संजय दीक्षित
24 जून
तेज रफ्तार से हुए घटनाक्रम में एसीएस होम वीबीआर सुब्रमणियम को भारत सरकार ने रातोंरात डेपुटेशन पर जम्मू-कश्मीर भेज दिया। उन्हेें वहां का चीफ सिकरेट्री भी अपाइंट कर दिया गया है। बताते हैं, 21 जून को देर शाम इस संबंध में पीएमओ से छत्तीसगढ़ के चीफ सिकरेट्री को फोन आया। सीएस ने सीएम को बताया। सरकार ने हरी झंडी देने में देर नहीं लगाई। यहां से ओके होते ही रात 9.35 बजे दिल्ली से डेपुटेशन का आर्डर सीएम हाउस पहुंच गया। 22 की सुबह जब यह खबर वायरल हुई तो लोग आवाक रह गए। खुद ब्यूरोक्रेसी भी दंग थी….आखिर ये चकरी घुमी कैसे? जाहिर है, 14 साल के डेपुटेशन से 2015 मंे लौटे सुब्रमणियम की स्थिति छत्तीसगढ़ में कितनी मजबूत थी, ये बताने की जरूरत नहीं। लेकिन, छह साल वे पीएमओ में रहे हैं। कंटेक्ट तो उनके थे ही। पीएमओ से उन्हें खबर मिली, जम्मू-कश्मीर के लिए सीएस की तलाश हो रही है। इसके बाद पीएमओ से तार जोड़ी गई। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार की लाॅबी ने हाथ लगाया और भारत सरकार ने सुब्रमणियम के नाम को हरी झंडी दे दी। चलिये, गवर्नर रुल में वे कश्मीर के सीएस बन गए, वरना छत्तीसगढ़ में क्या भरोसा था। कांग्रेस की सरकार बनने पर ही कुछ हो सकता था।
24 जून
तेज रफ्तार से हुए घटनाक्रम में एसीएस होम वीबीआर सुब्रमणियम को भारत सरकार ने रातोंरात डेपुटेशन पर जम्मू-कश्मीर भेज दिया। उन्हेें वहां का चीफ सिकरेट्री भी अपाइंट कर दिया गया है। बताते हैं, 21 जून को देर शाम इस संबंध में पीएमओ से छत्तीसगढ़ के चीफ सिकरेट्री को फोन आया। सीएस ने सीएम को बताया। सरकार ने हरी झंडी देने में देर नहीं लगाई। यहां से ओके होते ही रात 9.35 बजे दिल्ली से डेपुटेशन का आर्डर सीएम हाउस पहुंच गया। 22 की सुबह जब यह खबर वायरल हुई तो लोग आवाक रह गए। खुद ब्यूरोक्रेसी भी दंग थी….आखिर ये चकरी घुमी कैसे? जाहिर है, 14 साल के डेपुटेशन से 2015 मंे लौटे सुब्रमणियम की स्थिति छत्तीसगढ़ में कितनी मजबूत थी, ये बताने की जरूरत नहीं। लेकिन, छह साल वे पीएमओ में रहे हैं। कंटेक्ट तो उनके थे ही। पीएमओ से उन्हें खबर मिली, जम्मू-कश्मीर के लिए सीएस की तलाश हो रही है। इसके बाद पीएमओ से तार जोड़ी गई। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार की लाॅबी ने हाथ लगाया और भारत सरकार ने सुब्रमणियम के नाम को हरी झंडी दे दी। चलिये, गवर्नर रुल में वे कश्मीर के सीएस बन गए, वरना छत्तीसगढ़ में क्या भरोसा था। कांग्रेस की सरकार बनने पर ही कुछ हो सकता था।
आईपीएस की लाटरी
