंटे से अधिक समय तक सीबीआई बिठा ली तो समझ लीजिए मामला गड़बड़ है।
खेतान गए हावर्ड
एडिशनल चीफ सिकरेट्री चितरंजन खेतान लीडर्स इन डेवलपमेंट का कोर्स करने हावर्ड रवाना हो गए हैं। शार्ट टाइम का कोर्स करके इस महीने के अंत तक वे लौटेंगे। चलिये, ठीक है। ब्यूरोक्रेट्स में हायर एजुकेशन के लिए बाहर जाने का चार्म बढ़ा है। रजत कुमार हाल ही में हावर्ड से लौटे हैं। मुकेश बंसल इसी महीने एमआईटी गए हैं। सोनमणि बोरा भी एक साल का एमबीए कोर्स करने जाने वाले हैं।
अंत में दो सवाल आपसे
1. क्या जोगी कांग्रेस का कोई नेता बीजेपी में शामिल होने वाला है या महज अफवाह है?
2. पीएम की भिलाई की ऐतिहासिक सभा के लिए दुर्ग कलेक्टर उमेश अग्रवाल को वो क्रेडिट मिला, जो उन्हें मिलना चाहिए था?
2. पीएम की भिलाई की ऐतिहासिक सभा के लिए दुर्ग कलेक्टर उमेश अग्रवाल को वो क्रेडिट मिला, जो उन्हें मिलना चाहिए था?
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