91 बैच के आईपीएस टीजे लांगकुमेर नागालैंड के डीजीपी बनेंगे। नागालैंड उनका होम कैडर है। वहां जाने के लिए वे लंबे समय से प्रयासरत थे। लेकिन, उन्हें उपर वाले ने दिया तो छप्पड़ फाड़कर। लांग कुमेर को भारत सरकार ने इंटर स्टेट कैडर ट्रांसफर की मंजूरी दी ही, नागालैंड मे उन्हें डीजीपी की कुर्सी मिलने जा रही है। जबकि, छत्तीसगढ़ में उनसे सीनियर अफसर अभी डीजी बनने के लिए इंतजार कर रहे हैं। एडीजी संजय पिल्ले, आरके विज और मुकेश गुप्ता लांग कुमेर से तीन साल सीनियर हैं। इनमें से किसी को नहीं पता कि उनका प्रमोशन कब हो पाएगा। 86 बैैच के आईपीएस डीएम अवस्थी कब से डीजीपी के वेटिंग में हैं, लेकिन उनकी वेटिंग क्लियर नहीं हो पा रही। और, जूनियर डीजीपी हो गया। सीनियर अफसरों को तो अखरेगा ही।
दिल्ली भी वैसी ही
ब्यूरोक्र्रेसी में सभी जगह एक ही आलम है….एक ही तरह के लोग बैठे हैं। वरना, आईपीएस लांग कुमेर को नागालैंड जाने के लिए भारत सरकार से परमिशन कैसे मिलता। डीआईजी केसी अग्रवाल और एएम जुरी को भारत सरकार ने फोर्सली रिटायर किया था, उस समय लांग कुमेर का नाम वाॅच लिस्ट में था। भारत सरकार ने डीजीपी एएन उपाध्याय को वाॅच करने का निर्देश दिया था। उसी अफसर को केंद्र ने नागालैंड जाने की इजाजत दे दी। ये भर्राशाही नहीं है तो क्या है।
मध्यप्रदेश से आगे
छत्तीसगढ़ आईएएस, आईपीएस के प्रमोशन में मध्यप्रदेश से आगे हो गया है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय रायपुर नगर निगम के कमिश्नर रहे 87 बैच के आईएएस मनोज श्रीवास्तव को दो दिन पहले वहां एडिशनल चीफ सिकरेट्री बनाया गया है। जबकि, उनके बैच के सीके खेतान, आरपी मंडल और वीबीआर सुब्रमणियम कब से एसीएस बन चुके हैं। इसी तरह कभी रायपुर के एसपी के रूप में चर्चित रहे 85 बैच के आईपीएस संजय राणा को मध्यप्रदेश गवर्नमेंट ने एक जुलाई से डीजी का रैंक दिया है। छत्तीसगढ़ में उनके बैच के डीएम अवस्थी को डीजी बने जमाना हो गया है।
टीम का कमाल
नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्रियों के सामने पीएम नरेंद्र मोदी ने भिलाई विजिट की इतनी तारीफ कर दी कि दीगर राज्य छत्तीसगढ़ से जानना रहे हैं कि ये कैसे हुआ। 23 को इंदौर में पीएम की सभा के लिए मध्यप्रदेश से अफसरों ने छत्तीसगढ़ से टिप्स लिए। चूकि, सरकार दोनों जगह एक ही पार्टी की है, लिहाजा, सिलसिलेवार बताया गया कि किस तरह पीएम की तैयारियां की गई। दरअसल, पीएम के कार्यक्रमों कोे हिट करना यहां के अफसरों को आ गया है। जंगल सफारी में आए थे तो पीएम के हाथ में शेर की फोटो खींचने के लिए कैमरा पकड़ा दिया गया। शेर की फोटो खींचते उनकी फोटो सुर्खियों में रही। इस बार भिलाई में लघु भारत की ऐसी झांकी बनाई गई कि एसपीजी की मनाही के बाद भी पीएम गाड़ी से उतर गए। बीएसपी के कार्यक्रम में प्रयास के आईआईटी सलेक्ट बच्चों से मिलवाया गया तो सभा में भीड़ ऐसी जुटाई गई कि पीएमओ का भी मानना है, पीएम की पिछले दो साल में देश में ऐसी कोई सभा नहीं हुई। सब टीम रमन का कमाल है। इसे दूसरे राज्य कहां से लाएंगे।
आईएएस के अमिताभ
दिल्ली डेपुटेशन से लौटने के बाद पोस्टिंग के लिए कभी इंतजार करने वाले प्रिंसिपल सिकरेट्री अमिताभ जैन इतने वजनदार हो जाएंगे किसने सोचा होगा। आज वो दो ऐसे विभाग संभाल रहे हैं, जिसे कभी दो अलग-अलग एडिशनल चीफ सिकरेट्री संभालते थे। अमिताभ जैन के पास फायनेंस और कामर्सियल टैक्स तो पहले से था ही सरकार ने गृह विभाग की कमान भी सौंप दी है। एसीएस होम वीबीआर सुब्रमणियम के डेपुटेशन पर जम्म-कश्मीर जाने के बाद गृह विभाग खाली हुआ था। वास्तव में किसी भी राज्य में ये दोनों विभाग बेहद अहम माने जाते हैं। फायनेंस मतलब राज्य के खजाने की चाबी और होम माने सूबे का कानून-व्यवस्था। अमिताभ के पास तो कमर्सियल टैक्स भी है। इससे पहिले डीएस मिश्रा अकेले वित्त संभालते थे। गृह विभाग में भी आरपी बगाई, बीकेएस रे, एसवी प्रभात, एनके असवाल, सुब्रमण्यिम एडिशनल चीफ सिकरेट्री रहे हैं। अमिताभ को प्रमुख सचिव के रूप में ही इतने बड़े दायित्व मिल गए। ऐसे में, उन्हें हैवीवेट आईएएस तो कहा जा सकता है।
आईपीएस का रजनीकांत
आईपीएस उदय किरण फिर चर्चा में हैं। महासमंुद विधायक विमल चोपड़ा की उन्होंने धुनाई कर दी। धरना, प्रदर्शन में मास्टरी हासिल किए विधायकजी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि पुलिस उनकी पिटाई कर सकती है। लेकिन, इस ट्रेनी आईपीएस को पता नहीं हैदराबाद में किसने ट्रेनिंग दे दी है कि कानून की नजर में सब सामान्य है। बिलासपुर में रहे तो मीडिया वालों की ठोकाई कर डाले। डेमोक्रेसी में विधायक, नेता, मीडिया का उन्हें परवाह तो करना चाहिए। इन सब को जब तक वे आम आदमी से उपर नहीं समझेंगे तब तक वे कहीं टिक नहीं पाएंगे। अब देखिए, बिलासपुर में कितना बढ़ियां काम किए थे….अपराधी शहर छोड़कर भाग गए थे और भूमाफिया अंडरग्राउंड। लगा था बिहार के कुंदन कृष्ण जैसा कोई आईपीएस आ गया हो। लेकिन, फिर भी उदय को वहां से उन्हें हटा दिया गया। और, अब महासमुंद से कभी भी हटाया जा सकता है। उदय किरण को बिरादरी के अफसरों से कुछ सीख लेनी चाहिए। यहां आईएएस, आईपीएस एसडीएम और सीएसपी बनते ही शुरू हो जा रहे हैं और वे फालतू के रजनीकांत बनने में लगे हैं। ये सब कुछ काम नहीं आने वाला। काम वही आएगा, जो बाकी अफसर कर रहे हैं।
अंत में दो सवाल आपसे
1. आईएएस वीबीआर सुब्रमणियम के डेपुटेशन पर जम्मू-कश्मीर जाने से छत्तीसगढ़ सरकार खुश है दुखी?
2. पुलिस आंदोलन के लिए किसे जिम्मेदार मानना चाहिए?
2. पुलिस आंदोलन के लिए किसे जिम्मेदार मानना चाहिए?
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